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सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर ने पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान को एकीकृत करने पर जोर देते हुए 9वां आयुर्वेद दिवस मनाया

Posted On: 25 OCT 2024 4:49PM by PIB Delhi

सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान संचार और नीति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर) ने आज 9वें आयुर्वेद दिवस का आयोजन किया, जिसमें आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल में आयुर्वेद के महत्व पर प्रकाश डाला गया। यह कार्यक्रम सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर, एस.वी. मार्ग परिसर में आयोजित किया गया, जिसकी शुरुआत "एक पेड़ माँ के नाम" वृक्षारोपण कार्यक्रम से हुई। इसके बाद सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की निदेशक प्रोफेसर रंजना अग्रवाल ने उद्घाटन भाषण दिया।

सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की निदेशक प्रोफेसर रंजना अग्रवाल संस्थान में 9वें आयुर्वेद दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए

प्रोफ़ेसर रंजना अग्रवाल ने हमारे देश में अतीत में, खास तौर पर वैदिक काल में उपलब्ध भारतीय ज्ञान प्रणाली के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारत के महान प्राचीन ज्ञान केंद्रों नालंदा और तक्षशिला के बारे में बात की। प्रोफ़ेसर अग्रवाल ने कहा कि सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर स्वस्तिक (वैज्ञानिक रूप से मान्य सामाजिक पारंपरिक ज्ञान) नामक एक राष्ट्रीय पहल का समन्वय कर रहा है और इस पहल में, हम भारतीय पारंपरिक ज्ञान के केस स्टडी और कहानियाँ सामने लाते हैं और उन्हें समाज के साथ साझा करते हैं।

मंच पर उपस्थित गणमान्य व्यक्ति

इस अवसर पर "एक पेड़ माँ के नाम" अभियान के तहत पौधारोपण भी किया गया

सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. मोनिका जग्गी ने विशेष अतिथि वक्ता, डॉ. भावना प्रशर, वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक, सीएसआईआर-आईजीआईबी, नई दिल्ली का परिचय कराया। डॉ. प्रशर ने "आयुर्जीनोमिक्स और प्रकृति: व्यक्तिगत स्वास्थ्य देखभाल के लिए पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान का नवाचारपूर्ण एकीकरण" विषय पर एक विशेष व्याख्यान दिया। धन्यवाद ज्ञापन सीएसआईआर-एनआईएससीपीआर की प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. सुमन रे ने प्रस्तुत किया।

डॉ. शैजी लायेक और सीसीआरएएस (आयुष मंत्रालय), नई दिल्ली की टीम के सहयोग से प्रकृति परीक्षण के साथ-साथ एक निःशुल्क स्वास्थ्य जांच शिविर का भी आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य विभिन्न रोगों की रोकथाम और प्रबंधन में आयुर्वेद की क्षमता के साथ-साथ भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में इसके योगदान के बारे में जागरूकता पैदा करना था।

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