राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
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 राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), ने गिग श्रर्मिकों के अधिकारों पर  आम चर्चा का आयोजन किया


राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), की कार्यवाहक अध्यक्ष, श्रीमती विजया भारती सयानी ने कहा कि गिग श्रमिकों के समक्ष चुनौतियों से निपटने के लिए नियामक ढांचे की आवश्यकता है

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) के महासचिव, श्री भरत लाल ने गिग श्रमिकों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए विभिन्न कानूनों और सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 के कार्यान्वयन पर जोर दिया

लैंगिक असमानताओं को कम करने के लिए एग्रीगेटर स्तरों पर न्यूनतम मजदूरी प्रवर्तन और आय पारदर्शिता सुनिश्चित करने पर बल दिया गया

अन्य विभिन्न सुझावों के अतिरिक्त, गिग श्रमिकों को सुनवाई का कोई अवसर प्रदान किए बिना उनकी सेवा की मनमानी रेटिंग प्रणाली की समीक्षा का उल्लेख किया गया

एग्रीगेटर्स द्वारा सामान्य और विशिष्ट कल्याणकारी योजनाओं का भी सुझाव दिया गया, जिनमें स्वास्थ्य लाभ, दुर्घटना बीमा, वृद्धावस्था सुरक्षा और दुर्घटनाओं के मामले में बेरोजगारी सुरक्षा शामिल हैं,

Posted On: 23 DEC 2024 4:15PM by PIB Delhi

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), ने नई दिल्ली में हाइब्रिड मोड में गिग श्रमिकों के अधिकारों पर एक आम चर्चा का आयोजन किया।  एनएचआरसी की कार्यवाहक अध्यक्ष, श्रीमती विजया भारती सयानी ने कहा कि गिग श्रमिकों से जुड़ी चुनौतियों, जिसमें लंबे समय तक काम करना, वित्तीय तनाव और शारीरिक थकावट शामिल है, को दूर करने के लिए विनियामक ढांचे के माध्यम से लक्षित प्रयासों की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि 83 प्रतिशत से अधिक ऐप-आधारित ड्राइवर प्रतिदिन 10 घंटे से अधिक काम करते हैं। 10 मिनट की डिलीवरी और अवास्तविक लक्ष्यों जैसी नीतियां उन्हें शारीरिक और मानसिक तनाव देती है, जिसके परिणामस्वरूप कई दुर्घटनाएं भी होती हैं। महिलाओं को सुरक्षा जोखिम, अनियमित कार्यक्रम और शारीरिक मांग जैसी अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जो उनकी भागीदारी को हतोत्साहित करती हैं और उनके कल्याण को प्रभावित करती है।


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इससे पहले, चर्चा की शुरुआत करते हुए, एनएचआरसी के महासचिव, श्री भरत लाल ने कहा कि गिग श्रमिकों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए भारत में सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 और विभिन्न अन्य श्रम कानूनों के कार्यान्वयन की जांच करना महत्वपूर्ण है। उन्होंने यह भी कहा कि कर्नाटक, राजस्थान और झारखंड जैसे कुछ राज्य गिग श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं लेकिन स्वास्थ्य बीमा, न्यूनतम मजदूरी, तनाव मुक्त कामकाजी परिस्थितियां और गिग श्रमिकों की गरिमा से जुड़ी अन्य प्रमुख चिंताओं को समाप्त करने के लिए और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है।

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आम चर्चा के दौरान तीन तकनीकी सत्रों में 'गिग श्रमिकों के सामाजिक सुरक्षा लाभों की अनौपचारिकता और उनकी कानूनी अस्पष्टता', 'गिग श्रमिकों के स्वास्थ्य, मानसिक स्वास्थ्य, और सुरक्षा से वंचित होना' और 'महिला गिग श्रमिकों के लिए लैंगिक असमानता और वित्तीय अस्थिरता' आदि विषयों पर चर्चा की गई।


