रक्षा मंत्रालय
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नौसेना को सौंपा गया यार्ड 3026 (निर्देशक)

Posted On: 08 OCT 2024 7:41PM by PIB Delhi

भारतीय नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो के मार्गदर्शन में गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता में निर्मित हो रहे चार बड़े सर्वेक्षण पोतों (जहाज) में से दूसरा, निर्देशक (यार्ड 3026), 8 अक्टूबर, 2024 को भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया। इस श्रेणी का पहला पोत, आईएनएस संध्याक , 3 फरवरी, 2024 को कमीशन किया गया था। चार सर्वेक्षण पोतों (एसवीएल) के लिए 30 अक्टूबर, 2018 को अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे।

सर्वेक्षण पोतों को मेसर्स गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता द्वारा भारतीय शिपिंग रजिस्टर के वर्गीकरण नियमों के अनुसार डिजाइन और निर्मित किया गया है। इस पोत का उद्देश्य बंदरगाहों तथा तटीय और गहरे समुद्र का पूर्ण हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण और नौवहन चैनलों/मार्गों का निर्धारण करना है। यह पोत रक्षा और असैनिक उपयोगों के लिए समुद्री विज्ञान और भूभौतिकीय आंकड़े भी एकत्र करेगा। इस पोत का कुल विस्थापन लगभग 3,400 टन और लंबाई 110 मीटर है। इसके साथ ही निर्देशक को डेटा अधिग्रहण और प्रसंस्करण प्रणाली,  पानी के नीचे स्वायत्त रूप से चालित वाहन, सुदूर संचालित वाहन, लंबी दूरी के पोजिशनिंग सिस्टम डीजीपीएस, डिजिटल साइड स्कैन सोनार आदि जैसे अत्याधुनिक हाइड्रोग्राफिक उपकरणों से सुसज्जित किया गया है। दो डीजल इंजनों वाला यह पोत अधिकतम 18 समुद्री मील की गति से चल सकता है।

इस पोत के ढांचे का निर्माण 1 दिसंबर, 2020 को प्रारंभ हुआ था और इसे 26 मई, 2022 को समुद्र में उतारा गया। नौसेना को सौंपे जाने से पहले इस पोत को पहले व्यापक स्तर पर बंदरगाह और समुद्र में परीक्षणों से गुजरना पड़ा है।

निर्देशक पोत लागत के आधार पर 80 प्रतिशत से अधिक स्वदेशी सामग्री से निर्मित किया गया है निर्देशक को सौंपे जाने के साथ ही एक बार फिर से भारत सरकार और भारतीय नौसेना द्वारा 'आत्मनिर्भर भारत' के लिए किए जा रहे प्रयासों को बल मिला है। नौसेना को निर्देशक पोत सौंपा जाना हिंद महासागर क्षेत्र में राष्ट्र की समुद्री शक्ति को बढ़ाने में व्यापक स्तर पर लगे हितधारकों, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों और भारतीय उद्योग जगत के सहयोगात्मक प्रयासों के लिए सम्मान की बात है।

 

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