विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
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इंटरनल कम्बशन इंजन में घर्षण और घिसाव प्रबंधन के लिए लागत प्रभावी समाधान

Posted On: 13 SEP 2024 12:57PM by PIB Delhi

वैज्ञानिकों ने इंजन के बेहतर उपयोग के लिए नैनोसेकंड लेजर सरफेस टेक्सचरिंग नाम का एक कम लागत वाला समाधान ढूंढ निकाला है। इस तकनीक से इंजन के अंदर गतिशील पुर्जों के लिये चिकनाई को बढ़ाया जा सकता है।

दुनिया भर में लाखों वाहन चलते हैं और इंटरनल कम्बशन (आईसी) इंजन आधुनिक परिवहन की रीढ़ हैं, फिर भी, उनकी दक्षता में सुधार की गुंजाइश हमेशा बनी रहती है। आईसी इंजन की उपयोगिता के लिए एक बड़ी चुनौती, चलते पुर्जों के बीच आपस में होना वाला घर्षण और घिसाव है क्योंकि इससे ऊर्जा की बहुत हानि होती है और परिणामस्वरूप ईंधन की खपत ज्यादा होती है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के स्वायत्त अनुसंधान एवं विकास केंद्र, इंटरनेशनल एडवांस्ड रिसर्च सेंटर फॉर पाउडर मेटलर्जी एंड न्यू मैटेरियल्स (एआरसीआई) के शोधकर्ताओं ने इस समस्या का समाधान नैनोसेकंड लेजर सरफेस टेक्सचरिंग के रूप में खोज निकाला हैं।

यह एक समयोचित दृष्टिकोण है जो ग्रे कास्ट आयरन में ट्रिबोलॉजिकल की उपयोगिता यानि इंजन के भीतर कल-पुर्जों में चिकनाई के स्तर को बढ़ाने का प्रयास करता है। ये इंजन के विभिन्न महत्वपूर्ण घटकों जैसे पिस्टन रिंग और सिलेंडर लाइनर के लिए काम करता है।

आईसी इंजन को दिये जाने वाले ईंधन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थर्मल और घर्षण के कारण नष्ट हो जाता है। आईसी इंजन में घर्षण से होने वाली उर्जा की हानि पिस्टन-सिलेंडर प्रणाली में लगभग 50 प्रतिशत है। इस प्रक्रिया में देखा गया है कि यह 70 से 80 प्रतिशत पिस्टन रिंग में होता है: शीर्ष संपीड़न रिंग, ईंधन नियंत्रण रिंग और दूसरी संपीड़न रिंग। इन हानियों को कम करना काफी हद तक ट्रिबोलॉजी पर निर्भर है यानि इंजन के भीतर के पुर्जों का घर्षण, इस्तेमाल और चिकनाई को बनाये रखने का अध्ययन।

वहीं दूसरी ओर यह ट्रिबोलॉजिकल प्रदर्शन इंजन की बॉडी के प्रकार की कुशलता और बनावट से प्रभावित होता है। विशेष रूप से, इंजन की बॉडी  के भीतर की जगह कई प्रकार से उपयोगी साबित हो सकती है। सबसे पहले तो चिकनाहट बनाये रखने वाले द्रव्य पदार्थ के भंडार के रूप में काम कर सकती है, जिससे तेल को संपर्क क्षेत्रों में अधिक प्रभावी ढंग से पहुँचाया जा सकता है जहाँ घर्षण होता है। दूसरा, वे घिसाव से पैदा होने वालें कचरे को फँसा सकते हैं, जिससे घर्षण कम हो जाता है। तीसरा, इंजन की बॉडी  की सतहों में हाइड्रोडायनामिक चिकनाहट को बेहतर बनाने की क्षमता होती है, ये तब होता है जब चिकनाहट यानि स्नेहक की एक पूरी परत दो सतहों को अलग करती है जिस कारण संपर्क से होने वाला घर्षण कम होता है और घिसाव को कम करने में मदद मिलती है।

ऐतिहासिक रूप से, ट्रिबोलॉजिकल प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए विभिन्न सरफेस टेक्सचरिंग प्रौद्योगिकियों को लागू किया गया है, जैसे कि वाइब्रो रोलिंग, अपघर्षक मशीनिंग, प्रतिक्रियाशील आयन नक़्काशी, लिथोग्राफी, अपघर्षक जेट मशीनिंग और रासायनिक टेक्सचर।

ये सभी प्रक्रियाएँ धातु की सतह पर माइक्रो टेक्सचरिंग बनाने की कोशिश करती हैं ताकि यह चिकनाई को बढ़ा सके और घर्षण को कम कर सके। हालाँकि, इन प्रक्रियाओं में सतह के पैटर्न और उनके द्वारा उत्पादित पुनरुत्पादकता में एकरूपता की कमी अक्सर देखने को मिलती है।

