मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
केंद्रीय मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह आज नई दिल्ली में विश्व मत्स्य पालन दिवस समारोह में शामिल हुए
भारतीय मत्स्य पालन क्षेत्र का विश्व उत्पादन में 8 प्रतिशत का योगदान; भारत में मत्स्य उत्पादन 2014 से लगभग दोगुना: श्री राजीव रंजन सिंह
नीली अर्थव्यवस्था में बड़ी उछाल: पांचवीं समुद्री जनगणना, समुद्री प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए परियोजना शुरू; कार्बन-उत्सर्जन को रोकने पर जोर
Posted On:
21 NOV 2024 4:14PM by PIB Delhi
मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के तहत मत्स्य पालन विभाग ने मछुआरों तथा मछली किसानों और अन्य हितधारकों के योगदान और उपलब्धियों का जश्न मनाने और मत्स्य पालन क्षेत्र के सतत और न्यायसंगत विकास के लिए प्रतिबद्धता को मजबूत करने हेतु आज नई दिल्ली के सुषमा स्वराज भवन में विश्व मत्स्य पालन दिवस 2024 मनाया। इस वर्ष विश्व मत्स्य दिवस का थीम भारत में नीला रूपांतरण: लघु-स्तरीय और टिकाऊ मत्स्य पालन को मजबूत करना है। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी (एमओएफएएचएंडडी) तथा पंचायती राज मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह, मुख्य अतिथि मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी तथा अल्पसंख्यक कार्य राज्य मंत्री श्री जॉर्ज कुरियन और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी तथा पंचायती राज राज्य मंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल उपस्थित थे। इस कार्यक्रम में इटली में भारतीय राजदूत सुश्री वाणी राव; एफएओ, रोम के मत्स्य प्रभाग के एडीजी एवं निदेशक श्री मैनुअल बारंगे तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी तथा पंचायती राज मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने मत्स्य पालन क्षेत्र की उपलब्धियों और चुनौतियों पर प्रकाश डाला। केंद्रीय मंत्री ने मछुआरों और मछली किसानों को भारत को वैश्विक स्तर पर दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक बनाने में उनकी भूमिका के लिए बधाई दी। उन्होंने बताया कि मूल्य श्रृंखला में लगभग 30 मिलियन लोग मछली उत्पादन कार्य से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि विभाग के नीली क्रांति और प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई), प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि योजना (पीएमएमकेएसवाई) जैसी विभिन्न पहलों से देश में मछली उत्पादन को बढ़ावा देने में सहायता मिली है। परिणामस्वरूप, 2014 से मछली उत्पादन लगभग दोगुना होकर 17.5 मिलियन टन हो गया, जिसमें अंतर्देशीय मछली पकड़ना ने अब समुद्री मछली पकड़ना को पीछे छोड़ दिया है, जिसका योगदान 13.2 मिलियन टन है। केंद्रीय मंत्री ने अपने संबोधन में मत्स्य पालन क्षेत्र की प्रमुख चुनौतियों और समाधानों पर प्रकाश डाला। उन्होंने प्लास्टिक प्रदूषण, पारंपरिक तरीके से मछली पकड़ने से कार्बन उत्सर्जन और जल प्रदूषण जैसे मुद्दों पर प्रकाश डाला और प्लास्टिक को कम करने, पानी की गुणवत्ता में सुधार करने और पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों पर जोर दिया। श्री राजीव रंजन सिंह ने इस क्षेत्र की असंगठित प्रकृति और अवसंरचना संबंधी कमियों के बारे में भी चर्चा की, तथा मत्स्य पालन अवसंरचना विकास निधि (एफआईडीएफ) जैसे सुधारों और पहलों की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने मत्स्य पालन क्षेत्र को टिकाऊ और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए अपना विज़न प्रस्तुत किया, जिसमें आधुनिक तकनीकों, नीति एकीकरण और मछली उत्पादन में भारत के वैश्विक नेतृत्व को सुनिश्चित करने के लिए दीर्घकालिक लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
