शिक्षा मंत्रालय
सचिव, स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (डीओएसईएल) ने सकुरा विज्ञान हाई स्कूल कार्यक्रम 2024 के लिए भारत से 47 छात्रों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया
इस कार्यक्रम के अंतर्गत छात्रों को जापान की अत्याधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ-साथ इसकी संस्कृति का अनुभव करने के लिए जापान की अल्पकालिक यात्राओं के लिए आमंत्रित किया गया
Posted On:
09 NOV 2024 9:20PM by PIB Delhi
शिक्षा मंत्रालय के सचिव (डीओएसईएल) श्री संजय कुमार ने 47 उत्साही स्कूली बच्चों के एक समूह को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इन स्कूली बच्चों को 10-16 नवंबर 2024 तक 5 देशों (इंडोनेशिया, मार्शल द्वीप, माइक्रोनेशिया, पलाऊ और पेरू) के साथ भारत से सकुरा कार्यक्रम 2024 में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। डीओएसईएल ने सीआईईटी-एनसीईआरटी, नई दिल्ली में इस समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में एनसीईआरटी के निदेशक प्रो. दिनेश प्रसाद सकलानी; डीओएसईएल की संयुक्त सचिव श्रीमती अर्चना शर्मा अवस्थी; जापान विज्ञान और प्रौद्योगिकी एजेंसी, जापान के प्रबंधक श्री केमोची युकिओ; सीआईईटी-एनसीईआरटी के संयुक्त निदेशक डॉ. अमरेंद्र प्रसाद बेहरा और डीओएसईएल के अधिकारी शामिल हुए।
इस समूह में, जापान विज्ञान और प्रौद्योगिकी एजेंसी (जेएसटी) ने 47 स्कूली छात्रों और 4 पर्यवेक्षकों को आमंत्रित किया है। ये 47 छात्र (18 लड़के और 29 लड़कियां) कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय और तेलंगाना, झारखंड, सिक्किम, चंडीगढ़, केरल, मणिपुर, मेघालय, हरियाणा, अरुणाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के सरकारी स्कूलों एवं केंद्रीय विद्यालयों से हैं।
जेएसटी युवा शिक्षार्थियों में बौद्धिक और वैज्ञानिक सोच विकसित करने के लिए 2014 से “विज्ञान में जापान-एशिया युवा आदान-प्रदान कार्यक्रम” को चला रहा है। इसे “सकुरा विज्ञान कार्यक्रम” के रूप में भी जाना जाता है। भारत को 2015 में सकुरा कार्यक्रम में शामिल किया गया। छात्रों को कार्यक्रम के अंतर्गत जापान की अल्पकालिक यात्राओं के लिए आमंत्रित किया जाता है, जिससे उन्हें जापान के अत्याधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ-साथ इसकी संस्कृति का अनुभव करने का अवसर मिलता है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020, स्कूलों में पाठ्यक्रम और शिक्षण के महत्व पर जोर देते हुए, इस बात की पुष्टि करती है कि "सीखना अपने आप में समग्र, एकीकृत, आनंददायक और रूचिकर होना चाहिए। साथ ही, एनईपी-2020 में कहा गया है कि सभी चरणों में, प्रत्येक विषय में मानक शिक्षण के रूप में अनुभवात्मक शिक्षा को अपनाया जाएगा और विभिन्न विषयों के बीच संबंधों के बारे में जाना जाएगा। यह इस संदर्भ में है कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और तकनीकी विकास के संदर्भ में विभिन्न महत्वपूर्ण स्थानों की शैक्षिक यात्राएँ और भ्रमण सबसे महत्वपूर्ण हैं। जापान, एक विकसित राष्ट्र, एक मित्र देश के रूप में, तकनीकी प्रगति के साथ-साथ शैक्षिक अनुभव के लिए भी एक पसंदीदा गंतव्य स्थान है। इसलिए, जापान जैसे देश का दौरा सदैव सीखने और नवीन व्यवस्थाओं को जानने का अवसर प्रदान करने वाला होता है।
भारत ने पहली बार अप्रैल 2016 में इस कार्यक्रम में भाग लिया। अब तक, 87 पर्यवेक्षकों के साथ 572 छात्र इस कार्यक्रम के अंतर्गत जापान का दौरा कर चुके हैं। अंतिम बैच अक्टूबर 2024 में जापान गया था।
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