उप राष्ट्रपति सचिवालय
राष्ट्रीय रक्षा संपदा प्रबंधन संस्थान में 7वें रक्षा संपदा दिवस व्याख्यान में उपराष्ट्रपति के संबोधन का मूल पाठ (सारांश)
Posted On:
16 DEC 2024 11:35AM by PIB Delhi
इस दिन मेरे लिए यह माहौल इससे ज़्यादा सुख देने वाला और बेहतर नहीं हो सकता था। चाणक्य ऑडिटोरियम में प्रवेश करते ही मुझे उस महान और दिग्गज व्यक्ति की याद आ गई जो जानते थे कि चीज़ों को कैसे संभालना है और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जब मैं यहां केंद्रीय सीट पर बैठा, तो मुझे राज्य सभा के अध्यक्ष के रूप में अपनी स्थिति की याद आ गई। वहां जब मैं कुर्सी पर बैठता हूं, तो मेरे दाईं ओर सरकार होती है, बाईं ओर विपक्ष। यहां मेरे दाईं ओर रक्षा संपदा महानिदेशक (डीजीडीई) श्री जीएस राजेश्वरन हैं और सौभाग्य से मेरे बाईं ओर भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग के सचिव श्री नितेन चंद्रा हैं। वे हमेशा रचनात्मक, दिशा दिखाने वाले, प्रेरक और मददगार रहते हैं।
मैं आज संसद के उच्च सदन में यह संदेश लेकर जा रहा हूं। वहां हम संविधान पर चर्चा शुरू कर रहे हैं। हम 26 नवंबर 1949 को भारत के संविधान को अपनाने की शताब्दी के अंतिम चौथाई हिस्से वाले साल में प्रवेश कर रहे हैं।
इसलिए, मैं वास्तव में आप सभी का आभारी हूं कि आपने मेरे दिन की शुरुआत निश्चित रूप से आशा और आशावाद के साथ की। अब, हम एक ऐसे राष्ट्र में हैं जो आशा और संभावनाओं से भरा हुआ है। एक ऐसा राष्ट्र जिसे कभी भी सीमित संभावनाओं वाला राष्ट्र नहीं कहा जा सकता है, यह एक ऐसा राष्ट्र है जो आगे बढ़ रहा है, यह प्रगति अजेय है। चाहे वह समुद्र हो, जमीन हो, आकाश हो या अंतरिक्ष हो, शासन के हर पहलू में यह वृद्धि देखी गई है।
आपको संबोधित करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है और यह मेरे लिए भारतीय रक्षा राज्य सेवा के परिवर्तनकारी प्रभाव की सराहना करने का भी अवसर है।
आपके संरक्षण में लगभग 18 लाख एकड़ रक्षा भूमि भारत के सामरिक रक्षा बुनियादी ढांचे और सतत विकास का आधार है।
कल्पना कीजिए, 18 लाख एकड़। मैं किसान का बेटा हूं। मैं जानता हूं, दुनिया के कई देशों में इतनी ज़मीन नहीं होगी और इसलिए, उसकी देखभाल करना, एस्टेट की देखभाल करना, उसकी पहचान और उसकी सुरक्षा बहुत ज़रूरी है। अधिकारों के रूप में पहचान, उन अधिकारों को अपडेट करना, सिर्फ़ अपने लिए ही नहीं, दूसरों के लिए भी, रेगुलेटर के लिए भी। मैं आपकी तारीफ़ करता हूं कि आपने ज़मीन के रिकॉर्ड को अपडेट करने में बहुत बढ़िया काम किया है। कमाल है!
