जनजातीय कार्य मंत्रालय
जनजातीय गौरव दिवस: जनजातीय विरासत का जश्न
Posted On:
14 NOV 2024 1:11PM by PIB Delhi
भगवान बिरसा मुंडा ने हमें सिखाया कि हमें कैसे अपने परिवेश के साथ सद्भाव की भावना के साथ रहना है और अपनी संस्कृति पर गर्व करना है। उनसे प्रेरित होकर, हम उनके सपनों को पूरा करने और हमारे आदिवासी समुदायों को सशक्त बनाने के लिए काम कर रहे हैं।
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प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी
प्रस्तावना
भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता में बहुत हद तक इसके जनजातीय समुदायों का योगदान शामिल है, जिन्होंने राष्ट्र के इतिहास और विकास के सफर में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हर साल 15 नवंबर को, इन समुदायों के योगदान, खासकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को सम्मानित करने के लिए जनजातीय गौरव दिवस मनाया जाता है। यह दिन जनजातीय नेता और स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा की जयंती के दिन मनाया जाता है, जिनकी विरासत आज भी हमें प्रेरित करती है। यह दिन, भारत की विरासत को संरक्षित करने और इसकी प्रगति को आगे बढ़ाने में जनजातीय समूहों की महत्वपूर्ण भूमिका पर रोशनी डालता है।
पृष्ठभूमि
वर्ष 2021 से, जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों का सम्मान करने के लिए, पूरे भारत में जनजातीय गौरव दिवस बेहद उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय समुदायों ने आंदोलनों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिनमें संथाल, तामार, कोल, भील, खासी और मिज़ो जैसे अन्य समुदाय शामिल हैं। इन क्रांतिकारी संघर्षों को अपार साहस और बलिदान द्वारा मंज़िल तक पहुंचाया गया, लेकिन उनके योगदान को अक्सर व्यापक जनता द्वारा अनदेखा कर दिया गया।
बिरसा मुंडा के नेतृत्व में उलगुलान (क्रांति) जैसे ब्रिटिश शासन के खिलाफ आदिवासी आंदोलन, न केवल ब्रिटिश अत्याचार को चुनौती देने की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण थे, बल्कि इसने राष्ट्रीय जागृति को भी प्रेरित किया। आदिवासी समुदायों द्वारा भगवान के रूप में पूज्यनीय बिरसा मुंडा ने शोषणकारी औपनिवेशिक व्यवस्था के खिलाफ एक उग्र आंदोलन का नेतृत्व किया, जिसके चलते 15 नवंबर को उनकी जयंती, आदिवासी नायकों का सम्मान करने का एक उचित अवसर बन गया।
यह सुनिश्चित करने के लिए, कि इन गुमनाम नायकों के बलिदान को कभी नहीं भुलाया जाए, भारत सरकार ने देश की स्वतंत्रता के 75 वर्षों का जश्न मनाते हुए वर्ष 2021 में आजादी का अमृत महोत्सव के दौरान 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में घोषित किया। यह दिन आदिवासी समुदायों के गौरवशाली इतिहास, संस्कृति और विरासत का जश्न मनाता है, जिसमें एकता, गौरव और भारत की स्वतंत्रता और प्रगति में उनके महत्वपूर्ण योगदान को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
2024 में जनजातीय गौरव दिवस समारोह
2024 में, भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती के अवसर पर जनजातीय गौरव दिवस समारोह के एक हिस्से के रूप में, 13 नवंबर को छत्तीसगढ़ के जशपुर में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया था। केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्री तथा युवा मामले और खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया, माय भारत युवा स्वयंसेवकों के साथ 'माटी के वीर' पदयात्रा (पैदल मार्च) का नेतृत्व करेंगे। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय और राज्य के अन्य मंत्री भी बिरसा मुंडा की विरासत का सम्मान करने के लिए इस मार्च में शामिल होंगे। यह कार्यक्रम भारत के स्वतंत्रता संग्राम में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका के लिए एक श्रद्धांजलि है और राष्ट्र के विकास में आदिवासी समुदायों के उल्लेखनीय योगदान का उत्सव है।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जनजातीय गौरव दिवस मनाने और भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती समारोह की शुरुआत करने के लिए 15 नवम्बर को जमुई, बिहार का दौरा करेंगे। प्रधानमंत्री भगवान बिरसा मुंडा के सम्मान में एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट का भी अनावरण करेंगे। वह ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे में सुधार और आदिवासी समुदायों के उत्थान के मकसद से 6,640 करोड़ रुपये से अधिक की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास भी करेंगे।