ऐतिहासिक पहल की शुरूआत
श्री राजीव रंजन सिंह ने इस अवसर पर मत्स्य पालन क्षेत्र में बदलाव लाने और भारत की नीली अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के उद्देश्य से कई ऐतिहासिक पहलों और परियोजनाओं की शुरुआत की। इनमें डेटा-संचालित नीति निर्माण के लिए 5वीं समुद्री मत्स्य जनगणना का शुभारंभ, स्थायी शार्क प्रबंधन के लिए शार्क पर राष्ट्रीय कार्य योजना और श्रीलंका, बांग्लादेश तथा मालदीव के सहयोग से बंगाल की खाड़ी क्षेत्र में अवैध, अप्रतिबंधित और अनियमित मछली पकड़ने को रोकने के लिए आईयूयू (अवैध, अप्रतिबंधित और अनियमित) मत्स्य पालन पर क्षेत्रीय कार्य योजना के लिए भारत का समर्थन, समुद्री प्लास्टिक कूड़े से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन-खाद्य और कृषि संगठन (आईएमओ-एफएओ) ग्लोलिटर साझेदारी परियोजना और ऊर्जा-कुशल, कम लागत वाले समुद्री मछली पकड़ने के ईंधन को बढ़ावा देने के लिए रेट्रोफिटेड एलपीजी किट के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) शामिल हैं।
इसके अलावा, तटीय जलकृषि फार्मों के ऑनलाइन पंजीकरण को संभव करने के लिए तटीय जलकृषि प्राधिकरण ने नई एकल खिड़की प्रणाली (एनएसडब्ल्यूएस) की शुरुआत की। स्वैच्छिक कार्बन बाजार के लिए एक रूपरेखा को लागू करने तथा क्षेत्र में कार्बन-पृथक्करण प्रथाओं का उपयोग करने के लिए एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए।
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी और अल्पसंख्यक कार्य राज्य मंत्री श्री जॉर्ज कुरियन ने अपने संबोधन में भारत में खाद्य सुरक्षा, पोषण, रोजगार और आर्थिक स्थिरता पर मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र के परिवर्तनकारी प्रभाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि पीएमएमएसवाई के तहत अच्छे निवेश किए गए हैं। इसके साथ ही मछली उत्पादकता को बढ़ावा देने के लिए स्मार्ट एकीकृत बंदरगाह जैसी प्रगति की गई है। उन्होंने उत्पादक संगठनों और समितियों के माध्यम से मछुआरा समुदायों को सशक्त बनाने में सहकारी क्षेत्र की भूमिका पर प्रकाश डाला। श्री कुरियन ने मछुआरों के योगदान के लिए उनके प्रति आभार भी व्यक्त किया और विश्व मत्स्य दिवस समारोह आयोजित करने के लिए मत्स्य पालन विभाग की सराहना की।
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी तथा पंचायती राज और पंचायती राज राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने अपने संबोधन में स्थायी मत्स्य पालन को बढ़ावा देने और दुनिया भर में लघु स्तर के मछुआरों को सहायता प्रदान करने की बात कहते हुए विश्व मत्स्य दिवस के महत्व पर प्रकाश डाला। लघु स्तर के मछुआरों की सुरक्षा और संरक्षा के लिए भारत की पहलों पर जोर दिया गया, जिसमें मछली स्टॉक के पुनरुद्धार, मछली पकड़ने के नुकसानदेह तरीकों पर प्रतिबंध लगाने तथा समुद्री शैवाल की खेती को बढ़ावा देने के प्रयास शामिल हैं।
