विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने भारत-अमेरिका प्रतिभा पुरस्कार प्रदान किए: 17 भारत-अमेरिकी टीमों को मुख्य रूप से एआई-सक्षम तकनीक और क्वांटम प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए एक साथ काम करने का अवसर दिया गया;
यूएसआईएसटीईएफ पुरस्कार समारोह महत्वपूर्ण और उभरती हुई प्रौद्योगिकी के लिए है;
भारत सरकार सेमी-कंडक्टर के लिए डिज़ाइन से जुड़े प्रोत्साहन जैसे हालिया सुधारों के साथ सक्षम नवाचार तंत्र बना रही है
अमेरिका-भारत आईसीईटी एक मजबूत नवाचार तंत्र बनाने के लिए कई क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाएगा: डॉ. जितेंद्र सिंह
17 भारत-अमेरिकी टीमों को मुख्य रूप से एआई-सक्षम तकनीक और क्वांटम प्रौद्योगिकी विकसित करने के लिए एक साथ काम करने का अवसर दिया गया
Posted On:
12 OCT 2024 3:50PM by PIB Delhi
17 विजेता टीमों को भारत-अमेरिका प्रतिभा पुरस्कार प्रदान करते हुए, केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्य मंत्री, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन विभाग के मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने दोनों देशों के मध्य एआई समर्थ सहयोग पर जोर दिया।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और संयुक्त राज्य अमेरिका भारत-अमेरिकी रणनीतिक प्रौद्योगिकी साझेदारी को बढ़ाने और विस्तार देने के लिए और दोनों देशों के वैज्ञानिकों को एआई और स्मार्ट कनेक्टेड शहरों जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों में सहयोग करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं।
मंत्री यहां संयुक्त राज्य अमेरिका-भारत विज्ञान और प्रौद्योगिकी प्रतिभा निधि (यूएसआईएसटीईएफ) पुरस्कार वितरण समारोह में बोल रहे थे। इस समारोह में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी ने भी भाग लिया। ये पुरस्कार महत्पूर्ण एवं उभरती प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दिए जाते हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने सभी 17 विजेता टीमों को बधाई दी, जिन्हें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्वांटम प्रौद्योगिकी के विषयों के तहत एआई-समर्थ प्रौद्योगिकियों, निर्णय समर्थन प्रणाली, जीपीटी-संचालित एआई, क्वांटम संचार के लिए प्रौद्योगिकियों के विकास, मजबूत क्वांटम सेंसर विकसित करने के लिए एक साथ काम करने का अवसर प्रदान किया गया है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, "मुझे यह कहते हुए हर्ष हो रहा है कि महत्वपूर्ण और उभरती हुई प्रौद्योगिकी (आईसीईटी) पर अमेरिका-भारत की पहल के एक हिस्से के रूप में एक मजबूत नवाचार तंत्र बनाने के लिए कई क्षेत्रों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाने के लिए विज्ञान एजेंसियों के बीच नए कार्यान्वयन समझौते किए गए हैं। (i) कंप्यूटर और सूचना विज्ञान एवं अभियांत्रिकी (ii) साइबर-भौतिक प्रणाली और (iii) सुरक्षित और भरोसेमंद साइबरस्पेस के क्षेत्रों में डीएसटी-राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन के संयुक्त आह्वान के परिणामस्वरूप 11 हाई पिच प्रस्तावों को पुरस्कृत किया गया है।"
भारत और अमेरिका भविष्य के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, उन्नत विनिर्माण, ब्लॉक चेन, हरित ऊर्जा, क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी प्रौद्योगिकियों के साथ निर्णायक मोड़ पर हैं, जो सदी के सबसे बड़े प्रौद्योगिकी परिवर्तनों के लिए तैयार हैं।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि भारत सरकार सेमीकंडक्टर के लिए डिजाइन से जुड़े प्रोत्साहन, ऑटोमोबाइल के लिए पीएलआई योजना, ड्रोन नीति और फेसलेस मूल्यांकन जैसी पहलों के माध्यम से बाधाओं को दूर करने जैसे हालिया सुधारों के साथ एक सक्षम नवाचार तंत्र बना रही है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अनुसंधान और नवाचार मूल्य श्रृंखला को आगे बढ़ाने और युवाओं में नवाचार और उद्यमिता की संस्कृति को बढ़ावा देने में भारत में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है, यह स्टार्ट-अप तंत्र की गति और पैमाने को देखकर स्पष्ट होता है। 2014 में 350 से अधिक स्टार्ट-अप की संख्या बढ़कर 1,40,000 से अधिक स्टार्ट-अप हो गई। भारत में 110 से ज़्यादा यूनिकॉर्न हैं, जिनमें से 23 पिछले साल ही उभरे हैं। यह एसटीआई (विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार) के क्षेत्रों में भारत की गति का संकेत है।
दोनों देशों की सरकारों ने 2009 में यूएसआईएसटीईएफ की स्थापना की थी ताकि ऐसे उत्पादों या प्रौद्योगिकियों के सह-विकास पर प्रतिभाशाली अमेरिकी-भारत उद्यमशीलता पहलों का समर्थन किया जा सके जो विचारों से आगे हो। पिछले कुछ वर्षों में इस कार्यक्रम का नए उत्पादों और प्रौद्योगिकियों के विकास और अमेरिका एवं भारत के आविष्कारकों के मध्य नए स्थायी सहयोग में महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है।
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