इस्‍पात मंत्रालय
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कच्चे इस्पात का उत्पादन और आयात

Posted On: 03 DEC 2024 5:07PM by PIB Delhi

वित्त वर्ष 2023-24 में 144.3 मिलियन टन कच्चे इस्पात के उत्पादन के साथ भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कच्चा इस्पात उत्पादक देश है। भारत 2023-24 के दौरान 7.49 मिलियन टन निर्यात और 8.32 मिलियन टन आयात के साथ तैयार इस्पात का शुद्ध आयातक देश था। चालू वित्त वर्ष यानी अप्रैल-अक्टूबर 2024-25 (अनंतिम) के दौरान तैयार इस्पात का आयात और निर्यात क्रमशः 5.77 मिलियन टन और 2.75 मिलियन टन था।

पिछले सात वित्त वर्षों के अप्रैल-अगस्त के दौरान चीन से तैयार इस्पात का आयात नीचे दी गई तालिका में दिया गया है:-

अवधि

तैयार इस्पात आयात

(मिलियन टन में)

चीन से

कुल

अप्रैल-अगस्त 2018-19

0.64

3.33

अप्रैल-अगस्त 2019-20

0.59

3.45

अप्रैल-अगस्त 2020-21

0.39

1.67

अप्रैल-अगस्त 2021-22

0.36

1.96

अप्रैल-अगस्त 2022-23

0.47

2.06

अप्रैल-अगस्त 2023-24

0.86

2.78

अप्रैल-अगस्त 2024-25*

1.13

3.72

स्रोत: संयुक्त संयंत्र समिति (जेपीसी); *अनंतिम

इस्पात एक विनियमन-मुक्त क्षेत्र है। सरकार इस्पात क्षेत्र के विकास के लिए अनुकूल नीतिगत माहौल बनाकर सुगमकर्ता के रूप में कार्य करती है। घरेलू इस्पात उद्योग की सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा निम्नलिखित कदम उठाए गए हैं:-

  1. केंद्रीय बजट 2024-25 में, फेरो-निकेल और मोलिब्डेनम अयस्कों और सांद्रों पर मूल सीमा शुल्क (बीसीडी) को 2.5 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया गया है, जो इस्पात उद्योग के लिए कच्चा माल हैं। सीआरजीओ इस्‍पात के निर्माण के लिए फेरस स्क्रैप और निर्दिष्ट कच्चे माल पर बीसीडी छूट 31.03.2026 तक जारी रखी गई है।
  2. सरकारी खरीद के लिए ‘मेड इन इंडिया’ इस्‍पात को बढ़ावा देने के लिए घरेलू रूप से निर्मित लौह और इस्पात उत्पाद (डीएमआई एंड एसपी) नीति का कार्यान्वयन।
  3. देश के भीतर ‘स्पेशलिटी स्टील’ के निर्माण को बढ़ावा देने और पूंजी निवेश को आकर्षित करके आयात को कम करने के लिए स्पेशलिटी स्टील के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना शुरू की गई। स्पेशलिटी स्टील के लिए पीएलआई योजना के तहत अनुमानित अतिरिक्त निवेश 29,500 करोड़ रुपये की लागत वाली इस योजना से विशेष इस्पात के लिए लगभग 25 मिलियन टन (एमटी) की अतिरिक्त क्षमता का सृजन होगा।
  4. घरेलू इस्पात उद्योग की चिंताओं को संबोधित करने के लिए आयात की अधिक प्रभावी निगरानी के लिए इस्पात आयात निगरानी प्रणाली (एसआईएमएस) 2.0 का नवीकरण।
  5. घरेलू स्तर पर उत्पन्न स्क्रैप की उपलब्धता बढ़ाने के लिए इस्पात स्क्रैप रीसाइक्लिंग नीति की अधिसूचना।
  6. इस्पात गुणवत्ता नियंत्रण आदेश की शुरुआत, जिससे घरेलू बाजार में घटिया/दोषपूर्ण इस्पात उत्पादों के साथ-साथ आयात पर प्रतिबंध लगाया जा सके, ताकि उद्योग, उपयोगकर्ताओं और आम जनता के लिए गुणवत्तापूर्ण इस्पात की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके। इस्पात गुणवत्ता नियंत्रण आदेश के अनुसार, यह सुनिश्चित किया गया कि अंतिम उपयोगकर्ताओं को केवल प्रासंगिक बीआईएस मानकों के अनुरूप गुणवत्ता वाले इस्पात ही उपलब्ध कराए जाएं। आज की तिथि तक, इस गुणवत्ता नियंत्रण आदेश के तहत कार्बन स्टील, मिश्र धातु स्टील और स्टेनलेस स्टील को शामिल करते हुए 151 भारतीय मानक अधिसूचित हैं।

 केंद्रीय इस्पात और भारी उद्योग मंत्री श्री एच.डी. कुमारस्वामी ने यह जानकारी आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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