उप राष्ट्रपति सचिवालय
azadi ka amrit mahotsav

आईआईटी जोधपुर में उपराष्ट्रपति का संपूर्ण भाषण

Posted On: 26 OCT 2024 7:40PM by PIB Delhi

आप सभी को नमस्कार!

माननीय केंद्रीय पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री और जोधपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद श्री गजेंद्र सिंह शेखावत, राजस्थान सरकार के कानून विभाग के माननीय मंत्री श्री जोगाराम पटेल, आईआईटी जोधपुर के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष प्रोफेसर ए.एस. किरण कुमार, इंडिया फाउंडेशन के अध्यक्ष, लेखक और एक बहुत ही रचनात्मक शख्सियत श्री डॉ. राम माधव। सबसे महत्वपूर्ण आपके निदेशक प्रोफेसर अविनाश कुमार अग्रवाल और फैकल्टी (संकाय) के प्रतिष्ठित सदस्य। बुनियादी ढांचे से परे किसी भी संस्थान की अंतिम ताकत संकाय होती है। मैं सभी का अभिनंदन करता हूं। यहां उपस्थित गर्व और उत्साह से भरे माता-पिता, स्टाफ के सदस्य और मेरे प्रिय छात्र।

पदक प्राप्त करने वाले व अन्य सभी को बधाई। दीक्षांत समारोह किसी संस्थान की यात्रा में ऐतिहासिक पल होते हैं, क्योंकि वे समाज की सेवा के लिए अपने बेहतरीन छात्रों को विदाई देते हैं। यहां से पास आउट होने वाले छात्रों की भी यही मानसिकता है कि इस महान संस्थान में प्राप्त शिक्षण और प्रशिक्षण के आधार पर सार्वजनिक जीवन के क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाएंगे। इस दीक्षांत अवसर पर वे समाज के दिग्गज लोगों को छात्रों को सलाह और ज्ञान के कुछ अंतिम शब्द देने के लिए आमंत्रित करते हैं।


मैं आपके सामने इस अपार क्षमता के साथ खड़ा हूं, एक ऐसा दायित्व जिसे निभाना बहुत मुश्किल है। स्वभाविक रूप से यह एक कठिन कार्य है। उन मेधावी छात्रों की उम्मीदों पर खरा उतरना मुश्किल है जो कुछ नया पाने के इच्छुक हैं। तो निराश मत होइए। बड़प्पन बहुत कम आता है। मैं कोई बहुत अद्भुत बात नहीं बताने जा रहा हूं। दोस्तों, मेरे गृह राज्य राजस्थान में आईआईटी जोधपुर जैसे संस्थान को प्रयास करते हुए देखना मेरे लिए काफी संतोषजनक है। आईआईटी, एम्स और नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के साथ जोधपुर सीखने के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरा है। अब यह केवल जोधपुर ही नहीं रहा है।


राष्ट्रीय महत्व के संस्थान पूरे देश में लगभग एक दशक से भी अधिक समय से लगातार हमारी परिकल्पना पर काम कर रहे हैं। यह शैक्षणिक प्रसार एक अर्थ में हमारी निरंतर विकास यात्रा को परिभाषित करता है, जिसके मूल में समाज की जड़ें हैं यानी हमारे युवा छात्र जिनका दिमाग अभी भी विकसित हो रहा है और अधिक लचीला है, उनका पोषण करना। शिक्षा परिवर्तन और विकास का मूल आधार है।


भारत एक अत्यंत आवश्यक सकारात्मक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। शिक्षा क्षेत्र में ज्यामितीय (इसमें शुरुआत में धीमी वृद्धि दर होती है और बाद के चरणों में तेज वृद्धि दर होती है) वृद्धि हुई है। यदि मैं अपने समय या मंच पर मौजूद लोगों के समय पर विचार करूं तो कोई समान अवसर नहीं था। कोई सकारात्मक नीतियां नहीं थीं, कोई संस्थागत वित्तीय सहायता नहीं थी। आज आप भारत में रह रहे हैं, जहां आपके उपनाम से ज्यादा आपका चरित्र और योग्यता मायने रखती है। कुछ ऐसा जो एक दशक पहले तक अकल्पनीय था। आज आप सीख सकते हैं। उत्कृष्टता प्राप्त कर सकते हैं। आईआईटी जैसे संस्थान का हिस्सा बन सकते हैं। अपने सपनों और आकांक्षाओं को पूरा कर सकते हैं। इसके साथ ही अपने परिवार, समाज और राष्ट्र के लिए योगदान कर सकते हैं।


