उप राष्ट्रपति सचिवालय
सीएसआईआर-आईआईपी, देहरादून में उपराष्ट्रपति के संबोधन का मूल पाठ
Posted On:
31 AUG 2024 7:52PM by PIB Delhi
श्री अंजुम शर्मा, वरिष्ठ प्रशासन नियंत्रक, संकाय के प्रतिष्ठित सदस्यगण, कर्मचारीगण, और सबसे महत्वपूर्ण मेरे प्रिय छात्रों,
कल्पना कीजिए कि 11 भारतीय रिफाइनरियों और दो विदेशी रिफाइनरियों में एलपीजी स्वीटनिंग कैटालिस्ट है। क्या बेहतरीन प्रदर्शन है! इस संस्थान की नई अनुसंधान एवं विकास पहलों को देखिए, जो भारत सरकार के विकसित भारत, 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन और संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास के लक्ष्यों के विजन के साथ पूरी तरह से जुड़ी हुई हैं। इससे वास्तव में प्रधानमंत्री का वह कथन साकार हो रहा है जब वे पेरिस समझौते के संदर्भ में बोल रहे थे।
भारत अग्रणी स्थिति में है। देखिए कि किस तरह से टिकाऊ विमानन ईंधन का उत्पादन किया गया और इसका इस्तेमाल देहरादून से दिल्ली के लिए पहली भारतीय डेमो उड़ान में किया गया और यह कैसा अद्भुत नजारा था, मुझे 2019 और 2024 में गणतंत्र दिवस परेड के दौरान इसे उड़ते हुए देखने का अवसर मिला, जब मैं वहां उपस्थित था। यह सब मुझे देखने का अवसर मिला।
मित्रों, जरा सोचिए कि इस तरह की तकनीक के बड़े प्रभाव होते हैं। आपके संस्थान ने कच्ची बायोगैस को पाइप नेशनल गैस में अपग्रेड करने के लिए उन्नत वैक्यूम प्रेशर स्विंग अवशोषण तकनीक विकसित की है। यह आसान नहीं है, लेकिन यह आवश्यक है। जब तक आप इतने विकसित नहीं होंगे, लोग इस विचार को नहीं समझ पाएंगे। सूची लंबी है, लेकिन मैं दो और का उल्लेख करूंगा।
उत्तराखंड के पहाड़ी क्षेत्रों में जंगल की आग को कम करने के लिए पाइन (चीड़) और नीडल ब्रिकेटिंग का उपयोग करके जैविक ईंधन का उत्पादन किया जा रहा है। आग एक वैश्विक खतरा है। दुनिया इससे लड़ रही है, मुझे कोई संदेह नहीं है कि जल्द ही वह समय आएगा जब यह संस्थान इस तरह की खतरनाक स्थिति के वैश्विक समाधान के लिए बेंचमार्क आगे बढ़ाएगा और मानव संसाधनों के लिए, आपने निश्चित रूप से कुछ अद्भुत किया है। हाइड्रोकार्बन, पेट्रोकेमिकल और ऑटोमोबाइल उद्योगों के क्षेत्र में अनुकूलित प्रशिक्षण कार्यक्रमों के रूप में आपके संस्थान द्वारा मानव संसाधनों का सशक्तिकरण, हमारी जलवायु स्थितियों में एक बहुत बड़ा योगदान है।
मेरे युवा मित्रों, मैं इस संस्थान में आप सभी के बीच आकर बहुत खुश हूं, यह एक ऐसा संस्थान है जो देश के वैज्ञानिक नवाचारों और प्रयासों में सबसे आगे है। मैं अब कह सकता हूं कि निदेशक ने जो संकेत दिया है, उसके बारे में मुझे पहले से पता था? विकसित भारत के लिए एक प्रेरक इंजन, एक ऐसा इंजन जो व्यापक कल्याण के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए सभी सिलेंडरों पर काम कर रहा है।
मित्रों, उत्तराखंड के तेजस्वी हिमालय, शांत नदियां और हरे-भरे जंगल हमें प्रकृति से हमारे गहरे जुड़ाव की याद दिलाते हैं, जो इस समय खतरे में है। प्रकृति, अथर्ववेद के पृथ्वी सूक्त के ज्ञान को प्रतिध्वनित करती है। मैं आगे इसके बारे में कहूंगा। इसमें क्या कहा गया है? "माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या" का अनुवाद आपको बताता हूं। पृथ्वी हमारी मां है और हम उसके बच्चे हैं। यह प्राचीन विचार पृथ्वी की रक्षा करने, उसका पोषण करने के हमारे कर्तव्य को समाहित करता है।
मित्रों, मैं आपको याद दिला दूं कि यह जलवायु परिवर्तन के खतरे के प्रति एक चेतावनी है और कभी मत भूलिए कि हमारे पास रहने के लिए कोई दूसरा ग्रह नहीं है। जब तक हमारे पास कोई विकल्प नहीं होगा, तब तक हमें इस ग्रह की देखभाल करनी होगी। दुनिया भर के सभी हितधारकों को एकजुट होकर हर संभव तरीके से योगदान देने की आवश्यकता है। यह संस्थान अपना काम कर रहा है, इसके लिए बधाई।
1960 में स्थापित यह संस्थान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध अनुसंधान और विकास संगठन के रूप में विकसित हुआ है। उद्योग का समर्थन करते हुए, हमने वैश्विक भागीदारी देखी है, जो सांकेतिक हैं, और इस क्रम में कई पेटेंट और पुरस्कार मिले हैं। यह वास्तव में सराहनीय है।
मैं राष्ट्र निर्माण में आपके योगदान की सराहना करता हूं। मैं आपके संस्थान को पौधों से प्राप्त सामग्री और कचरे से जैव ईंधन बनाने के लिए एक पेटेंट प्राप्त एकल-चरण उत्प्रेरक प्रक्रिया (सिंगल स्टेप कैटालिटिक प्रोसेस) विकसित करने के लिए बधाई देता हूं। प्रधानमंत्री का यह स्पष्ट आह्वान रहा है कि कचरे को धन में बदलना होगा। आपका कदम प्रधानमंत्री के विजन को साकार करने की दिशा में एक कदम है।
