विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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आयनों की उपस्थिति में लाइसोजाइम द्विपरतों का निर्माण, सम्मिलित प्रत्यारोपणों पर जैविक प्रोटीन अवशोषण की कर सकता है नकल

Posted On: 30 DEC 2024 4:11PM by PIB Delhi

एक शोध समूह ने जीवित जीवों में वास्तविक प्रोटीन अवशोषण की नकल करने के लिए कमरे के तापमान पर घोल से हाइड्रोफिलिक और हाइड्रोफोबिक सिलिकॉन सतह पर लाइसोजाइम प्रोटीन अणुओं की द्विपरतों को स्थिर किया है। यह सम्मिलित प्रत्यारोपण और बायोमटेरियल पर आयन-मध्यस्थ प्रोटीन अवशोषण की वास्तविक जैविक प्रक्रियाओं की नकल करने में मदद करेगा।

गौरतलब है कि लाइसोजाइम एक मॉडल प्रोटीन है जिसमें चार डाइसल्फ़ाइड बॉन्ड होते हैं और यह मानव आंसू, पसीने, दूध और लार में पाया जाता है। दूसरी ओर आयन जीवित शरीर का एक अभिन्न हिस्सा हैं और कई जैविक प्रक्रियाओं में शामिल होते हैं, जैसे कि इलेक्ट्रोकेमिकल क्षमता का विनियमन, द्रव-इलेक्ट्रोलाइट संतुलन, अतिरिक्त-कोशिकीय एसिड-बेस संतुलन, मांसपेशी संकुचन आदि

इस संदर्भ में, जीवित शरीर के अंदर प्रत्यारोपण की स्थापना से निस्संदेह आयन-मध्यस्थ प्रोटीन-सतह अंतःक्रियाएं उत्पन्न होंगी।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के तहत पूर्वोत्तर भारत के एक स्वायत्त संस्थान, गुवाहाटी के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी उन्नत अध्ययन संस्थान (आईएएसएसटी) के वैज्ञानिकों के एक समूह ने आयनों की उपस्थिति में लाइसोजाइम बाइलेयर का निर्माण किया। इससे आयन-मध्यस्थ लाइसोजाइम अवशोषण को बढ़ावा मिला है जो वास्तविक जीवित शरीर में प्रोटीन के जैविक अवशोषण की नकल कर सकता है।

लाइसोजाइम द्विपरत को मोनो-(Na + ), डाइ-(Ca 2+ ) और त्रिसंयोजक (Y 3+) आयनों की   उपस्थिति में स्थिर किया गया, जिसमें एक निचली परत में लाइसोजाइम अणु शामिल थे, जो पार्श्व अभिविन्यास को पसंद करते थे तथा अणुओं की एक अतिरिक्त ऊपरी परत थी, जो पार्श्व या झुके हुए अभिविन्यास को पसंद करते थे।

शोधकर्ताओं ने विभिन्न आयनों की अंतःक्रियाओं के माध्यम से नियंत्रित Si सतह पर लाइसोजाइम की द्विपरतों के स्थिरीकरण की क्रियाविधि को समझाया है।

एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. सारथी कुंडू, वरिष्ठ अनुसंधान फेलो श्री सानू सरकार  और पोस्ट-डॉक्टरेट फेलो डॉ. अदिति सैकिया के नेतृत्व वाले समूह के अनुसार, लाइसोजाइम अणुओं के साथ परस्पर क्रिया करने वाले विघटित आयनों से Si सतहों पर लाइसोजाइम द्विपरत की संपूर्ण स्थिरीकरण प्रक्रिया मुख्य रूप से आयनिक वातावरण में संशोधित हाइड्रोजन बंधन, हाइड्रोफोबिक और इलेक्ट्रोस्टैटिक अंतःक्रियाओं के माध्यम से साकार की गई थी।

आयनिक वातावरण में लाइसोजाइम-सतह की परस्पर क्रिया के साथ प्रतिस्पर्धा करने वाली लाइसोजाइम-लाइसोजाइम अंतःक्रिया हाइड्रोफिलिक सतह पर अपने मूल गोलाकार रूप में प्रोटीन अवशोषण की ओर ले जाती है तो वहीं लंबी संरचना के साथ हाइड्रोफोबिक सतह। अधिक लाइसोजाइम अणुओं से भरी द्विपरत फिल्म एक उच्च संपर्क कोण को जन्म देती है।

कमरे के तापमान पर आयनों द्वारा लाइसोजाइम बाइलेयर्स का स्थिरीकरण, डाले गए प्रत्यारोपण और बायोमटेरियल पर आयन-मध्यस्थ प्रोटीन अवशोषण की वास्तविक जैविक प्रक्रियाओं की नकल करने में सहायक होगा। गौरतलब है कि यह शोध कार्य प्रतिष्ठित रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री के तहत न्यू जर्नल ऑफ केमिस्ट्री में प्रकाशित हुआ था।

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