रक्षा मंत्रालय
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नौसेना कमांडरों का सम्मेलन - 2024/2


17 - 20 सितम्बर 2024

Posted On: 21 SEP 2024 12:53PM by PIB Delhi

नौसेना कमांडरों के सम्मेलन 2024 का दूसरा संस्करण 17 से 20 सितंबर, 2024 तक नई दिल्ली के नौसेना भवन में आयोजित किया गया। इस छमाही सम्मेलन में समकालीन सुरक्षा परिप्रेक्ष्यों व नौसेना की युद्धक क्षमता को और बढ़ाने तथा अन्य सशस्त्र सेनाओं के साथ सैन्य क्रिया-कलापों में तालमेल बिठाने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण विचार-विमर्श पर ध्यान केंद्रित किया गया। इस सम्मेलन का लक्ष्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हो रहे घटनाक्रमों की पृष्ठभूमि में हिन्द-प्रशांत क्षेत्र की भू-रणनीतिक स्थिति का प्रमुख मुद्दों व बिंदुओं के साथ गहन अध्ययन करना है। इसका उद्देश्य नौसेना के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा महत्वपूर्ण विचार-विमर्श के माध्यम से हिंद महासागर क्षेत्र में प्राथमिक प्रतिक्रियाकर्ता एवं पसंदीदा सुरक्षा भागीदार के रूप में भारत की स्थिति को और सशक्त बनाने के लिए भविष्य का रोडमैप तैयार करना तथा आत्मनिर्भरता के राष्ट्रीय दृष्टिकोण के प्रति अपनी दृढ़ वचनबद्धता व योगदान को प्रदर्शित करना था।

नई दिल्ली स्थित नए नौसेना भवन में आयोजित प्रथम सम्मेलन की शुरुआत नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी के उद्घाटन भाषण के साथ हुई। उन्होंने इस सम्मेलन को भारतीय नौसेना का सबसे महत्वपूर्ण शीर्ष स्तरीय मंच बताया, जहां पर यह सुनिश्चित करने के लिए विचार-विमर्श किये जाते हैं और समाधान ढूंढे जाते हैं कि नौसेना युद्धक परिस्थितियों से निपटने के लिए मुस्तैद, विश्वसनीय, एकजुट तथा भविष्य के लिए तैयार बल बनी रहे। इस अवसर पर नौसेना प्रमुख ने समकालीन भू-रणनीतिक वातावरण में होते बदलाव के साथ-साथ उभरती हुई विघटनकारी प्रौद्योगिकियों और समुद्री क्षेत्र में विकसित हो रही तमाम रणनीतियों का उल्लेख किया। एडमिरल दिनेश के त्रिपाठी ने लघु, मध्यम और दीर्घ अवधि में भारतीय नौसेना के लिए प्रमुख ध्यान दिए जाने वाले क्षेत्रों की चर्चा करते हुए निर्धारित लक्ष्य के साथ आयुध वितरण पर विशेष ध्यान केंद्रित करने के साथ ही सभी नौसैनिक मचों, उपकरणों, हथियारों और सेंसरों की युद्ध तैयारी सुनिश्चित करने की आवश्यकता दोहराई। नौसेना प्रमुख ने तटरक्षक बल और अन्य समुद्री एजेंसियों के साथ घनिष्ठ संपर्क, तालमेल एवं कार्यात्मक संबंधों के माध्यम से समुद्री सुरक्षा तथा तटीय रक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सतर्कता बनाए रखने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने नौसेना मुख्यालय की कमानों व कर्मचारियों से आग्रह किया कि वे एक संतुलित बहुआयामी एवं सहज नेटवर्क वाले बल के रूप में विकसित होते रहें, जो हमारे राष्ट्रीय समुद्री हितों के लिए किसी भी समय, कहीं भी और किसी भी तरह कार्य करने, उनकी रक्षा करने तथा उन्हें बढ़ावा देने के लिए तैयार हो।

माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने 19 सितंबर, 2024 को नौसेना कमांडरों को संबोधित किया और उनसे बातचीत की। रक्षा मंत्री ने हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने में भारतीय नौसेना के प्रयासों की सराहना की और अदन की खाड़ी से गुजरने वाले मालवाहक जहाजों की सुरक्षा में भारतीय नौसेना द्वारा निभाई गई प्रमुख भूमिका की सराहना की। उन्होंने नौसेना कमांडरों के साथ अनेक प्रणालीगत एवं रणनीतिक मुद्दों पर अपने विचार साझा किए और उभरती समुद्री चुनौतियों से निपटने के लिए उच्च कौशल तैयारी तथा तत्परता बनाए रखने का उनसे आह्वान किया। माननीय रक्षा मंत्री ने अन्य सेनाओं के साथ जुड़ाव बढ़ाने की आवश्यकता पर भी बल दिया।


रक्षा मंत्री ने कार्यक्रम के एक हिस्से के रूप में आयोजित टेक डेमो में भाग लिया। भारतीय नौसेना के प्रमुख अनुसंधान एवं विकास संगठन वेपन्स ऐंड इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम्स इंजीनियरिंग इस्टैब्लिशमेंट (डब्ल्यूईएसईई) सहित विभिन्न एजेंसियों ने स्वायत्त प्रणालियों, विषय संबंधित जागरूकता, सॉफ्टवेयर डिफाइंड रेडियो और अन्य विशिष्ट तकनीकी उपायों सहित स्वदेशी समाधानों का प्रदर्शन किया। इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, रक्षा सचिव श्री गिरिधर अरमाने और अन्य वरिष्ठ सैन्य एवं असैन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।

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सम्मेलन के दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, थल सेनाध्यक्ष और वायुसेनाध्यक्ष ने नौसेना कमांडरों के साथ बातचीत की। इस दौरान, वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रणालीगत सामरिक वातावरण के बारे में अपने आकलन साझा किए तथा राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए तत्परता के स्तर को भी रेखांकित किया। उन्होंने मौजूदा परिवेश के संदर्भ में तीनों सेनाओं के बीच सहभागिता के क्षेत्रों पर प्रकाश डाला, ताकि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौतियों एवं अनिवार्यताओं का सामूहिक रूप से क्रियान्वयन करने के लिए सशस्त्र बलों को और अधिक एकीकृत किया जा सके।

इस सम्मेलन में प्रमुख प्रक्रिया संबंधी, सामग्री, बुनियादी ढांचे, सैन्य-संचालन और मानव संसाधन से संबंधित गतिविधियों की समीक्षा की गई। इसमें समसामयिक और उभरती समुद्री सुरक्षा चुनौतियों तथा शमन रणनीतियों पर चर्चा भी शामिल थी।

 

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एमजी/एआर/एनके/ डीके



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