इटली में भारतीय राजदूत सुश्री वाणी राव ने मत्स्य पालन क्षेत्र के हितधारकों को शुभकामनाएं दीं और भारत के साथ दीर्घकालिक सहयोग के लिए एफएओ को धन्यवाद दिया। उन्होंने वैश्विक खाद्य सुरक्षा में भारत के योगदान और प्लास्टिक प्रदूषण पर एफएओ आईएमओ ग्लोलिटर परियोजना जैसी पहलों में इसके नेतृत्व पर प्रकाश डाला। सुश्री वाणी राव ने मत्स्य प्रबंधन समिति में भारत की भूमिका पर जोर देते हुए देश को मत्स्य पालन में अग्रणी बनाने, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के साथ तालमेल बिठाने और उत्पादकों को अंतरराष्ट्रीय खरीदारों से जोड़कर भारतीय समुद्री खाद्य निर्यात को बढ़ावा देने पर जोर दिया।
रोम में एफएओ के मत्स्य प्रभाग के एडीजी और निदेशक श्री मैनुअल बैरेंज ने भूख और कुपोषण की वैश्विक चुनौतियों पर जोर दिया और बढ़ती आबादी को भोजन उपलब्ध कराने के लिए अभिनव समाधानों की जरूरत पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम के दौरान एफएओ की ब्लू ट्रांसफॉर्मेशन पहल प्रस्तुत की गई, जिसमें सतत जलीय कृषि विकास, प्रभावी मत्स्य प्रबंधन और जलीय खाद्य मूल्य श्रृंखलाओं को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया। जलीय खाद्य पदार्थों के पोषण संबंधी लाभों और कम पर्यावरणीय प्रभाव को रेखांकित किया गया, साथ ही अपशिष्ट को कम करने, बाजार पहुंच में सुधार करने और इन प्रयासों को खाद्य सुरक्षा रणनीतियों में एकीकृत करने के महत्व पर भी जोर दिया गया। श्री बैरेंज ने वैश्विक मत्स्य सम्मेलन के माध्यम से सतत मत्स्य पालन और जलीय कृषि को बढ़ावा देने में भारत के नेतृत्व की सराहना की।
केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय में मत्स्य पालन विभाग में सचिव (मत्स्य पालन) डॉ. अभिलक्ष लिखी ने लाखों लोगों (खासकर ग्रामीण भारत में) के लिए भोजन, आजीविका और समावेशी विकास प्रदान करने में मत्स्यपालन और जलीय कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। साथ ही उन्होंने इस क्षेत्र की न्यायसंगत और समावेशी विकास की क्षमता की भी चर्चा की। इसके लिए प्रमुख प्राथमिकताओं में टिकाऊ जलीय कृषि का विस्तार करना, मूल्यवर्धित निर्यात को बढ़ाना, अनुसंधान तथा डिजिटलीकरण को आगे बढ़ाना, ऋण पहुंच, समुद्री शैवाल और मोती की खेती जैसी वैकल्पिक आजीविका के माध्यम से मछुआरों के कल्याण में मदद करना शामिल है। सचिव डॉ. लिखी ने नवाचार को बढ़ावा देने और एक टिकाऊ, समावेशी मत्स्य पालन क्षेत्र बनाने के लिए वैश्विक हितधारकों के साथ सहयोग के महत्व पर जोर दिया।
मत्स्य पालन क्षेत्र में योगदान के लिए राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों/जिलों आदि को पुरस्कृत किया गया
इस अवसर पर, भारत में मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र के विकास में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रगतिशील राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी), जिलों और व्यक्तियों को सम्मानित किया गया। केरल को सर्वश्रेष्ठ समुद्री राज्य का पुरस्कार मिला, जबकि तेलंगाना को सर्वश्रेष्ठ अंतर्देशीय राज्य के रूप में मान्यता दी गई। उत्तराखंड को सर्वश्रेष्ठ हिमालयी और पूर्वोत्तर राज्य का खिताब मिला, और जम्मू एवं कश्मीर को सर्वश्रेष्ठ केंद्र शासित प्रदेश का पुरस्कार मिला। जिलों में, केरल के कोल्लम ने सर्वश्रेष्ठ समुद्री जिले का पुरस्कार जीता, छत्तीसगढ़ के कांकेर को सर्वश्रेष्ठ अंतर्देशीय जिला नामित किया गया, जबकि असम के दरांग को सर्वश्रेष्ठ हिमालयी और पूर्वोत्तर जिले का पुरस्कार मिला और जम्मू एवं कश्मीर के कुलगाम को केंद्र शासित प्रदेश में सर्वश्रेष्ठ जिले के रूप में सम्मानित किया गया।
