स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने धन्वंतरि जयंती पर 4 मंत्रालयों से जुड़ी अनेक परियोजनाओं का उद्घाटन, शिलान्यास किया और स्वास्थ्य कार्यक्रमों का शुभारंभ किया, इससे देश के स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी ढांचे में उल्लेखनीय वृद्धि होगी
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29 OCT 2024 5:30PM by PIB Delhi
12,855 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न पहलों में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत 5502 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाएं, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल्स विभाग के अंतर्गत 5187 करोड़ रुपये, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के ईएसआईसी के अंतर्गत 1641 करोड़ रुपये और आयुष मंत्रालय के अंतर्गत 525.14 करोड़ रुपये की परियोजनाएं शामिल हैं
प्रधानमंत्री ने बीमारी की रोकथाम के लिए नियमित देखरेख और आसानी से पहुंच पर केन्द्रित विस्तृत पांच-स्तंभ स्वास्थ्य नीति का अनावरण किया
प्रधानमंत्री ने 3437 करोड़ रुपये की लागत से 70 वर्ष या उससे अधिक आयु के नागरिकों के लिए एबी-पीएमजेएवाई के अंतर्गत स्वास्थ्य कवरेज के विस्तार का शुभारंभ किया
देश के 70 वर्ष या उससे अधिक आयु के प्रत्येक वरिष्ठ नागरिक को आयुष्मान वय वंदना कार्ड के माध्यम से अस्पताल में निःशुल्क उपचार मिलेगा: प्रधानमंत्री
“स्वास्थ्य को सबसे बड़ा धन माना जाता है, यह एक ऐसी अवधारणा है जिसे योग के माध्यम से वैश्विक मान्यता मिल रही है”
प्रधानमंत्री ने बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए एमबीबीएस और एमडी की 75000 नई सीटें जोड़ने की प्रतिबद्धता दोहराई
प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली में भारत के पहले अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान के दूसरे चरण, ओडिशा के भुवनेश्वर में केन्द्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला; मध्य प्रदेश में 3 सरकारी मेडिकल कॉलेज; चिकित्सा उपकरणों और दवाओं के लिए पीएलआई योजना के तहत 5 परियोजनाओं; आयुष के 4 उत्कृष्टता केन्द्रों; और विभिन्न एम्स में अनेक परियोजनाओं; इंदौर में ईएसआईसी अस्पताल का उद्घाटन किया
प्रधानमंत्री ने मध्य प्रदेश में 5 नर्सिंग कॉलेजों; 5 राज्यों में पीएम-एबीएचआईएम के तहत 21 क्रिटिकल केयर ब्लॉकों; ओडिशा और छत्तीसगढ़ में 2 योग और प्राकृतिक चिकित्सा संस्थानों; एम्स नई दिल्ली और बिलासपुर में उन्नयन परियोजनाओं; 5 राज्यों में 06 ईएसआई अस्पतालों और 4 राज्यों में एनआईपीईआर में 4 उत्कृष्टता केन्द्रों की आधारशिला रखी
प्रधानमंत्री ने गर्भवती महिलाओं और बच्चों के लिए टीकाकरण सेवाओं के डिजिटलीकरण, स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने और नागरिकों को सुरक्षित डिजिटल पहचान प्रदान करने के लिए यू-विन पोर्टल की शुरुआत की
प्रधानमंत्री ने नागरिकों के बीच स्वास्थ्य जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान “देश का प्रकृति परीक्षण अभियान” शुरू किया
भारत के स्वास्थ्य सेवा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने और देश भर में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) में एक कार्यक्रम में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, रसायन और उर्वरक मंत्रालय के अंतर्गत फार्मास्यूटिकल्स विभाग, और श्रम और रोजगार मंत्रालय के अंतर्गत कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) में अनेक स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन किया और आधारशिला रखी तथा विभिन्न स्वास्थ्य कार्यक्रमों का शुभारंभ किया। इन परियोजनाओं का कुल परिव्यय 12,855 करोड़ रुपये से अधिक है।
