उप राष्ट्रपति सचिवालय
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विश्व पर्यटन दिवस 2024 के अवसर पर उपराष्ट्रपति के संबोधन का लिखित रुपांतरण

Posted On: 27 SEP 2024 2:12PM by PIB Delhi

हवाईअड्डों की संख्या दोगुनी करने, रेलमार्गों के संपर्क के लिए विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचा, इसके विभिन्न पहलुओं, राजमार्गों, एक्सप्रेसवे राजमार्गों समेत विभिन्न क्षेत्रों में पिछले दशक में जो बदलाव आया है, वह दुनिया के सर्वश्रेष्ठ मापदंडों से मेल खाता है।

सभी राजनयिक, जिनकी गरिमामयी उपस्थिति के लिए मैं आभारी हूं, पर्यटन के सभी हितधारकों और विशिष्ट दर्शकों.. विश्व पर्यटन दिवस के अवसर पर मैं यह कहना चाहूंगा कि यह पूरे ग्रह के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह मानवता के उन रिश्तों को जोड़ता है, जिनकी इस समय बहुत ज़रुरत है।

यह वैश्विक आर्थिक विकास, सामाजिक प्रगति और सांस्कृतिक आदान-प्रदान पर पर्यटन के गहरे प्रभाव का जश्न मनाने का एक कार्यक्रम है। मित्रों, ये महज़ शब्द नहीं हैं, इनका एहसास आपको ज़मीनी स्तर पर भी होता है। वे मूर्त रूप से परिलक्षित होते हैं। आर्थिक विकास, पर्यटन उद्योग के साथ ही पर्यटन से भी जुड़ा हुआ है।

इस वर्ष का विषय बहुत विचारशील है और इसमें समकालीन प्रासंगिकता, पर्यटन और शांति शामिल है। यह विषय बेहद गहरी विषय को रेखांकित करता है। यह मानव संसाधनों को जोड़ता है, लोगों को जोड़ता है और उसके ज़रिए लोगों का आपस में संपर्क बढ़ता है। यह सद्भाव के लिए अनुकूल है और विचारों के आदान-प्रदान का एक पारिस्थितिकी तंत्र उत्पन्न करता है। लिहाज़ा यह कहना ठीक है कि पर्यटन, शांति स्थापना में बड़े पैमाने पर योगदान देता है। पूरी दुनिया को शांति कायम रखने की ज़रुरत है।

हम विनाशकारी आगजनी के हादसों से आहत हैं। दुनिया के किसी भी हिस्से में लगी किसी भी आग का दर्द, बाकी हिस्से भी महसूस करते हैं। इससे आपूर्ति श्रृंखलाएं बाधित होती हैं, योजनाएं बाधित होती हैं, पीड़ा होती है और इसलिए, पर्यटन और शांति के विषय पर बात करना आज बेहद ज़रुरी है।

यह विषय विशेष रूप से भारत के लिए उपयुक्त है, जो सबसे बड़ा और जीवंत लोकतंत्र है, साथ ही जो दुनिया के एक छठाई हिस्से लोगों का घर है। विश्व स्तर पर पर्यटन एक संपन्न उद्योग है। यह इतना समृद्ध है कि कुछ देश केवल पर्यटन के बल ही विकास कर रहे हैं, उनकी अर्थव्यवस्था पर्यटन से चलती है। जब भारत की बात आती है तो पर्यटन, अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। इस देश ने एक दशक में जिस तेज़ रफ्तार से अभूतपूर्व प्रगति देखी है, उसे प्रशंसनीय माना जा सकता है।

अगर मैं तीन दशक से भी अधिक समय पहले की बात करुं, जिस वक्त मैं 1989 में संसद सदस्य और केंद्र सरकार में मंत्री था, तब हमारी अर्थव्यवस्था का आकार, पेरिस और लंदन शहर से भी छोटा था। जब मैं मंत्रिपरिषद के सदस्य के रूप में जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर गया, तो मुझे सड़कों पर दर्जन भर से ज्यादा लोग नहीं दिखे, जबकि हम डल झील के किनारे एक होटल में ठहरे थे और अब हम देखिए, हम कहां आ गए हैं। पिछले वर्ष दो करोड़ लोग पर्यटक के रूप में कश्मीर घूमने पहुंचे।