दोस्तों, भारत अनंत अवसरों और आशाओं की भूमि है। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि वैश्विक संस्थागत ख्याति प्राप्त अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने वैश्विक बिरादरी को संकेत दिया है
कि भारत निवेश और अवसरों का पसंदीदा वैश्विक गंतव्य बन गया है। आज दुनिया हमारी विकास गाथा में भाग लेना चाहती है। आज हमारे वैश्विक भागीदार इस देश में अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करना चाहते हैं। एक ऐसा बदलाव जो मेरे युवा दोस्तों के लिए सुखद होना चाहिए। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यह परिवर्तन देश के हर उस कोने में प्रवेश कर रहा है जिसे पहले बहुत कठिन माना जाता था। हमारा विकास पिरामिडीय नहीं बल्कि पठार की तरह का है। कुछ समय पहले ही निराशा और उदासी का माहौल था। जब मैं ऐसा कहता हूं तो मेरा मतलब हमारे युवाओं से है, जो लोकतंत्र और शासन में सबसे महत्वपूर्ण साझेदार हैं। एक ऐसा राज्य था जहां हमारे पास प्रतिरोध की घिसी-पिटी और पुरानी मानसिकता थी और जब भी बेहतरी के लिए कोई बड़ा बदलाव होता था तो यह प्रतिरोध परिलक्षित होता था। जहां सकारात्मक रुख था, मैं एक उदाहरण देता हूं। आप सभी जानते हैं जब सरकार यूपीआई (UPI) पर जोर दे रही थी तो कुछ लोगों ने सोचा कि इसे भारत में कभी स्वीकार नहीं किया जाएगा। कुछ लोग इसे असफलता का नुस्खा बता रहे थे तो कुछ के मन में नकारात्मकता का भाव था। उन्हें सकारात्मक दृष्टिकोण रखना बेहद मुश्किल लगता है। हमें अपने लोगों की प्रतिभा को कभी कम नहीं आंकना चाहिए। हमारा डीएनए काफी मजबूत है। देखिए कि यूपीआई ने इस देश में हमारे लेनदेन के तरीके में कैसे क्रांति ला दी है। इसका असर कितना व्यापक है, ये सभी को पता चल गया है। दोस्तों, इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि यूपीआई को हमारी सीमाओं से बाहर भी स्वीकार्यता मिली है। सचमुच एक सफलता की कहानी जिस पर हम सभी को गर्व होना चाहिए।


मेरे मित्रों, भारत में हर दिन औसतन 466 मिलियन डिजिटल लेनदेन होते हैं। इस देश में दैनिक डिजिटल लेनदेन 466 मिलियन से अधिक है। यह चीन को छोड़कर दुनिया के किसी भी देश की जनसंख्या से अधिक है। ये हमारी अभूतपूर्व और अद्वितीय उपलब्धि है। हमें इस पर गर्व होना चाहिए। बहुत पहले किसने कल्पना की होगी कि यह देश दूसरों के अनुसरण के लिए तकनीकी अनुकूलन और परिवर्तन का एक खाका तैयार करेगा? यह परिवर्तन एक अनुकूल माहौल बनाकर, सही प्रोत्साहन प्रदान करके, मानव संसाधनों में निवेश करके और समग्र रूप से आकांक्षाओं को आसान बनाकर संभव किया गया है।


कारोबारी और कॉरपोरेट जगत व्यवसाय करने में आसानी के बारे में सोचते हैं। इस शताब्दी में दो दशकों में हमने भारत में जो बनाया है वह हर किसी के लिए आकांक्षा करने, हर किसी के लिए बड़े सपने देखने और अपने लक्ष्यों को हासिल करने में आसानी है। मित्रों, मैं पिछले एक दशक से आप जैसे युवक और युवतियों को देख रहा हूं, जो हमारे आईआईटी, आईआईएम और अन्य संस्थानों से पास आउट होकर निकले हैं। आपने ऐसे चमत्कार किए हैं जिनके बारे में कभी नहीं सोचा था। इसलिए आपके लिए सपने देखने, आकांक्षा करने और एक बड़ी छलांग लगाने का सही समय है। मुझे केवल यह स्वीकार करना चाहिए कि यह एक यात्रा है और बहुत कुछ किया जाना अभी बाकी है। मैं इसके लिए जीवित हूं। हम बात करते हैं, जैसा कि माननीय मंत्री ने प्रकट किया हम एक बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। हमने कभी नहीं सोचा था कि हम एक बनेंगे। हम कमजोर से शीर्ष अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ चुके हैं और हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन रहे हैं। हमें अपने पैर जमीन पर रखने होंगे। आप समझदार हैं, आप विचारशील हैं, आपको चुनौतियों का पता होना चाहिए। चुनौती यह है कि हमें अपनी प्रति व्यक्ति आय को आठ गुना बढ़ाना होगा।