प्रधानमंत्री प्रमुख विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे:
• गृह प्रवेश समारोह: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम-जनमन) के तहत 11,000 घरों के उद्घाटन कार्यक्रम में भाग लेंगे।
• मोबाइल चिकित्सा इकाइयां (एमएमयू): जनजातीय क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल पहुंच बढ़ाने के लिए, पीएम-जनमन के तहत 23 एमएमयू और धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (डीएजेजीयूए) के तहत 30 अतिरिक्त एमएमयू का उद्घाटन।
• जनजातीय उद्यमिता और शिक्षा: 300 वन धन विकास केंद्रों (वीडीवीके) का उद्घाटन, आदिवासी छात्रों के लिए 10 एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (450 करोड़ रुपये) और 25 अन्य एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (1,110 करोड़ रुपये की कीमत) की आधारशिला।
• सांस्कृतिक संरक्षण: मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और जबलपुर में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के दो संग्रहालयों तथा जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर, और सिक्किम के गंगटोक में दो जनजातीय अनुसंधान संस्थानों का उद्घाटन।
• बुनियादी ढांचा विकास: पीएम-जनमन के तहत 500 किलोमीटर नई सड़कों और 100 बहुउद्देश्यीय केंद्रों (एमपीसी) की आधारशिला।
जनजातीय समुदायों के कल्याण के लिए योजनाएं
जनजातीय गौरव दिवस के अलावा, सरकार ने सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण, सतत् विकास तथा सांस्कृतिक संरक्षण के ज़रिए जनजातीय समुदायों का समर्थन करने के लिए कई कार्यक्रमों और पहलों की शुरूआत की है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, भारत की अनुसूचित जनजाति (एसटी) की आबादी 10.42 करोड़ या कुल आबादी का 8.6% है, जिसमें दूरस्थ और अक्सर दुर्गम क्षेत्रों में फैले 705 से अधिक विशिष्ट समूह शामिल हैं। इन समुदायों के उत्थान के लिए, सरकार ने विभिन्न योजनाओं को लागू किया है, जो उनके शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, आर्थिक अवसरों में सुधार और आदिवासी संस्कृति को संरक्षित करने, उनके समग्र विकास और राष्ट्रीय मुख्यधारा में एकीकरण सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
जनजातीय विकास के लिए सरकार की पहल और वित्तीय सहायता
जनजातीय विकास के लिए भारत सरकार के प्रयास 1974-75 में जनजातीय उप-योजना (टीएसपी) के साथ शुरू हुए, जो अनुसूचित जनजाति घटक (एसटीसी) और अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना (डीएपीएसटी) के रुप में विकसित हुए। इन पहलों ने विभिन्न मंत्रालयों में समन्वित जनजातीय कल्याण भी सुनिश्चित किया। वित्तीय सहायता में काफी वृद्धि हुई है, डीएपीएसटी बजट 25,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2023-24 में 1.2 लाख करोड़ रुपये हो गया है। वर्ष 2024-25 के लिये केंद्रीय बजट में जनजातीय मामलों के मंत्रालय को 13,000 करोड़ रुपए आवंटित किये गये हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 73.60% अधिक है।
धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान का शुभारंभ
2 अक्टूबर 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने झारखंड के हजारीबाग में धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान की शुरुआत की। 79,156 करोड़ रुपये से अधिक के परिव्यय के साथ, इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम का मकसद करीब 63,843 आदिवासी गांवों में सामाजिक बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका विकास की राह आसान बनाना है। यह अभियान 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) में फैले 549 जिलों और 2,911 ब्लॉकों में, 5.38 करोड़ से अधिक आदिवासी लोगों को लाभान्वित करता है। इसके ज़रिए भारत सरकार के 17 मंत्रालयों और विभागों में 25 हस्तक्षेपों को एकीकृत किया गया।
प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम- जनमन)
धरती आबा कार्यक्रम के साथ-साथ प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महा अभियान (पीएम-जनमन) के तहत परियोजनाओं का शुभारंभ किया। यह महत्वपूर्ण पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 15 नवंबर 2023 को झारखंड के खूंटी जिले में जनजातीय गौरव दिवस के दौरान शुरू की गई थी। इसका मकसद विशेष रूप से कमज़ोर जनजातीय समूहों (पीवीटीजी) का उत्थान करना है। 2023-24 से 2025-26 के लिए 24,104 करोड़ रुपये के बजट के साथ, यह पहल आधार नामांकन, सामुदायिक प्रमाण पत्र, पीएम-जनधन योजना और आयुष्मान कार्ड सहित लक्षित समर्थन के माध्यम से पीवीटीजी समुदायों के लिए जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने पर केंद्रित है। मिशन पीवीटीजी, परिवारों को सशक्त बनाने और उन्हें देश की सामाजिक-आर्थिक मुख्यधारा में एकीकृत करने के लिए, प्रभावी पहुंच, स्थानीय जुड़ाव और मजबूत समन्वय पर जोर देता है।
