उप राष्ट्रपति सचिवालय
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नई दिल्ली के एनएएससी कॉम्प्लेक्स में आयोजित 83वें सीएसआईआर स्थापना दिवस समारोह उपराष्ट्रपति के संबोधन का लिखित रूपातंरण

Posted On: 26 SEP 2024 3:06PM by PIB Delhi

सभी को सुप्रभात,

मेरे लिए इससे ज्यादा खुशी की बात और कुछ नहीं हो सकती, क्योंकि इस कमरे में मौजूद प्रत्येक व्यक्ति मेरा आदर्श है। आपका योगदान मज़बूत भारत की रीढ़ है, खामोशी से किए जा रहे आपके कार्य का प्रभाव, अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति तक महसूस किया जा सकता है, आपसे प्रयास से भारत में बदलाव आ रहा है। मेरे लिए यहां होना एक महान अवसर है,  जो कि एक बेहद विशिष्ट प्रीमियम प्लैटिनम श्रेणी है, जो दुनिया के एक छठाई भाग जनसंख्या के घर, भारत के विकास के इतिहास को परिभाषित कर रही है।

भारत सरकार के मुख्य वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय के सूद को नागरिक सम्मान पद्म श्री से सम्मानित करने का फैसला सर्वश्रेष्ठ हैं, क्योंकि वे इस सम्मान के योग्य हैं। हांलाकि समय सीमा के चलते उनका भाषण संक्षेपित, लेकिन बेहद प्रेरणास्पद था। उन्होंने बताया कि सभी हितधारकों में एकरुपता साफ देखी जा सकती है, जो भारत के उदय की दिशा में निरंतरता सुनिश्चित करती है।

डॉ. के. राधाकृष्णन का व्याख्यान, बुद्धिमत्ता के लिए एक उपहार साबित होगा, जो एकता के साथ सामंजस्य करने की बात करता है। सामंजस्य का मतलब अपने दृष्टिकोण को अपने अंदर रखना नहीं है बल्कि, सामंजस्य का अर्थ दूसरों को भी अपना दृष्टिकोण रखने के लिए पर्याप्त स्थान देना है। किसी के दृष्टिकोण को अगर नहीं अपनाना है तो भी उसे अचानक कहने के बजाय, सम्मानपूर्वक ज़ाहिर  करना चाहिए। यह सभी मूल्य एक समूह में काम करने से ही आते हैं, तभी एक टीम के रुप में तालमेल बिठाकर आगे बढ़ा जा सकता है और उनसे सबक लिया जा सकता है। 

मैंने अपनी टीम को इसे रिकार्ड करने के लिए निर्देशित किया है। मैं और राज्यसभा एवं संसद के मंच के माध्यम से लाखों लोग इसे देख सकेंगे।

सीएसआईआर की महानिदेशक डा. एन कलईसेल्वी को हम निरंतर एक जुनून, मिशन और क्रियान्वयन की भावना के साथ कार्य करते  हुए देखते हैं।

मुझे बहुत अच्छी तरह से अपनी यात्रा याद है, जहां वे भी थीं। मैंने वहां स्वयं देखा कि उनकी टीम कितने कौशल के साथ काम करती है और उनमें कितना सामर्थ्य है। मुझे देहरादून जाने का भी अवसर मिला, जहां वे उपस्थित नहीं थी ,लेकिन हमें उनपर गर्व हैं क्योंकि उन्होंने टीम भावना दिखाते हुए कभी भी किसी भी सफलता का श्रेय खुद नहीं लिया। इन भारतीय परंपरागत मूल्यों ने मेरे दिल को छू लिया।

डा. जी महेश, सीएसआईआर स्थापना दिवस समारोह के अध्यक्ष हैं। हम डा. माशेलकर की तरह हर उस विशिष्ट व्यक्तित्व की, यहां उपस्थिति के प्रति सम्मान व्यक्त करते हैं, जिन्होंने सीएसआईआर की मज़बूत नींव रखी।

