उप राष्ट्रपति सचिवालय
अंतर्राष्ट्रीय रणनीतिक सहभागिता कार्यक्रम (इन-स्टेप) के प्रतिभागियों के साथ बातचीत में उपराष्ट्रपति के संबोधन का मूल पाठ (अंश)
Posted On:
27 SEP 2024 4:50PM by PIB Delhi
प्रतिष्ठित प्रतिभागियों,
इस अंतर्राष्ट्रीय रणनीतिक सहभागिता कार्यक्रम (इन-स्टेप) के उद्घाटन समारोह में आप सभी प्रतिभागियों के बीच उपस्थित होना मेरे लिए सौभाग्य की बात है क्योंकि यह रणनीतिक महत्व के मामलों में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं समझ को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस क्षेत्र में पर्यावरण हर मिनट बदल रहा है, तकनीकी प्रगति के कारण आज चुनौतियां बिल्कुल अलग प्रकृति की बन चुकी हैं।
यह समारोह आपको एक अवसर प्रदान करेगा। अगर हम संरचना के आधार पर देखें, तो इस समारोह में 21 देशों के 27 अंतर्राष्ट्रीय प्रतिनिधि और 11 वरिष्ठ भारतीय सैन्य एवं नागरिक अधिकारी शामिल हैं। यहां आपकी उपस्थिति वैश्विक शांति, सुरक्षा एवं स्थिरता के लिए हमारी साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो मानवता और हमारी पृथ्वी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
शांति एवं सद्भाव के बारे सोचना विवेकशील मानवता के लिए मौलिक बातें है। वैश्विक शांति सतत विकास की गारंटी है और अस्तित्व का एकमात्र मार्ग है। शांति और अहिंसा के दूत महात्मा गांधी की भूमि पर आयोजित यह समारोह बहुत महत्वपूर्ण है।
आप मुझसे ज़्यादा जानते हैं; शक्तिशाही स्थिति के माध्यम से ही शांति को सबसे अच्छी तरह सुरक्षित रखा जा सकता है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोच्चता प्रदान करता है। भू-राजनीतिक विन्यास और टकराव ने सुरक्षा दृष्टिकोण को बहुत बदल दिया है।
कमांडेंट ने वर्तमान परिदृश्य और मंडराते खतरों के बारे में संक्षेप में बताया। कुछ वर्षों पहले तक यह हमारी कल्पना से परे था लेकिन आज हमें नहीं पता कि आने वाले पल में क्या होने वाला है।
इस क्षेत्र में हो बदला रहे बदलाव को देखते हुए, बहुपक्षीय जुड़ाव राष्ट्रीय सुरक्षा के एक बाध्यकारी पहलू बनकर उभरा है। पूर्व काल में देश पारंपरिक तरीके से और अपने दम पर खतरों से निपट लेते थे, लेकिन अब कई कारणों से इसमें बदलाव आया है, संपर्क, विघटनकारी तकनीक और पारंपरिक युद्ध पूरानी बातें हो चुके हैं।
इन-स्टेप विभिन्न पृष्ठभूमि वाले डोमेन विशेषज्ञों को अपने विचारों का आदान-प्रदान के लिए एक मूल्यवान मंच प्रदान करता है। यह सुरक्षा संबंधी पहलुओं में तेजी से हो रहे बदलावों एवं चुनौतियों की जानकारी प्राप्त करने और क्षितिज को व्यापक बनाने के लिए खुले एवं रचनात्मक संवाद का अवसर है। यह नवाचार करने, धारणाओं को चुनौती देने और समग्र समाधान तक पहुंचने का अवसर है।
इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए यह पहल बहुत ही प्रासंगिक है। इसलिए यह आयोजन स्थल भी प्रासंगिक है- भारत, जहां विश्व की छठी आबादी निवास करती है और जो सबसे ज्यादा कार्यशील और सबसे बड़ा लोकतंत्र है, जिसका ट्रैक रिकॉर्ड हमेशा ही वैश्विक शांति एवं सद्भाव रहा है और वह इसके लिए हमेशा तत्पर रहा है।
देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मानना है कि वैश्विक विवादों का समाधान केवल संवाद और कूटनीति के माध्यम से ही संभव है। उन्होंने विश्व को बताया है कि भारत का ट्रैक रिकॉर्ड दर्शाता है कि हमारे देश ने कभी विस्तारवादी नीति में विश्वास नहीं किया है। लेकिन इस समय विश्व में कुछ ऐसे भी देश हैं जिनकी नीति में विस्तारवाद शामिल है। आपको इन कठोर विषयों पर विचार करने के लिए पर्याप्त अवसर प्राप्त होंगे।
