विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
पेप्टाइड-आधारित ट्यूनेबल पीजोरेस्पॉन्सिव नैनोमटेरियल विकसित किए गए हैं जो ऊर्जा संचयन और बायोडिवाइस अनुप्रयोगों में मदद कर सकते हैं
Posted On:
21 NOV 2024 4:10PM by PIB Delhi
भारतीय शोधकर्ताओं के एक समूह ने पेप्टाइड्स के सेल्फ-असेंबली पाथवे को नियंत्रित करके विभिन्न नैनोस्ट्रक्चर विकसित किए हैं। इस सेल्फ-असेंबली प्रक्रिया पर नियंत्रण से सामग्री के गुणों को यांत्रिक उत्तेजनाओं के प्रति समायोजित करना संभव होता है, जिससे उनके पाईज़ोरेस्पॉन्सिव विशेषताओं में प्रभावी रूप से सुधार होता है। इनका उपयोग ऊर्जा संग्रहण, बायोडिवाइस, सॉफ्ट रोबोटिक्स, लचीले इलेक्ट्रॉनिक्स और सेंसिंग उपकरणों में किया जा सकता है।
पेप्टाइड्स की सेल्फ-असेंबली, जिसे तकनीकी रूप से सुप्रामॉलिक्यूलर सेल्फ-असेंबली कहा जाता है, छोटे अणुओं का स्वतःस्फूर्त तरीके से बड़े और संरचित स्वरूपों में संगठित होना है, जो गैर-सहसंयोजक अंतःक्रियाओं द्वारा संचालित होता है। यह प्रक्रिया नैनोडिवाइस बनाने के लिए महत्वपूर्ण है, जिनका उपयोग इलेक्ट्रॉनिक्स, ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक्स और बायोमेडिसिन जैसे क्षेत्रों में किया जाता है, जहां प्रदर्शन के लिए अणुओं पर सटीक नियंत्रण अनिवार्य होता है।
पाईजोइलेक्ट्रिक सामग्री में यांत्रिक तनाव के अधीन होने पर विद्युत आवेश उत्पन्न करने की अद्वितीय क्षमता होती है। यह विशेषता उन्हें सेंसर, एक्टुएटर्स और ऊर्जा-संग्रहण उपकरणों जैसे अनुप्रयोगों के लिए आदर्श बनाती है, जहां यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत संकेतों में या इसके विपरीत परिवर्तित किया जाता है।
सुप्रामॉलिक्यूलर सेल्फ-असेंबली को पाईजोइलेक्ट्रिसिटी के साथ जोड़ना अगली पीढ़ी के नैनोमैटेरियल्स को डिजाइन करने के लिए एक सशक्त दृष्टिकोण प्रदान करता है, जिनमें गतिशील और अनुकूलन योग्य गुण होते हैं। यह नवाचार न केवल स्मार्ट सामग्री की कार्यक्षमता को बढ़ाता है बल्कि स्वास्थ्य सेवा से लेकर इलेक्ट्रॉनिक्स तक विभिन्न क्षेत्रों में प्रगति को प्रेरित करते हुए प्रौद्योगिकी और सामग्री विज्ञान में नए आयाम स्थापित करता है।
बेंगलुरु स्थित सेंटर फॉर नैनो एंड सॉफ्ट मैटर साइंसेज (सीईएनएस) और जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च (जेएनसीएएसआर), जो दोनों विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) के अधीन स्वायत्त संस्थान हैं, के शोधकर्ताओं ने पेप्टाइड्स की सुप्रामॉलिक्यूलर सेल्फ-असेंबली में काइनेटिक और थर्मोडायनामिक अवस्थाओं के बीच जटिल अंतःक्रिया का खुलासा किया है। उन्होंने तापमान और सॉल्वेंट संरचना सहित कई मापदंडों को नियंत्रित करके इस प्रक्रिया का अध्ययन किया। यह जटिलता एकत्रित नैनोमैटेरियल्स की अंतिम संरचना और गुणों को निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
