उप राष्ट्रपति सचिवालय
आइए, हम कम से कम एक व्यक्ति को साक्षर बनाने का संकल्प लें; यह विकसित भारत के लिए अहम योगदान होगा : उपराष्ट्रपति
हमें जल्द से जल्द 100 प्रतिशत साक्षरता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्धता और जुनून के साथ मिशन मोड में काम करना चाहिए : उपराष्ट्रपति
साक्षरता व्यक्ति को स्वाधीन करती है, सम्मान देती है, आत्म-खोज में मदद करती है : उपराष्ट्रपति
एनईपी में बदलाव लाने का सामर्थ्य है; जिन राज्यों ने इसे नहीं अपनाया है, उन्हें अपने रुख पर फिर से विचार करना चाहिए : उपराष्ट्रपति
भारत में अद्वितीय भाषाई संपन्नता है; मातृभाषा वह भाषा है जिसमें हम सपने देखते हैं : उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में अध्यक्षता की
Posted On:
08 SEP 2024 2:45PM by PIB Delhi
उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने आज सभी से कम से कम एक व्यक्ति को साक्षर बनाने का संकल्प लेने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "जब हम किसी को साक्षर बनाते हैं, तो हम उसे स्वाधीन करते हैं, हम उस व्यक्ति को खुद को खोजने में मदद करते हैं, हम उसे सम्मान का एहसास कराते हैं, हम उसकी निर्भरता कम करते हैं, हम स्वतंत्रता और परस्पर निर्भरता पैदा करते हैं। इससे व्यक्ति खुद की मदद करने में सक्षम बनता है। यह सहयोग करने का एक सर्वोच्च पहलू है।"
आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, "किसी व्यक्ति को शिक्षित करके आप जो आनंद और खुशी प्रदान करते हैं, चाहे वह पुरुष हो, महिला हो, बच्चा हो या लड़की हो, वह असीम है। आप कल्पना भी नहीं कर सकते कि इससे आपको कितनी खुशी मिलेगी। यह सकारात्मक तरीके से फैलेगा। यह मानव संसाधन विकास में आपकी ओर से की जा सकने वाली सबसे बड़ा सकारात्मक कार्य होगा।"
उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन में सभी से साक्षरता को बढ़ावा देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, "हमें जल्द से जल्द 100 प्रतिशत साक्षरता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्धता और जुनून के साथ मिशन मोड में काम करना चाहिए। मुझे यकीन है कि यह लक्ष्य जितना हम सोचते हैं उससे कहीं जल्दी हासिल किया जा सकता है। हर कोई एक-एक व्यक्ति को साक्षर बनाए, यह विकसित भारत के लिए एक अहम योगदान होगा।"
उन्होंने यह भी कहा, "शिक्षा एक ऐसी चीज है जिसे कोई चोर आपसे छीन नहीं सकता। कोई सरकार इसे आपसे नहीं छीन सकती। न तो रिश्तेदार और न ही दोस्त इसे आपसे छीन सकते हैं। इसमें कोई कमी नहीं हो सकती। यह तब तक बढ़ती रहेगी जब तक आप इसे साझा करते रहेंगे।" उन्होंने यह भी विश्वास व्यक्त किया कि यदि साक्षरता को जुनून के साथ आगे बढ़ाया जाए, तो भारत नालंदा और तक्षशिला की तरह शिक्षा के केंद्र के रूप में अपनी प्राचीन स्थिति को पुनः प्राप्त कर सकता है।
जिन राज्यों ने अभी तक नई शिक्षा नीति (एनईपी) को नहीं अपनाया है, उनसे अपील करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि वे अपने रुख पर पुनर्विचार करें। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि यह नीति देश के लिए एक बड़ा बदलाव लाने वाली है। उन्होंने कहा, "यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति हमारे युवाओं को उनकी प्रतिभा और ऊर्जा का पूरा दोहन करने का अधिकार देती है, इसमें सभी भाषाओं को उचित महत्व दिया गया है।"
श्री धनखड़ ने मातृभाषा के विशेष महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह वह भाषा है जिसमें हम सपने देखते हैं। श्री धनखड़ ने भारत की अद्वितीय भाषाई संपन्नता पर जोर देते हुए कहा कि दुनिया में भारत जैसा कोई देश नहीं है। भाषा की संपन्नता के मामले में हम एक अद्वितीय राष्ट्र हैं, जहां कई भाषाएं हैं।
राज्यसभा के सभापति के रूप में अपने अनुभवों पर बात करते हुए उन्होंने कहा, “मैं संसद सदस्यों को 22 भाषाओं में बोलने का अवसर देता हूं। जब मैं उन्हें उनकी भाषा में बोलते हुए सुनता हूं, तो मैं अनुवाद सुनता हूं, लेकिन उनकी शारीरिक भाषा ही मुझे बता देती है कि वे क्या कह रहे हैं।”
उपराष्ट्रपति ने भारतीय संस्कृति में ऋषि परंपरा के गहन महत्व पर भी प्रकाश डाला और सभी से आग्रह किया कि वे “छह महीने के भीतर कम से कम एक व्यक्ति को साक्षर बनाने का संकल्प लें, ताकि वर्ष के अंत तक हम दो व्यक्तियों को शिक्षित करने का लक्ष्य प्राप्त कर सकें।”
पिछले दशक में भारत की परिवर्तनकारी प्रगति की सराहना करते हुए उपराष्ट्रपति श्री धनखड़ ने इस बात पर जोर दिया कि हर घर तक बिजली पहुंचाने जैसी उपलब्धियां, जो कभी अकल्पनीय थीं, अब एक वास्तविकता बन गई हैं। अब हमारा लक्ष्य सौर ऊर्जा के माध्यम से आत्मनिर्भरता हासिल करना है। उन्होंने हर घर में शौचालय और व्यापक डिजिटल कनेक्टिविटी जैसे महत्वपूर्ण उपायों पर जोर देते हुए ग्रामीण विकास की बात कही। उन्होंने बताया कि कैसे दूरदराज के गांवों में 4जी की पहुंच ने सेवा वितरण में क्रांति ला दी है, जिससे रोजमर्रा के काम आसान हो गए हैं और आवश्यक सेवाओं के लिए लंबी कतारों में लगने जरूरत खत्म हो गई है।''
हमारी संस्थाओं को कलंकित करने वाले, बदनाम करने वाले और अपमानित करने वाले लोगों के प्रति आगाह करते हुए श्री धनखड़ ने उन गुमराह लोगों को रास्ता दिखाने का आग्रह किया जो भारत के प्रभावशाली विकास को स्वीकार नहीं करते हैं और जमीनी हकीकत को नहीं पहचान रहे हैं।
इस अवसर पर माननीय शिक्षा राज्य मंत्री श्री जयंत चौधरी, स्कूल शिक्षा एवं साक्षरता विभाग (डीओएसईएल) के सचिव श्री संजय कुमार और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
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(Release ID: 2052954)
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