डा. समीर ब्रहमचारी हमारे बीच में हैं। कार्यक्रम में मौजूद सभी लोग खासकर आगे की पंक्ति में बैठे गणमान्य व्यक्तियों का हम स्वागत करते हैं। जिस प्रकार शिक्षा कभी खत्म नहीं होती, वह तब भी खत्म नहीं होती, जब किसी संस्थान को छोड़ देते हैं। ये एक निरंतर प्रक्रिया है, जिस दौरान हम हमेशा सीखते हैं। इसी प्रकार कुछ लोगों ने भले ही सीएसआईआर को छोड़ दिया है, लेकिन उनका इस महान संस्थान के साथ रिश्ता हमेशा रहेगा।

मैं यहां केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड के अध्यक्ष श्री जैन का विशेष रुप से उल्लेख करना चाहता हूं। माननीय मंत्री जी, जो इस क्षेत्र के प्रति बहुत उत्साहित हैं, वे यहां आना चाहते थे, लेकिन वे अतिमहत्वपूर्ण व्यस्तताओं के चलते नहीं आ सके।

देश के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक, शोधकर्ता, कर्मचारीगण और कार्यक्रम में मौजूद सभी लोगों समेत पूरे वैज्ञानिक समुदाय को मेरी शुभकामनाएं। हम आप सभी के योगदान के लिए आभारी हैं, जिनकी वजह से आज हम विकसित भारत का ये स्वरूप देख पा रहे हैं। यह दिन केवल सीएसआईआर के लिए विशेष नहीं है, बल्कि पूरे राष्ट्र के लिए एक खास दिन है क्योंकि अगर हम अपने इतिहास के पन्नों में देखें, तो हमें ज्ञात होगा कि हमारे पास वैज्ञानिक शक्ति थी। हम वैश्विक नेता थे, हम वैज्ञानिक ज्ञान के मामले में वैश्विक केंद्र थे। हमारे द्वारा की गईं खोजों और आविष्कारों ने दुनिया को गौरवान्वित किया। फिर हम कहीं रास्ता भूल गए, लेकिन हम फिर से अपने तरक्की के मार्ग पर आ रहे हैं।

यह आपका स्थापना दिवस है, लेकिन यह भारत की मजबूत नींवों से अटूट रूप से जुड़ा हुआ है। आप उस सबसे जीवंत और प्रभावशाली लोकतंत्र की मजबूत नींव को और मजबूत कर रहे हैं। आप उस राष्ट्र की नींव को मजबूत कर रहे हैं, जिसमें इस तरह का विकास पहले कभी नहीं देखने को मिला और विकास का ये सफर रुकने वाला नहीं है। यह उन्नति , जल्दी नहीं तो भारत को वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाकर अपने शीर्ष पर पहुंचेगी।

मैं यहां आपकी और आपसे संबंधित संस्थानों की गतिविधियों को देख पा रहा हूं। यह इस बात का सुबूत है कि हम विज्ञान की दुनिया में अपनी पूर्व प्राचीन महिमा को फिर से हासिल करने की ओर बढ़ रहे हैं। जैसा कि मैंने कहा, आपके योगदान बेहद चुपचाप तरीके से जारी है, लेकिन वे भौतिक रूप से, सकारात्मक रूप से और स्पष्ट रूप से 1.4 बिलियन लोगों के जीवन पर प्रभाव डालती हैं। यहां मैं आपके लिए 'साइलो' शब्द का सकारात्मक अर्थ में उपयोग कर रहा हूं।

सीएसआईआर को वैज्ञानिक और कल्पनाशील राष्ट्र के लिए एक कैटलिस्ट के रूप में परिभाषित किया जा सकता है। सी से कैटालिस्ट, एस से साइटिंफिकली, आई से इमेजिनेटिवली और आर से राष्ट्र।