आज भारत की अर्थव्यवस्था एक दशक में एक नाजुक अर्थव्यवस्था से उठकर, पाँच सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो चुकी है। अनुमानों के अनुसार अगले दो सालों में, हम जापान और जर्मनी से आगे निकल कर तीसरे स्थान पर होंगे। इस समय भारत का यह रुतबा है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी माना है कि प्रत्येक सरकारी कार्यप्रणाली के लिए सकारात्मक शासन, तकनीकी प्रगति, पारदर्शी और जवाबदेह तंत्र द्वारा भारत के माहौल में बहुत कुछ बदलाव आया है। भारत निवेश और अवसर के लिए एक पसंदीदा वैश्विक गंतव्य बन गया है

इंडिया यानी भारत, आज पर्यटन के लिए पसंदीदा वैश्विक गंतव्य है। आप भारत के किसी भी हिस्से में जाइए, आपको यही महसूस होगा। कार्यक्रम में मौजूद राजनयिक जो विभिन्न हिस्सों में गए हैं, मेरी बात से सहमत होंगे। हमारे पास सभी मौसमों के अनुसार पर्यटन है। आप भारत आइए, जो आध्यात्मिकता का केंद्र हैं, ज्ञान की भूमि, वेदों की भूमि और 5000 सालों की सभ्यता के लोकाचार की भूमि है। आप वर्ष के किसी भी समय आएं, आपको पर्यटन स्थलों पर उत्सव मनाने का अवसर मिलेगा।

इस राष्ट्र का आर्थिक विकास इंजन, जिसे 2047 में एक विकसित राष्ट्र के रूप में पहुंचना है, पर्यटन द्वारा प्रमुख रूप से उसका ईंधन है और मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि आप इन अवसरों और सुविधाओं के प्रयोग में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। और क्यों नहीं? हमारे पर्यटक संसाधनों और पर्यटन स्थलों के प्रसिद्ध होने से ही देश की एक नई पहचान बनेगी।

विश्व में भारत की छवि, एक दशक पहले की छवि से बहुत अलग है। आज भारत के नेतृत्व को विश्व स्तर पर मान्यता मिली है। दुनिया में इस आकार की कौन सी अन्य अर्थव्यवस्था सालाना 8% जीडीपी बढ़ने का दावा कर सकती है? और इसलिए, आने वाले कई वर्षों के लिए भी भारत के लिए ऐसी ही भविष्यवाणी की गई है। आज देश के 1.4 अरब लोगों को शौचालय, बिजली, इंटरनेट, शिक्षा और नल के पानी की सुविधा,  अंतिम छोर तक दी जा रही है। 'हर घर नल, हर नल में जल, जल निश्चित रूप से, जल क्वालिटी का हो', इसी दिशा में देश आगे बढ़ रहा है।

मैंने मंत्री जी को आमंत्रित करता हूं कि वे मेरे गृह जिले झुंझुनू जाएं, बटन दबाइये, मेरी तहसील चिड़ावा जाइये, बटन दबाइये। मेरे गांव किठाना जाइये, बटन दबाइये और देखिए कितने मकानों में है जल के साथ नल। मेरे घर पर तो नाम लिखा था, कुछ घरों में नहीं लिखा था, लेकिन एक चीज जो वहां दिखी, कि काम प्रगति पर है।

इस महान उपलब्धि और साख से प्रेरित होकर,  अब और कठिन कार्य दिए जा रहे है, जहाँ सभी मुद्दों को देखना होगा। अगर मैं हिंदी में कहूं, 'पर्यटन तो बहुत बड़ा रहता है, इस कुंड में हर किसी को आहुति मिलती है और यह आहुति प्राप्त करने का काम आपका है।' '

