राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग
एनएचआरसी ने बिहार के कैमूर जिले में पुलिस कर्मियों की उदासीनता की वजह से इलाज में देरी के कारण सांप के काटने से पीड़ित की मौत की खबर का स्वतः संज्ञान लिया
पीड़ित को रिश्वत देने के बाद ही इलाज के लिए जाने दिया गया
बिहार पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी
इसमें पुलिस जांच की स्थिति के साथ-साथ दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी भी शामिल होने की उम्मीद है
डीएम को पीड़ित के परिवार को दिए गए किसी भी मुआवजे के बारे में जानकारी देने को कहा
Posted On:
01 OCT 2024 8:04PM by PIB Delhi
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने एक मीडिया रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लिया है, इसमें कहा गया है कि बिहार के कैमूर जिले में सांप के काटने से एक व्यक्ति की मौत हो गई क्योंकि उसके बार-बार अनुरोध के बावजूद कुछ पुलिसकर्मियों ने उसे हिरासत में ले लिया और इलाज के लिए अस्पताल नहीं जाने दिया। कथित तौर पर उन्होंने रुपये की मांग की। 2000 रुपये की रिश्वत के लिए उसे अपने भाई को फोन किया, जो उसकी रिहाई के लिए केवल 700 रुपये का प्रबंध कर सका, लेकिन तब तक वह उपचार के लिए काफी समय गंवा चुका था।
आयोग ने कहा की यदि समाचार रिपोर्ट सत्य है, तो यह पुलिस कर्मियों के शक्ति के दुरुपयोग के कारण पीड़ित के मानवाधिकारों के उल्लंघन का गंभीर मुद्दा है। पुलिस को उस व्यक्ति की जान बचाने के लिए तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए था। आयोग ने बिहार सरकार के पुलिस महानिदेशक को एक नोटिस जारी कर दो सप्ताह के भीतर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। इसमें पुलिस जांच की स्थिति के साथ-साथ दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी शामिल होने की उम्मीद है।
आयोग ने जिला मजिस्ट्रेट कैमूर से यह भी बताने को कहा है कि क्या मृतक व्यक्ति के परिजनों को कोई मुआवजा दिया गया है।
27 सितंबर 2024 को मीडिया में आई खबर के अनुसार 26 सितंबर की रात को जब युवक खेतों में सिंचाई कर रहा था, तो उसे सांप ने डस लिया। इसके बाद वह बेचैनी की हालत में भागकर अपने गांव की ओर जाने लगा। इसी दौरान गश्त कर रही पुलिस टीम ने उसे रोककर पूछताछ शुरू कर दी। युवक ने बताया कि उसे सांप ने डस लिया है और वह घर जा रहा है। पुलिस कर्मियों ने उसकी बात पर विश्वास नहीं किया और कहा कि 2000 रुपये दे दो, नहीं तो उसे जाने नहीं दिया जाएगा। खबर के अनुसार पुलिस कर्मी युवक के साथ उसके घर गए, लेकिन घर पर पैसे नहीं थे। इसके बाद युवक ने अपने बड़े भाई को फोन किया तो उसके पास भी पैसे नहीं थे। किसी तरह 700 रुपये का इंतजाम कर पुलिस कर्मियों को दिया गया, लेकिन तब तक युवक को इलाज कराने और उसकी जान बचाने के लिए काफी समय बीत चुका था।
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