सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय
संसद प्रश्न: ट्रांसजेंडरों का कल्याण
Posted On:
17 DEC 2024 1:47PM by PIB Delhi
वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों के अनुसार, 'अन्य' की कुल जनसंख्या 4.87 लाख है। 'अन्य' की श्रेणी में न केवल 'ट्रांसजेंडर' शामिल होंगे, बल्कि कोई भी व्यक्ति जो 'अन्य' की श्रेणी के तहत सेक्स रिकॉर्ड करने की इच्छा रखता है, शामिल किया जाता है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग 'ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के कल्याण के लिए व्यापक पुनर्वास हेतु केंद्रीय क्षेत्र योजना' नामक उप-योजना के साथ आजीविका और उद्यम के लिए सीमांत व्यक्तियों के लिए समर्थन (स्माइल) योजना लागू कर रहा है। यह योजना पुनर्वास, चिकित्सा सुविधाओं के प्रावधान, परामर्श, कौशल विकास, आर्थिक संबंधों आदि पर व्यापक रूप से ध्यान देने के साथ कई व्यापक उपायों को शामिल करती है।
पिछले तीन वर्षों के दौरान, गरिमा गृहों, ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए आश्रय गृहों के माध्यम से 990 निराश्रित ट्रांसजेंडर व्यक्तियों का पुनर्वास किया गया है और 725 व्यक्तियों को कौशल विकास प्रशिक्षण दिया गया है। ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए राष्ट्रीय पोर्टल के माध्यम से 24,015 ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को पहचान प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं। 19 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड स्थापित किए गए हैं। ट्रांसजेंडर व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए 12 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में ट्रांसजेंडर संरक्षण कक्ष स्थापित किए गए हैं।
ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के खिलाफ अपराधों के मामलों की निगरानी करने और ऐसे अपराधों का समय पर पंजीकरण, जांच और अभियोजन सुनिश्चित करने के लिए पुलिस महानिदेशक के तहत 12 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा 12 ट्रांसजेंडर संरक्षण कक्ष स्थापित किए गए हैं।
यह विभाग अपने स्वायत्त निकाय राष्ट्रीय सामाजिक रक्षा संस्थान (एनआईएसडी) के माध्यम से पुलिस कर्मियों के लिए नियमित जागरूकता सृजन और संवेदीकरण सत्र उपलब्ध कराता है। कुल 85 जागरूकता, क्षमता निर्माण और संवेदीकरण कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं और 4,269 पुलिस अधिकारियों को पुलिस अकादमियों/पुलिस कॉलेजों/एजेंसियों आदि के सहयोग से प्रशिक्षित किया गया है।
विभाग ने 15 राज्यों अर्थात् आंध्र प्रदेश, असम, बिहार, छत्तीसगढ़, दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल (2) और महाराष्ट्र (3) में निराश्रित ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए 18 गरिमा गृह, आश्रय गृह स्थापित किए हैं। गरिमा गृह का मुख्य उद्देश्य ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को भोजन, चिकित्सा देखभाल और मनोरंजन सुविधाओं जैसी बुनियादी सुविधाओं के साथ आश्रय प्रदान करना है। इसके अलावा, यह ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के क्षमता निर्माण/कौशल विकास के लिए सहायता प्रदान करेगा। ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए उठाए गए कदम और विभाग द्वारा किए जा रहे प्रमुख कल्याणकारी कार्य और उनके परिणाम अनुलग्नक में दिए गए हैं।
यह जानकारी केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री श्री बी.एल. वर्मा ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।
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