सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय
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संसदीय प्रश्न: - राष्ट्रीय राजमार्गों पर एम्बुलेंस और सुरक्षा सेवाएं

Posted On: 19 DEC 2024 3:50PM by PIB Delhi

"राष्ट्रीय राजमार्गों पर एम्बुलेंस, घटना प्रबंधन सिस्टम के एक अंग के रूप में तैनात की जाती हैं, जो बदले में ठेकेदारों/कंसेशनर्स के माध्यम से किए जा रहे संचालन और रखरखाव का एक हिस्सा है। पिछले तीन वर्षों में तैनात केंद्रीकृत एम्बुलेंस की संख्या इस प्रकार है:"

क्रम सं..

वित्तीय वर्ष

एम्बुलेंस की संख्या

1

2021-22

930

2

2022-23

1003

3

2023-24

1074

 

"एम्बुलेंस या तो टोल प्लाजा पर या उपयुक्त पाए जाने वाले स्थानों पर तैनात की जाती हैं। आमतौर पर, परियोजना राजमार्ग की लंबाई चाहे जो भी हो, कम से कम एक एम्बुलेंस प्रदान की जाती है, और लंबे खंडों के लिए एम्बुलेंस आमतौर पर 50-60 किमी के अंतराल पर तैनात की जाती हैं।"

  "फील्ड कार्यालयों के साथ-साथ पर्यवेक्षण सलाहकार भी नियमित रूप से राष्ट्रीय राजमार्ग खंडों पर तैनात एम्बुलेंस में उपकरणों और मैनपावर की उपलब्धता का निरीक्षण करते हैं।"

(i) सड़क सुरक्षा को सड़क सुरक्षा सलाहकारों और सड़क सुरक्षा लेखा परीक्षकों के माध्यम से डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) के चरण में ही एकीकृत किया गया है।

(ii) 22.09.2022 से अनंतिम पूर्णता प्रमाण पत्र जारी करने के लिए सुरक्षा कार्यों का पूरा होना अनिवार्य कर दिया गया है।

(iii) लिफ्ट/रैंप के प्रावधान सहित एफओबी (फुट ओवर ब्रिज) के निर्माण के लिए क्षेत्रीय अधिकारियों को वित्तीय शक्तियाँ दी गई हैं।

(iv) पूरे भारत में परियोजना कार्यों में लगे फील्ड अधिकारियों / कंसेशनर्स / ठेकेदारों / सलाहकारों के प्रशिक्षण के माध्यम से सुरक्षा उपायों पर क्षमता निर्माण किया जा रहा है।

(vii) राष्ट्रीय राजमार्गों पर पैदल चलने वालों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए,  मीडियन  के खुलने और जंक्शनों पर पैदल यात्रियों के लिए मार्किंग की जाती है, शहरी/आबादी वाले क्षेत्रों में फुटपाथ/वॉकवे बनाए जाते हैं, और राष्ट्रीय राजमार्गों के आबादी वाले खंड में स्ट्रीट लाइटिंग की जाती है।

(viii) राष्ट्रीय राजमार्गों पर सड़क उपयोगकर्ताओं के सुरक्षित व्यवहार के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए हर साल सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जाता है, जिसमें सड़क उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा के लिए जागरूकता पैदा करने और बढ़ाने के लिए निम्नलिखित प्रमुख गतिविधियाँ की जाती हैं:

  • वॉकथन (पैदल चाल), सड़क सुरक्षा पर प्रदर्शनी का आयोजन निबंध लेखन/पोस्टर बनाने की प्रतियोगिता/नुक्कड़ नाटक और जन जागरूकता कार्यक्रमों के साथ करना।
  • सुरक्षा सप्ताह के दौरान टोल प्लाजा, सड़क किनारे सुविधाओं, और भोजन स्टॉल बिंदुओं पर सड़क का प्रयोग करने वालों को पर्चे आदि वितरित करना।
  • फ्लेक्स बैनर, कार्यशाला और चर्चा के माध्यम से सड़क सुरक्षा के लिए जागरूकता अभियान चलाना।
  • टोल प्लाजा पर पीछे से होने वाली टक्कर से बचने के लिए रेट्रो रिफ्लेक्टिव शीटिंग लगाना और ट्रक, ट्रैक्टर-ट्रॉली, जानवरों की गाड़ी आदि पर रिफ्लेक्टर/रेट्रो-रिफ्लेक्टिव टेप लगाना।
  • क्विज़ प्रतियोगिताओं, चित्रकला प्रतियोगिताओं, निबंध लेखन और भाषण प्रतियोगिताओं आदि के माध्यम से स्कूल/कॉलेज के छात्रों के लिए प्रेरणा और सड़क किनारे सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम चलाना।
  • पुलिस विभाग की सहायता से ओवरलोडिंग रोकने के लिए विशेष अभियान, साथ ही ओवर-स्पीडिंग, अनाधिकृत पार्किंग, नशे में गाड़ी चलाना आदि की जांच करना।
  • राष्ट्रीय राजमार्गों पर चलने वाले ट्रक/बस चालकों के लिए स्वास्थ्य और नेत्र जांच शिविर और चश्मे का वितरण करना।
  • पर्चे वितरित करना और सुरक्षा बैनर प्रदर्शित करना।
  • ट्रक चालकों की थकान की जांच करना और उन्हें सड़क सुरक्षा के बारे में शिक्षित करना।
  • ट्विटर, इंस्टाग्राम और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया पर सड़क सुरक्षा जागरूकता संदेश नियमित रूप से फैलाए जा रहे हैं।

यह जानकारी आज लोकसभा में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री, श्री नितिन गडकरी ने एक लिखित उत्तर में दी।

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