इन-स्टेप, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय, विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास है।
मैं राष्ट्रीय रक्षा महाविद्यालय और विवेकानंद अंतर्राष्ट्रीय फाउंडेशन के प्रति अपनी गहरी कृतज्ञता प्रकट करना चाहता हूं - यह एक महान नीति थिंक टैंक है, जो बहुत दूरदर्शी है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में महान प्रतिभाएं शामिल हैं, जिन्होंने इस कार्यक्रम को तैयार करने में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है।
मुझे लगता है कि इस पाठ्यक्रम के दौरान, आपको भू-राजनीति एवं सुरक्षा चुनौतियों से लेकर कूटनीतिक वार्ता एवं संघर्ष समाधान रणनीतियों तक विविध विषयों को शामिल करने वाली चर्चाओं, संगोष्ठियों एवं संवादात्मक सत्रों की श्रृंखला में शामिल होने का अवसर प्राप्त होगा।
संकल्प पर विचार-विमर्श को तब और ज्यादा मजबूती मिलती है जब खुलेपन के साथ दूसरे दृष्टिकोण पर भी विचार-विमर्श किया जाता है। वैश्विक रूप से देखा गया है कि विशेष रूप से वर्तमान समय में, दृष्टिकोण कठोर है, लचीलापन का अभाव है।
इन सभी क्षेत्रों में, जो विवादों का समाधान करने के लिए महत्वपूर्ण हैं, शांति सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण हैं, ताजा हवा, ताजा नवाचार और ताजा रणनीतिक विकास की आवश्यकता है। आपको इन महत्वपूर्ण पहलुओं पर अपने विचारों को साझा करने का अवसर मिलेगा।
मित्रों, जैसा कि हम ज्ञान के आदान-प्रदान और सहयोग की इस यात्रा में आगे बढ़ रहे हैं, आज के जटिल भू-राजनीतिक परिदृश्य में ऐसी पहलों के महत्व पर विचार-विमर्श करना अनिवार्य है।
मुझे लगता है कि यहां उपस्थित किसी भी व्यक्ति ने आज की स्थिति की कल्पना नहीं की होगी। हमने कभी इसका सपना भी नहीं देखा होगा। ऐसा लगता है कि हम एक ऐसी दुनिया में हैं जो अचानक हमारे सामने रडार पर आ गई है।
आज विश्व अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रहा है, जलवायु परिवर्तन, महामारी, आग, ग्लेशियरों का पिघलना, आतंकवाद, साइबर खतरा, साइबर अपराध और वैश्विक व्यवस्था में व्यवधान आदि। और सबसे खतरनाक पहलू यह है कि ये सब अचानक या अनौपचारिक नहीं हैं।
ये हमारी सत्ता प्राप्ति की लापरवाह कोशिश या विघटनकारी नीति के कारण उत्पन्न हुए हैं, क्योंकि ये लाभप्रद होते है।
इस प्रक्रिया में, विकसित हो रहा सूचना परिदृश्य, विशेष रूप से सोशल मीडिया, नरेटिव्स और इंटरैक्शन्स को नया आकार देकर इन मुद्दों को ओर जटिल बनाया जाता है। हानिकारक प्रेरणाओं वाली भयावह संरचनाओं के लिए विघटनकारी तकनीकों के त्वरित अनुप्रयोग की आवश्यकता होती है। आपको निश्चित रूप से मशीन लर्निंग जैसी किसी वस्तु की आवश्यकता है, जो किसी ऐसे नरेटिव्स को बेअसर कर सके, जिसका कोई तथ्यात्मक आधार न हो, लेकिन यह भावनात्मक तरंगें भी उत्पन्न कर सकता है, लोगों को युद्धोन्माद में डाल सकता है और एक अलग तरह का पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण कर सकता है जो पूरे समाज और दुनिया के लिए ख़तरनाक साबित हो सकता है।
तेजी से हो रही तकनीकी प्रगति, बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य और अभूतपूर्व वैश्विक अंतर्संबंधों के युग में, वैश्विक समुदाय इन असंख्य जटिल मुद्दों का सामना कर रहा है। जलवायु परिवर्तन जैसी कुछ चुनौतियां हमारे अस्तित्व के लिए चुनौतियां हैं।
इस संदर्भ में, सहयोगात्मक कार्रवाई और सामूहिक समाधान बहुत महत्वपूर्ण हैं।
