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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जेपी नड्डा ने डीएचआर-आईसीएमआर के तहत पांच अग्रणी स्वास्थ्य अनुसंधान पहलों का शुभारंभ किया


ये महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य पहल भारत को चिकित्सा नवाचार के एक नए युग में ले जाएंगी

स्वदेशी नवाचार और उन्नत अनुसंधान में निवेश के माध्यम से हम अपने देश को स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सशक्त बना रहे हैं: श्री जे.पी. नड्डा

Posted On: 25 OCT 2024 9:23PM by PIB Delhi

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज यहां 100 दिवसीय एजेंडे के तहत नियोजित पांच डीएचआर-आईसीएमआर स्वास्थ्य अनुसंधान पहलों का शुभारंभ किया। इन पहलों का उद्देश्य भारत को वैश्विक स्वास्थ्य अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में अग्रणी बनाना है, जो देश के विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप है।

इस दौरान संबोधित करते हुए श्री जे.पी. नड्डा ने कहा, "ये अभूतपूर्व पहल एक स्वस्थ और अधिक आत्मनिर्भर भारत के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाती हैं। स्वदेशी नवाचार को बढ़ावा देने और उन्नत अनुसंधान में निवेश करके, हम अपने देश को स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सक्षम बना रहे हैं।"

डीएचआर सचिव और आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. राजीव बहल ने कहा, "'फर्स्ट इन द वर्ल्ड' चैलेंज जैसी पहल हमारे वैज्ञानिकों और नवोन्मेषकों को अत्याधुनिक तकनीक विकसित करने में सक्षम बनाएगी, जिससे न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया को फायदा हो सकता है। हम एक ऐसा माहौल बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, जहाँ शोध को अधिक मौका मिले. इससे अंततः स्वास्थ्य संबंधी बेहतर नतीजे सामने आ सकेंगें और हमारे देश की चिकित्सा अनुसंधान में वैश्विक स्तर पर स्थिति मजबूत होगी।"

चंद्रयान-3 की सफलता से प्रेरित होकर शुरू की गई प्रमुख पहलों में से एक "विश्व में प्रथम" चुनौती है। यह उच्च जोखिम, उच्च पुरस्कार अनुसंधान और विकास योजना स्वास्थ्य प्रौद्योगिकियों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए डिज़ाइन की गई है जो वैश्विक स्तर पर अभूतपूर्व हैं। यह कार्यक्रम अवधारणा डिजाइन के प्रमाण से लेकर प्रोटोटाइप और अंतिम उत्पाद विकास तक विभिन्न चरणों में परियोजनाओं को वित्तपोषित करेगा।

इसके अलावा प्रधानमंत्री - आयुष्मान भारत स्वास्थ्य अवसंरचना मिशन (पीएम-एबीएचआईएम) के तहत, आईसीएमआर मौजूदा वायरल अनुसंधान और निदान प्रयोगशालाओं (वीआरडीएल) को संक्रामक रोग अनुसंधान और निदान प्रयोगशालाओं (आईआरडीएल) में अपग्रेड कर रहा है । इसमें बैक्टिरियोलोजी, माइकोलॉजी और पैरासिटोलॉजी शामिल हैं, जो वायरोलॉजी से परे नैदानिक ​​क्षमताओं का विस्तार कर रहे हैं। ये प्रयोगशालाएँ संक्रामक रोगों की व्यापक निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया के लिए भारत की क्षमता को मजबूत करेंगी।

आईसीएमआर ने आईसीएमआर डेटा रिपॉजिटरी भी लॉन्च की है , जो उच्च गुणवत्ता वाले डेटासेट का एक केंद्रीकृत, सुरक्षित और सुलभ प्लेटफ़ॉर्म है। यह डेटा की अखंडता और गोपनीयता सुनिश्चित करता है। उन्नति पहल (भारतीय बच्चों के पोषण, वृद्धि और विकास मूल्यांकन के लिए मानदंडों को उन्नत करना) का उद्देश्य बच्चों के लिए भारत-विशिष्ट वृद्धि और विकास मानकों को स्थापित करना है, जो मौजूदा डब्ल्यूएचओ मानदंडों की सीमाओं को संबोधित करते हैं।

इसके अलावा, आईसीएमआर दुर्लभ बीमारियों के लिए दवाएँ विकसित करने के प्रयास शुरू कर रहा है , जिसमें गौचर रोग, सिकल सेल रोग और अन्य स्थितियों के लिए किफायती और प्रभावी उपचारों पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। मौजूदा समय में चल रही परियोजनाएँ नैदानिक ​​परीक्षणों से लेकर पशु अध्ययनों और डिजाइन तैयार करने तक के चरणों में जारी हैं, जिनका उद्देश्य आयातित उपचारों पर निर्भरता को कम करना और भारत में रोगियों के लिए पहुँच में सुधार करना है।

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एमजी/ आरपीएम / केसी/ केजे


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