विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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राजस्थान का गांव हरित प्रौद्योगिकी के माध्यम से शून्य अपशिष्ट की ओर अग्रसर

Posted On: 29 OCT 2024 3:11PM by PIB Delhi

राजस्थान की राजधानी जयपुर से लगभग 43 किलोमीटर दूर एक छोटा सा गांव है आंधी जो हरित प्रौद्योगिकी को अपनाकर कचरा मुक्त मॉडल बन रहा है।

स्कूलों, कृषि क्षेत्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों जैसे संस्थानों सहित विभिन्न ग्रामीण स्रोतों से प्राप्त होने वाले खाद्य अपशिष्ट, कृषि अपशिष्ट, दूषित जल और अस्पतालों से निकलने वाले अपशिष्ट को अब गांव में हाल ही में स्थापित प्रौद्योगिकी पैकेज की मदद से संसाधनों में परिवर्तित किया जा सकता है।

जैविक अपशिष्ट जैव-मीथेनेशन संयंत्र, कृमिशोधन प्रौद्योगिकी, तैयार की गई आर्द्रभूमि, संसाधन पुनर्प्राप्ति केंद्र वाला प्रौद्योगिकी पैकेज सामाजिक रूप से अद्वितीय और प्रासंगिक पहल के रूप में सामने आया है जो नवीन प्रौद्योगिकियों के एकीकरण के माध्यम से शून्य-अपशिष्ट मॉडल का निर्माण कर रहा है।

हाल ही में, चिन्हित तीन स्थानों, एक सरकारी स्कूल, एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और मुख्य तालाब पर निर्मित आर्द्रभूमि पर स्थापित किए गए संयंत्रों का उद्घाटन किया गया। इस अवसर पर जलवायु, ऊर्जा और सतत प्रौद्योगिकी (सीईएसटी) प्रभाग की प्रमुख डॉ. अनीता गुप्ता और कार्यक्रम अधिकारी डॉ. जीवी रघुनाथ रेड्डी भी मौजूद रहें।

सरकारी स्कूल में 100 किलोग्राम क्षमता वाला जैविक अपशिष्ट जैव-मीथेनेशन संयंत्र, जो जैविक अपशिष्ट, खाद्य अपशिष्ट सामग्री और कृषि अवशेषों को अवायवीय पाचन के माध्यम से बायोगैस में परिवर्तित करता है। इसमें 5 किलोवाट क्षमता की सौर ऊर्जा प्रणाली लगाई गई है। यह संयंत्र पारंपरिक ईंधन पर निर्भरता को कम करता है और नवीकरणीय ऊर्जा, स्वच्छ हवा और कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को बढ़ावा देने के साथ-साथ खाना पकाने स्वच्छ ईंधन और बिजली प्रदान करता है।

10 केएलडी की क्षमता वाला सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, दूषित जल को साफ करने और उपयोगी बनाने के लिए केंचुओं के इस्तेमाल और वर्मीफिल्ट्रेशन तकनीक अपनाकर दूषित जल और सीवेज को शुद्ध करने के लिए उपयुक्त है। पुनः उपयोगी पानी का कृषि सिंचाई या अन्य स्थानों पर पेड़ पौधों की सिंचाई के लिए पुनः उपयोग किया जा सकता है। इस पेटेंट तकनीक में सौर ऊर्जा का एकीकरण पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा-कुशल अपशिष्ट जल प्रबंधन प्रक्रिया सुनिश्चित करता है, जो स्थायी रूप से जल के पुनः उपयोग और पर्यावरण संरक्षण में योगदान देता है।

आंधी गांव के मुख्य तालाब पर तैयार आर्द्रभूमि यानी वेटलैंड 20 केएलडी क्षमता वाला संयंत्र दूषित जल को पुनः उपयोगी बनाने और इकोसिस्टम को बहाल करने के लिए प्राकृतिक वेटलैंड की तरह काम करता हैं। यह प्रणाली जैव विविधता को बढ़ाने, स्थानीय वनस्पतियों और जीवों को सहयोग देने और तालाब इकोसिस्टम में समग्र सुधार करते हुए गांव के उपयोग किए गए जल का प्रबंधन करने में मदद करेगी।

रिसोर्स रिकवरी सेंटर (आरआरसी) से पुनर्चक्रण योग्य कचरे के संग्रह और पृथक्करण के लिए पुनर्चक्रण एजेंसियों के साथ साझेदारी की गई है, ताकि इसका उचित निपटान और पुनर्चक्रण सुनिश्चित हो सके। वर्मीकंपोस्टिंग इकाइयां भी विकसित की गई हैं, और ग्रामीणों द्वारा उनके उपयोग के लिए तकनीकों का प्रसार किया गया है।

ये पहल ग्रामीण समुदायों में हरित प्रौद्योगिकी की परिवर्तनकारी क्षमता को दिखाती हैं, जो नवाचार और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए डीएसटी की प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। यह परियोजना पर्यावरणीय स्थिरता प्राप्त करने, जलवायु परिवर्तन में कमी लाने और स्थानीय समुदायों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने वाले अपशिष्ट-से-संपत्ति मॉडल को बढ़ावा देने के भारत के व्यापक लक्ष्यों के साथ जुड़ी हुई है।

परियोजना का लक्ष्य उन्नत हरित प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाकर शून्य-अपशिष्ट प्रबंधन का एक आत्मनिर्भर मॉडल तैयार करना है, जिसे देश भर के अन्य ग्रामीण क्षेत्रों में लागू किया जा सके और सभी के लिए अधिक स्वच्छ, हरित और अधिक टिकाऊ भविष्य तैयार करने में योगदान मिल सके।

भारत में विकास आधारित समावेशी और टिकाऊ कार्बन उत्सर्जन को शून्य करने की दिशा में बढ़ने का एक नया मार्ग प्रशस्त करने वाले इस तरह के प्रयासों को संभावित रूप से विभिन्न गांवों में दोहराए जाने की अपेक्षा हैं।

 

 

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