गणमान्य अतिथियों, यह मेरे लिए बेहद सम्मान और विशेषाधिकार की बात है, और यह मेरी यादों में सदैव बना रहेगा, कि मैं सीएसआईआर के 83वें स्थापना दिवस का हिस्सा बन रहा हूं। यह पूर्व उपलब्धियों को याद करने और उनकी सराहना करने के साथ ही भविष्य की योजनाओं के लिए, राष्ट्र के उत्थान और वैश्विक उत्थान में और भी महत्वपूर्ण रूप से शामिल होने के लिए एक रोडमैप खोलने का भी अवसर है, क्योंकि भारत की भावना वासुदेव कुटुम्बकम पर आधारित है।

साल 1960 में जब मैं कक्षा चार में था, तब शुरू हुई यात्रा आज जहां पहुंच चुकी है, वह आप सभी द्वारा किए गए कठिन परिश्रम की वजह से संभव हुआ है। मुझे पूरी तरह से यह जानकारी है कि आपने किस प्रकार की समस्याओं का सामना किया है, किस प्रकार की चुनौतियों का सामना किया है और किस प्रकार दिन रात कठिन परिश्रम करने के बावजूद, उस वक्त के माहौल में आपको पहचान नहीं मिल पाई। इसलिए ये देखकर एक सुखद अहसास होता है कि पिछले कुछ वर्षों में वैज्ञानिक समुदाय के लिए पहचान बढ़ गई है। अब इसमें कई तरीकों से वृद्धि हुई है, जिसका एक सुबूत  ये भी है कि सरकार अब इस पर गंभीरता से ध्यान दे रही है। प्रधानमंत्री का दिल और उनकी आत्मा, वैज्ञानिक समुदाय से गहराई से जुड़े हुए हैं। मानवता के लिए मायने रखने वाली आपकी शक्ति, कुशलता और वैज्ञानिक दृष्टिकोण में उनका विश्वास साफ दिखाई देता है। इसीलिए मुझे यकीन है कि ये हमारा अच्छा समय है।

अब मौजूद वक्त में एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें हमारे वैज्ञानिक अपनी रचनात्मक ऊर्जा का पूरा प्रयोग करते हुए देश के सर्वांगीण विकास के लिए अपने कौशल का इस्तेमाल कर सकते हैं। विषयवस्तु पर आधारित प्रदर्शनी को देखकर मुझे हैरानी तो नहीं हुई, परंतु वहां प्रदर्शित की गई अनूठी सामग्रियों को देखकर अचंभा ज़रुर हुआ। कल्पना कीजिए कि बांस से आप फर्श तैयार कर सकते हैं या टीक सागौन की लकड़ी से भी बेहतर गुणवत्ता वाली चीज़े बना सकते हैं, जो 40 साल या उससे भी अधिक वक्त तक चले। इससे किसानों को मदद मिलती है और वैभव आता है। मैं इस वक्त सिर्फ एक उदाहरण दे रहा हूं। वहां ऐसे ना जाने कितने ही उदाहरण मौजूद थे, जिन्हें देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता हुई।

ये विकास हमारे और राष्ट्र के आत्मविश्वास की भी पुनः पुष्टि करते हैं, कि भारत आज दुनिया के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। आपकी अत्यधिक उपलब्धियाँ देखकर मैं ये कह सकता हूं कि कुछ समय बाद  अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में हमें वह पहचान मिलेगी, जो हमें मिलनी चाहिए। हम तेज़ी से इसकी ओर बढ़ रहे हैं, लेकिन अभी बहुत कुछ करना बाकी है। इसके लिए हमें कौशल क्षमताओं को मिलाना होगा और एक साथ मिलकर काम करना होगा। जब वे उचित आर्थिक योगदान के साथ मिलकर काम करेंगी, तभी यह संभव होगा।