इन-स्टेप बहुपक्षवाद, सहयोग एवं संवाद के प्रति हमारी साझा प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है, जो प्रभावी नीति-निर्माण एवं संघर्ष समाधान की आधारशिला है। इसे पहले देशों को एक साथ आने और सार्थक संवाद में शामिल होने की आवश्यकता कभी इतनी ज्यादा नहीं थी। समय बीतता जा रहा है और चीजें दिन-प्रतिदिन खतरनाक होती जा रही हैं।
एक कहावत है, अगर आप गलत रास्ते पर चलते हैं, तो जितना ज्यादा आप यू टर्न लेंगे, उतना ही ज्यादा आप पीड़ित होंगे। यह वैश्विक यू टर्न का समय है, शांति, सद्भाव, पृथ्वी संरक्षण, सभी की खुशहाली सुनिश्चित करने के लिए सतत विकास के लिए यू टर्न। हमारे महान नेता महात्मा गांधी ने कहा था कि हमारी धरती में सभी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सब कुछ है लेकिन लालच को पूरा करने के लिए नहीं। अभी हम अपने लालच से संचालित हो रहे हैं। अनियंत्रित दोहन एवं प्राकृतिक संसाधनों का दोहन इस सोच के साथ किया जा रहा है कि यह मेरे देश का मुद्दा नहीं है, यह दूसरे देश का मूद्दा हो सकता है, जबकि यह भूल जाते हैं कि हम एक इकाई हैं - वसुधैव कुटुम्बकम (एक परिवार एक भविष्य) और इसलिए यह अलग-अलग सोच रखने का समय या अवसर नहीं है। इससे हम आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित करेंगे, हम खाद्य सुरक्षा के मुद्दे को प्रभावित करेंगे और आबादी को पूरी तरह प्रतिकूल रूप से प्रभावित करेंगे।
इस कार्यक्रम के प्रतिभागी विविध पृष्ठभूमि, अनुभव और दृष्टिकोणों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो हमारे वैश्विक समुदाय की समृद्धि को दर्शाते हैं। ऐसे व्यापक प्रतिनिधित्व को देखना बहुत ही उत्साहजनक है, जो अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समझ को बढ़ावा देने के लिए हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता का संकेत है।
मुझे इसमें शामिल होने वाले देशों की विविधता की सराहना करने के लिए कुछ समय दें: अर्जेंटीना, आर्मेनिया, बोत्सवाना, ब्राजील, चिली, गुयाना, इंडोनेशिया, इराक, मलेशिया, मालदीव, मॉरीशस, म्यांमार, नेपाल, नाइजीरिया, ओमान, श्रीलंका, ताजिकिस्तान, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, युगांडा, वियतनाम और भारत।
इनमें से प्रत्येक देश के पास एक अद्वितीय परिप्रेक्ष्य, संस्कृति और चुनौतियां है, और इन-स्टेप जैसे मंचों के माध्यम से हम मित्रता एवं सहयोग के बंधन में बंध सकते हैं जो सीमाओं से परे हैं।
प्रत्येक देश अपने नागरिकों की शांति, सुरक्षा और विकास की आकांक्षा रखता है। शांति एवं सुरक्षा वृद्धि के लिए मौलिक हैं, विकास के लिए मौलिक हैं।
अगर शांति भंगुर है और सुरक्षा कमज़ोर है, तो किसी भी देश का राष्ट्रीय मानव संसाधन के लिए माहौल बहुत ही चुनौतीपूर्ण बन जाता है। ये बड़े लक्ष्य नहीं हैं लेकिन ये आवश्यक हैं। मैं कहना चाहूंगा कि ये न्यूनतम आवश्यक चीज़ें हैं जिनके आधार पर हम अपनी समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं। इन्हीं बुनियादों चीजों से समाज का निर्माण होता है।
जैसा कि हम देख रहे हैं, वर्तमान परिदृश्य निसंदेह बहुत भयावह है। आज विश्व में अस्थिरता, अनिश्चितता, जटिलता, अस्पष्टता का माहौल व्याप्त है और इस परिदृश्य में, शांति एवं सद्भाव की आकांक्षाओं को प्राप्त करना पहले से कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण बन चुका है।
और इसके लिए मानवीय प्रतिभा की आवश्यकता होती है जो किसी प्रकार की चुनौतियों का सामना करें उससे विचलित न हों। मानवीय भावना, मानव जीवन का सार सबसे कठिन परिस्थितियों में भी जीवित रहना है।
हालांकि, अस्थिरता, अनिश्चितता, जटिलता एवं अस्पष्टता से भरपूर आज की दुनिया में, इन आकांक्षाओं को प्राप्त करना पहले से कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।
