आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय
मौजूदा इमारतों को डीकार्बोनाइज करना
Posted On:
19 DEC 2024 5:30PM by PIB Delhi
इमारतों को डीकार्बोनाइज करने की रणनीतियां कई अलग-अलग पहलुओं, इमारत के हिस्सों (आवरण, संरचना, सामग्री, आदि) से लेकर सेवाओं (आश्रय, हीटिंग, आदि) तक, इमारत के प्रकार (आवासीय और वाणिज्यिक), इमारत के आकार, कार्य तक, और जलवायु क्षेत्र तक में अलग-अलग हैं। भारत सरकार निर्माण क्षेत्र से उत्सर्जन को कम करने के लिए कई प्रयास कर रही है। निर्माण क्षेत्र में न्यूनीकरण के अधिकतर प्रयास, डिजाइन और प्रौद्योगिकी के जरिए ऊर्जा और सामग्री के इस्तेमाल के डिमांड पक्ष प्रबंधन पर आधारित हैं।
संपोषित आवास के लिए राष्ट्रीय मिशन (एनएमएसएच) जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना के तहत नौ मिशनों में एक है, जो इमारतों, अपशिष्ट प्रबंधन और परिवहन के साथ मौजूदा माहौल में वर्तमान और भविष्य के जलवायु परिवर्तन शमन और अनुकूलन नीतियों को प्रोत्साहित करना चाहता है। एनएमएसएच को 4 प्रमुख मिशनों - अटल कायाकल्प और शहरी परिवर्तन मिशन (अमृत), स्वच्छ भारत मिशन, स्मार्ट सिटी मिशन, शहरी परिवहन कार्यक्रम के जरिए कार्यान्वित किया गया है। इसके अतिरिक्त, मौजूदा इमारतों को डीकार्बोनाइज करने के उद्देश्य से कई नीतियों और कार्यक्रमों के साथ-साथ ऊर्जा संरक्षण बिल्डिंग कोड, भवन ऊर्जा दक्षता कार्यक्रम, वाणिज्यिक भवनों के लिए स्टार रेटिंग प्रणाली; आवासीय भवनों के लिए शून्य लेबलिंग कार्यक्रम, इकोनिवास संहिता; मानक और लेबलिंग कार्यक्रम; उन्नत ज्योति की ओर से सभी के लिए किफायती एलईडी (उजाला); प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना शामिल हैं। सरकार ने आवासीय घरों हेतु सौर छत क्षमता में हिस्सेदारी बढ़ाने के लिए फरवरी 2024 में पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना भी शुरू की, जो अंततः इमारतों/ घरों को डीकार्बोनाइज करती है।
भारत सरकार के आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय (एमओएचयूए) ने शहरी एवं क्षेत्रीय विकास योजना निर्माण और कार्यान्वयन (यूआरडीपीएफआई) दिशानिर्देश (https://mohua.gov.in/upload/uploadfiles/files/URDPFI%20Guidelines% 20Vol%20I(2).pdf)जारी किए हैं। यूआरडीपीएफआई दिशानिर्देश 2014 का अध्याय -6 “सस्टेनेबिलिटी गाइडलाइंस” शहरों में हरित इमारत, जलवायु परिवर्तन और अनुकूलन, पर्यावरण संवेदनशील योजना और ग्रीन बफर जोन से संबंधित है। इसमें ऊर्जा संरक्षण भवन कोड (ईसीबीसी) के आधार पर इमारतों के ऊर्जा कुशल डिजाइन के विकास के साथ-साथ ऊर्जा दक्षता को भी शामिल किया गया है, जो ऊर्जा कुशल इमारतों के लिए न्यूनतम ऊर्जा प्रदर्शन मानक प्रदान करता है और गैर-पारंपरिक ऊर्जा/ नवीकरणीय ऊर्जा के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करता है और हरित भवनों को बढ़ावा देता है, जिससे कार्बन उत्सर्जन और ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में कमी आती है।
मंत्रालय ने मॉडल बिल्डिंग उपनियम (एमबीबीएल) - 2016 (https://mohua.gov.in/upload/uploadfiles/files/MBBL.pdf) भी जारी किए हैं, जिसमें कैप्टर-10 राज्यों की ओर से हरित भवन और स्थिरता प्रावधानों को अपनाने से संबंधित है और इसमें भू-जलवायु परिस्थितियों के आधार पर संपोषित पर्यावरण अनुकूल और स्थानीय निर्माण पदार्थों का इस्तेमाल शामिल है।
इसके साथ ही, भारत ने जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क सम्मेलन में अपनी दीर्घकालिक न्यून कार्बन विकास रणनीति (एलटी-एलईडीएस) भी प्रस्तुत की है, जो सात प्रमुख क्षेत्रों में न्यून कार्बन विकास पथ में बदलाव प्रस्तुत करती है। इनमें से एक बदलाव में “इमारतों में डिजाइन, ऊर्जा और सामग्री दक्षता में अनुकूलन और संपोषित शहरीकरण का प्रोत्साहन” शामिल है। निर्माण क्षेत्र में न्यून कार्बन विकास पथ को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से भारत के एलटी-एलईडीएस के प्रमुख तत्व हैं; (i) शहरी नियोजन में अनुकूलन उपायों को मुख्यधारा में लाना; (ii) शहरी नियोजन दिशानिर्देशों, नीतियों और उपनियमों के भीतर ऊर्जा और संसाधन दक्षता के साथ न्यून कार्बन विकास को बेहतर करने के तरीकों को प्रोत्साहन देना; (iii) मौजूदा और भविष्य की इमारतों में जलवायु-अनुकूल और परिवर्तनशील भवन डिजाइन, निर्माण और संचालन को प्रोत्साहन देना; (iv) संसाधन दक्षता और जल, ठोस और तरल अपशिष्ट के प्रबंधन के जरिए न्यून कार्बन वाली नगरपालिका सेवा वितरण के साथ चलना।
इसके अतिरिक्त, विद्युत मंत्रालय ने मौजूदा इमारतों की ऊर्जा दक्षता में सुधार का समर्थन करने के लिए ऊर्जा सेवा कंपनियों (ईएससीओ) के बिजनेस मॉडल के लिए दिशानिर्देशों को भी अंतिम रूप दिया है। इन दिशानिर्देशों के आधार पर ईएससीओ बिजनेस मॉडल की बड़े पैमाने पर तैनाती के लिए पायलट परियोजनाएं पहले ही शुरू की जा चुकी हैं।
यह जानकारी आवास एवं शहरी कार्य मंत्रालय के राज्य मंत्री श्री. तोखन साहू की ओर से आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी गई।
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