अक्सर विवाद इसलिए पैदा होते हैं क्योंकि क्षेत्र या स्वामित्व के संबंध में अधिकारों की उचित परिभाषा नहीं होती। आपने इस पर उल्लेखनीय रूप से काबू पा लिया है।
मैं आपको बधाई देता हूं। मैं आपको इसलिए भी बधाई देता हूं कि आपने तकनीकी प्रगति के साथ तालमेल बनाए रखा है और उस दृष्टि से उसे अपडेट भी किया है, लेकिन साथियों, इन संपदाओं को पहले की परंपरागत संपदाओं से आगे बढ़कर विकसित करना होगा। इन्हें आत्मनिर्भर इकोसिस्टम के रूप में विकसित करना होगा और सैन्य तैयारी, सामुदायिक कल्याण, पोषण सुरक्षा को बढ़ाना होगा।
आप बहुत आगे हैं, लेकिन आपको इतनी तेजी से आगे बढ़ना है कि दूसरों को आप तक आने में काफी मेहनत करनी पड़े। इस क्षेत्र को वेलनेस सेंटर में बदलने के लिए इससे बेहतर कोई अवसर नहीं हो सकता। मुझे कोई संदेह नहीं है कि यह किया जाएगा।
2047 तक विकसित भारत की ओर बढ़ने के हमारे रास्ते में, सटीक भूमि प्रबंधन और उत्पादक इस्तेमाल सर्वोपरि है और इसलिए, मैं आपसे अपील करता हूं कि आप अपनी भूमि का अधिकतम उपयोग करें। यह उपयोग विचारोत्तेजक होना चाहिए, समग्र होना चाहिए और अभिनव होना चाहिए।
आप पूरे देश को यह उदाहरण दे सकते हैं कि हर्बल गार्डन क्या होते हैं, औषधीय पौधे क्या होते हैं, क्योंकि आपके एस्टेट इस देश के हर हिस्से में स्थित हैं, जो मानवता के छठे हिस्से का घर है और दुनिया का सबसे बड़ा, सबसे पुराना, जीवंत लोकतंत्र है।
जलवायु परिवर्तन हमारे अस्तित्व के लिए एक चुनौती है। देश के प्रधानमंत्री को आगे आकर 'एक पेड़ मां के नाम' का नारा देना पड़ा, जो अब जन-आंदोलन बन गया है, लेकिन आप जो कदम उठाएंगे, वह अभिनव कदम उठाएंगे। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद जैसी एजेंसियों के साथ मिलकर काम करेंगे। मुझे पूरा विश्वास है कि आप वैश्विक मानक स्थापित करेंगे।
दूसरा पहलू मैं बताना चाहता हूं कि बाइबल में कहा गया है, अपने पड़ोसी से अच्छे कारण से प्रेम करो। गांधीजी ने कहा, सच बोलो क्योंकि ज़्यादातर लोग ऐसा नहीं करते। अहिंसक बनो क्योंकि हम हिंसक होते हैं। अपने पड़ोसी से प्रेम करो क्योंकि हमारे बीच विवाद होना स्वाभाविक है। मैं अपने देश के पड़ोसियों की बात कर रहा हूं।
क्योंकि अटल बिहारी वाजपेयी जी ने सही कहा था। हम अपने पड़ोसियों को नहीं चुन सकते, हमें उनके साथ रहना होगा। भारत रत्न, इस देश के प्रधानमंत्री, एक महान कवि, वे अपनी आत्मा से बोल रहे थे। लेकिन इस मामले में, आपके पड़ोसी हैं। आपके पास ऐसे लोग भी हैं जो आपकी संपत्ति से होकर गुजरने का अधिकार मांग रहे हैं। मुद्दे अदालतों में पहुंचकर भी खत्म होते होंगे, और अब यहीं पर आपका प्राथमिक ध्यान एक संरचित तंत्र पर होना चाहिए जिससे हम बातचीत के ज़रिए समाधान निकाल सकें।
इसी संदर्भ में मैंने अपने बाएं तरफ बैठे सज्जन का अभिनंदन किया। आपकी तरह ही उनकी टीम भी पूरे देश में फैली हुई है। एक बहुमूल्य मानव संसाधन, भूतपूर्व सैनिक, समाज की रीढ़ की हड्डी की तरह होता है।
मैं अपील करूंगा, जैसा कि मैंने 1990 में किया था, जब मैं 1989 में संसद के लिए चुने जाने के बाद केंद्रीय मंत्री बना था, मैं भूतपूर्व सैनिकों के प्रतिष्ठान में गया था और मैंने अपील की थी कि ये मानव संसाधन जो रक्षा सेवाओं में सर्वश्रेष्ठ वर्ष देने के बाद सार्वजनिक जीवन में आता है, उसके पास अभी भी कई दशकों की उत्पादकता है। इसलिए, राष्ट्र के समग्र उत्थान में, वे हर चीज पर ध्यान देने वाले सजग लोग हो सकते हैं लेकिन, राजेश्वरन जी, आपके संदर्भ में, आप अपने द्वारा किए जा रहे नवाचारों के संबंध में उनसे संपर्क कर सकते हैं। आप उन तक पहुंच सकते हैं ताकि रास्ता निकले और कुछ मुद्दों को सौहार्दपूर्ण ढंग से हल किया जा सके।
मैं जानता हूं कि मुकदमेबाजी अपरिहार्य है क्योंकि हमारे देश में वकीलों की एक जमात है। मैं बहुत पहले से ही इस बात से जुड़ा हुआ हूं, लेकिन बीमारी की तरह, जहां इलाज से ज़्यादा हमें रोकथाम और एहतियात का ध्यान रखना चाहिए। विवाद के लिए भी, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह बाहरी हस्तक्षेप के बिना सुलझाया जाए, और ऐसा तब हो सकता है जब आप एक संरचित तंत्र विकसित करते हैं।