प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना (पीएमएएजीवाई)
प्रधानमंत्री आदि आदर्श ग्राम योजना (पीएमएएजीवाई) का मकसद सार्थक आदिवासी आबादी वाले गांवों में बुनियादी ढांचा प्रदान करना है। इस योजना के तहत, इन गांवों में बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए 50% जनजातीय आबादी वाले और 500 अनुसूचित जनजातियों (एसटी) वाले 36428 गांवों की पहचान की गई है, जिसमें नीति आयोग द्वारा पहचाने गए आकांक्षी जिलों के गांव भी शामिल हैं।
एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस)
एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय (ईएमआरएस) को 2018-19 में दूरदराज के क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति (एसटी) के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने, उन्हें उच्च शिक्षा और रोजगार के अवसर प्रदान करने के लिए केंद्रीय क्षेत्र की योजना के हिस्से के रूप में शुरू किया गया था। ये स्कूल नवोदय पद्धति का पालन करते हैं और कक्षा VI से XII तक 480 छात्रों को शामिल करते हैं।
अब तक, इन स्कूलों में 1.29 लाख आदिवासी छात्रों ने दाखिला लिया है। सरकार ने कुल 728 ईएमआरएस स्कूलों को मंजूरी दी है, जिसमें 440 नए स्कूलों को (12 ओवरलैपिंग स्थानों को छोड़कर) वर्तमान योजना के तहत स्थापित किए जाने का प्रस्ताव है, जिससे आदिवासी समुदायों के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच का विस्तार होगा।
जनजातीय सशक्तिकरण के लिए प्रमुख सरकारी छात्रवृत्ति और अनुदान
आदिवासी समुदायों को सशक्त बनाने के लिए, शिक्षा और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए सरकार, विभिन्न छात्रवृत्ति और वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
1. प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजनाएं
इन छात्रवृत्तियों का उद्देश्य ड्रॉपआउट दर को कम करना और आदिवासी छात्रों की शिक्षा का समर्थन करना है:
मैट्रिक-पूर्व छात्रवृत्ति: कक्षा IX और X में एसटी छात्रों के लिए वित्तीय सहायता, माध्यमिक शिक्षा में बदलाव को बढ़ावा देना।
पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति: उच्च शिक्षा का समर्थन करते हुए, कक्षा XI से स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों तक के एसटी छात्रों के लिए वित्तीय सहायता।
2. एसटी छात्रों के लिए राष्ट्रीय विदेशी छात्रवृत्ति
यह योजना मेधावी एसटी छात्रों को अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में स्नातकोत्तर, डॉक्टरेट और पोस्ट-डॉक्टरल अध्ययन करने का अवसर प्रदान करती है। उत्कृष्टता और वैश्विक प्रदर्शन पर जोर देने के साथ, सरकार सालाना 20 पुरस्कार भी देती है, जिसमें 30% महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित है।
3. एसटी छात्रों के लिए राष्ट्रीय फैलोशिप
यह फेलोशिप योजना पूरी तरह से डिजिटल प्रक्रिया के ज़रिए उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले आदिवासी छात्रों की मदद करती है, जिससे डिजिलॉकर एकीकरण के माध्यम से समय पर वित्तीय सहायता और शिकायत निवारण सुनिश्चित होता है।
आय सृजन और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए योजनाएं
सरकार ने आय सृजन और आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए आदिवासी समुदायों को सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं।
- टर्म लोन स्कीम 5 से 10 साल की पुनर्भुगतान शर्तों के साथ व्यावसायिक लागत का 90% तक सॉफ्ट लोन प्रदान करती है।
- आदिवासी महिला सशक्तिकरण योजना (एएमएसवाई) आदिवासी महिलाओं के लिए 4% ब्याज पर 2 लाख रुपये तक का रियायती ऋण प्रदान करती है।
- माइक्रो क्रेडिट योजना 5 लाख रुपये तक के ऋण की सुविधा के साथ आदिवासी स्वयं सहायता समूहों की मदद करती है।
आदिवासी शिक्षा ऋण योजना (एआरएसवाई) उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले आदिवासी छात्रों के लिए सॉफ्ट लोन प्रदान करती है। इन कदमों का मकसद आदिवासी आबादी में उद्यमिता, शिक्षा और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है।
बेहतर परिणामों के लिए स्वास्थ्य पहल