इस अवसर पर केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री, श्री जगत प्रकाश नड्डा; केन्द्रीय श्रम और रोजगार मंत्री, डॉ मनसुख मांडविया; केन्द्रीय आयुष राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री, श्री प्रतापराव जाधव; केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल; केन्द्रीय श्रम और रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे और दक्षिणी दिल्ली सांसद (लोकसभा) श्री रामवीर सिंह बिधूड़ी भी उपस्थित थे।
आज 9वां ‘आयुर्वेद दिवस’ है, जिसे भारत और अनेक अन्य देशों में धन्वंतरि जयंती के अवसर पर मनाया जाता है। यह आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि के जन्म का उत्सव मनाने का दिन है। ऋषियों और संतों को उद्धृत करते हुए, प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि “स्वास्थ्य को सबसे बड़ा धन माना जाता है, एक अवधारणा जो योग के माध्यम से वैश्विक मान्यता प्राप्त कर रही है”। उन्होंने खुशी जाहिर की कि आयुर्वेद दिवस अब 150 से अधिक देशों में मनाया जाता है, जो विश्व की आयुर्वेद और दुनिया को भारत के प्राचीन योगदान में बढ़ती रुचि को उजागर करता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले दशक में, देश ने आयुर्वेद के ज्ञान को आधुनिक चिकित्सा के साथ मिलाकर स्वास्थ्य क्षेत्र में एक नए अध्याय की शुरुआत देखी है, उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान इस अध्याय का केन्द्र बिंदु रहा है। उन्होंने कहा कि इस संस्थान में आयुर्वेद और चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में उन्नत शोध अध्ययनों के साथ-साथ पंचकर्म जैसी प्राचीन तकनीकों को आधुनिक तकनीक के साथ जोड़ा जाना संभव होगा।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि "किसी देश की प्रगति उसके नागरिकों के स्वास्थ्य से बहुत करीब से जुड़ी हुई है", उन्होंने पाँच प्रमुख स्तंभों के माध्यम से स्वास्थ्य सेवा के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया: बीमारी की रोकथाम के लिए नियमित देखरेख, बीमारी का प्रारंभ में पता लगाना, किफ़ायती उपचार और दवाइयाँ, छोटे शहरों में डॉक्टरों की बढ़ती उपलब्धता, और स्वास्थ्य सेवाओं में तकनीकी प्रगति। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के प्रति भारत का दृष्टिकोण समग्र है और उन्होंने आयुष स्वास्थ्य योजना के अंतर्गत चार उत्कृष्टता केन्द्रों, ड्रोन सेवा विस्तार, विभिन्न एम्स में नए बुनियादी ढाँचे और मेडिकल कॉलेजों की स्थापना सहित ₹13,000 करोड़ से अधिक की हाल की परियोजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने श्रमिकों के लिए अस्पताल बनाने पर संतोष व्यक्त किया, जो समर्पित उपचार केन्द्रों के रूप में काम करेंगे। उन्नत दवाओं और गुणवत्ता वाले स्टेंट और प्रत्यारोपण के निर्माण के उद्देश्य से दवा इकाइयों के उद्घाटन का भी उल्लेख किया गया।
बीमारी के कारण अनेक परिवारों, विशेष रूप से गरीब परिवारों के संघर्ष की चर्चा करते हुए, श्री मोदी ने कहा कि पहले लोगों को चिकित्सा देखभाल के लिए अपनी संपत्ति बेचनी पड़ती थी। उन्होंने कहा कि "इस बोझ को कम करने के लिए, सरकार ने आयुष्मान भारत योजना शुरू की, जो गरीबों के लिए अस्पताल में भर्ती होने के खर्च में ₹5 लाख तक का खर्च वहन करती है"। उन्होंने बताया कि इस योजना से करीब 4 करोड़ लोगों को लाभ मिला है, जिससे उन्हें बिना किसी वित्तीय तनाव के इलाज मिल रहा है। उन्होंने आयुष्मान वय वंदना कार्ड के माध्यम से 70 वर्ष से अधिक आयु के सभी नागरिकों के मुफ्त इलाज के लिए आयुष्मान योजना का विस्तार करने पर गर्व व्यक्त किया, जो सार्वभौमिक रूप से सुलभ है चाहे व्यक्ति की आमदनी कुछ भी हो।