ट्रिबोलॉजिकल प्रदर्शन असमान उतार-चढ़ाव के कारण प्रभावित हो सकता है जो इस प्रकार की विधियों की प्रभावशीलता की कमी का कारण बनता है। पारंपरिक टेक्सचरिंग तकनीकों से होने वाली हानियों ने आयामी रूप से नियंत्रित विशेषताओं के साथ इंजन की बॉडी बनाने के लिए अधिक विश्वसनीय तकनीक की मांग को जन्म दिया है। इसी पृष्ठभूमि में लेजर सरफेस टेक्सचरिंग (एलएसटी) की आवश्यकता सामने आती है। यह इंजन की बॉडी के आकार और उसमें डिंपल, खांचे या फिर कोई अन्य पैटर्न हो, तेज प्रसंस्करण दर से उस पर बेहतर नियंत्रण प्रदान करता है। इसलिए, लेजर सरफेस टेक्सचरिंग सामग्रियों के ट्रिबोलॉजिकल गुणों को बेहतर बनाने में अधिक लाभकारी साबित हुई है।

एआरसीआई शोधकर्ताओं ने एक कम खर्चीले विकल्प पर ध्यान केंद्रित किया है और वो है- नैनोसेकंड लेजर सरफेस टेक्सचरिंग। 100 नैनोसेकंड पल्स अवधि और 527 नैनोमीटर की तरंग दैर्ध्य वाले नैनोसेकंड लेजर, फेमटोसेकंड लेजर की तुलना में लागत-प्रभावी रूप से उच्च-गुणवत्ता वाली सतह बनावट का उत्पादन कर सकते हैं। यह नैनोसेकंड लेजर सरफेस टेक्सचरिंग को औद्योगिक क्रिया कलापों के लिए अधिक सक्षम बनाता है। इस कार्य में, एआरसीआई शोधकर्ताओं ने नैनोसेकंड लेजर का उपयोग करके ग्रे कास्ट आयरन सतहों पर माइक्रो-ग्रूव और माइक्रो-क्रॉसहैच पैटर्न बनाए है। यह फोटो-1 में दिखाया गया है।

लेजर, सतह पर सूक्ष्म बनावट बना सकता है और इस प्रकार ग्रेफाइट के लच्छे को सामने ला सकता है, जो ठोस स्नेहक के रूप में कार्य कर सकते हैं। इसके माध्यम से शोधकर्ताओं का लक्ष्य स्नेहन ना होने की अवस्था में ग्रे कास्ट आयरन के घर्षण और उपयोग की विशेषताओं में सुधार करना है। ये काम विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण है क्योंकि घर्षण को कम करने के लिए चिकनाई की कोई परत नहीं है तथा फिसलन की गति और सामान्य बल की स्थिति का संयोजन है। इन लेजर-बनावट वाली सतहों को बनाने के बाद, इनकी प्रभावशीलता निर्धारित करने के लिए कठोर ट्रिबोलॉजिकल परीक्षण किए गए हैं। ये परीक्षण बॉल-ऑन-डिस्क ट्रिबोमीटर द्वारा किए गए जिसमें दो सतहों के बीच काम करने वाले पुर्जो के आपसी संपर्क का अनुकरण होता है। ट्रिबोमीटर एक नियंत्रित वातावरण में घर्षण और उपयोगिता दोनों को मापने की सुविधा देता है।

विभिन्न परिस्थितियों में किए गए परीक्षणों में, लेजर-बनावट वाली सतह ने घर्षण को कम करने और उपयोग के प्रतिरोध को बढ़ाने में उच्च सुधार का प्रदर्शन किया। यह चित्र 2 में दिखाया गया है।

ये परिणाम इंटरनल कम्बशन तक सीमित नहीं थे। सामान्य तौर पर विभिन्न उद्योगों से लेजर बनावट वाली सतहों को अनुकूल करने से इंजन के कल-पुर्जो के प्रदर्शन में सुधार की अपार संभावनाएं हैं। ऑटोमोटिव उद्योग से लेकर विनिर्माण तक  अधिक कुशल, टिकाऊ और लागत प्रभावी समाधान के रूप में इस तकनीक से घर्षण और घिसाव को कम किया जाना संभव है।

एआरसीआई की लेजर सरफेस टेक्सचरिंग तकनीक ट्रिबोलॉजिकल इंजीनियरिंग में एक महत्वपूर्ण कदम है। महत्वपूर्ण घटकों के प्रदर्शन में सुधार लाने और लागत-प्रभावी बने रहने की क्षमता वाली इस तकनीक से उद्योगों के पास घर्षण और घिसाव प्रबंधन के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लाने की क्षमता है।

प्रकाशन लिंक - https://doi.org/10.1007/s11665-024-09860-2

पेटेंट विवरण – 547040 02/08/2024 को प्रदान किया गया, आवेदन संख्या: 202111051880)

अधिक जानकारी के लिए एआरसीआई से संपर्क करें: डॉ. रवि बाथे (ravi@arci.res.in)

चित्र 1: आकृति विज्ञान के साथ माइक्रो-क्रॉसहैच और माइक्रो-ग्रूव का योजनाबद्ध आरेख।  

चित्र 2: फिसलने की गति के फलन के रूप में घर्षण गुणांक और बिना बनावट वाले, माइक्रो-क्रॉसहैच और सूक्ष्म-खांचे वाले नमूनों के लिए सामान्य बल।

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एमजी/एआर/वीके/वाईबी



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