हमें 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनना है, जब हमारी स्वतंत्रता का शताब्दी समारोह होगा। आठ गुना वृद्धि पहुंच योग्य है, प्राप्त करने योग्य है, क्योंकि मेरे सामने ऐसे युवा हैं जो इसे कर सकते हैं। इसमें मुझे कोई संदेह नहीं है कि वे ऐसा करेंगे। यह आवश्यक है क्योंकि इस देश में नए उत्पाद और सेवाएं विकसित हो रही हैं, जिनमें हमें सार्थक रोजगार का सृजन करना है। हम इस स्थिति से सहमत हैं कि रोजगार के रास्ते होने चाहिए। रास्ते धीरे-धीरे बढ़ाने होंगे।
मैं युवाओं और विचारशील लोगों से सामान्य अवसर की परिधि से बाहर निकलने की अपील करूंगा। आपका बास्केट बढ़ रहा है। मित्रों, इतिहास बताता है कि जो देश विकास करते हैं वे मध्य आय के जाल में फंसे रहते हैं। ऐसा बहुत कम होता है कि राष्ट्र इस सांचे को तोड़ते हैं। चारों ओर देखें पिछले चार-पांच दशकों के इतिहास का अध्ययन करें। आपको पता चल जाएगा कि एक जाल है, जिसे मध्यम आय जाल कहा जाता है। जब तक प्रत्येक भारतीय समृद्धि की चमक से प्रभावित नहीं हो जाता तब तक हमें सामूहिक रूप से निम्न से मध्य से उच्च की ओर बढ़ने की आकांक्षा रखनी होगी। दोस्तों, वह यात्रा चल रही है। वह मैराथन मार्च चल रहा है।


प्रत्येक व्यक्ति तंदुरुस्त होकर इस यज्ञ में योगदान देने वाला भागीदार है। हमारी सबसे बड़ी ताकत दुनिया का एक नजरिया है। यह एक ऐसी ताकत है जो भारत के पास मानवता के छठे हिस्से का घर है, जिससे दुनिया विद्वेष करती है। वह है मेरे सामने हमारा जनसांख्यिकीय लाभ, इसे दूर नहीं किया जाना चाहिए। यह एक ऐसी संपत्ति है जो समाज के समग्र कल्याण में योगदान देती है। मुझे अपने युवा दोस्तों को यह बताना चाहिए कि अगर इसका विकास संगठित है तो जनसांख्यिकी वरदान हो सकता है।

विशेष रूप से लोकतंत्र में कोई भी कृत्रिम हस्तक्षेप या किसी रणनीति के साथ कोई भी रैखिक हस्तक्षेप विनाशकारी हो सकता है। साथियों, जब यह जनसांख्यिकी प्रौद्योगिकी और नवाचार से जुड़ी होती है तो राष्ट्रों का उदय होता है और वह आगे बढ़ता है। वे इस वृद्धि से शुरू होकर ऊर्ध्वाधर का आकार लेते हैं और इस देश में ऐसा होना तय है।


आईआईटी और आपके जैसे संस्थान इस परिवर्तन में एक प्रमुख भूमिका निभा रहे हैं। इसके लिए भारत ने बहुत लंबे समय से इंतजार किया था। हमने परंपरागत रूप से सुना है और हमने आनंद लिया है। तक्षशिला, नालंदा, मिथिला, वल्लभी, विक्रमशिला और भी बहुत कुछ। ये प्राचीन संस्थान ज्ञान और शिक्षा के केंद्र, शैक्षिक उपलब्धियों की पहचान थे।

लंबे अंतराल के बाद सकारात्मक सरकारी नीतियों, सक्रिय कदमों के कारण आईआईटी नए केंद्र के रूप में उभर रहे हैं। याद रखें जब भी पैक्स इंडिका का इतिहास लिखा जाएगा, तकनीकी परिवर्तन पर एक अध्याय होगा। आपके संस्थान और समान रूप से केंद्रीय मंच होंगे। उस अध्याय में मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं, आपके संस्थान सहित आईआईटी का गौरवपूर्ण स्थान होगा। अपने जुड़ाव और प्रतीक चिह्न पर गर्व करें।

