सहकारिता मंत्रालय
प्राथमिक कृषि ऋण समितियों और सामान्य सेवा केन्द्रों के माध्यमों से ई-गवर्नेंस सेवा का विस्तार
Posted On:
11 DEC 2024 5:20PM by PIB Delhi
सरकार ने प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (पीएसीएस) को सामान्य सेवा केन्द्रों (सीएससी) के तौर पर ग्रामीण नागरिकों को ई-शासन सेवाएं प्रदान करने में सक्षम बनाया है। सहकारिता मंत्रालय, इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय, राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड के बीच इस इस मुद्दें पर एक समझौता हुआ है। समझौता ज्ञापन के अनुसार प्राथमिक कृषि ऋण समितियां बैंकिंग, बीमा, कृषि सेवाओं, स्वास्थ्य सेवाओं आदि सहित 300 से अधिक ई-सेवाएं प्रदान करने में सक्षम हो गई हैं। 21 नवंबर, 2024 तक, 40,214 पीएसीएस ने ग्रामीण नागरिकों को सामान्य सेवा केन्द्र के रूप में सेवाएं देना आरंभ कर दिया है।
प्राथमिक कृषि ऋण समितियों को सामान्य सेवा केन्द्रों में बदले जाने से गांव के लोग वित्तीय समावेशन, शिक्षा, स्वास्थ्य और सरकार द्वारा दी जाने वाली अन्य नागरिक सेवाएं (जी2सी) प्राप्त कर सकते हैं। पीएसीएस सेवाओं को प्रभावी ढंग से पहुंचाने में आवश्यक कौशल में कर्मियों को प्रशिक्षित करने के लिए राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद (एनसीसीटी) और सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड के सहयोग से प्रशिक्षण और क्षमता उन्नयन कार्यशालाएं आयोजित की जा रही हैं। इससे पीएसीएस के बीच भी डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा यह पहल पीएसीएस को पंचायत/ग्राम स्तर पर विभिन्न नागरिक-केंद्रित सेवाओं के नोडल केंद्रों के रूप में भी सक्षम बनाएगी।
इन उपायों के अतिरिक्त केंद्र सरकार 2,516 करोड़ रुपए के वित्तीय परिव्यय से कार्यात्मक पीएसीएस के लिए कम्प्यूटरीकरण परियोजना चला रही है। इसमें सभी कार्यशील पीएसीएस को उद्यम संसाधन योजना (ईआरपी) आधारित साझा राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर के अंतर्गत लाकर उन्हें राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) के माध्यम से राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के साथ जोड़ना शामिल है। इससे परिचालन दक्षता, पारदर्शिता और पीएसीएस के कामकाज में एकरूपता सुनिश्चित होगी। अब तक, 30 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 67,930 पीएसीएस के कंप्यूटरीकरण के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है। इसके लिए संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को केंद्र सरकार की ओर से अपनी हिस्सेदारी का 699.89 करोड़ रुपये और कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में नाबार्ड को 165.92 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
पीएसीएस के कंप्यूटरीकरण परियोजना का उद्देश्य पीएसीएस मॉडल उप-नियमों में निर्धारित 25 से अधिक आर्थिक गतिविधियां आरंभ करने के लिए व्यापक उद्यम संसाधन योजना (ईआरपी) प्रदान करना है। इसमें अल्प, मध्यम और दीर्घकालिक ऋण के लिए वित्तीय सेवाएं, अधिप्राप्ति संचालन, सरकारी राशन दुकानों के संचालन, व्यवसाय योजना, ऋण प्राप्ति, परिसंपत्ति प्रबंधन आदि के विभिन्न मॉड्यूल शामिल हैं। उद्यम संसाधन योजना आधारित साझा राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर सामान्य लेखा प्रणाली (सीएएस) और प्रबंधन सूचना प्रणाली (एमआईएस) लागू करके पीएसीएस संचालन दक्षता बढ़ाएगा। इसके अलावा यह पीएसीएस में शासन और पारदर्शिता में सुधार, ऋण वितरण सक्षमता में तेजी, लेन-देन शुल्क में कमी, भुगतान असंतुलन को कम कर युक्ति संगत बनाने और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों और राज्य के सहकारी बैंकों के साथ लेखांकन निर्बाध एकीकृत लेखा प्रणाली सुनिश्चित करेगा।
राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों द्वारा परियोजना के लिए सिस्टम इंटीगे्रटर्स (एसआई) को शामिल किया गया है जो राष्ट्रीय सामान्य सॉफ्टवेयर स्थापित करने के लिए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के साथ समन्वय कर रहे हैं। इसके अतिरिक्त, पीएसीएस को विरासत डाटा (पुरानी या अप्रचलित प्रणालियों, प्रारूपों या प्रौद्योगिकियों में संग्रहीत संरचित और असंरचित डाटा) सहित उनके मौजूदा मैनुअल/अर्ध कम्प्यूटरीकृत/कम्प्यूटरीकृत डाटा के डिजिटलीकरण के लिए तकनीकी सहायता दी जा रही है। नाबार्ड द्वारा चयनित राष्ट्रीय स्तर के पीएसीएस सॉफ्टवेयर विक्रेता (एनएलपीएसवी) प्राथमिक कृषि ऋण समितियों को तकनीकी प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान कर रहे हैं।
इन सभी पहल का उद्देश्य प्राथमिक कृषि ऋण समितियों को विविध व्यावसायिक गतिविधियों के लिए व्यापक डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र प्रदान करना है जिससे उनके राजस्व स्रोतों में वृद्धि हो और उन्हें आर्थिक सबलता मिले।
सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
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