गरीब और मध्यम वर्ग दोनों के लिए स्वास्थ्य सेवा की लागत कम करने पर ध्यान केन्द्रित करते हुए, प्रधानमंत्री ने 14,000 से अधिक जन औषधि केन्द्रों के शुभारंभ का उल्लेख किया, जो 80 प्रतिशत छूट पर दवाइयाँ प्रदान करते हैं और नागरिकों की ₹30,000 करोड़ की बचत करते हैं। उन्होंने स्टेंट और घुटने के प्रत्यारोपण जैसे चिकित्सा उपकरणों की कीमतों में कमी पर प्रकाश डाला, जिससे जनता का ₹80,000 करोड़ से अधिक का नुकसान होने से बचाया जा सका। उन्होंने मुफ्त डायलिसिस योजना और मिशन इंद्रधनुष योजना का भी उल्लेख किया, जिसका उद्देश्य गंभीर बीमारियों को रोकना और माताओं और नवजात शिशुओं की सुरक्षा करना है।
प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य जोखिमों को कम करने के लिए समय पर निदान के महत्व पर जोर दिया और लगभग दो लाख आयुष्मान आरोग्य मंदिरों की स्थापना का उल्लेख किया, जो कैंसर और मधुमेह जैसी बीमारियों का जल्द पता लगाने की सुविधा प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि ये केन्द्र समय पर उपचार के लिए लाखों लोगों के पहुँचने में मदद करते हैं, जिससे अंततः इलाज पर कम खर्च आता है। इसके अतिरिक्त, सरकार ई-संजीवनी योजना के माध्यम से प्रौद्योगिकी का लाभ उठा रही है, जिससे 30 करोड़ से अधिक ऑनलाइन परामर्श संभव हो सके हैं, जिससे स्वास्थ्य देखभाल पर होने वाले खर्च में काफी कमी आई है। उन्होंने यू-विन प्लेटफॉर्म के शुभारंभ की घोषणा की, जो नागरिकों को सुरक्षित डिजिटल पहचान प्रदान करके भारत में स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच बढ़ाएगा। मेड-इन-इंडिया डिजिटल प्लेटफॉर्म पूरी टीकाकरण प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल करके सालाना 2.9 करोड़ गर्भवती महिलाओं और 2.6 करोड़ शिशुओं को लाभान्वित करेगा। यह स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के प्रमुख सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (यूआईपी) के तहत 12 वैक्सीन-रोकथाम योग्य बीमारियों के खिलाफ महिलाओं और बच्चों (जन्म से 16 वर्ष तक) को समय पर जीवन रक्षक टीके लगाना सुनिश्चित करेगा।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन का समापन पिछले कई दशकों की तुलना में पिछले दशक में भारत की स्वास्थ्य सेवा में हुई उल्लेखनीय प्रगति पर प्रकाश डालते हुए किया। उन्होंने नए एम्स और मेडिकल कॉलेजों की रिकॉर्ड स्थापना का उल्लेख किया। उन्होंने कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में हाल ही में हुए उद्घाटनों का हवाला दिया। साथ ही नए मेडिकल कॉलेजों के निर्माण का भी उल्लेख किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि अस्पतालों की बढ़ती संख्या चिकित्सा शिक्षा के अवसरों में वृद्धि के साथ जुड़ी हुई है। उन्होंने वादा किया कि भारत में विकल्पों की कमी के कारण किसी भी बच्चे के डॉक्टर बनने के सपने में बाधा नहीं आएगी। पिछले दशक में एमबीबीएस और एमडी के लिए लगभग 1 लाख नई सीटें जोड़ी गई हैं और अगले पांच वर्षों में अतिरिक्त 75,000 सीटों की घोषणा करने की प्रतिबद्धता जाहिर की।
इस अवसर पर, श्री जेपी नड्डा ने कहा, “प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आज प्रस्तुत की गई स्वास्थ्य नीति की दो विशेषताएं हैं। पहली विशेषता यह है कि यह समग्र है। इसमें निवारक, प्रचारात्मक, उपचारात्मक, पुनर्वास और उपशामक सभी पहलुओं का ध्यान रखा गया है। दूसरी विशेषता यह है कि सभी विधाओं को एक छत के नीचे लाने का प्रयास बहुत महत्वपूर्ण है और इसे हमेशा याद रखा जाएगा।”
उन्होंने यह भी दोहराया कि केन्द्र सरकार 70 वर्ष से अधिक आयु के किसी भी बुजुर्ग व्यक्ति, किसी भी महिला, किसी भी जाति, किसी भी समुदाय और किसी भी क्षेत्र के लोगों को 5 लाख रुपये का स्वास्थ्य कवर प्रदान करेगी और उनके इलाज की मुफ्त व्यवस्था करेगी, उन्होंने कहा कि यह सुविधा जीवन भर उपलब्ध रहेगी।