दुनिया चाहती है कि आईआईटी उनकी धरती पर संचालित हो। वे इस देश में आते हैं तो वैश्विक लीडर्स अपनी संप्रभु जमीन पर आईआईटी परिसर की मांग करते हैं। हाल ही में अबू धाबी और जांजीबार में दो अंतरराष्ट्रीय परिसर खोले गए। और भी देश अनुसरण करेंगे। यह कोई छोटा विकास नहीं है। यह एक बड़ा विकास है कि दुनिया ने ज्ञान, बुद्धिमत्ता और गहन क्षमता के लिए भारत की ओर देखना शुरू कर दिया है, जैसा कि सदियों पहले हुआ करता था। आईआईटी को वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त ब्रांड बनाने का श्रेय आप सभी निदेशकों, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष और छात्रों को जाता है। मित्रों, नवाचार हमारे उत्थान की एक और विशेषता है। आप इसे मुझसे अधिक जानते हैं।


हमें नवाचार करना होगा। नवान्वेषण भीतर से होना चाहिए। हम दूसरों पर निर्भर नहीं रह सकते। अगर हम दूसरों पर निर्भर हैं तो हम बड़े बदलाव के लिए तैयार नहीं हो पाएंगे। भारत अब 1.25 लाख से अधिक स्टार्टअप और 110 यूनिकॉर्न के साथ दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बनकर उभरा है। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है। मित्रों, हमें और अधिक यूनिकॉर्न की आवश्यकता है। यूनिकॉर्न वहां हैं। हमारी अपनी व्यवस्था होनी चाहिए। इंडिकॉर्न-दुनिया इस शब्द को पहचानना चाहिए कि ये भारतीय मूल है, लेकिन उनके पदचिह्न वैश्विक हैं। हमने इस देश में शुरुआत की है और उस समय लोगों ने इसे सही भावना से नहीं लिया था।
विश्व के लिए मेकिंग इंडिया। हम अब बहुत व्यस्त हैं। दोस्तों इससे भी अधिक प्रेरणादायक बात यह है कि भारत का स्टार्टअप इकोसिस्टम अब मेट्रो शहरों तक ही सीमित नहीं है। एक समय था जब टियर टू, टियर थ्री शहर एवं हमारी ग्रामीण स्थितियों को रचनात्मकता के केंद्र के रूप में नहीं देखा जाता था। महानगरों की ओर रुख करना पड़ता था, लेकिन अब हालात पूरी तरह बदल गए हैं।

यह पूरे देश में फैलती हुई एक सामाजिक संस्कृति बन गई है और यही कारण है कि इस देश में हमारे पास महान विचार थे। हमारे पास आकांक्षी जिले थे, स्मार्ट शहर थे, इन सबका उद्देश्य केवल यह सुनिश्चित करना था कि कहीं भी रहने वाले युवक और युवतियों को समान अवसर मिले। आप यह पहले से ही जानते होंगे, लेकिन जोधपुर में वर्तमान में 300 से अधिक मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स हैं।


मैं आप जैसे युवक और युवतियोसे अपील करूंगा कि कृपया स्टार्टअप के फायदे भी समझें। राजकोषीय लाभ, सब्सिडी लाभ, कराधान लाभ फिर आप जाते हैं इसकी जड़ में आप पाएंगे कि इतना ध्यान दिया गया है कि वित्तीय लाभ उस व्यक्ति द्वारा चुने गए समय पर अर्जित होता है जिसने स्टार्टअप में खुद को शुरू किया है। मुझे बताया गया कि आपके आईआईटी में एक टेक्नोलॉजी इनक्यूबेशन सेंटर है और वह 20 से अधिक स्टार्टअप्स को संवार (इनक्यूबेट) रहा है।

मुझे पूरी जानकारी नहीं है, लेकिन जब मैं आईआईटी मद्रास गया तो मैंने थोड़ा अधिक समय बिताया, जैसा कि मैं यहां आने वाले महीनों में भी बिताऊंगा। मैं बहुत खुश था। उनके इनक्यूबेशन (ऊष्मायन) ने बहुत ही गंभीर उड़ान भरी थी, एक ऐसी उड़ान जिसके बारे में चेयरमैन बोर्ड ऑफ गवर्नर्स को बेहतर पता होगा क्योंकि यह आकाश में नहीं बल्कि अंतरिक्ष में है। आपके पास क्षमता है और आपको इस संख्या को उच्च स्तर पर ले जाने के लिए उस क्षमता का उपयोग करने की आवश्यकता है। मुझे उम्मीद है कि शहर का पहला यूनिकॉर्न आईआईटी जोधपुर से संबद्ध होना चाहिए। यदि आप ठान लें तो यह होकर रहेगा।


