मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
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संधारणीय मत्स्य पालन और पशुधन पहलें

Posted On: 05 DEC 2024 1:39PM by PIB Delhi

मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार वित्तीय वर्ष 2020-21 से 5 वर्षों की अवधि के लिए मात्स्यिकी क्षेत्र में 20050 करोड़ रुपये के निवेश के साथ एक प्रमुख योजना “प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई)” को कार्यान्वित कर रहा है। पीएमएमएसवाई योजना का उद्देश्य सतत(सस्टेनेबल), जिम्मेदार, समावेशी(इन्क्लूसिव) और न्यायसंगत तरीके से मात्स्यिकी क्षमता का उपयोग करना है और सस्टेनेबल मत्स्य उत्पादन विधियों को बढ़ावा देने पर जोर देना है। यह योजना कर्नाटक सहित सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कार्यान्वित की जा रही है।

पीएमएमएसवाई के तहत विगत चार वर्षों और वर्तमान वित्त वर्ष के दौरान,मत्स्यपालन विभाग भारत सरकार ने कुल 1056.34 करोड़ रुपये की लागत से  कर्नाटक सरकार के मात्स्यिकी विकास प्रस्ताव को स्वीकृति दी है। अन्य बातों के अतिरिक्त, मत्स्यपालन में उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने के लिए स्वीकृत गतिविधियों में गुणवत्तापूर्ण बीज आपूर्ति के लिए फिश हैचरी, मीठे पानी और खारे पानी के एक्वाकल्चर में क्षेत्र विस्तार, प्रौद्योगिकी-संचारित कल्चर प्रथाएं जैसे री-सर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम, बायोफ्लोक इकाइयां, केज कल्चर, सी वीड फार्मिंग,ओर्नामेंटल ब्रीडिंग और रियरंग यूनिट शामिल हैं।

तटीय समुद्री क्षेत्रों में, पीएमएमएसवाई के तहत, फिश स्टॉक की बहाली के लिए कर्नाटक सहित सभी तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में आर्टिफिशियल रीफ की स्थापना के लिए भी स्वीकृति दी गई है मत्स्यपालन विभाग भारत सरकार भारतीय विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र/ इंडियन एक्सक्लूसिव इकॉनामिक जोन (ईईजेड) में मानसून/मत्स्य प्रजनन अवधि के दौरान एक समान मत्स्यन पर प्रतिबंध (यूनिफॉम फिशिंग बैन) भी लागू कर रहा है, और संरक्षण और समुद्री सुरक्षा कारणों से कर्नाटक सहित तटीय राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा प्रादेशिक जल(टेरीटोरीयल वाटर) के भीतर इसी तरह के फिशिंग बैन को लागू किए गए हैं ।

इसके अलावा, वित्त वर्ष 2023-24 से वित्त वर्ष 2026-27 तक चार वर्षों की अवधि के लिए मत्स्यपालन विभाग,भारत सरकार ने प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) नामक एक उप-योजना को भी कार्यान्वयन हेतु स्वीकृति दी है। इस योजना का उद्देश्य मात्स्यिकी क्षेत्र की मूल्य-श्रृंखला दक्षता में सुधार के लिए निष्पादन अनुदान के माध्यम से मात्स्यिकी और एक्वाकल्चर सूक्ष्म उद्यमों को प्रोत्साहित करना है।

पीएमएमएसवाई के तहत राष्ट्रीय मात्स्यिकी विकास बोर्ड (एनएफडीबी) के माध्यम से जल कृषि  के विविध क्षेत्रों में विभिन्न कृषि पद्धतियों में विभिन्न क्षमता निर्माण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं, जिसमें गहन (इनटेनसिव)  मीठे पानी की जलकृषि, खारे पानी में जलकृषि, शीत जल मात्स्यिकी, सजावटी मत्स्यपालन, मत्स्य प्रसंस्करण और विपणन, प्रजाति-विशिष्ट हैचरी और प्रजाति-विशिष्ट कल्चर(कृषि) प्रैक्टिस शामिल हैं। एनएफडीबी ने सूचित किया है कि पीएमएमएसवाई के तहत अब तक कर्नाटक में 141 प्रशिक्षण और आउटरीच गतिविधियों को वित्त पोषित किया गया है , जिसमें 10,150 प्रतिभागी शामिल हैं और 121.15 लाख रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है।

पशुपालन एवं डेयरी विभाग, भारत सरकार  ने डेयरी सहकारी समितियों सहित डेयरी क्षेत्र को सुदृढ़  करने के लिए कई पहल की हैं। यह सूचित किया  गया है कि 2014 में राष्ट्रीय डेयरी विकास कार्यक्रम (एनपीडीडी) योजना की शुरुआत के बाद से, कर्नाटक में 16 परियोजनाओं को स्वीकृति दी गई है, जिनकी कुल परियोजना लागत 408.39 करोड़ रुपये है। स्वीकृत परियोजनाओं का क्रियान्वयन कर्नाटक सहकारी दुग्ध विपणन संघ लिमिटेड द्वारा किया जा रहा है ।

इसके अलावा वर्ष 2021-22 से 2025-26 तक, पशुपालन एवं डेयरी विभाग भारत सरकार 500 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ अम्ब्रेला योजना “इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड” के एक हिस्से के रूप में डेयरी गतिविधियों में लगे डेयरी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों (एसडीसीएफपीओ) को सहायता देने की योजना भी लागू कर रही है। इस योजना को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के माध्यम से लागू किया जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य गंभीर रूप से प्रतिकूल बाजार स्थितियों या प्राकृतिक आपदाओं के कारण संकट से निपटने के लिए सॉफ्ट वर्किंग कैपिटल लोन(आसान कार्यशील पूंजी ऋण) प्रदान करके डेयरी गतिविधियों में लगे सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों की सहायता करना है। यह योजना कर्नाटक में भी लागू की जा रही है ।

इसके अलावा, फरवरी 2024 से डेयरी प्रोसेसिंग एंड इन्फ्रस्ट्रक्चर डेवलपमेंट फ़ंड   (डीआईडीएफ) का पुनर्गठन किया गया है और इसे एनिमल हसबंडरी इनफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फ़ंड   (एएचआईडीएफ) में एकीकृत किया गया है। इस संशोधित योजना के तहत सहकारी समितियां और प्राईवेट डेयरी प्लांट्स  दोनों ही 3% प्रति वर्ष की दर से ब्याज सहायता प्राप्त करने के पात्र हैं। इसके अतिरिक्त, निजी संस्थाओं की तरह सहकारी समितियां भी अब इस योजना के अंतर्गत अर्हता प्राप्त किसी भी ऋण देने वाली संस्था से ऋण प्राप्त कर सकती हैं ।

यह जानकारी मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ​​ललन सिंह ने 04 दिसंबर

2024 को राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।

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