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चर्चा में दिए गए सुझाव इस प्रकार है:

लंबे समय तक काम करने, वित्तीय तनाव और शारीरिक थकावट सहित गिग श्रमिकों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए लक्षित प्रयासों और नियामक ढांचे की आवश्यकता है।


गिग श्रमिकों से जुड़ी सभी नियोक्ता कंपनियों को स्वास्थ्य लाभ, दुर्घटना बीमा, वृद्धावस्था सुरक्षा और दुर्घटनाओं आदि के मामले में बेरोजगारी सुरक्षा सहित सामान्य और विशिष्ट कल्याणकारी योजनाएं प्रदान करनी चाहिए।


महिला गिग श्रमिकों के लिए मातृत्व लाभ, क्रेच सुविधाएं और अन्य लाभों का सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से समर्थन करना।


गिग श्रमिकों की सहायता के लिए ई-श्रम पोर्टल का विस्तार करना।


महिला गिग श्रमिकों के लिए शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करना और कार्य स्थल पर सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करने के लिए पीओएसएच (यौन उत्पीड़न की रोकथाम) नीतियों के बारे में जागरूकता पैदा करना।


व्यावसायिक प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से कौशल विकास के अवसर प्रदान करने के अलावा पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए गिग श्रमिकों के लिए वित्तीय साक्षरता का निर्माण।

 

  • लैंगिक असमानताओं को कम करने के लिए एग्रीगेटर स्तरों पर न्यूनतम मजदूरी प्रवर्तन और आय पारदर्शिता सुनिश्चित करने पर बल दिया गया


जलवायु चुनौतियों से जुड़े जोखिमों का समाधान करने के लिए योजनाएं विकसित करना और नियोक्ता कंपनियों द्वारा मौसम की प्रतिकूल दशाओं के दौरान श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना।

गिग श्रमिकों को सुनवाई का कोई अवसर प्रदान किए बिना उनकी सेवा की मनमानी रेटिंग प्रणाली की समीक्षा करना।


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एनएचआरसी के रजिस्ट्रार (कानूनी), श्री जोगिंदर सिंह, , संयुक्त सचिव, श्री देवेंद्र कुमार निम,  नीति आयोग के पूर्व विशेष सचिव, डॉ के राजेश्वर रावकर्नाटक सरकार में श्रम विभाग के सहायक श्रम आयुक्त श्री निखिल एमआर,  राजस्थान सरकार में श्रम विभाग के संयुक्त सचिव और अतिरिक्त श्रम आयुक्त श्री ओपी सरहान, राष्ट्रीय श्रम सहकारी संघ लिमिटेड के प्रबंध निदेशक डॉ विनय कुमार चौहान, अर्बन कंपनी में कॉर्पोरेट संचार और ईएसजी की निदेशक सुश्री भव्या शर्मा,  जिप्प इलेक्ट्रिक के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री आकाश गुप्ता, जिप्प इलेक्ट्रिक की सार्वजनिक नीति प्रबंधक सुश्री तनाज़ अहमद, ओला इलेक्ट्रिक के सार्वजनिक नीति प्रबंधक श्री प्रशांत कुमार, ओला इलेक्ट्रिक के जनरल काउंसिल श्री रोहित कुमार, टीजीपीडब्ल्यूयू आईएफएटी-एनजीएस के अध्यक्ष श्री शेख सलाउद्दीन,  एमजेडएम लीगल एलएलपी के एसोसिएट पार्टनर सुश्री नादिया सरगुरोह,  एमजेडएम लीगल एलएलपी के वरिष्ठ सहयोगी श्री स्वप्निल श्रीवास्तव, एनसीवीईटी के उप निदेशक श्री हरीश चंदर, वीवी गिरी राष्ट्रीय श्रम संस्थान के एमबी फैकल्टी, डॉ. धन्या   और बिग बास्केट के एचआर प्रमुख श्री राहुल जैन ने इस आम चर्चा में हिस्सा लिया।

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