यह ऊष्मायन केंद्र आईआईटी पारिस्थितिकी तंत्र को स्वयं नवाचार का आधार बनना चाहिए। नवाचार हमारी विकास यात्रा के लिए आर्थिक विकास का आधार है। आज मैं एक मंत्र देना चाहता हूं। प्रत्येक आईआईटी के पास कम से कम एक विशिष्ट क्षेत्र होना चाहिए, जिसके लिए उन्हें वैश्विक स्तर पर जाना जाए। आइए, अपने दिमाग को खंगालें, मंथन करें, चीजों में मदद करें, आईआईटी जोधपुर के लिए एक जगह बनाएं जो आपके लिए एक वैश्विक ब्रांड होगा। फैकल्टी और छात्रों से मैं कहूंगा कि कुछ अलग और विशेष सोचें। हमारे पास गवर्नर बोर्ड के अध्यक्ष हैं।


मैं एक ऐसे क्षेत्र का संकेत देना चाहता हूं जिसमें वह बहुत सक्रिय रहे हैं। इसरो में हमारे साहसी सपने देखने वालों को देखें। भारत के पास अब मंगलयान, गगनयान और आदित्य मिशनों के साथ एक चौंका देने वाला और सर्वव्यापी अंतरिक्ष पदचिह्न है।

हम सभी ने चंद्रयान-3 की सफलता का आनंद लिया है। यह दिन हर साल एक विशेष उत्सव बन जाता है। भारत की क्षमता स्थलीय क्षेत्र से भी आगे तक फैली हुई है। हमारी अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था 2030 तक चार गुना बढ़ने के लिए तैयार है। हमें यथार्थवादी होना चाहिए। यह हमारी क्षमता के अनुरूप नहीं है। हालांकि इसने बड़ी प्रगति की है। वैश्विक अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में हमारी हिस्सेदारी एकल अंक में है। हम मानवता का छठा हिस्सा हैं। जब तकनीकी कौशल की बात आती है, तो हम अपने जनसांख्यिकीय घटक से बहुत आगे हैं। इसलिए हमें एक बड़ी छलांग लगानी होगी।

इसे सफल कौन बनाएगा? आईआईटी के युवक और युवतियों को इन मुद्दे का समाधान करना होगा। अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था में क्या रास्ते हैं? महासागरों के बारे में सोचिए। महासागर मत्स्य पालन और जलीय कृषि बंदरगाह एवं शिपिंग, समुद्री व तटीय पर्यटन, समुद्री जैव प्रौद्योगिकी, आईटी-संचालित समुद्री नवाचार, गहरे समुद्र में खनन जैसे क्षेत्रीय अवसरों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करते हैं। इन सभी क्षेत्रों में आपको महत्वपूर्ण भूमिका निभानी है। यदि आप केवल समय रहते हुए सोचते हैं, तो आपको पता चल जाएगा कि आपको अपनी रुचि का एक ऐसा क्षेत्र मिलेगा जो आपकी योग्यता के अनुकूल है।

एक और बड़ा आशाजनक क्षेत्र हरित हाइड्रोजन है। जब भारत सरकार ने हरित हाइड्रोजन मिशन के लिए 90,000 करोड़ रुपये आवंटित किए तो मुझे बहुत खुशी हुई। भारत ने 2030 तक 50 लाख मीट्रिक टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने का लक्ष्य रखा है।


इससे पर्यावरण को और अधिक नुकसान पहुंचाए बिना विकास को गति देने में मदद मिलेगी। काम चालू है। इसके लिए सक्षम मानव संसाधन की आवश्यकता है। इसमें इंजीनियरों की आवश्यकता है और यदि आप आवश्यक इंजीनियरों की संख्या गिनेंगे तो आपको आश्चर्य होगा। यह एक शुरुआत है। आपमें से जो लोग इस क्षेत्र में शामिल होने के इच्छुक हैं, वे अपने काम पर लग जाएं। एक पल भी मत गंवाएं।

