सहकारिता मंत्रालय
शहरी सहकारी बैंकों का छत्र संगठन
Posted On:
18 DEC 2024 5:13PM by PIB Delhi
शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के सामने आने वाली चुनौतियों को सुलझाने के लिए एक संगठन स्थापित करने की जरूरत महसूस हुई। यूसीबी बिखरे और असंगठित माहौल में काम कर रहे हैं, जिससे उनकी बढ़ोतरी, स्थिरता और प्रतिस्पर्धात्मकता में बाधा आ रही है। नियामक स्पष्टता की कमी, कार्यान्वयन से जुड़ी अक्षमताओं और संसाधनों व विशेषज्ञता तक सीमित पहुंच के चलते कई यूसीबी वित्तीय अस्थिरता, खराब प्रशासन और बाजार दबाव के प्रति असुरक्षित हो गए हैं।
शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) की चुनौतियों को दूर करने के लिए राष्ट्रीय शहरी सहकारी वित्त और विकास निगम (एनयूसीएफडीसी) नामक एक छत्र संगठन की स्थापना की गई है। एनयूसीएफडीसी की परिकल्पना शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी), जो इसके शेयरधारक-सदस्य हैं, को निम्नलिखित प्रकार की फंड-आधारित सहायता और गैर-फंड-आधारित सेवाएं प्रदान करने की है।
(I) पूंजी आधारित सहयोग:
- विनियमों व दिशानिर्देशों और नियमों व शर्तों के अनुसार यूसीबी को पूंजी सहयोग
- अल्पकालिक लिक्विडिटी असंतुलन से निपटने में मदद करने के लिए यूसीबी को योग्यता के आधार पर सुरक्षित क्रेडिट लाइनें
- यूसीबी को उनके कर्जों के बदले पुनर्वित्तपोषण
- कठिन समय में यूसीबी की मदद के लिए आपातकालीन लिक्विडिटी मदद के लिए खिड़की
- यूसीबी और वित्तीय संस्थानों से जमा और उधार
- बाजार उधार
- निवेश
(II) गैर-पूंजी आधारित सेवाएं:
- क्षेत्र को एक साझा आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) मंच और सहयोग के साथ आईटी उत्पादों और सेवाओं की एक श्रृंखला
- कोष प्रबंधन सेवाएं
- नियामक की ओर से अनुमति के अनुसार भुगतान और निपटान सेवाएं और क्रेडिट कार्ड सेवाएं
- कार्यान्वयन क्षेत्र में प्रशिक्षण और परामर्श सेवाओं के जरिए क्षमता निर्माण
- निदेशकों, केएमपी (प्रमुख प्रबंधकीय कर्मियों) और कर्मचारियों की खोज के लिए बैंकों को मानव संसाधन सहायता सेवाएं
- आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुसार क्षेत्र के लिए स्व-नियामक संगठन (एसआरओ) की भूमिका
एनयूसीएफडीसी को 117.95 करोड़ रुपये की चुकता पूंजी जुटाने के बाद 8 फरवरी 2024 को आरबीआई से पंजीकरण मिला है। आरबीआई की मंजूरी के अनुसार, यूओ स्व-नियामक संगठन के रूप में कार्य करेगा जिसका कार्य/ गतिविधियां आरबीआई की ओर से निर्धारित होंगी। हालांकि, एनयूसीएफडीसी को आरबीआई की ओर से पंजीकरण की तारीख से एक वर्ष के भीतर, यानी 7 फरवरी, 2025 तक 300 करोड़ रुपये की चुकता पूंजी प्राप्त करने की आवश्यकता है।
यह बात सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कही।
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एमजी/केसी/एमएम
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