मैं आपके द्वारा किए जा रहे सभी कार्यों की सराहना करता हूं, लेकिन कुछ मुद्दे ऐसे भी हैं जिनके गंभीर व्यावसायिक आयाम हैं, क्योंकि आपकी कुछ संपत्तियां शहरी केंद्रों में स्थित हैं, और इसलिए, जो लोग सड़क के उस पार विकास करना चाहते हैं, उन्हें आपकी अनुमति की आवश्यकता है। विवरण में जाए बिना, पारदर्शिता और जवाबदेही पर अधिक ध्यान दिया जाना चाहिए और पारदर्शिता और जवाबदेही की सबसे बड़ी पहचान एकरूपता और शीघ्रता है।
इसलिए मैं राजेश्वरन जी और उनकी टीम से आग्रह करूंगा कि जब भी विकास के ऐसे मुद्दे हों जो आपकी संपत्ति से परे हों और आपकी मंजूरी की जरूरत हो, तो उसे संरचित किया जाना चाहिए, उसे अंकगणितीय होना चाहिए।
किसी को भी इस बात पर संदेह नहीं होना चाहिए कि इस तरह के संगठन में भेदभाव का कोई तत्व है तो भले ही वह अदृश्य हो, लेकिन गंभीर बात है।
विकास, राष्ट्रवाद, सुरक्षा, आम लोगों का कल्याण, सकारात्मक शासन योजनाओं को सिर्फ़ एक ही नज़रिए से देखा जाना चाहिए, और वह है हमारे संविधान की प्रस्तावना के नज़रिए से। अगर यह उसमें फिट बैठता है, तो हमें इसकी सराहना करनी चाहिए। हमारे अलावा और कौन देश पर गर्व करेगा?
लेकिन यह कैसी विडंबना है कि कुछ मौकों पर कुछ लोग इससे अलग रास्ता चुनते हैं और मैं कहूंगा कि अज्ञानता के कारण ऐसा करते हैं, लेकिन एक बात तो तय है कि हमारी प्रगति की गति वृद्धिशील है। और अगर मैं चंद्रयान-3 की सफलता को देखूं, तो हम देख सकते हैं कि यह ऊर्ध्वाधर भी हो सकता है।
इसलिए, यह आपके लिए गहन चिंतन, मंथन और एक चार्टर तैयार करने का दिन है।
- पहला, आपके पास उपलब्ध भूमि का सर्वोत्तम उपयोग कैसे किया जाए। इसका उपयोग उत्पादक होना चाहिए। वास्तव में, यह एक आत्मनिर्भर तंत्र प्रदान करना चाहिए जिससे रक्षा बलों को बाहर से चीजें लाने की आवश्यकता न पड़े, जो आप स्वयं उत्पादित कर सकते हैं। आपको देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्से तक आवागमन सुनिश्चित करना होगा, ताकि आप जरूरतों को पूरा कर सकें।
- दूसरा, आपको शोध का एक बहुत ही उच्च मानक स्थापित करना होगा, और आप सरकारी एजेंसियों से सहायता प्राप्त कर सकते हैं और एजेंसियां निश्चित रूप से आगे आएंगी। यदि आवश्यक हुआ, तो मैं इसे उत्प्रेरित करूंगा।
आइए हम समय से आगे की सोचें। अक्सर लोग दुनिया के दूसरे क्षेत्रों में कृषि, उत्पादकता के बारे में बात करते हैं। वे इसका भरपूर लाभ उठा रहे हैं। आप किसानों के लिए जैविक और प्राकृतिक खेती के रोल मॉडल बन सकते हैं। आप ऐसी स्थिति में भी जा सकते हैं, जिसमें आप पहले से ही काम कर रहें हैं, जैसे फल, सब्जियां और डेयरी उत्पादन। और ये सभी चीजें आपको, भूतपूर्व सैनिकों को भी शामिल करने का अवसर देती हैं, और इसलिए, इसे आपकी पारंपरिक नौकरी से कहीं ज़्यादा, आर्थिक गतिविधियों का केंद्र होना चाहिए।
मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि आप इन मुद्दों पर ध्यान देंगे।
मैं इसके बारे में अधिक कुछ नहीं कहना चाहता, क्योंकि यह एक ऐसी सेवा है जिसके लिए मेरे पास केवल एक ही शब्द है।
आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं, आप बहुत बढ़िया काम कर रहे हैं। एक राष्ट्र के रूप में, हमें आप पर गर्व है और आप शानदार मिसाल पेश करेंगे। सिर्फ विज्ञान क्षेत्र ही क्यों? आप कृषि क्षेत्र, अनुसंधान क्षेत्र, विज्ञान क्षेत्र में भी कई लोगों के लिए एक प्रेरणास्रोत बनेंगे।
महोदय, आपके औषधीय पौधे चमत्कार कर सकते हैं और इसलिए, यह इस विभाग के लिए एक अवसर है। यदि यह इस दिशा में आगे बढ़ते है, तो मानवता की भलाई के लिए अभूतपूर्व परिणाम होंगे।
इस अवसर के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।
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