सरकार ने आदिवासी समुदायों के लिए परिणामों में सुधार लाने के मकसद से कई स्वास्थ्य पहलों की भी शुरूआत की है, जो बीमारी की रोकथाम और स्वास्थ्य देखभाल पहुंच पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
1. सिकल सेल एनीमिया उन्मूलन मिशन
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 1 जुलाई, 2023 को मध्य प्रदेश में शुरू किए गए इस मिशन का मकसद, सिकल सेल रोग (एससीडी) का उन्मूलन करना है, जो मध्य, पश्चिमी और दक्षिणी भारत में आदिवासी आबादी के बीच प्रचलित एक आनुवंशिक रक्त विकार है।
2. मिशन इंद्रधनुष
यह प्रतिरक्षण अभियान, जनजातीय समुदायों पर खास जोर देते हुए, दो वर्ष तक की आयु के बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित करने पर केंद्रित है। इस मिशन ने कोविड-19 के मुफ्त टीके प्रदान करने के लिए अपनी सेवाओं का विस्तार किया है, जिससे आदिवासी आबादी के लिए स्वास्थ्य सेवा पहुंच सुनिश्चित हो गई है। इस मिशन का लक्ष्य टीकाकरण दरों में वृद्धि करना और खासकर जनजातीय क्षेत्रों में कम सुविधाओं वाले क्षेत्रों में बीमारियों को कम करना है।
3. निक्षय मित्र पहल
निक्षय मित्र पहल तपेदिक (टीबी) को लक्षित करती है, जो टीबी रोगियों, विशेष रूप से आदिवासी समुदायों के लोगों को नैदानिक, पोषण और व्यावसायिक सहायता प्रदान करती है। यह टीबी रोगियों के लिए अतिरिक्त सहायता प्रदान करती है, जिसमें स्वास्थ्य लाभ बढ़ाने के लिए पोषण संबंधी सहायता और वोकेशनल प्रशिक्षण भी शामिल है। जनजातीय क्षेत्रों में टीबी से प्रभावी ढंग से निपटने, स्वास्थ्य परिणामों में सुधार करने और प्रारंभिक पहचान और उपचार के पालन को प्रोत्साहित करने पर ध्यान केंद्रित करना, इसका उद्देश्य है।
5. राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) और हीमोग्लोबिनोपैथी दिशानिर्देश
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन ने सिकल सेल रोग (एससीडी) सहित हीमोग्लोबिनोपैथी की रोकथाम और उसपर नियंत्रण के लिए व्यापक दिशानिर्देश विकसित किए हैं, जिसकी जानकारी जनजातीय आबादी को विदित है। एससीडी के गंभीर प्रभाव को देखते हुए, सरकार स्क्रीनिंग, जागरूकता अभियानों और स्वास्थ्य देखभाल की पहुंच में सुधार के ज़रिए इसके उन्मूलन की दिशा में प्रयास तेज कर रही है।
6. प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना: मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य में मदद करती है, आदिवासी महिलाओं को प्रसवपूर्व और प्रसवोत्तर देखभाल के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
भारत के जनजातीय समुदायों का सम्मान और जश्न
जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदानों का सम्मान करने के लिए, सरकार ने उन राज्यों में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानियों के 10 संग्रहालयों की स्थापना को मंजूरी दी है, जहां जनजातीय समुदाय ने ब्रिटिश शासन का जमकर विरोध किया था। 1 नवंबर 2022 को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में मानगढ़ धाम को विकसित करने की योजना की घोषणा की। यह वो स्थल था, जहां 1913 में ब्रिटिश नरसंहार के दौरान 1,500 से अधिक भील स्वतंत्रता सेनानी शहीद हो गए थे। राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के बीच का एक सहयोगात्मक प्रयास के रुप में यह स्मारक, जनजातीय समुदाय की दृढ़ इच्छा शक्ति और सांस्कृतिक विरासत के लिए एक राष्ट्रीय श्रद्धांजलि के रूप में काम करेगा।
सरकार द्वारा उठाए गए अन्य कदमों के साथ इन सभी पहलों ने जनजातीय समुदायों को उनकी संस्कृतियों, विरासतों और जीवन के तरीकों का सम्मान करते हुए उन्हें मुख्यधारा में लाने का मार्ग प्रशस्त किया है।
निष्कर्ष
सरकार ने शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित करते हुए इन समुदायों को सशक्त बनाने के लिए विभिन्न पहलों की शुरूआत की है। जागरूकता बढ़ाने और एकजुटता को बढ़ावा देते हुए हम जनजातीय संस्कृतियों के संरक्षण को सुनिश्चित कर सकते हैं, उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार ला सकते हैं और भारत की प्रगति के सफर में उन्हें भी जोड़ सकते हैं। इन प्रयासों की मदद से आदिवासी समुदाय खुद विकसित होते हुए राष्ट्र के विकास में भी योगदान दे सकते हैं। जनजातीय गौरव दिवस, आदिवासी विरासत को संरक्षित करने और आदिवासी समुदायों के योगदान का सम्मान करने के महत्व पर प्रकाश डालता है।
संदर्भ
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एमजी\केसी\एनएस
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