इस्‍पात मंत्रालय
azadi ka amrit mahotsav

भारतीय इस्पात उद्योग पर सीबीएएम का प्रभाव

Posted On: 17 DEC 2024 6:28PM by PIB Delhi

इस्पात एक विनियमन-मुक्त क्षेत्र है और सरकार की भूमिका इसमें सुविधा प्रदाता की है। इस्पात का निर्यात वैश्विक बाजार की स्थितियों, मांग और आपूर्ति, लौह अयस्क, कोकिंग कोल आदि जैसे इनपुट कच्चे माल की लागत जैसे कारकों पर निर्भर करता है, जो बाजार से संबद्ध हैं। सरकार निर्यात, आयात, कीमतों आदि सहित समग्र इस्पात परिदृश्य की नियमित रूप से निगरानी करती है।

पिछले पांच वित्तीय वर्षों के दौरान यूरोपीय संघ को तैयार इस्पात के निर्यात की कीमत के आंकड़े निम्‍नलिखित हैं : -

तैयार इस्पात निर्यात

वर्ष

कीमत (करोड़ रुपयों में)

2019-20

10,692

2020-21

14,144

2021-22

32,149

2022-23

22,482

2023-24

29,534

स्रोत : संयुक्‍त संयंत्र समिति (जेपीसी);

सरकार ने भारतीय इस्पात उद्योग के हितों की रक्षा के लिए निम्नलिखित उपाय किए हैं:-

i. केंद्रीय बजट 2024-25 में, इस्पात उद्योग के लिए कच्चे माल फेरो-निकेल और मोलिब्डेनम अयस्कों और सांद्रों पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) 2.5 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया गया है।

ii. सीआरजीओ इस्‍पात के विनिर्माण के लिए फेरस स्क्रैप और निर्दिष्ट कच्चे माल पर बीसीडी छूट 31.03.2026 तक जारी रखी गई है।

iii. देश के भीतर 'स्पेशलिटी स्टील' के विनिर्माण को बढ़ावा देने और पूंजी निवेश को आकर्षित करके आयात को कम करने के लिए स्पेशलिटी स्टील के लिए उत्पादन आधारित प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना का कार्यान्वयन। स्पेशलिटी स्टील के लिए पीएलआई योजना के तहत अनुमानित अतिरिक्त निवेश 27,106 करोड़ रुपये है, जिसमें स्पेशलिटी स्टील के लिए लगभग 24 मिलियन टन (एमटी) की डाउनस्ट्रीम क्षमता का निर्माण शामिल है।

iv. सरकारी खरीद के लिए ‘मेड इन इंडिया’ इस्पात को बढ़ावा देने के लिए घरेलू स्तर पर विनिर्मित लौह एवं इस्पात उत्पाद (डीएमआईएंडएसपी) नीति का कार्यान्वयन।

यह जानकारी इस्पात एवं भारी उद्योग राज्य मंत्री श्री भूपतिराजू श्रीनिवास वर्मा ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

*****

एमजी/केसी/आरके


(Release ID: 2085374) Visitor Counter : 81


Read this release in: English , Urdu