अणु ऊर्जा विभाग
azadi ka amrit mahotsav

विशेष अभियान 4.0 के दौरान परमाणु ऊर्जा विभाग की उपलब्धियां

Posted On: 12 NOV 2024 5:56PM by PIB Delhi

परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के अंतर्गत पूरे भारत में फैली हुई 12 घटक इकाइयां, 11 सहायता प्राप्त संस्थान और 5 सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम शामिल हैं। पिछले विशेष अभियानों की तरह, इस वर्ष का विशेष अभियान 4.0 भी विभाग की सभी घटक इकाइयों/सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम/सहायता प्राप्त संस्थानों की सक्रिय भागीदारी के साथ संचालित किया गया। इस दौरान कार्यालय परिसरों के भीतर और बाहर विभिन्न स्वच्छता अभियान चलाए गए। इसके अलावा, स्वच्छता पर विभिन्न जन जागरूकता कार्यक्रम जैसे वॉकथॉन, जागरूकता वार्ता, नुक्कड़ नाटक, और ड्राइंग प्रतियोगिताएं भी आयोजित की गईं। विशेष अभियान 4.0 के अन्य उद्देश्यों जैसे सन्दर्भ निस्तारण, रिकार्ड प्रबंधन, कबाड़ का निपटान आदि को पूर्ण रूप से संपन्न करने हेतु अधिकतम प्रयास किये गये।

विशेष अभियान 4.0 के दौरान 51255 दस्तावेजी फाइलों की समीक्षा की गई, जिनमें से 50599 फाइलों को छंटाई करने के लिए अलग किया गया। परमाणु ऊर्जा विभाग की घटक इकाइयों/पीएसयू/सहायता प्राप्त संस्थानों ने कुल मिलाकर 146 स्वच्छता अभियान चलाए हैं और कबाड़ के निपटान से 5324573/- रुपये का राजस्व अर्जित किया है। कबाड़ के हटाने से लगभग 19579 वर्ग फुट क्षेत्र भी रिक्त हो गया है।

विशेष अभियान 4.0 के दौरान की गई उपलब्धियां

गुवाहाटी के टाटा मेमोरियल सेंटर में स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम

मुंबई स्थित अणुशक्ति नगर में परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड, मुंबई द्वारा नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया

कलपक्कम के सुरक्षा अनुसंधान संस्थान, एईआरबी में वृक्षारोपण अभियान

परमाणु ऊर्जा विभाग की विभिन्न घटक इकाइयों/पीएसयू/सहायता प्राप्त संस्थानों में विशेष अभियान

विशेष अभियान 4.0 की सर्वोत्तम कार्य प्रणालियां

गुजरात का इंस्टीट्यूट फॉर प्लाज्मा रिसर्च (आईपीआर) जैविक खाद का उत्पादन करने के लिए अपने 25000 वर्ग मीटर भूदृश्य क्षेत्र वाले परिसर में उत्पन्न पेड़ों से निकलने वाले सूखे पत्तों, टहनियों, हरी घास, लकड़ी के टुकड़ों आदि जैसे जैविक कचरे का उपयोग करता है। इस जैविक खाद का इस्तेमाल करते हुए  650 पौधे लगाकर एक सघन क्षेत्र बनाया गया है, जो खूबसूरती के साथ विकसित हो रहा है। यह जैविक खाद मिट्टी को समृद्ध करने, नमी बनाए रखने, पौधों की बीमारियों को खत्म करने और हानिकारक कीटों को समाप्त करने में मदद करती है। साथ ही जैविक खाद के उपयोग से रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता कम हो जाती है और मीथेन उत्सर्जन तथा कार्बन फुटप्रिंट कम हो जाता है।

इंस्टीट्यूट फॉर प्लाज्मा रिसर्च ने अपने भवन और संस्थान में छात्रावास के बीच के स्थान से खरपतवार साफ करने की पहल की है। जंगल की सफाई से परेशानी मुक्त आवागमन की सुविधा मिली है और कीटों तथा मच्छरों के प्रजनन में कमी आई है।

इंस्टीट्यूट फॉर प्लाज्मा रिसर्च ने बारिश के पानी के दौरान बिजली गिरने के संपर्क से प्रेरणा लेकर अपनी पेटेंटेड प्लाज्मा एक्टिवेटेड वॉटर (पीएडब्ल्यू) तकनीक को स्वदेशी रूप से विकसित व्यावसायीकरण किया है। यह पानी नाइट्रोजन प्रजातियों से भरपूर है और पौधों की वृद्धि के लिए फायदेमंद है। इसमें एंटी-माइक्रोबियल गुण होते हैं, जो नींबू की शेल्फ लाइफ बढ़ाने में फायदेमंद साबित होते हैं। इसे डेयरी कंटेनरों को स्टरलाइज करने के लिए भी महत्वपूर्ण पाया गया है।