मुझे खुशी है कि प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार, इस मिशन में आपके साथ है। क्योंकि भले ही ये बात शायद आपको अवगत नहीं हो, और यह समाचारों में शायद नहीं आया हो, लेकिन जब बात आपके वैज्ञानिक समुदाय के लिए सब कुछ सुरक्षित करने की आती है, तो वह आपके स्टार बैट्समैन है।

मैं संक्षेप में बजट 2024-25 का संदर्भ देना चाहूंगा। जब बजट तैयार होता है, तो हमेशा बहुत सारे दावेदार होते हैं। मुझे भरोसा है कि उन्होंने आपके लिए संघर्ष किया होगा, अधिकार प्राप्त किया और अब ये सिलसिला आगे ही बढ़ेगा। इससे बजट को मज़बूती मिलती है नवाचार, अनुसंधान और विकास..इसी से राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन की शुरुआत हो गई है। मैं इस बात को यहीं खत्म करता हूं। आपको ज्ञात होगा जब कोई बच्चा भी चलने की शुरूआत करता है तो उसे खड़ा होने में सालों लग जाते हैं। मैं उनको मुबारकबाद देता हूं कि उन्होंने सरकार के समक्ष आपकी वकालत की। मुझे खुशी है कि आप उनके साथ हैं।

देश या दुनिया के किसी भी राष्ट्र की की वृद्धि का इंजन, विज्ञान और प्रौद्योगिकी द्वारा ही चल सकता है। इससे अनुसंधान और विकास पर ध्यान केंद्रित करना अत्यधिक महत्वपूर्ण हो जाता है। मैं आपको इस मंच से आग्रह करता हूं कि आप आगे आकर अनुसंधान और विकास में उचित निवेश करें। मैं उस वक्त की कल्पना करता हूं जब हमारे कार्पोरेट, विश्व के शीर्ष 20 कार्पोरेट घरानों में शामिल होंगे और अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में निवेश करेंगे। इसका अर्थ यह नहीं है कि अभी वे कुछ नहीं कर रहे हैं, आज भी वे बेहतर कर रहे हैं। ऑटोमोबाइल और सूचना प्रौद्योगिकी में बहुत कुछ किया जा रहा है, लेकिन हमारे देश के आकार, उसकी क्षमता, उसकी स्थिति और विकास की दिशा जिस मोड़ पर है, हमारे कॉर्पोरेट्स को अनुसंधान और विकास क्षेत्र में और योगदान देने की ज़रुरत है।

अनुसंधान और विकास में निवेश दीर्घकालिक है और इसका एक और फायदा है: सॉफ्ट डिप्लोमेसी। अगर आप कुछ उपलब्धि हासिल करते हैं, तो बाकी राष्ट्र आपकी ओर आकर्षित होते हैं। हमारे पास वह शक्ति है। आजकल अनुसंधान और विकास, सुरक्षा के साथ बेहद गहराई से जुड़ा हुआ है। इसलिए निवेश विकास के लिए है। निवेश स्थायित्व के लिए है।

मुझे एक विशेष पहलू से चिंता है, और वह पहलू, मेरे लिए भाग्यशाली रूप से, CSIR द्वारा एक सर्वेक्षण में व्यक्त किया गया था, जिसे 3,000 लोगों में किया गया था। हमें अनुसंधान और विकास के प्रति बस बातें नहीं करनी चाहिए, हमारा योगदान महत्वपूर्ण होना चाहिए, परिणाम महत्वपूर्ण होना चाहिए, न कि सतही। अनुसंधान और विकास के लिए सिर्फ गर्व महसूस करके ही हमारा दायित्व पूरा नहीं हो सकता। शैक्षिक संस्थानों में अनुसंधान या विकास करने वाले संस्थानों को केवल शैक्षिक जानकारी तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए। अनुसंधान एक सतत् प्रक्रिया है, और मैं इसलिए सभी संबंधित लोगों से अपील करता हूं कि उसके लिए SOP होना चाहिए। उस मानव संसाधन या संस्थान में निवेश करें, जो वास्तविक रूप से अनुसंधान और विकास में लग सकता है। दोनों अलग-अलग हैं, जब मैं एक IIT में गया। हांलाकि सभी IITs अच्छे काम कर रहे हैं, मैं किसी एक IIT का नाम नहीं ले रहा हूं। परंतु मुझे आश्चर्य हुआ कि वहां प्रोफेसरों और छात्रों द्वारा किया जा रहा अनुसंधान और विकास उत्कृष्ट स्तर का था। इसलिए, हमें सतर्क रहना होगा कि केवल भौतिक संसाधनों के प्रतिबद्ध होने के कारण हम गर्व नहीं कर सकते, कि हमने अनुसंधान और विकास के लिए इतना खर्च किया है।

