शिक्षा मंत्रालय
भारत से 20 छात्र सकुरा कार्यक्रम 2024 में भाग लेंगे
Posted On:
19 OCT 2024 7:08PM by PIB Delhi
शिक्षा मंत्रालय का स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग (डीओएसईएल) 20 से 26 अक्टूबर 2024 तक 5 अन्य देशों के साथ सकुरा कार्यक्रम 2024 में भाग लेने के लिए 20 स्कूली छात्रों और 2 पर्यवेक्षकों को जापान भेज रहा है। डीओएसईएल द्वारा सीआईईटी-एनसीईआरटी में आयोजित एक समारोह में डीओएसईएल के उप सचिव श्री चरणजीत तनेजा, सीआईईटी-एनसीईआरटी के संयुक्त निदेशक डॉ अमरेंद्र प्रसाद बेहरा और नवोदय विद्यालय की उपायुक्त सुश्री कीर्ति पंवार ने उत्साही और उत्साहित बच्चों को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। इस कार्यक्रम में जापान विज्ञान और प्रौद्योगिकी एजेंसी के प्रबंधक श्री केमोची युकिओ और डीओएसईएल-एमओई के अधिकारी भी शामिल हुए। ये 20 छात्र (10 लड़के और 10 लड़कियां) नवोदय विद्यालयों से हैं और देश भर से प्रेरणा (पीआरईआरएएनए) कार्यक्रम के पूर्व छात्र हैं।
युवा शिक्षार्थियों के बीच बौद्धिक क्षितिज और वैज्ञानिक अन्वेषण को विकसित करने के लिए जापान विज्ञान और प्रौद्योगिकी एजेंसी (जेएसटी) 2014 से "जापान-एशिया युवा विज्ञान विनिमय कार्यक्रम" को चला रही है, जिसे "सकुरा विज्ञान कार्यक्रम" के रूप में भी जाना जाता है। भारत को 2015 में सकुरा कार्यक्रम में जोड़ा गया था। कार्यक्रम के तहत छात्रों को जापान की अल्पकालिक यात्राओं के लिए आमंत्रित किया जाता है, जिससे उन्हें जापान के अत्याधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के साथ-साथ इसकी संस्कृति का अनुभव करने का अवसर मिलता है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020, स्कूलों में पाठ्यक्रम और शिक्षण पद्धति के महत्व पर जोर देते हुए, इस बात की पुष्टि करती है कि "सीखना समग्र, एकीकृत, आनंददायक और अपने आप में आकर्षक होना चाहिए। साथ ही, एनईपी-2020 में कहा गया है कि सभी चरणों में अनुभवात्मक शिक्षा को प्रत्येक विषय के भीतर विभिन्न विषयों के बीच संबंधों की खोज के साथ मानक शिक्षण के रूप में अपनाया जाएगा। यह इस संदर्भ में है कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और तकनीकी विकास के संदर्भ में विभिन्न स्थानों की शैक्षिक यात्राएं और भ्रमण सबसे महत्वपूर्ण हैं। एक विकसित राष्ट्र और एक मित्र देश के रूप में जापान तकनीकी प्रगति के साथ-साथ शैक्षिक प्रदर्शन के लिए भी एक पसंदीदा गंतव्य है। इसलिए जापान जैसे देश का दौरा करना हमेशा समृद्ध करने वाला होता है और नवीन कार्यों की खोज का अवसर प्रदान करता है।
भारत ने पहली बार अप्रैल 2016 में इस कार्यक्रम में भाग लिया था। इस कार्यक्रम के तहत अब तक 553 छात्र और 85 पर्यवेक्षक जापान का दौरा कर चुके हैं। जून 2024 में आखिरी ग्रुप जापान जाएगा।
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एमजी/आरपीएम/केसी/एनकेएस
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