स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
सीएआर टी-सेल थेरेपी के अनुसंधान, विकास और क्रियान्वयन को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम
Posted On:
06 DEC 2024 4:04PM by PIB Delhi
CAR T-सेल थेरेपी की प्रभावशीलता रक्त कैंसरों में अधिकतम देखी गई है- विशेष रूप से एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया, नॉन-हॉजकिन लिम्फोमा और मल्टीपल मायलोमा। भारत में, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान बॉम्बे (IIT-B) और टाटा मेमोरियल सेंटर, मुंबई के शोधकर्ताओं ने CAR T-सेल थेरेपी विकसित करने के लिए 2015 से संयुक्त रूप से काम किया है। उन्होंने CD19-निर्देशित CAR T-सेल थेरेपी को सफलतापूर्वक विकसित किया है जो B एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (B-ALL) और B- नॉन-हॉजकिन लिम्फोमा (B-NHL) नामक रक्त कैंसर पर प्रभावी है। इस थेरेपी का प्री-क्लीनिकल मॉडल में व्यापक परीक्षण किया गया और फिर इसे क्लिनिकल-ग्रेड निर्माण सुविधाओं में सफलतापूर्वक निर्मित किया गया।
इन प्रयासों से, वे सभी संबंधित समितियों की स्वीकृति प्राप्त करने में सफल रहे और अंततः मार्च 2021 में इस थेरेपी के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) की स्वीकृति प्राप्त की, ताकि B-ALL से पीड़ित बच्चों और किशोरों तथा B-NHL से पीड़ित वयस्कों पर TMC में चरण 1 नैदानिक परीक्षण किया जा सके। इन परीक्षणों में वे मरीज शामिल थे जिनकी बीमारी फिर से उभर आई थी और कोई अन्य ज्ञात उपचार असर नही कर रहा था। चरण 1 के परीक्षण समाप्त हो चुके हैं और यह थेरेपी सर्वोत्तम अंतरराष्ट्रीय अध्ययनों और डेटा के परिणामों से मेल खाते हुए सुरक्षित और प्रभावी पाई गई है। इस प्रकार, इस थेरेपी को सरकारी एजेंसियों से बड़े अकादमिक अनुदान की मदद से पूरी तरह से भारत में सफलतापूर्वक डिजाइन, विकसित और परीक्षण के लिए लाया गया।
इसके आधार पर, बी-एएलएल या बी-एनएचएल वाले बच्चों और वयस्कों दोनों के लिए चरण 2 परीक्षणों को मंजूरी दी गई है। ये परीक्षण टाटा मेमोरियल सेंटर और कुछ अन्य अस्पतालों में किए जा रहे हैं।
जैव प्रौद्योगिकी विभाग बी-सेल एक्यूट लिम्फोसाइटिक ल्यूकेमिया, मल्टीपल मायलोमा, ग्लियोब्लास्टोमा और हेपेटोसेलुलर कार्सिनोमा जैसे कैंसर के लिए सीएआर-टी सेल थेरेपी पर शोध परियोजनाओं पर कार्य करता है। शोध परियोजनाओं के अलावा, विभाग ने कैंसर चिकित्सा के लिए आनुवंशिक रूप से बनाई गई 'ऑफ-द-शेल्फ' और प्रेरित सीएआर-टी कोशिकाओं के विकास के लिए वर्चुअल नेटवर्क सेंटर (वीएनसी), गैर-आनुवंशिक रूप से इंजीनियर मेसेनकाइमल स्ट्रोमल कोशिकाओं का उपयोग करके ग्लियोब्लास्टोमा स्टेम सेल-लक्षित टी-सेल इम्यूनोथेरेपी पर शोध के लिए नेटवर्क सेंटर, और भारत में कैंसर के लिए इम्यूनोथेरेप्यूटिक दवाओं के रूप में नई, स्वदेशी, सस्ती सेल थेरेपी / सेल-आधारित औषधीय उत्पादों (सीटीएमपी / सीबीएमपी) के डिजाइन और विकास के लिए अंतःविषय कैंसर इम्यूनोथेरेपी नेटवर्क (सीआईएन) की स्थापना की सिफारिश की है ।
जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बीआईआरएसी), जो जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी), भारत सरकार की एक उद्योग-अकादमिक इंटरफेस एजेंसी है, ने अपनी विभिन्न योजनाओं के तहत निम्नलिखित परियोजनाओं को समर्थन दिया है:
क्रम सं.
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परियोजना का शीर्षक
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योजना
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1
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कैंसर के उपचार के लिए चिमेरिक एंटीजन रिसेप्टर कार टी-कोशिका प्रौद्योगिकी: उद्योग मानकों के अनुसार प्री-क्लीनिकल ग्रेड विनिर्माण प्रक्रिया का विकास
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PACE (शैक्षणिक अनुसंधान को उद्यम में परिवर्तित करना)
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2
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बी सेल दुर्दमताओं में CD19 CAR-T सेल थेरेपी IMN-003A की सुरक्षा और प्रभावकारिता का मूल्यांकन
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बीआईपीपी (जैव प्रौद्योगिकी उद्योग भागीदारी कार्यक्रम)
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3
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सीडी-19 पॉजिटिव एक्यूट लिम्फोब्लास्ट ल्यूकेमिया एएलएल और बी-सेल लिम्फोमा के लिए स्वदेशी ऑटोलॉगस एंटी-सीडी19 सीएआर टी-सेल थेरेपी
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एनबीएम (राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन)
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4
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स्वदेशी रूप से विकसित सीडी-19-लक्षित सीएआर टी-कोशिकाओं का उपयोग करके पहला मानव नैदानिक परीक्षण
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एनबीएम (राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन)
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5
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भारत में पहली बार CAR-T और अन्य जीन थेरेपी के लिए GMP-ग्रेड प्लास्मिड और वायरल वेक्टर का निर्माण
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एनबीएम (राष्ट्रीय बायोफार्मा मिशन)
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केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री प्रतापराव जाधव ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
एमजी/केसी/एनकेएस
(Release ID: 2081635)
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