एडवांस्ड सेंटर फॉर ट्रीटमेंट, रिसर्च एंड एजुकेशन इन कैंसर (एसीटीआरईसी) ने मरीजों के लिए एक एंड्रॉइड प्लेटफॉर्म एप्लिकेशन बनाया है। यह सुविधा मोबाइल इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड प्रणाली रोगी पंजीकरण, जांच रिपोर्ट, डॉक्टरी दवा की जानकारी, ओपीडी के लिए नियुक्ति, डेकेयर, रेडियोलॉजी सेवाओं, बिलिंग जानकारी, फीडबैक आदि के बारे में विवरण प्रदान करती है।

वीईसीसी, कोलकाता की उद्गम से अंत तक पहल परमाणु ऊर्जा विभाग के तहत प्रमुख अनुसंधान संस्थानों में से एक होने के कारण वेरिएबल एनर्जी साइक्लोट्रॉन सेंटर कोलकाता ने भारत सरकार की स्वच्छ गंगा परियोजना नमामि गंगे के राष्ट्रीय मिशन के अनुरूप, स्वच्छता अभियान के लिए एक जन जागरूकता अभियान का आयोजन किया। इसके अंतर्गत गौमुख से हरिद्वार तक एक कार्यक्रम चलाया गया, जिसका उद्देश्य नदी में प्रदूषण को कम करना, नदी तटों का संरक्षण कायाकल्प करना और पारिस्थितिकीय संतुलन बनाए रखना है। इस पहल का लक्ष्य तीन वर्षों में गंगोत्री ग्लेशियर से शुरू होकर गंगा डेल्टा में सागर द्वीप तक इस पवित्र नदी के पूरे मार्ग को कवर करना है। इस वर्ष वेरिएबल एनर्जी साइक्लोट्रॉन सेंटर के पांच (05) सदस्यों के एक दल ने 15 अक्टूबर से 25 अक्टूबर, 2024 के दौरान इस विशेष स्वच्छता अभियान 4.0 में भाग लिया। ऋषिकेश त्रिवेणी घाट पर आम जनों, सफाई मित्रों तथा तीर्थयात्रियों की मदद से लगभग 60-70 किलोग्राम अपशिष्ट पदार्थ एकत्र किया गया और कचरे को व्यवस्थित निपटान के लिए स्थानीय नागरिक निकाय को सौंप दिया गया।

इस दल ने प्रतिष्ठित एनआईएम उत्तरकाशी में "परमाणु ऊर्जा विभाग की गतिविधियां" और "अधिकतम ऊंचाई पर संवहनीय प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन" पर व्याख्यान दिया। कार्यक्रम का सबसे उत्साहजनक हिस्सा गंगोत्री से गौमुख और वापस गंगोत्री तक पूरे ट्रेक रूट पर 4 दिनों का अधिकतम ऊंचाई पर सफाई कार्यक्रम था। इस दौरान चिरबासा, भोजबासा शिविर तथा गौमुख बिंदु सहित पूरे 40 किलोमीटर लम्बे मार्ग से भारी मात्रा में गैर-बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक कचरे को एकत्र किया गया और इसके व्यवस्थित निपटान के लिए गंगोत्री तक लाया गया। ट्रैकर्स (भारतीय एवं विदेशी दोनों), गाइड, कुली, साधु और आम लोगों  की भागीदारी ने पूरे स्वच्छता अभियान को बहुत प्रभावशाली बना दिया।

सोशल मीडिया गतिविधियां और पत्र सूचना कार्यालय वक्तव्य परमाणु ऊर्जा विभाग की सोशल मीडिया टीम द्वारा इस संबंध में जागरूकता फैलाने तथा अभियान की पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से #SpecialCampaign 4.0 के तहत X' जैसे प्लेटफार्मों पर 11 सोशल मीडिया पोस्ट डिजाइन और अपलोड किए गए थे। विभाग ने विशेष अभियान 4.0 के संबंध में पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी) से 2 वक्तव्य भी जारी किए हैं।

परमाणु ऊर्जा विभाग ने विशेष अभियान 4.0 के लिए निर्धारित सभी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत की है। यह विभाग आने वाले वर्ष में भी कार्य जारी रखने के लिए उसी उत्साह एवं निष्ठा के साथ प्रयास करता रहेगा।

मुंबई में अणुशक्तिनगर के परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड, मुंबई द्वारा नुक्कड़ नाटक का आयोजन किया गया

 

सुरक्षा अनुसंधान संस्थान, एईआरबी, कलपक्कम में वृक्षारोपण अभियान

डीएई की विभिन्न घटक इकाइयों/पीएसयू/सहायता प्राप्त संस्थानों में अभियान

 

साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स, कोलकाता न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड, मुंबई

 

केंद्रीय भंडार इकाई, क्रय एवं भंडार निदेशालय, मुंबई में सफाई के पहले और बाद की तस्वीरें

*****

एमजी/केसी/एनके/डीके


(Release ID: 2072893) Visitor Counter : 99


Read this release in: English , Urdu , Tamil