लेकिन मैं कहना चाहूंगा, अगर हम वैश्विक मानकों के अनुसार चलें, अगर हम अपने पर्यटक संसाधनों का प्रयोग और दोहन करने में कामयाब होते हैं, तो हम तीन समस्याओं का समाधान करेंगे जो हमारे डिजिटलीकरण मॉडल की तरह पूरी दुनिया के लिए एक मॉडल का उदाहरण बनेंगे।

पहला, अर्थव्यवस्था में बड़े पैमाने पर योगदान होगा, बड़े पैमाने पर कौशल उन्नयन होगा और, जैसा कि संकेत हैं, अगर हमारे पास पर्यटन संभालने वाले विशेषज्ञ लोग हैं। हर पर्यटक एक सपना लेकर आता है, वह बाधाओं का सामना करने के लिए नहीं आता है। जरूरत पड़ने पर उन्हें मदद की जरूरत होती है, वे भारत की निर्बाध कामकाजी, विकासात्मक यात्रा चाहते हैं। विभिन्न मूल्यों से इससे मदद भी मिली है। लेकिन मानव संसाधन मायने रखता है और इसलिए, मैं माननीय मंत्री जी से शैक्षणिक संस्थानों से संपर्क करने का आग्रह करूंगा ताकि इस विशेष क्षेत्र से निपटने के लिए आपके उच्च गुणवत्ता वाले, कुशल मानव संसाधन उपलब्ध हो सकें।

हमें इसे बेहद किफायती बनाना होगा, पर्यटन के लिए हमारे माननीय प्रधानमंत्री से बड़ा कोई राजदूत नहीं हो सकता है। उन्होंने लक्षद्वीप में कुछ ही पल बिताए और पूरी दुनिया को इसके बारे में पता चल गया। आपको इस देश के हर हिस्से का पता लगाना होगा, आपके पास भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद, भारतीय विश्व मामलों की परिषद, हमारे विदेशी मिशन और सामान्य सांस्कृतिक केंद्र जैसे संस्थान हैं।

पश्चिम बंगाल राज्य के राज्यपाल के रूप में, मैं दस राज्यों वाले, पूर्वी क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र का अध्यक्ष था। यदि आप मेघालय जैसी जगह पर जाएं, तो आप पानी की शुद्धता से आश्चर्यचकित हो जाएंगे, आप एक ऐसे गांव को देखकर आश्चर्यचकित हो जाएंगे जो पर्यावरण के लिए इतना अनुकूल है। इन दस वर्षों के दौरान भी हमने पर्यटन के क्षेत्र में चमत्कार किये हैं।

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी इस देश की संस्कृति और इतिहास का मिश्रण है। हमारे पास इतनी लंबी सुरंगें हैं, हमारे पास ऐसे पुल हैं, और राजनयिकों ने देखा भी होगा कि अब भारत मंडपम और यशोभूमि का भी उदय हुआ है। कुल मिलाकर हमें विश्व के पर्यटन मानचित्र पर अपना उचित स्थान बनाना होगा, क्योंकि हम सबसे पुरानी सभ्यता हैं।

यूनेस्को का कहना है कि हमारे पास 45 विरासत स्थल हैं, मैं उस संख्या को बिल्कुल भी सीमित नहीं करना चाहता। उन्होंने विज्ञान की मदद से ये स्थान हासिल किया है। यह कई गुना है, जो परिलक्षित भी होता है। अब दुर्गा पूजा आने वाली है, जहां आप जा रहे होंगे। गणेश चतुर्थी, ओणम, होली, दिवाली और मैं आपको बता दूं, ये सभी त्योहार पर्यटन के लिए चुंबकीय आकर्षण हैं।

जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगोलिया गए, उस वक्त एक इतिहास रचा गया। उन्होंने अपने मुख्य त्योहार का जश्न स्थगित कर दिया। उदाहरण के लिए, हमारी दीपावली एक विशेष महीने में होगी। लेकिन इसे एक महीने पहले ही आयोजित किया गया, क्योंकि वे अपने देश की संस्कृति का प्रदर्शन करना चाहते थे।

आपको यहां माननीय प्रधानमंत्री को सुनने का सौभाग्य मिला। उन्होंने शब्दों सही से उकेरा और वर्णित किया है। हमने जो कुछ किया है, उसके सारे संकेत उन्होंने दे दिए हैं और इसलिए, आइए आज के दिन हम प्रतिबद्ध हों कि हम भारत को उस ऊंचाई पर ले जाएंगे, जैसे हम भारत को विभिन्न अन्य क्षेत्रों में ले जा रहे हैं।

आज के दिन अगर मैं कहूं तो जल, थल, आकाश और अंतरिक्ष में भी भारत की धूम मच रही है। यदि हम समुद्र, ज़मीन, आकाश या अंतरिक्ष में होने वाली घटनाओं को देखें, तो हमारी उपलब्धियाँ विश्व स्तर पर गूंज रही हैं। हम अपनी अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के माध्यम से विकसित देशों सहित अन्य देशों के उपग्रहों को लॉन्च करके आर्थिक प्रगति कर रहे हैं। हांलाकि इस स्थिति को बनाए रखने के लिए बहुत कुछ किया जाना है लेकिन पर्यटन के क्षेत्र में मैं कहना चाहूंगा कि भारत को स्वर्णिम बनाने के लिए पिछले 5000 वर्षों से काम किया जा रहा है। पिछले 10 वर्षों में विकास उस स्तर पर पहुंच गया है कि अब उनकी कल्पना को उड़ान भरनी होगी। आपकी उड़ान अंतरिक्ष में होनी चाहिए। आपको प्रयास करना है कि पर्यटन के हर क्षेत्र की पहचान बने और उसे प्रभावशाली तरीके से जाना जाए और मुझे विश्वास है कि आप हमारे विदेशी मिशनों को भी मिशन मोड में लाएंगे। यह हमारी अर्थव्यवस्था को, एक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए प्रेरित करेगा। भारत द्वारा अपनी स्वतंत्रता की शताब्दी मनाने से बहुत पहले ही हम इसे हासिल करने के लिए नियत हैं।

लंबी छलांग लगाने का एक तरीका ये है कि विभिन्न क्षेत्रों में कार्यबल स्थापित किया जाए, जो जमीनी परिस्थितियों का मूल्यांकन कर सके, एक सहक्रियात्मक रुख उत्पन्न कर सके और परिणाम दे सके। मुझे विश्वास है कि भविष्य में ऐसा ही होगा।

लोग लंबे वक्त तक रोजगार की तलाश करते हैंहमने सोचा कि एकमात्र रोजगार जो उपलब्ध था, वह सरकारी सेवा थी। मुझे आश्चर्य है कि अगर विश्व बैंक कहता है कि भारत निवेश और अवसर का एक पसंदीदा गंतव्य है, तो निश्चित रूप से यह सरकारी नौकरियों तक ही सीमित नहीं है। इसका अर्थ है कि अवसर और भी है।

पर्यटन अवसरों की एक श्रृंखला प्रदान करता है, जहां आप मूल्यवर्धन कर सकते हैं। हमारे उत्पादों के लिए पर्याप्त बाजार है। मैं दो दिन पहले उत्तर प्रदेश में एक एक्सपो में गया था, वहां मुझे प्रधानमंत्री के एक जिला, एक उत्पाद के सपने की जमीनी हकीकत पता चली। मैंने 75 जिलों के 75 उत्पाद देखे, और मन नहीं किया कि उनसे अलग हटा जाए। घास का काम, पीतल का काम। मैं कल एक संस्थान  में गया, बांस से क्या खूबसूरत लकड़ी बनती है! वो सागौन से ज्यादा मजबूत है। मुझे पूर्वोत्तर राज्य की प्रदर्शनी देखने के लिए सूरजकुंड जाने का अवसर मिला, पर्यटकों की नज़रे टिकी रह जाती हैं। क्या करिश्माई काम है, टूरिस्ट देखते रह जाते हैं।