हरित हाइड्रोजन मिशन, भारतीय अंतरिक्ष नीति, ब्लू इकॉनोमिक पॉलिसी (समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य को संरक्षित करते हुए आर्थिक विकास, बेहतर आजीविका और नौकरियों के लिए समुद्री संसाधनों का सतत उपयोग करने वाली अर्थव्यवस्था) और गहरे समुद्र मिशन के साथ सरकार इन उभरते क्षेत्रों के लिए एक स्वस्थ और अनुकूल वातावरण बनाने के लिए अत्यधिक प्रयास कर रही है। ये सभी अवसर मौजूद हैं। मित्रों, एक बात जो मैंने महसूस की है वह यह है कि हमारे पास अवसरों के बारे में एक अदूरदर्शी दृष्टिकोण है जो हमें लगता है कि आपके पास है। वर्तमान समय का तथ्य यह है कि तेजी से विकास और बेहतरीन नीतियों के कारण आपके अवसरों की टोकरी हमेशा ऊपर जा रही है। इसका ध्यान रखें। आप इस बस को छोड़ना नहीं चाहेंगे। मैं जानता हूं आप इसे मिस नहीं करना चाहेंगे। हालांकि पहला कदम आपको ही उठाना होगा। आपको सोच-समझकर निर्णय लेना होगा। जब आप इस संस्थान से बाहर निकलते हैं तो चाहे आप नौकरी चाहने वाले बनना चाहते हों या नौकरी देने वाले बनना चाहते हों, चाहे आप नेतृत्व करना चाहते हों या नेतृत्व पाना चाहते हों यह आपकी पसंद है।

मैं कभी नहीं कहूंगा कि आपको समस्याएं नहीं होंगी। जब आप कभी न खत्म होने वाले क्षेत्र का आनंद लेते हैं, आप भ्रष्टाचार-मुक्त वातावरण का आनंद लेते हैं, आपकी सरकारी नीतियां आपकी मदद करती हैं। ऐसे में आपके पास अप्रत्याशित अवसर होंगे। आप पाएंगे कि सफलता आपके पास न आकर किसी और के पास आ रही है।

आप पाएंगे कि आपको अन्यायपूर्ण तरीके से अस्वीकार किया गया है और किसी ने इसे अन्यायपूर्ण तरीके से प्राप्त किया है। ये चुनौतियां हैं, जिसे आपको सीखने की जरूरत है। इन्हें सहजता से लें। ये सीखने के सबक हैं क्योंकि आपको इन परिस्थितियों का सामना करने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। आपके लिए कभी भी केवल रेड कारपेट वातावरण नहीं होगा। यदि चुनौतियां आपके सामने आती हैं तो वे निश्चित रूप से आएंगी। चुनौतियां आपका इंतजार कर रही हैं। आपको उन चुनौतियों को अवसरों में बदलना होगा। कुछ और चीजें हैं जो मैंने आईआईटी जोधपुर से सीखी हैं जो मुझे प्रभावशाली लगती हैं। इसे संक्षेप में प्रकट किया गया था।

यह राष्ट्रीय स्तर पर पहला संस्थान है जहां कोई भी अपनी मातृभाषा में इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में पाठ्यक्रम ले सकता है। एक समय था जब इसे दीवार मान लिया जाता था। आप इससे आगे नहीं जा सकते। इसे एक पागलपन भरा विचार माना गया। अब दीवार, छत तोड़ दी गई है। ऐसे दर्जनों देश हैं जो इंजीनियरिंग में उत्कृष्ट हैं, लेकिन इन विषयों को विदेशी भाषा में नहीं पढ़ाते हैं।

जापान, जर्मनी, चीन और कई अन्य देश टेक्नोलॉजी के मामले में सबसे आगे हैं। वे विदेशी भाषा का अनुरोध स्वीकार नहीं करते। जिस भाषा पर देश विश्वास करता है। व्यक्ति जिस भाषा पर विश्वास करता है। आप जर्मन, जापानी, चीनी, भारतीय, कोई भी अपना सकते हैं। मैं आपको कुछ उदाहरण देता हूं। हमारे घरेलू क्षेत्र न तो बोधायन और न ही पाइथागोरस लेकिन अंग्रेजी में सोचते हैं। फिर भी वे दोनों अपनी-अपनी मातृभाषा में इस अद्भुत मंच पर पहुंचे। बता दें कि कन्नड़, सुश्रुत, आर्यभट्ट, भास्कर, चरक, पतंजलि और ब्रह्मगुप्त ने संस्कृत में शानदार और चिरस्थायी खोज की। संस्कृत भाषा में उन्होंने खोज की। मैं संकीर्णतावाद का कट्टर समर्थक नहीं हूं, लेकिन मैं यह भी दृढ़ता से मानता हूं कि विज्ञान, चिकित्सा, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग या किसी अन्य विषय को सीखने के लिए एक विदेशी भाषा एक अप्राप्य बाधा नहीं होनी चाहिए। दोस्तों, हम कठिन समय में जी रहे हैं। इस देश में कुछ लोग जन्मजात आलोचक होते हैं। मुझे अब एक सिस्टम मिलेगा। उपराष्ट्रपति देश की एक भाषा अंग्रेजी की वकालत कर रहे थे। इन चीजों से प्रभावित मत होइए।