श्री प्रतापराव जाधव ने कहा कि 2014 से वैश्विक स्वास्थ्य में आयुर्वेद की भागीदारी ने एक नया आयाम हासिल किया है और इसके लिए प्रधानमंत्री के अनुकरणीय योगदान का श्रेय दिया। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद के बारे में वैश्विक जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से 'आयुर्वेद को प्रोत्साहन दो' पहल शुरू की गई है।
परियोजना के विवरण:
प्रधानमंत्री ने आज केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली 1133 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न परियोजनाओं और सुविधाओं का उद्घाटन किया। इनमें मध्य प्रदेश के मंदसौर, नीमच और सिवनी में तीन मेडिकल कॉलेज; बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश) में एम्स में सुविधा और सेवा का विस्तार; कल्याणी (पश्चिम बंगाल), पटना (बिहार), गोरखपुर (उत्तर प्रदेश), भोपाल (मध्य प्रदेश), गुवाहाटी (असम) और नई दिल्ली में एक जन औषधि केन्द्र का उद्घाटन किया गया; इनमें बिलासपुर (छत्तीसगढ़) में सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एक सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक; गोठापटना, भुवनेश्वर, ओडिशा में एक केन्द्रीय औषधि परीक्षण प्रयोगशाला (सीडीटीएल) और बारगढ़, ओडिशा में एक क्रिटिकल केयर ब्लॉक शामिल हैं।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने 925 करोड़ रुपये से अधिक की लागत वाली विभिन्न स्वास्थ्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की आधारशिला रखी। इनमें मध्य प्रदेश में पांच नर्सिंग कॉलेज (शिवपुरी, रतलाम, खंडवा, राजगढ़ और मंदसौर); पीएम-एबीएचआईएम के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, मणिपुर और तमिलनाडु और राजस्थान राज्यों में 21 क्रिटिकल केयर ब्लॉक; और एम्स, नई दिल्ली और एम्स बिलासपुर, हिमाचल प्रदेश में अनेक सुविधाओं और सेवाओं का विस्तार शामिल है।
गर्भवती महिलाओं और बच्चों को पूरी तरह से डिजिटल टीकाकरण सेवाएं और सुरक्षित डिजिटल पहचान प्रदान करके भारत में नागरिकों की स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच बढ़ाने के उद्देश्य से, प्रधानमंत्री ने आज यू-विन पोर्टल की शुरुआत की। यह मेड-इन-इंडिया डिजिटल प्लेटफॉर्म पूरी टीकाकरण प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल करके सालाना 2.9 करोड़ गर्भवती महिलाओं और 2.6 करोड़ शिशुओं को लाभान्वित करेगा। यह गर्भवती महिलाओं और बच्चों (जन्म से 16 वर्ष तक) को टीका लगाकर बीमारी की रोकथाम करने वाले 12 जीवन रक्षक टीके समय पर लगाना सुनिश्चित करेगा। फ्लैगशिप योजना एबी पीएम-जेएवाई में, प्रधानमंत्री ने 3437 करोड़ रुपये की लागत से 70 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी वरिष्ठ नागरिकों के लिए स्वास्थ्य कवरेज का विस्तार किया, चाहे उनकी आय कुछ भी हो।
दुर्गम क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच का विस्तार करने के लिए, प्रधानमंत्री ने 11 तृतीयक देखभाल संस्थानों में ड्रोन सेवाओं का शुभारंभ किया। ये हैं एम्स ऋषिकेश (उत्तराखंड), एम्स बीबीनगर (तेलंगाना), एम्स गुवाहाटी (असम), एम्स भोपाल (मध्य प्रदेश), एम्स जोधपुर (राजस्थान), एम्स पटना (बिहार), एम्स बिलासपुर (हिमाचल प्रदेश), एम्स रायबरेली (उत्तर प्रदेश, एम्स रायपुर (छत्तीसगढ़), आरआईएमएस इंफाल (मणिपुर) और एम्स मंगलगिरी (आंध्र प्रदेश)। एम्स ऋषिकेश की एक हेलीकॉप्टर आपातकालीन चिकित्सा सेवा भी शुरू की गई, जो उड़ान के दौरान और साइट पर ट्रॉमा के पीड़ितों को स्थिर करने और उनका इलाज करके त्वरित चिकित्सा देखभाल प्रदान करने में मदद करेगी। यह उत्तराखंड और आसपास के क्षेत्रों को 100 समुद्री मील के भीतर कवर करेगा। इसके अलावा, प्रधानमंत्री ने संबद्ध स्वास्थ्य पेशेवरों और संस्थानों के लिए एक पोर्टल की शुरूआत की। यह मौजूदा सहयोगी और स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों और संस्थानों का एक केन्द्रीकृत डेटाबेस है। इसके अलावा, प्रत्येक राज्य और केन्द्र शासित प्रदेश के लिए जलवायु परिवर्तन और मानव स्वास्थ्य पर राज्य विशिष्ट कार्य योजना (एसएपीसीसीएचएच) भी शुरू की गई, जो इन राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में जलवायु लचीली स्वास्थ्य सेवाओं के विकास के लिए अनुकूलन रणनीतियों को प्रस्तुत करती है।