व्यक्तिगत और सहकारी श्रेणियों में, कर्नाटक के श्री रवि खारवी को सर्वश्रेष्ठ समुद्री मछली पालक और बिहार के श्री शिव प्रसाद साहनी को सर्वश्रेष्ठ अंतर्देशीय मछली पालक का पुरस्कार मिला। सर्वश्रेष्ठ समुद्री मत्स्य सहकारी/एफएफपीओ का पुरस्कार गोवा की मंडोवी मछुआरा विपणन सहकारी समिति को मिला, जबकि असम की श्रीजोनी मिन उन्नयन समाबाई समिति लिमिटेड को सर्वश्रेष्ठ अंतर्देशीय मत्स्य सहकारी/एफएफपीओ का पुरस्कार मिला। पश्चिम बंगाल की अनमोल फीड प्राइवेट लिमिटेड को इस क्षेत्र में अपनी उत्कृष्टता के लिए सर्वश्रेष्ठ उद्यम के रूप में सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर सुश्री नीतू कुमारी प्रसाद (संयुक्त सचिव), श्री सागर मेहरा (संयुक्त सचिव) के साथ-साथ कई गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे। इसमें विभिन्न देशों के राजदूत, अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि, मत्स्य पालन समुदाय, मत्स्य पालन शिक्षाविद और शोधकर्ता, वैश्विक मत्स्य पालन वैज्ञानिक, मत्स्य पालन क्षेत्र के अग्रणी, राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि विशेषज्ञ, अनुसंधान एवं विकास संस्थान, निवेशक, मत्स्य पालन और जलीय कृषि उपकरण निर्माता, निर्यात परिषद, मछुआरों के संघ, वित्तीय संस्थान और निवेश बैंकर, अंतर्राष्ट्रीय मत्स्य उद्योग संगठन और विभिन्न देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले 59 से अधिक दूतावास प्रतिनिधि और उच्चायोग भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।
इस कार्यक्रम ने स्वस्थ महासागर परितंत्र और टिकाऊ मत्स्य पालन प्रथाओं के महत्व पर जागरूकता पैदा करने के लिए एक बेहतरीन मंच का किया। इस क्षेत्र के हितधारकों के बीच चर्चा को बढ़ावा देकर, इस कार्यक्रम ने समुद्री संसाधनों की दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सामूहिक कार्रवाई की जरूरत पर प्रकाश डाला। इसके साथ ही, अत्यधिक मछली पकड़ने, उनका आवास क्षरण और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों जैसी चुनौतियों का समाधान भी किया गया।
क्षेत्र के बारे में
मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, जो लगभग 30 मिलियन मछुआरों और मछली किसानों को आजीविका प्रदान करता है, जबकि मूल्य श्रृंखला में रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर पैदा करता है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मछली उत्पादक है, जो मछली के वैश्विक उत्पादन में 8% का योगदान देता है। भारत जलीय कृषि उत्पादन में दूसरे स्थान पर है, झींगा उत्पादन और निर्यात में अग्रणी है, और कैप्चर फिशरीज में सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। 2015 से, भारत सरकार ने इस क्षेत्र में सतत वृद्धि और विकास को बढ़ावा देने के लिए नीली क्रांति योजना, मत्स्य पालन और जलीय कृषि अवसंरचना विकास कोष (एफआईडीएफ), प्रधान मंत्री मत्स्य संपदा योजना (पीएमएमएसवाई), और इसकी उप-योजना, प्रधानमंत्री मत्स्य किसान समृद्धि सह-योजना (पीएम-एमकेएसएसवाई) जैसी प्रमुख पहलों के माध्यम से 38,572 करोड़ रुपये का निवेश किया है।
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