जल शक्ति मंत्रालय
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भारत और यूरोपीय संघ सतत जल प्रबंधन में सहयोग को गहरा करने पर सहमत हुए


पूर्वी अफ्रीका के साथ त्रिपक्षीय सहयोग के लिए आधार तैयार किया गया

Posted On: 18 SEP 2024 3:49PM by PIB Delhi

भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) आज नई दिल्ली में 8वें भारत जल सप्ताह के मौके पर आयोजित छठवें ईयू-भारत जल मंच में सतत जल प्रबंधन में सहयोग बढ़ाने को लेकर सहमत हुए। दोनों पक्षों ने स्थाई निवेश को बढ़ावा देते हुए नदी बेसिन प्रबंधन में सहयोग को आगे बढ़ाने, नवाचार और प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने पर प्रतिबद्धता जताई। फोरम ने भारत और यूरोपीय संघ की संयुक्त शक्ति का लाभ उठाते हुए, पूर्वी अफ्रीका की विक्टोरिया झील और तंगनयिका झील जैसे जल निकायों में चुनौतियों का समाधान करने के लिए पूर्वी अफ्रीका, भारत और यूरोपीय संघ के बीच त्रिपक्षीय सहयोग पर विचार किया।  

2016 में स्थापित भारत-ईयू जल साझेदारी (आईईडब्ल्यूपी) का उद्देश्य जल प्रबंधन में तकनीकी, वैज्ञानिक और नीतिगत ढांचे को बढ़ाना है। आईईडब्ल्यूपी, वर्तमान में तृतीय चरण में, नदी बेसिन प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन, शहरी बाढ़ और जल प्रशासन जैसे प्रमुख क्षेत्रों में प्रभावशाली और टिकाऊ समाधान बनाने पर काम कर रहा है। 

आईईडब्ल्यूपी के अंतर्गत, ईयू और भारत, तापी और रामगंगा नदी बेसिन पर नदी प्रबंधन पर सहयोग कर रहे हैं। तृतीय चरण के अंतर्गत, ये साझेदारी ब्रह्मपुत्र जैसे अन्य प्रमुख बेसिनों तक अपने प्रयासों का विस्तार करेगी। दोनों क्षेत्रों ने संयुक्त रूप से 37.4 मिलियन (ईयू 23.4 एम + भारत 14 एम) के साथ 7 अनुसंधान और नवाचार जल परियोजनाओं को वित्त पोषित किया है, जिसमें ईयू और भारत से 743 प्रतिभागी एक साथ आए हैं। ये परियोजनाएं पेयजल शुद्धिकरण, अपशिष्ट जल के उपचार के साथ वास्तविक समय पर निगरानी और नियंत्रण प्रणालियों पर केंद्रित हैं, और आईईडब्ल्यूपी भारत में इन अत्याधुनिक जल प्रौद्योगिकियों को बाजार में आगे बढ़ाने के लिए सहायता प्रदान करेगी। 

ये उच्च-प्रभाव मंच महत्त्वपूर्ण जल चुनौतियों से निपटने और नवीन तकनीकी समाधान तैयार करने के लिए भारत और यूरोपीय संघ की सरकारों के प्रतिनिधियों, नीति निर्माताओं, विशेषज्ञों और व्यवसायों को एक साथ लाया। जल शक्ति राज्य मंत्री, डॉ. राज भूषण चौधरी; सचिव (जल शक्ति), श्रीमती देबाश्री मुखर्जी; अध्यक्ष, केंद्रीय जल आयोग, श्री कुशविंदर वोहरा एवं भारत में यूरोपीय संघ के राजदूत श्री हर्वे डेल्फिन ने पूर्ण सत्र के दौरान जल सहयोग के लिए अपनी साझा प्रतिक्रिया की पुष्टि की। 

डॉ. राज भूषण चौधरी ने साझेदारी की उपलब्धियों की सराहना की और इस बात पर जोर दिया कि भारत-यूरोपीय संघ जल साझेदारी ने भारत में जल संसाधनों के समग्र प्रबंधन की दिशा में जल शक्ति मंत्रालय की ओर से तैयार की गई रणनीतियों का समर्थन करके भारत के जल क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।

 

श्री हर्वे डेल्फिन ने कहा, "यूरोपीय संघ और टीम-यूरोप 8वें भारत जल सप्ताह में शामिल होकर प्रसन्न हैं और आज छठवें ईयू-भारत जल मंच की मेजबानी कर रहे हैं। आठ वर्षों के सहयोग ने हमें दिखाया है कि जब हम विशेषज्ञता साझा करते हैं, तो हम सबसे मुश्किल जल चुनौतियों से भी निपट सकते हैं। टीम-यूरोप हालिया जल सहयोग तंत्र के अंतर्गत भारत के साथ अपनी साझेदारी को और भी गहरा करने को लेकर उत्सुक है। आज का मंच बढ़ते संबंधों का प्रमाण है"। श्री डेल्फिन ने कहा, "हालांकि हमने भारत में समाधानों के लिए एक सफल साझेदारी विकसित की है, हम अपनी संबंधित विशेषज्ञता लाने और नवीन जल प्रबंधन विकसित करने और क्षेत्रीय जल सुरक्षा को बढ़ावा देने के लिए अफ्रीका के साथ मिलकर काम करने को लेकर इच्छुक हैं"

छठवां ईयू-भारत जल मंच, जल क्षेत्र की चुनौतियों पर चर्चा करने, सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और व्यापार और अनुसंधान के अवसरों को बढ़ाने के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में कार्य करता है। जैसा कि भारत और ईयू जल प्रबंधन में अपने सहयोग को आगे बढ़ा रहे हैं, यह मंच भविष्य की पीढ़ियों के लिए स्थायी जल संसाधन प्रबंधन प्राप्त करने की उनकी प्रतिबद्धता की दोबारा पुष्टि करता है।

आईईडब्ल्यूपी तकनीकी सहयोग, नीति विनिमय और टिकाऊ निवेश रणनीतियों की मदद से वैश्विक जल मुद्दों को संबोधित करने के लिए यूरोपीय संघ और भारत के बीच साझा प्रतिबद्धता पर प्रकाश डालता है। मौजूदा चरण (तृतीय चरण) भारत के राष्ट्रीय 2030 एजेंडा और ईयू की ग्लोबल गेटवे रणनीति के साथ-साथ चलते हुए सरकार और व्यापार साझेदारी को प्राथमिकता देता है, जो हरित, डिजिटल और समावेशी विकास पर आधारित स्थायी निवेश, कनेक्टिविटी और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को बढ़ावा देती है। भारत-ईयू का जल सहयोग संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (एसडीजीज) के साथ नजदीकी से जुड़ा हुआ है। एसडीजी 6 और एसडीजी 13 में योगदान के अलावा, ये साझेदारी संपोषित, हरित और जलवायु-लचीले बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देकर एसडीजी 15 (भूमि पर जीवन) और एसडीजी 11 (संपोषित शहर और समुदाय) का भी समर्थन करती है। मिलकर किए गए प्रयासों के साथ ये साझेदारी पर्यावरणीय स्थिरता और लचीलेपन के व्यापक लक्ष्यों को आगे ले जाते हुए वैश्विक जल चुनौतियों का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

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