वर्तमान परिवेश हमारे सामने बहुआयामी और परस्पर संबद्ध चुनौतियां प्रस्तुत कर रहे हैं, जिनसे निपटने के लिए व्यापक एवं समन्वित प्रतिक्रिया देने की आवश्यकता है।
इसलिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि हम इन जटिलताओं का विश्लेषण करें और ऐसी रणनीतियां बनाएं जो बदलती परिस्थितियों के लिए अनुकूल हो और साथ ही हमारे मूल मूल्यों और सभ्यतागत लोकाचार के प्रति ईमानदार हों।
इसके लिए पारंपरिक सोच में बदलाव लाने की आवश्यकता है। अपने संसाधनों, विशेषज्ञता और अनुभवों को एकत्रित करके, हम साझा चुनौतियों का समाधान करने और साझा अवसरों का फायदा प्राप्त करने के लिए सामूहिक शक्तियों का लाभ उठा सकते हैं।
भारत ने अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत एवं सभ्यतागत लोकाचार के साथ लंबे समय से "वसुधैव कुटुम्बकम" के सिद्धांत का पालन करता रहा है - यह विश्वास कि ‘विश्व एक परिवार है’।
इस प्रेरणादायक दर्शन को वैश्विक समुदाय ने भारत की जी-20 की एक वर्षीय अध्यक्षता के दौरान देखा है, जिसने सही मायने में ‘वैश्विक दक्षिण’ की आवाज़ के रूप में भारत की भूमिका को स्थापित किया है। वैश्विक दक्षिण को केंद्र में रखना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का एक दूरदर्शी कदम है।
अफ्रीकी संघ को जी-20 का सदस्य बनाया गया, यूरोपीय संघ पहले से ही इसमें शामिल था। मैं आपके लिए एक विचार रखता हूं, यूरोपीय संघ के देशों की संरचना को देखें और अफ्रीकी संघ के देशों की संरचना को देखें- अगर आप इनके ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में जाएंगे तो आपको अंतर का पता चलेगा।
प्रधानमंत्री मोदी भारत देश के सदियों पुराने लोकाचार में विश्वास करते हैं कि दुनिया एक है। यह सिद्धांत अंतरराष्ट्रीय संबंधों के प्रति भारत के दृष्टिकोण को रेखांकित करता है, जिसमें सहयोग, समावेशिता और आपसी सम्मान पर बल दिया गया है। भारत का मानना है कि इसकी समृद्धि और नियति आंतरिक रूप से अन्य देशों, विशेष रूप से विकासशील देशों की भलाई के साथ जुड़ी हुई है।
इस प्रकार, भारत वैश्विक स्तर पर शांति, स्थिरता एवं समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए समान विचारधारा वाले देशों के साथ जुड़ने के लिए प्रतिबद्ध है।
अपने हितों और मूल्यों को संरेखित करते हुए, हम वैश्विक मंच पर अपनी सामूहिक आवाज को बुलंद कर सकते हैं और अंतर्राष्ट्रीय मामलों में इस तरह से आकार दे सकते हैं जो हमारी साझा आकांक्षाओं को दर्शाता हो।
खुले एवं रचनात्मक संवाद में शामिल होकर, हम अपने दृष्टिकोण को व्यापक बना सकते हैं, अपनी पूर्वधारणाओं को चुनौती दे सकते हैं और अंततः अपने सामने उत्पन्न होने वाली जटिल चुनौतियों से निपटने के लिए ज्यादा समग्र एवं प्रभावी समाधान तक पहुंच सकते हैं।
आज हम जो निर्णय लेंगे वह हमारी आने वाली पीढ़ियों के लिए हमारे राष्ट्रों और विश्व की दिशा निर्धारित करेंगे।
सहयोग, समझ और आपसी सम्मान को बढ़ावा देकर हम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक ज़्यादा शांतिपूर्ण, समृद्ध एवं सुरक्षित विश्व का निर्माण कर सकते हैं और यह हमारा परम कर्तव्य है। हमें एक ट्रस्टी के रूप में अपनी अगली पीढ़ी को खुशहाल विश्व सौंपना है।
यहां गुजारा गया आपका समय आपको समृद्ध, ज्ञानवर्धक और सशक्त बनाने वाला हो। और इस कार्यक्रम के दौरान स्थापित हुई मित्रता एवें सहयोग का बंधन इस कार्यक्रम के समापन के बाद भी लंबे समय तक बना रहे, यही कामना करता हूँ।
धन्यवाद। जय हिंद!
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एमजी/आरपीएम/केसी/एके
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