सहकारिता मंत्रालय
सहकारी समितियों को आयकर में राहत
Posted On:
11 DEC 2024 5:22PM by PIB Delhi
भारत सरकार ने सहकारी समितियों को आयकर में राहत प्रदान करने के लिए कई पहल की हैं। विवरण इस प्रकार हैं:
i. सहकारी समितियों पर अधिभार में कमी: सहकारी समितियों पर 1 करोड़ से अधिक और 10 करोड़ तक की आय पर अधिभार 12% से घटाकर 7% कर दिया गया है। इससे सहकारी समितियों और इसके सदस्यों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी जो ज्यादातर ग्रामीण और कृषि समुदायों से हैं।
ii. सहकारी समितियों के लिए कम वैकल्पिक न्यूनतम कर की दर: सहकारी समितियों को 18.5% की दर से वैकल्पिक न्यूनतम कर का भुगतान करना आवश्यक था। हालाँकि, कंपनियाँ उस का भुगतान 15% की दर से करती थीं। सहकारी समितियों और कंपनियों के बीच समान अवसर प्रदान करने के लिए, सहकारी समितियों के लिए दर को भी घटाकर 15% कर दिया गया है।
iii. सहकारी समितियों के लिए आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 269एसटी के तहत नकद लेनदेन में राहत: धारा 269एसटी (ए) किसी व्यक्ति से एक दिन में, या (बी) किसी लेन-देन से; या (सी) एकल घटना या अवसर के संबंध में कई लेन-देन से 2 लाख से अधिक नकद प्राप्तियों को प्रतिबंधित करती है। इस प्रावधान का उल्लंघन करने की स्थिति में, आयकर अधिनियम 1961 के तहत धारा 269एसटी के उल्लंघन में राशि के लिए जुर्माना लगाया जाता है। अपने सदस्यों को दूध की कीमत के भुगतान के लिए, दुग्ध सहकारी समितियां, एक वितरक के साथ जिनके साथ उनका अनुबंध है, विशेष रूप से बैंक छुट्टियों पर, एक वर्ष में कई बार कई दिनों में 2 लाख से अधिक नकद प्राप्त करती हैं। परिणामस्वरूप, सहकारी समितियों के साथ अपने वितरक के बीच अनुबंध को एक घटना/अवसर मानते हुए आयकर विभाग द्वारा दुग्ध समितियों पर भारी जुर्माना लगाया गया था। सीबीडीटी ने दिनांक 30.12.2022 के सर्कुलर संख्या 25/2022 के माध्यम से स्पष्ट किया कि सहकारी समितियों के संबंध में, एक डीलरशिप / वितरण अनुबंध स्वयं धारा 269 एसटी के खंड (सी) के उद्देश्य से कोई घटना या अवसर नहीं हो सकता है। पिछले वर्ष में किसी भी दिन सहकारी समिति द्वारा ऐसे डीलरशिप/वितरण अनुबंध से संबंधित प्राप्ति, जो निर्धारित सीमा के भीतर है, को उस पिछले वर्ष के लिए कई दिनों में एकत्रित नहीं किया जा सकता है। इससे सहकारी समितियां अपने सदस्यों को, जो ज्यादातर ग्रामीण और कृषि समुदायों से हैं, बिना आयकर जुर्माने के डर के बैंक छुट्टियों पर भुगतान करने में सक्षम होंगी।
iv. नई विनिर्माण सहकारी समितियों के लिए रियायती कर दर: नई सहकारी समितियां जो 31.03.2024 तक विनिर्माण गतिविधियां शुरू करती हैं, उन्हें 15% की कम कर दर का लाभ मिलेगा, जैसा कि वर्तमान में नई विनिर्माण कंपनियों के लिए उपलब्ध है।
v. प्राथमिक सहकारी समितियों द्वारा नकद ऋण/लेनदेन के लिए राहत: आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 269एसएस के अनुसार, 20,000 से अधिक का कोई भी जमा या ऋण नकद में स्वीकार नहीं किया जा सकता है। उल्लंघन करने पर ऋण या जमा राशि के बराबर जुर्माना लग सकता है। आयकर अधिनियम की धारा 269SS में संशोधन किया गया है ताकि यदि कोई प्राथमिक कृषि ऋण समिति (पैक्स) या प्राथमिक सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (पीसीएआरडीबी) अपने सदस्य से जमा स्वीकार करता है या कोई सदस्य पैक्स या पीसीएआरडीबी से नकद में ऋण लेता है, तो कोई पेनाल्टी देने की नौबत नहीं आएगी, यदि ऐसे ऋण या जमा की राशि उनके बकाया शेष सहित 2 लाख से कम है। पहले यह सीमा प्रति सदस्य 20,000 थी।