माननीय अतिथि गण, अनुसंधान और विकास में निवेश, वास्तविक परिणामों से संबंधित होना चाहिए और यहां पहली पंक्ति में जो लोग हैं, वे इस वास्तविक परिणाम का मूल्यांकन कर सकते हैं।

मित्रों, कहने के लिए पर्याप्त है, लेकिन मैं राष्ट्र की स्थिति पर ध्यान केंद्रित करने की बात कहकर अपना संबोधन समाप्त करूंगा। आज के राष्ट्र की स्थिति मेरी कल्पना से परे है। मैंने कभी ऐसा नहीं सोचा था। मेरे पास ऐसा विचार नहीं था कि पृथ्वी आज की तरह होगी। मैं 1989 की बात कर रहा हूं, जब मैंने लोकसभा में चुनाव जीता था। 1990 में मैं केंद्रीय मंत्री था। मैं चार पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करूंगा।

पहला, मैं कैबिनेट मंत्री के तौर पर जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर गया। हम डल झील के नज़दीक एक होटल में रुके। सड़कों पर मुश्किल से 20 लोग भी नहीं थे। वहां बहुत सन्नाटा था और निराशा का माहौल था। और उसके बाद राज्यसभा में, जहां मैं सभापति के दौर पर उपस्थित था, वहां ये जानकारी दी गई कि पिछले साल 2 करोड़ पर्यटक जम्मू-कश्मीर घूमने गए। आज वो बीस का आंकड़ा कहां है?  धारा 370 भी अब वहां नहीं है।

दूसरा, बतौर छात्र मुझे बेहद दुख हुआ। हमें पढ़ाया गया था कि भारत सोने की चिड़िया है। बतौर मंत्री, मैंने देश की आर्थिक विश्वसनीयता को बरकरार रखने के लिए देश के सोने को, दो स्विस बैंकों में जाते हुए देखा, क्योंकि हमारा फॉरेन एक्सचेंज 1 बिलियन अमरीकी डॉलर था। अब यह 600 बिलियन अमेरिकी डॉलर से भी ज्यादा है। अब हम चीजें देने के बजाय, वापस हासिल कर रहे हैं। मुझे दुख होता था, जब विश्व बैंक और आईएमएफ हमें सलाह या सुझाव नहीं देते थे, बल्कि हमें अवश्यकता के अनुसार सीधे कहते थे: "यह करो, वरना..." और अब वही संस्थाएं, आईएमएफ कहता है, भारत निवेश और अवसर का पसंदीदा वैश्विक गंतव्य है। विश्व बैंक कहता है, भारत की डिजिटलीकरण और उसकी पहुंच जो पिछले छह साल में हुआ है, चालीस वर्षों या उससे अधिक में भी संभव नहीं है। विश्व बैंक के अनुसार, अब हम डिजिटलीकरण के क्षेत्र में आदर्श हैं।

