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रेलवे में 'कवच' प्रणाली की शुरू हुई तैनाती

Posted On: 27 NOV 2024 7:28PM by PIB Delhi

कवच स्वदेशी रूप से विकसित एक स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली है। कवच एक अत्यधिक प्रौद्योगिकीयुक्त प्रणाली है, जिसके लिए उच्चतम क्रम (एसआईएल-4) के सुरक्षा प्रमाणन की आवश्यकता होती है।

कवच, लोको पायलट द्वारा ब्रेक लगाने में असफल रहने की स्थिति में स्वचालित ब्रेक लगाकर ट्रेन को निर्दिष्ट गति सीमा के भीतर चलाने में लोको पायलट की सहायता करता है। यह खराब मौसम के दौरान ट्रेनों को सुरक्षित रूप से भी चलाता है।

यात्री ट्रेनों पर पहला क्षेत्र परीक्षण फरवरी 2016 में शुरू किया गया था। प्राप्त अनुभव और स्वतंत्र सुरक्षा निर्धारक (आईएसए) द्वारा प्रणाली के स्वतंत्र सुरक्षा मूल्यांकन के आधार पर, कवच संस्करण 3.2 की आपूर्ति के लिए 2018-19 में तीन फर्मों को मंजूरी दी गई थी।

कवच को जुलाई 2020 में राष्ट्रीय एटीपी प्रणाली के रूप में अपनाया गया था।

कवच प्रणाली कार्यान्वयन की प्रमुख गतिविधियां इस तरह हैं:

(ए)   प्रत्येक स्टेशन, ब्लॉक सेक्शन पर स्टेशन कवच की स्थापना।

(बी)   संपूर्ण ट्रैक लंबाई में आरएफआईडी टैग की स्थापना।

(सी)  पूरे खंड में दूरसंचार टावरों की स्थापना।

(डी)   ट्रैक के साथ ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाना।

(ई)   भारतीय रेलवे पर चलने वाले प्रत्येक लोकोमोटिव पर लोको कवच का प्रावधान।

दक्षिण मध्य रेलवे पर 1465 आर.के.एम. पर कवच संस्करण 3.2 की तैनाती के आधार पर, बहुत अनुभव प्राप्त हुए। जिसका उपयोग करके आगे सुधार किए गए। अंत में, कवच विनिर्देश संस्करण 4.0 को आरडीएसओ (आरडीएसओ) द्वारा 16.07.2024 को अनुमोदित किया गया।

कवच संस्करण 4.0 में विविध रेलवे नेटवर्क के लिए आवश्यक सभी प्रमुख विशेषताएं शामिल हैं। यह भारतीय रेलवे के लिए सुरक्षा के दृष्टिकोण से मील का पत्थर है। थोड़े समय के भीतर, भारतीय रेलवे ने स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली विकसित, परीक्षण और तैनाती शुरू कर दी है।

संस्करण 4.0 में प्रमुख सुधारों में स्थान सटीकता में वृद्धि, बड़े यार्ड में सिग्नल पहलुओं की बेहतर जानकारी, ओएफसी पर स्टेशन से स्टेशन कवच इंटरफ़ेस और मौजूदा इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम के लिए सीधा इंटरफ़ेस शामिल है। इन सुधारों के साथ अब बड़े पैमाने पर तैनाती शुरू हो गई है।

कवच को पहले ही दक्षिण मध्य रेलवे और उत्तर मध्य रेलवे पर 1548 आरकेएम पर तैनात किया जा चुका है। वर्तमान में, दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा कॉरिडोर (लगभग 3000 रूट किमी) पर काम चल रहा है। इन मार्गों पर लगभग 1081 आरकेएम (दिल्ली-मुंबई खंड पर 705 आरकेएम और दिल्ली-हावड़ा खंड पर 376 आरकेएम) पर ट्रैक साइड का काम पूरा हो चुका है। इन खंडों पर नियमित परीक्षण किए जा रहे हैं।

उपर्युक्त मार्गों पर अक्टूबर 2024 तक कवच प्रणाली से संबंधित प्रगति रिपोर्ट इस प्रकार है:

(ए)   ऑप्टिकल फाइबर केबल बिछाना: 4960 किमी

(बी)   दूरसंचार टावरों की स्थापना: 378

(सी)  स्टेशनों पर कवच का प्रावधान: 381

(डी)   लोको में कवच का प्रावधान: 482 लोको

(ई)   ट्रैक साइड उपकरण की स्थापना: 1948 आरकेएम.

अगले चरण में कवच कार्यान्वयन की योजना इस प्रकार हैः

(ए)  10,000 इंजनों को सुसज्जित करने की परियोजना को अंतिम रूप दे दिया गया है।

(बी)  कवच के ट्रैक साइड कार्यों के लिए लगभग 15000 आरकेएम के लिए बोलियां आमंत्रित की गई हैं, जिनमें से लगभग 9000 आरकेएम के लिए बोलियां खोली गई हैं। इसमें भारतीय रेलवे के सभी जीक्यू, जीडी, एचडीएन और पहचाने गए खंड शामिल हैं।

वर्तमान में कवच प्रणाली की आपूर्ति के लिए 3 ओईएम को मंजूरी दी गई है। क्षमता और कार्यान्वयन के पैमाने को बढ़ाने के लिए, अधिक ओईएम के परीक्षण और अनुमोदन विभिन्न चरणों में हैं।

सभी संबंधित अधिकारियों को प्रशिक्षण देने के लिए भारतीय रेलवे के केंद्रीकृत प्रशिक्षण संस्थानों में कवच पर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। अब तक 9000 से अधिक तकनीशियनों, ऑपरेटरों और इंजीनियरों को कवच तकनीक पर प्रशिक्षित किया जा चुका है। पाठ्यक्रम आईआरआईएसईटी के सहयोग से तैयार किए गए हैं।

कवच के स्टेशन उपकरण सहित ट्रैक साइड के प्रावधान की लागत लगभग 50 लाख रुपये/किमी है और इंजनों पर कवच उपकरण के प्रावधान की लागत लगभग 80 लाख रुपये/लोको है।

कवच कार्यों पर अब तक 1547 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। वर्ष 2024-25 के दौरान 1112.57 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। कार्यों की प्रगति के अनुसार आवश्यक धनराशि उपलब्ध कराई जाती है।

लोकसभा में यह जानकारी केंद्रीय रेल, सूचना एवं प्रसारण तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने एक लिखित उत्तर में दी।

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