हमें वैश्विक शांति और सद्भाव के लिए इसका प्रयोग करना होगा, क्योंकि हमारे लोकाचार क्या कहते हैं? हमारी संस्कृति क्या कहती है- अतिथि देवो भव। इसीलिए जी20 के दौरान जो हुआ, वह उपराष्ट्रपति के रूप में मेरे लिए संतुष्टिदायक था। दो सौ से अधिक विदेशी प्रतिनिधिमंडलों ने हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश का दौरा किया, वे हमारे व्यंजनों, हमारी सांस्कृतिक संपदा और हमारे पर्यटन स्थलों से अवगत हुए और उनके पास केवल एक ही चीज़ थी, हमारे लिए प्रशंसा। बिना किसी हिचकिचाहट के यह संकेत दिया गया कि हमारे द्वारा स्थापित बेंचमार्क बहुत ऊंचा था और इसे हासिल करना मुश्किल था।

इसलिए, आपकी संतुष्टि का स्तर भी हर दिन बदलता रहना चाहिए, जब आप एक स्तर पर पहुँचते हैं, तो इसे अगले स्तर पर जाना चाहिए। गजेंद्र जी, आपका मंत्रालय, मेरे अनुसार, रोजगार पैदा करने वाला बनेगा, उद्यमिता और बढ़ेगी। जब मूल्य संवर्धन की बात आती है तो यह नवप्रवर्तन की ज्वाला साबित होगी और यह पूरे देश के लिए एक अतिरिक्त लाभ होगा।

फाउंडेशन, अतिथि देवो भव, आपका कार्यक्रम बेहद अच्छा है। अपना देश, स्वदेश दर्शन, आध्यात्मिक पर्यटन, चिकित्सा पर्यटन, धार्मिक पर्यटन, बेहद ऊंचे मानक, हमारे धार्मिक स्थानों के रखरखाव में चौतरफा उत्थान हो रहा है। इन कदमों के परिणामस्वरूप घरेलू पर्यटन को ज्यामितीय आयाम मिला है।

इसलिए, मैं विश्व पर्यटन दिवस पर आपकी सराहना करते हुए और उपस्थित सभी लोगों को बधाई देते हुए सभी से पर्यटक बनने की अपील करता हूं। यात्रा से बड़ी कोई शिक्षा नहीं है। पर्यटन से बड़ा कोई सहज जुड़ाव नहीं है, आपको एक सुखद अहसास मिलता है, जिससे आप तनावमुक्त हो जाते हैं। जब आप हिमाचल प्रदेश या उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, मिजोरम, मेघालय, केरल में समय बिताते हैं तो आप तनाव मुक्त रहते हैं। मैं अपने गृह राज्य राजस्थान सहित इन सभी राज्यों के नाम बता सकता हूं।

मित्रों, मुझे इस अवसर पर खुशी है कि हम इस देश में हर किसी के जीवन को आसान बनाने के लिए तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। हम उस श्रेणी के लोगों के लिए व्यापार, व्यापार में आसानी, जीवनयापन में आसानी की सुविधा प्रदान कर रहे हैं, जिन्होंने कभी सोचा भी नहीं था कि उन्हें रसोई गैस दी जाएगी, किफायती आवास मिलेगा, लेकिन उन्हें ये सब दिया जा रहा है।

जो सुविधाएं आम तौर पर शहरी जीवन से जुड़ी होती हैं, वे गांवों में भी उपलब्ध हैं, मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि आपके महान प्रयासों से गांवों को भी जबरदस्त फायदा होगा। आप सभी को बधाई, और उससे भी अधिक आपके धैर्य के लिए।

धन्यवाद

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एमजी/आरपीएम/केसी/एनएस


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