इन चीजों से ऊपर उठने के लिए अर्जुन पर विश्वास करें, जिसने छत नहीं देखी, जिसने मछली नहीं देखी, उसने आंख नहीं देखी। उसने केवल आंख की पुतली देखी। इसका अंदाजा लगा लीजिए।
आपके धैर्य को यह तय करना है कि आप जीवन में अपने लक्ष्य को कैसे आगे बढ़ाते हैं। इससे कभी विचलित न हों। किसी और की पहचान की तुलना में अपनी पहचान सबसे अच्छी है। किसी भी दिन आपकी साइकिल किसी और की लिमोजीन की तुलना में आपके लिए अधिक आरामदायक होती है। आपको शायद एहसास न हो लेकिन साइकिल पर आपकी सवारी आनंददायक होगी और लिमोजीन आपकी गर्दन में दर्द पैदा कर सकती है।

मैं पश्चिम बंगाल राज्य के राज्यपाल के रूप में कुछ हद तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति से जुड़ा रहा हूं। इसने हमारी शिक्षा को बहुविषयक पहलू दिया है। आप केवल इंजीनियरिंग सीखकर एक प्रर्वतक नहीं बन सकते हैं। यदि आप एक गतिशीलता स्टार्टअप बनाना चाहते हैं तो आपको उपभोक्ता व्यवहार से लेकर उसके संचार पैटर्न तक कई चीजों को समझना होगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत अब छात्रों को गैर-पारंपरिक संयोजनों में पाठ्यक्रम करने की छूट है। पहले कहते थे ये तो कॉम्बिनेशन ठीक नहीं है, आप इस कॉम्बिनेशन के बारे में क्यों सोच रहे हैं? अब आपको अत्याधुनिकता प्रदान करने के लिए विभिन्न विषयों का अभिसरण होना होगा। अब आपको गैर पारंपरिक संयोजनों में पाठ्यक्रम अपनाना होगा। मेडिकल छात्र अपने मुख्य विषय के साथ अर्थशास्त्र या संगीत का अध्ययन कर सकते हैं - जो समग्र और सर्वांगीण शिक्षा की ओर एक कदम है।


मित्रों, हम शिक्षा के इस प्रारूप के बिना समाधान प्रदाताओं की पीढ़ी का निर्माण नहीं करेंगे, जो जोधपुर आईआईटी के लोगो में खूबसूरती से अंकित है, जिसमें लिखा है, 'हम ज्ञान और विज्ञान-प्रौद्योगिकी और ज्ञान की सामंजस्यपूर्ण धारा को एक साथ चाहते हैं।'


मैं आपको याद दिला दूं, तीन दशकों के बाद एक लाख से अधिक हितधारकों के इनपुट पर विचार करने के बाद एनईपी विकसित किया गया था। यह एक गेमचेंजर है, मुझे उम्मीद है कि जो लोग अभी भी पढ़ रहे हैं वे अनुशासनात्मक सीमाओं में बंधकर नहीं रहेंगे और इससे लाभान्वित होंगे। ऐसी पहचान बनाएं जो आपको ख्याति दिला सके। इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी समग्र शिक्षा और संवारने का हिस्सा हैं और पूरा विश्व विनिर्माण पर विनिर्माण कर रहा है। विनिर्माण अब एक कुंजी है। यह एक चर्चा का विषय है, आपके लिए मंच पहले से ही तैयार है।

इस संस्थान की दीवारों से परे दुनिया अनंत है, जितना हो सके देश के भीतर यात्रा करें, यात्री होने से बड़ी कोई शिक्षा नहीं है।

कारखाने, बाजार, मंदिर और गुरुद्वारा भोजन एवं स्वाद, रंग, शिल्प, ज्ञान और बातचीत करने के साधन है। वे सभी आपका इंतजार कर रहे हैं। मैं कुछ ऐसे अन्वेषकों से मिला हूं जिन्होंने मुझे बताया कि उन्हें एक छोटे शहर की यात्रा करने पर एक व्यापार का आइडिया मिला। साधक बनें, यात्री बनें। मैं खुद हैरान था कि मैं अपने देश को कितना कम जानता था, भारत में वह सब कुछ है जो अगर हम न्यूजीलैंड या स्विट्जरलैंड देशों के साथ तुलना करें तो यह सबकुछ हमें पूर्वोत्तर में मिलेगा।