नियंत्रित सेल्फ-असेंबली प्रक्रिया ने आणविक संरचनाओं को सटीक रूप से व्यवस्थित करने की अनुमति दी, जिससे नैनोमैटेरियल्स में संगठित और असममित संरचनाएं बनीं। यह संरचनात्मक असममितता पाईजोइलेक्ट्रिक गुणों को प्रस्तुत करने के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह सामग्री को यांत्रिक तनाव के प्रति प्रतिक्रिया में विद्युत आवेश उत्पन्न करने में सक्षम बनाती है।
पेप्टाइड-आधारित सेल्फ-असेंबल्ड नैनोमैटेरियल्स के इस ट्यूनबल पाईजोइलेक्ट्रिक व्यवहार को हाल ही में रॉयल सोसाइटी ऑफ केमिस्ट्री के जर्नल ऑफ केमिकल साइंस में प्रकाशित किया गया है। यह शोध ऐसे सामग्रियों को डिजाइन करने की नई संभावनाएं खोलता है, जिन्हें आणविक स्तर पर सटीक रूप से नियंत्रित किया जा सकता है।
डॉ. गौतम घोष (सीईएनएस) और उनकी छात्रा सुश्री अपर्णा रमेश, साथ ही श्री तारक नाथ दास और प्रो. तपस कुमार माजी (जेएनसीएएसआर) द्वारा किए गए अध्ययन में यह भी देखा गया कि पेप्टाइड्स के डिनैचरेशन प्रक्रिया के दौरान, हीट ट्रीटमेंट या थर्मल एनीलिंग और कोसॉल्वेंट अनुपात में वृद्धि के समय ध्रुवीकृत प्रकाश के घूर्णन की दिशा ( चिरोऑप्टिकल ) बदल रही थी। यह एक दुर्लभ घटना है।
उन्होंने आगे यह स्पष्ट किया कि ये निष्कर्ष संरचनात्मक परिवर्तनों से जुड़े हैं, जो विभिन्न कारकों में बदलाव के साथ नैनोस्ट्रक्चर (नैनोपार्टिकल्स और नैनोफाइबर्स) के निर्माण को सीधे प्रभावित कर सकते हैं। शोधकर्ताओं ने दिखाया कि चिरोऑप्टिकल स्विचिंग के कारण होने वाले इन नैनोस्ट्रक्चरल परिवर्तनों से पेप्टाइड-आधारित ट्यूनबल पाईज़ोरेस्पॉन्सिव नैनोमैटेरियल्स बनाए जा सकते हैं, जो यांत्रिक तनाव के प्रति प्रतिक्रिया करते हैं। सामग्री के गुणों पर इस प्रकार का गतिशील नियंत्रण स्मार्ट सामग्री को अनुकूलित कार्यक्षमताओं के साथ डिजाइन करने के लिए मार्ग प्रशस्त करता है।
एएनआरएफ, पूर्व विज्ञान और इंजीनियरिंग अनुसंधान बोर्ड (एसईआरबी) द्वारा समर्थित, यह अध्ययन नैनोमटेरियल में पाईजोइलेक्ट्रिक गुणों को नियंत्रित करने के अभिनव दृष्टिकोण को दर्शाता है, जिससे सेंसर, ऊर्जा संचयन उपकरण और बायोमेडिकल प्रौद्योगिकियों सहित विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति हो सकती है। बाहरी उत्तेजनाओं के प्रति सामग्री गुणों को गतिशील रूप से समायोजित करने की क्षमता अगले-पीढ़ी के उपकरणों को बेहतर दक्षता और बहुमुखी प्रतिभा के साथ बनाने के लिए बड़ी संभावनाएं प्रदान करती है। उनका अध्ययन न केवल सुप्रामॉलिक्यूलर सेल्फ-असेंबली की समझ को आगे बढ़ाता है, बल्कि सामग्री विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भविष्य की नवाचारों के लिए आधार तैयार करता है। इस काम से आगे के शोध और विकास को प्रेरित करने की उम्मीद है, जो स्मार्ट सामग्री और नैनोप्रौद्योगिकियों की अगली पीढ़ी के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा।
एमजी/केसी/जीके
(Release ID: 2076608)
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