एक और पहलू यह था कि हमारे पास एक ऐसी प्रणाली थी, जहां शक्तिशाली जगहों पर भ्रष्टाचार बढ़ गया था, बिना मध्यस्थ के कुछ भी नहीं हो सकता था। आपकी जाति, अवसर और नौकरी या अनुबंध के लिए एक पासवर्ड थी। अब ये कोरिडोर पूरी तरह से स्वच्छ हो गए हैं, कम से कम एक छठाई आबादी के लिए मध्यस्थ की भूमिका खत्म हो गई है। क्या अब हम मध्यस्थों को देखते हैं? नहीं। सभी लेन-देन डिजिटल रूप से हो रहे हैं, मानव संवाद के बिना। यह बदलाव मैंने कभी सोचा नहीं था। यह बदलाव मैं खुद देख रहा हूं। हम उस युग में जी रहे थे, जहां विशेषाधिकार कायम थे। कुछ लोगों को लगता था कि कानून उनके लिए नहीं था, वे कानून से मुक्त थे। उन्हें कानून के प्रति जवाबदेही नहीं थीलेकिन अब विशेषाधिकार प्राप्त लोगों तक भी कानून के हाथ पहुंच रहे हैं और पहुंचने भी चाहिए। कानून के समक्ष समानता, लोकतंत्र का अभिन्न हिस्सा है। हम कैसे किसी राष्ट्र को लोकतांत्रिक राष्ट्र कह सकते हैं, अगर कुछ लोगों को दूसरों से अधिक हासिल होता है। इससे युवाओं का मनोबल बढ़ा है और इसके परिणामस्वरूप हमारी युवा पीढ़ी ऊर्जावान हो गई है।

मेरा चौथा बिंदु, जो मैं कहना चाहता हूं, वह अर्थव्यवस्था के बारे में है। साल 1990 में भारतीय अर्थव्यवस्था लंदन या पेरिस शहर से भी छोटी थी। कल्पना करें, दस वर्ष पहले, हम संवेदनशील पांच राष्ट्रों में गिने जाते थे। एक खतरे में लटकती हुई अर्थव्यवस्था और वैश्विक समुदाय के लिए एक चिंता। अब हम एक मजबूत अर्थव्यवस्था हैं, हम दुनिया की पांच महान अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हैं। फिलहाल हम पांचवे स्थान पर हैं,  और अगले दो सालों में, जापान और जर्मनी से आगे तीसरे स्थान पर जाने की दिशा में अग्रसर हैं। हमारी आर्थिक उछाल एक पठार की तरह है, जो सभी को प्रभावित कर रहा है।

इन सब में विज्ञान और प्रौद्योगिकी का योगदान है। अगर पारदर्शिता, जवाबदेह शासन और तकनीक न होती, तो भ्रष्टाचार को जगह मिलती है। लोकतंत्र के बिना डिजिटलीकरण और पहुंच संभव नहीं हो पाती । लोग अब प्रौद्योगिकी को समझ चुके हैं, वे शायद बहुत पढ़े लिखे नहीं हों, लेकिन उन्हें इंटरनेट का उपयोग कैसे करना है, सेवाओं का लाभ कैसे उठाना है, यह समझ में आता हैं। इसका अर्थ ये है कि हम विकसित भारत@2047 के लिए महान मैराथन की राह पर हैं। लेकिन इस सफर में आप मुख्य हितधारक हैं। आप स्क्रीन पर उतने दिखाई नहीं देते, लेकिन आप इसकी गतिमान शक्ति हैं। आपको 24X7 योगदान करना होगा।

मेरी शुभकामनाएँ आपके साथ हैं। सीएसआईआर, उत्कृष्टता, शैक्षिक प्रतिभा और उच्चतम अनुसंधान का बेहतरीन उदाहरण है। इसमें कोई शक नहीं कि निकट भविष्य में भारत, विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में वैश्विक प्रमुख के रूप में उभरेगा, जो हमारी विकास की कहानी में एक नया अध्याय लिखने में मदद करेगा।

धन्यवाद।

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