प्रकृति ने हमारे देश को भरपूर उपहार प्रदान किया है और वह सब कुछ दिया है जिसकी हमें आवश्यकता है। मुझे उम्मीद है कि मेरे युवा मित्र आईआईटी से ऐसे विचारकों की पीढ़ी तैयार करेंगे जिनके दिल में न केवल भारत की सर्वश्रेष्ठता होगी बल्कि वे भारत और इसकी जटिलताओं एवं विविधताओं को भी समझेंगे।

यदि आपको अन्याय का सामना करना पड़ता है, तो मैं निष्कर्ष निकालूंगा और आप मेरे शब्दों को याद करेंगे, न्याय का मूल्य सीखेंगे।

यदि आप विश्वासघात का अनुभव करते हैं, तो आपको मौके मिलेंगे। विश्वासघात होगा तो आपको वफादारी की सीख मिलेगी। अगर आप अकेलापन महसूस करते हैं, तो आप समझेंगे कि दोस्ती क्या होती है।

आप जो हैं वही बने रहें, मौलिक बनें। बड़े सपने देखने और अपने लक्ष्यों की प्राप्ति करने के पीछे नहीं पड़ें। जब आप थक जाते हैं, उदास एवं परेशान महसूस करते हैं, तो आप कभी-कभी शिथिल जाते हैं। उदास और थका हुआ, अकेला और शायद ऐसी स्थिति में, जो स्थिति आपके लिए अच्छी नहीं है। हमेशा प्रेरणादायक डॉ अब्दुल कलाम को और उनके संदेशों को याद करें,
संघर्ष एवं विपत्तियों से उभरने वाले व्यक्ति डॉ. एपीजे कलाम ने एक ही संदेश दिया, जो हमारे राष्ट्रपति थे, बोर्ड ऑफ गवर्नर्स के अध्यक्ष थे और उन्होंने कहा था कि,
'सपने देखो, सपने देखो, सपने देखना कभी बंद मत करो' क्योंकि भारत में, हमारे देश में सकारात्मक नीतियों का एक पारिस्थितिकी तंत्र है, सपने जमीन पर साकार हो रहे हैं। सपने फलते-फूलते हैं, इसलिए सपने देखो और बड़े सपने देखो और अगर लगता है कि अभी भी आपके पास सपने देखने का जज्बा नहीं है तो स्वामी विवेकानंद को याद करें। विवेकानंद ने जो कहा था, और याद रखें कि उनका शिकागो में दिया गया भाषण आपको किसी अन्य संबोधन की तरह प्रभावित करेगा।

उन्होंने कहा कि उठो और कार्य करो और तब तक मत रुको जब तक तुम्हारे लक्ष्य की प्राप्ति न हो। इन दोनों बुद्धिमान व्यक्तियों के शब्दों को अपने जीवन की कठिन चुनौतियों के लिए मार्गदर्शन प्रकाश बनने दो, अपने सामने आने वाली विपत्तियों का सामना करने में अपना खुद ध्रुव तारा बनो और जब तुम निराशा, हताशा और परेशानी के भंवर में फंसे हुए महसूस करो तो अपने लिए प्रकाश स्तंभ बनो।


उप राष्ट्रपति ने कहा कि मेरा संदेश है और इसे हमेशा याद रखना। इस परिसर से निकलने के बाद आपकी शिक्षा बंद नहीं होनी चाहिए। आपको निरंतर सीखते रहना होगा, जीवन में एकमात्र स्थिर चीज जो है वह परिवर्तन है। आपको इसमें विश्वास करना होगा। आजीवन सीखते रहें, अपनी जड़ों से जुड़े रहें और अपने ज्ञान का उपयोग भारत की विकास गाथा और मानवता के कल्याण में योगदान देने के लिए करें क्योंकि हमारा भारत समावेशिता के लिए विश्व विख्यात है, हम समावेशिता के लिए खड़े हैं, हम वैश्विक शांति एवं सद्भाव के लिए खड़े हैं।
मैं आप सभी लोगों के सफलता एवं संतुष्टि की कामना करता हूं। आप आगे बढ़ें और देश को गौरवशाली बनाएं।


धन्यवाद जय हिंद!

***

एमजी/आरपीएम/केसी/आरकेजे


(Release ID: 2068790) Visitor Counter : 64


Read this release in: English , Urdu , Kannada