फार्मास्यूटिकल्स विभाग के तहत, चिकित्सा उपकरणों और थोक दवाओं के लिए उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत पांच परियोजनाओं का उद्घाटन वापी (गुजरात); सुल्तानपुर, (हैदराबाद); बेंगलुरु, (कर्नाटक); काकीनाडा (आंध्र प्रदेश) और नालागढ़ (हिमाचल प्रदेश) में किया गया। ये इकाइयां उच्च श्रेणी के चिकित्सा उपकरणों, जैसे बॉडी इम्प्लांट्स और महत्वपूर्ण देखभाल उपकरणों के साथ-साथ पेनिसिलिन-जी और क्लैवुलैनिक एसिड जैसी महत्वपूर्ण थोक दवाओं का निर्माण करेंगी।
ये पहल आयात निर्भरता को कम करने और चिकित्सा उपकरणों और थोक दवाओं में स्थानीय विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने के भारत के लक्ष्य को प्रोत्साहित करती हैं। प्रधानमंत्री ने चिकित्सा उपकरणों के लिए एनआईपीईआर-अहमदाबाद (गुजरात), थोक दवाओं के लिए एनआईपीईआर हैदराबाद (तेलंगाना), फाइटोफार्मास्युटिकल्स के लिए एनआईपीईआर, गुवाहाटी (असम) और एंटी-बैक्टीरियल एंटी-वायरल ड्रग डिस्कवरी और डेवलपमेंट के लिए एनआईपीईआर-मोहाली (पंजाब) में चार उत्कृष्टता केन्द्रों की आधारशिला रखी। फार्मास्युटिकल परियोजनाओं के लिए कुल परिव्यय लगभग 5187 करोड़ रुपये है।प्रधानमंत्री ने चिकित्सा उपकरणों के लिए एनआईपीईआर-अहमदाबाद (गुजरात) में चार उत्कृष्टता केन्द्रों की आधारशिला रखी; फार्मास्यूटिकल परियोजनाओं के लिए कुल परिव्यय लगभग 5187 करोड़ रुपये है।
इसके अलावा, श्रम और रोजगार मंत्रालय के तहत, प्रधानमंत्री ने इंदौर (मध्य प्रदेश) में 300 बिस्तरों वाले ईएसआईसी अस्पताल का उद्घाटन किया, जिसे 500 बिस्तरों में अपग्रेड किया जा सकता है, और फरीदाबाद (हरियाणा), बोम्मासंद्रा (कर्नाटक) और नरसापुर, इंदौर (मध्य प्रदेश), मेरठ (उत्तर प्रदेश) और अचुतापुरम (आंध्र प्रदेश) में 1641 करोड़ रुपये की संचयी लागत से विभिन्न ईएसआई अस्पतालों की आधारशिला रखी। इन परियोजनाओं से 55 लाख ईएसआई लाभार्थियों को स्वास्थ्य सेवा का लाभ मिलेगा।
आयुष मंत्रालय के अंतर्गत, प्रधानमंत्री ने अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान (एआईआईए) के दूसरे चरण का उद्घाटन किया, जिसे मूल रूप से 2017 में समर्पित किया गया था, जिसमें 150 बिस्तरों वाला पंचकर्म अस्पताल, एक आयुर्वेदिक फार्मेसी, एक खेल चिकित्सा इकाई और व्यापक आवास सुविधाएं शामिल हैं, इन सभी पर ₹289 करोड़ से अधिक की लागत आई है। भारत के सम्पूर्ण स्वास्थ्य समाधानों को बढ़ाने के लिए, उन्होंने ओडिशा और छत्तीसगढ़ में योग और प्राकृतिक चिकित्सा में दो केन्द्रीय अनुसंधान संस्थानों की नींव रखी और मधुमेह अनुसंधान, स्थायी आयुर्वेदिक समाधान, आयुर्वेदिक वनस्पति अनुसंधान और रुमेटॉयड आर्थराइटस के लिए सिस्टम मेडिसिन पर केन्द्रित चार उत्कृष्टता केन्द्रों का शुभारंभ किया। इसके अतिरिक्त, 470,000 स्वयंसेवकों के साथ एक राष्ट्रव्यापी स्वास्थ्य जागरूकता अभियान, "देश का प्रकृति परीक्षण अभियान" शुरू किया गया, जिसका उद्देश्य सार्वजनिक स्वास्थ्य जागरूकता में क्रांति लाना और अनेक गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने का प्रयास करना है।
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एमजी/आरपीएम/केसी/केपी
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