मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय
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मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय और मत्स्य पालन विभाग, अंडमान और निकोबार प्रशासन ने ‘निवेशकों की बैठक 2024 – अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि क्षेत्र में निवेश के अवसर’ की मेजबानी की


केंद्रीय मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह ने 14 नवंबर 2024 को स्वराज द्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में निवेशकों की बैठक का उद्घाटन किया

Posted On: 14 NOV 2024 5:07PM by PIB Delhi

मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले मत्स्य पालन विभाग ने 14 नवंबर 2024 को स्वराज द्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में निवेशकों की बैठक 2024: अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के मत्स्य पालन एवं जलीय कृषि क्षेत्र में निवेश के अवसर का आयोजन किया, जिसमें केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी (एमओएफएएच एंड डी) और पंचायती राज मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के उपराज्यपाल, एडमिरल डी के जोशी, केंद्रीय एमओएफएएच एंड डी और पंचायती राज में राज्य मंत्री, प्रो. एस.पी. सिंह बघेल, एमओएफएएच एंड डी और अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री जॉर्ज कुरियन, सचिव, मत्स्य पालन विभाग, एमओएफएएच एंड डी और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के मुख्य सचिव की सम्मानजनक उपस्थिति देखी गई।

देश के विभिन्न हिस्सों में टूना मछली पकड़ने और समुद्री शैवाल से संबंधित प्रौद्योगिकियों में विशेषज्ञता रखने वाले निवेशकों ने भी इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया, जिसमें मर्चेंट वेंचर्स प्रा. लिमिटेड, मुंबई, उदय एक्वा कनेक्ट्स प्रा. लिमिटेड, हैदराबाद, सैम्स डिस्कस इंडिया, मुंबई, एक्वालाइन एक्सपोर्ट्स, केरल, एनेम्को प्रा. लिमिटेड, श्री विजया पुरम, सी6 एनर्जी प्रा. लिमिटेड, बैंगलोर, एस राजा राव सी फूड्स, श्री विजया पुरम, जोकंस मरीन एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, गोवा, नीला मरीन एक्सपोर्ट, श्री विजया पुरम, लो नाउ कार्गो इम्पोर्ट लिमिटेड, थाईलैंड, बाबला पर्ल्स, मुंबई, कॉन्टिनेंटल मरीन्स, विशाखापत्तनम, गरवारे टेक्निकल फाइबर्स लिमिटेड, पुणे, आर्बी बायोमरीन एक्सट्रैक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड, मैसूर, मदरहुड फूड्स, बेंगलुरु, जिलानी मरीन प्रोडक्ट्स, रत्नागिरी, जेड ए फूड प्रोडक्ट्स, कोलकाता, कैनारेस एक्वाकल्चर एलएलपी, कर्नाटक और ब्लू कैच, मुंबई आदि शामिल हैं।

वैश्विक टूना उद्योग का सालाना कारोबार 40 बिलियन डॉलर से अधिक है, जो नीली अर्थव्यवस्था में अपना प्रमुख योगदान देता है। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह इस क्षेत्र के लिए एक प्रमुख अवसर प्रदान करता है, जहां 6 लाख वर्ग किमी का विशाल आर्थिक क्षेत्र है जो उच्च मूल्य की टूना प्रजातियों से समृद्ध है और 60,000 मीट्रिक टन की अप्रयुक्त समुद्री क्षमता है। इसमें येलोफिन के लिए 24,000 मीट्रिक टन और स्किपजैक के लिए 2,000 मीट्रिक टन शामिल हैं, जबकि वर्तमान उत्पादन केवल 4,420 मीट्रिक टन है, जिसमें विस्तार करने के पर्याप्त अवसर हैं। रणनीतिक रूप से दक्षिण पूर्व एशिया के पास स्थित यह द्वीप समूह समुद्र और वायु द्वारा कुशल व्यापार मार्ग प्रदान करते हैं, जो भारत के लिए टूना मछली की निर्यात क्षमताओं का विस्तार करने के लिए आदर्श स्थिति बनाते हैं।

इस संदर्भ में, पीएमएमएसवाई के अंतर्गत मत्स्य पालन विभाग, भारत सरकार ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में एक टूना क्लस्टर के विकास का शुभारंभ किया है, जो परिचालन को मजबूत करने और टूना मत्स्य पालन में वैश्विक प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देने के लिए अवसंरचना, निवेशक साझेदारी, प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण में निवेश पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।

केंद्रीय मंत्री श्री राजीव रंजन सिंह ने भारत सरकार के नेतृत्व में परिवर्तनकारी पहलों पर प्रकाश डाला, जिसमें पीएमएमएसवाई, पीएमएमएसकेवाई, एफआईडीएफ और नीली क्रांति शामिल हैं, जिन्हें 2015 से 38,572 करोड़ रुपये के अभूतपूर्व निवेश द्वारा के माध्यम से समर्थन प्रदान किया गया है। उन्होंने निवेशकों की सक्रिय भागीदारी के लिए उनके प्रति आभार व्यक्त किया तथा अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के मत्स्य पालन क्षेत्र में विशाल निर्यात क्षमता पर बल दिया और निवेशकों को इन अवसरों का लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया। मंत्री ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की कल्पना भविष्य में मत्स्य निर्यात केंद्र के रूप में की, यह देखते हुए कि सरकार दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के साथ व्यापार को मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है। इसके अलावा, उन्होंने गहरे समुद्र में मछली पकड़ने को बढ़ावा देने और 1 लाख करोड़ रुपये के निर्यात लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करने के लिए फसल प्रसंस्करण सुविधाओं को विकसित करने की कोशिशों को रेखांकित किया। केंद्रीय मंत्री ने अंडमान और निकोबार में आधुनिक मछली पकड़ने की अवसंरचना निर्माण पर बल दिया जिससे इस क्षेत्र के विशाल अप्रयुक्त संसाधनों का स्थायी उपयोग किया जा सके। 

अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के लेफ्टिनेंट गवर्नर, एडमिरल डीके जोशी ने इस क्षेत्र में मत्स्य पालन के सामने आने वाली प्रमुख चुनौतियों को संबोधित किया, जिसमें दक्षिण पूर्व एशिया के साथ सीमित कनेक्टिविटी के कारण ढुलाई संबंधी मुद्दे, एम्पीडा और ईआईसी कार्यालयों की कमी के कारण व्यापार मंजूरी में देरी (चेन्नई निकटतम कार्यालय होने के साथ) और बेहतर परिवहन अवसंरचना की आवश्यकता शामिल हैं। इन चुनौतियों से निपटने के लिए, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह को कुआलालंपुर, इंडोनेशिया के माध्यम से दक्षिण पूर्व एशिया से जोड़ने वाली एक सीधी उड़ान का उद्घाटन 16 नवंबर 2024 को किया जाएगा, जिससे व्यापार संपर्क को सक्षम बनाया जा सकेगा। पहली निर्यात खेप वापसी उड़ान के माध्यम से भेजी जा सकती है। इसके अतिरिक्त, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह से समुद्री खाद्य निर्यात संवर्धन के लिए, एम्पीडा और ईआईसी ने पोर्ट ब्लेयर में डेस्क कार्यालयों की स्थापना की है जिससे व्यापार मंजूरी की दक्षता बढ़ी है और सुचारू संचालन की सुविधा प्राप्त हुई है।

एमओएफएएच एंड डी और अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय में राज्य मंत्री श्री जॉर्ज कुरियन ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में मत्स्य पालन और पर्यटन क्षेत्र की अपार संभावनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने समृद्ध संसाधनों पर भी प्रकाश डाला। अंडमान और निकोबार द्वीप समूह मत्स्य पालन के विकास के लिए एक प्रमुख अवसर प्रदान करता है, जिसमें लगभग 6 लाख वर्ग किमी विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (ईईजेड) है जो अल्प-दोहित समुद्री संसाधनों, विशेष रूप से टूना और इसके जैसी उच्च मूल्यवान प्रजातियों से समृद्ध है, जिनकी अनुमानित मात्रा 60,000 मीट्रिक टन है। दक्षिण पूर्व एशियाई देशों से इन द्वीपों की निकटता कुशल समुद्री और हवाई व्यापार को सक्षम बनाती है, जबकि प्राचीन जल मछली पकड़ने की प्रथाओं का समर्थन करते हैं। उन्होंने आगे प्रोत्साहित किया कि इन संसाधनों का निरंतर और सर्वोत्तम उपयोग किया जाना चाहिए।

एमओएफएएच एंड डी और पंचायती राज मंत्रालय में राज्य मंत्री प्रो. एस.पी. सिंह बघेल ने आजीविका बढ़ाने और रोजगार उत्पन्न करने के लिए अंडमान और निकोबार द्वीप समूह की अपार क्षमता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने जलीय कृषि प्रणालियों (आरएएस) और बायोफ्लॉक प्रौद्योगिकी जैसे तकनीकी माध्यम से मत्स्य पालन क्षेत्र को मजबूत किया है। मंत्री ने विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं एवं कार्यक्रमों पर प्रकाश डाला और  हितधारकों से इन अवसरों का लाभ उठाने का आग्रह किया। समुद्र में मछुआरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए, सरकार ने मछली पकड़ने वाले जहाजों और नौकाओं पर 1 लाख ट्रांसपोंडर लगाना शुरू किया है। उन्होंने जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों की भी बात की और मत्स्य पालन में स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा देने को प्रोत्साहित किया।

डॉ अभिलक्ष लिखी, सचिव (मत्स्य पालन), मत्स्य पालन विभाग, एमओएफएएच एंड डी ने भारत के मत्स्य पालन क्षेत्र के प्रभावशाली विकास पर प्रकाश डाला और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में इस क्षेत्र में विशाल अवसरों पर बल दिया। उन्होंने 2023-24 के लिए रिकॉर्ड-हाई समुद्री निर्यात का उल्लेख किया, जो मछली प्रसंस्करण इकाइयों और भंडारण क्षमता के विस्तार द्वारा समर्थित है। सचिव ने समुद्री पिंजरा मछली पालन और समुद्री सजावटी मछली पालन जैसे अविकसित क्षेत्रों में निजी क्षेत्र की ज्यादा भागीदारी का आह्वान किया, जो आर्थिक विकास एवं जैव विविधता संरक्षण दोनों के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने मत्स्य पालन क्षेत्र के डिजिटलीकरण पर ध्यान देने के साथ-साथ फसल कटाई के बाद प्रसंस्करण और प्रौद्योगिकी निवेश में सुधार लाने सहित उत्पादन एवं उत्पादकता बढ़ाने के दृष्टिकोण पर बल दिया। यह आश्वासन दिया गया कि मत्स्य पालन विभाग इस क्षेत्र का स्थायी, न्यायसंगत एवं आर्थिक विकास के लिए प्रतिबद्ध है।

यह आकर्षक कार्यक्रम एक ऐतिहासिक अवसर था, जिसमें जीवंत मत्स्य पालन और जलीय कृषि क्षेत्र के मछुआरों, मत्स्य किसानों, उद्यमियों एवं अन्य हितधारकों, सरकारी अधिकारियों और उत्साही प्रतिभागियों को एक साथ लाया गया।

  

 

  

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