vi. प्राथमिक सहकारी समितियों द्वारा नकद में ऋण चुकाने पर राहत: आयकर अधिनियम की धारा 269टी के अनुसार, 20,000 या उससे अधिक के ऋण या जमा नकद में स्वीकार नहीं की जाती है। उल्लंघन करने पर ऋण या जमा राशि के बराबर जुर्माना लग सकता है। आयकर अधिनियम की धारा 269टी में संशोधन किया गया है ताकि यदि पैक्स या पीसीएआरडीबी द्वारा अपने सदस्य को जमा राशि वापस की जाती है या ऐसे ऋण को पैक्स या पीसीएआरडीबी द्वारा उसके सदस्य को नकद में वापस किया जाता है, तो कोई पेनाल्टी नहीं देनी होगी, यदि ऐसे ऋण या जमा की राशि उनके बकाया शेष सहित 2 लाख से कम है। पहले यह सीमा प्रति सदस्य 20,000 थी।
vii. बिना टीडीएस के नकद निकालने के लिए सहकारी समितियों के लिए सीमा में वृद्धि: सहकारी समितियां विशेष रूप से डेयरी सहकारी समितियां ग्रामीण क्षेत्र में काम कर रही हैं। उन्हें कभी-कभी अपने सदस्यों को नकद में भुगतान करना पड़ता है। इसके लिए उन्हें बैंकों से नकद निकालने की आवश्यकता होती है। परिणामस्वरूप, जब वर्ष में कुल नकद निकासी 1 करोड़ रुपये से अधिक हो जाती थी, तो उन पर टीडीएस लगाया जाता था। राहत प्रदान करने के लिए, सहकारी समितियों को नकद निकासी पर टीडीएस के लिए 3 करोड़ की उच्च सीमा प्रदान की गई है।
viii. सहकारी चीनी मिलों को आयकर से राहत: वित्त अधिनियम, 2015 के माध्यम से, आयकर अधिनियम 1961 में धारा 36 (1) (xvii) को जोड़ा गया था ताकि चीनी के निर्माण के व्यवसाय में लगी एक सहकारी समिति यानी सहकारी चीनी मिलों (सीएसएम) द्वारा किए गए व्यय की राशि के लिए कटौती प्रदान की जा सके। यह उपाय 1.4.2016 से प्रभावी हो गया यानी आकलन वर्ष 2016-17। हालांकि, सीएसएम द्वारा गन्ना मूल्य के लिए अतिरिक्त भुगतान को किसान सदस्यों को आय वितरण और उसके फलस्वरूप कर देनदारियों के रूप में मानने का मुद्दा कवर नहीं किया गया, जिसे केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड द्वारा दिनांक 25.10.2021 के सर्कुलर संख्या 18/2021 द्वारा स्पष्ट किया गया था। तदनुसार, सीएसएम पर उनके द्वारा गन्ना मूल्य के लिए अतिरिक्त भुगतान पर परिणामी कर देनदारियों को 1.4.2016 से कम किया गया था।
ix. सहकारी चीनी मिलों के आयकर से संबंधित दशकों पुराने लंबित मुद्दों का समाधान: चीनी सहकारी समितियों को आकलन वर्ष 2016-17 से पहले की अवधि के लिए गन्ना किसानों को किए गए भुगतान को व्यय के रूप में क्लेम करने का अवसर प्रदान किया गया है। तदनुसार, आईटी अधिनियम की धारा 155 में भी वित्त अधिनियम, 2023 के माध्यम से 1 अप्रैल, 2023 से एक नई उप-धारा (19) जोड़ी गई है। अधिनियम की धारा 155 की उप-धारा (19) के तहत क्षेत्राधिकार निर्धारण अधिकारी को आवेदन दाखिल करने के तरीके को मानकीकृत करने और उक्त धारा के तहत क्षेत्राधिकार निर्धारण अधिकारी द्वारा इसके निपटान के लिए, सीबीडीटी ने दिनांक 27.07.2023 के सर्कुलर संख्या 14/2023 द्वारा संबंधित सहकारी चीनी मिलों द्वारा आवेदन करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया जारी की है। इससे इस मामले में दशकों से लंबित आयकर के मुद्दों का समाधान हो गया है। इससे लगभग ₹10,000 करोड़ की राहत मिलने की उम्मीद है।
यह बात सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कही।
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(Release ID: 2083907)
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