स्वच्छ ऊर्जा और एक स्थायी भविष्य की हमारी खोज में यह प्रगति महत्वपूर्ण है। स्वच्छ ऊर्जा केवल एक और विकल्प नहीं है, बल्कि यह एकमात्र विकल्प है। यदि हमारे पास यह नहीं है, तो हम एक तरह से अस्तित्व के लिए चुनौती का सामना करेंगे। और, एक स्थायी भविष्य के बारे में भी यही बात सही है। मुझे एक स्थायी भविष्य के विभिन्न आयामों पर विचार करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन यह विकास का एकमात्र तरीका है। इसके अलावा, विकास का कोई भी अन्य तंत्र इस ग्रह के लिए खतरा होगा।
मित्रों, हमारा विश्व आज अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिनके लिए सहयोगात्मक समाधान की आवश्यकता है। जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता को नुकसान और संसाधनों की कमी हमारे अस्तित्व के लिए खतरा बन रही है। ऐसा पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है। ये हमारे आसपास हो रहे हैं। ये हमारी सीमाओं से परे हो रहे हैं, ये ऐसे जरूरी मुद्दे हैं जिनके लिए साहसिक कदम उठाने की जरूरत है और इस तरह के मंच, इस तरह की प्रयोगशालाएं, इस तरह के संस्थान सामूहिक संवाद और प्रतिबद्धता के लिए महत्वपूर्ण मंच प्रदान करते हैं।
हमारी दुनिया परस्पर जुड़ी हुई है और दुनिया हमारे समय की तरह पहले कभी इतनी परस्पर जुड़ी नहीं थी। इसलिए, दुनिया के किसी भी हिस्से में होने वाली कोई भी घटना हमें पता होती है। इससे हम प्रभावित होते हैं। इससे हमारे लिए समस्याएं पैदा होती हैं। हमें यह समझना चाहिए कि ये चुनौतियां सीमाओं से परे हैं। दुनिया के किसी भी हिस्से में आग लगने की घटना हो तो भले ही, हम उन आगजनी से सीधे प्रभावित नहीं हों लेकिन हम प्रभावित होते हैं। वे किसे प्रभावित करते हैं? वे वैश्विक स्तर पर सबसे कमजोर समुदायों और पारिस्थितिकी तंत्रों को प्रभावित करते हैं।
हमें लोगों और प्रकृति पर केंद्रित दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, जिसमें वैश्विक नेतृत्व सभी स्तरों पर ऊर्जा संरक्षण और जलवायु के प्रति न्याय को मुख्यधारा में लाने का काम करे। ये ऐसे मुद्दे हैं जो हमारी सभ्यता और हमारे शास्त्रों में गहराई से समाहित हैं। सौभाग्य से, इस वैश्विक प्रयास के प्रति भारत का नेतृत्व उत्साहित है। यह वैश्विक स्तर पर लोकप्रिय हो रहा है और वैश्विक स्तर पर इसकी प्रशंसा भी हो रही है। सरकार ने महत्वाकांक्षी नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्यों से लेकर आर्थिक विकास और पारिस्थितिकी संरक्षण को संतुलित करने वाली पहलों तक, सतत विकास और पर्यावरण संरक्षण के प्रति अटूट प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है।
इस देश के बाहर के लोग जब ग्रामीण इलाकों में जाते हैं और पाते हैं कि अक्षय ऊर्जा बड़े स्तर पर लागू हो रही है तो वे आश्चर्यचकित हो जाते हैं। यह एक नया मानदंड है। यह किसान, गांव, दूरदराज के कोने तक पहुंच गई है। स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा में परिवर्तन सतत विकास की आधारशिला है, जो आर्थिक विकास और नवाचार को बढ़ावा देते हुए जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करती है।
अगर हम स्वच्छ और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में नहीं उतरते हैं, तो विकास के लिए हमारे प्रयास बेकार हो जाएंगे। अपने प्रयासों को संरक्षित करने के लिए, अपने प्रयासों के फलों को महसूस करने के लिए, इसके प्रति हमारी प्रतिबद्धता पूरी तरह से बिना शर्त और उच्चतम प्राथमिकता वाली होनी चाहिए। दुनिया ने भारत की प्रतिबद्धताओं को उसके कार्यों के माध्यम से स्वीकार किया है। 2023 में जी 20 शिखर सम्मेलन के दौरान वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन का शुभारंभ इसी में शामिल है। यह एक ऐतिहासिक घटनाक्रम था, जिसकी सभी ने सराहना की।
भारत ने जी-20 के दौरान नेतृत्व किया, जो एक स्थायी ऊर्जा आधारित भविष्य की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, और इसलिए स्थायी विकास और इसलिए, इसके परिणामस्वरूप यह एक ऐसा ग्रह बनेगा जो रहने योग्य होगा। भारत का लक्ष्य 2070 तक कार्बन न्यूट्रल (कार्बन तटस्थ) बनना है और वह अपने परिवहन क्षेत्र में जैव ईंधन के उपयोग का विस्तार कर रहा है। आप दिन-प्रतिदिन मीडिया से सुन रहे होंगे कि यह गति पकड़ रहा है। इसका उपयोग तेजी से बढ़ना खासा महत्वपूर्ण है।
इलेक्ट्रिक वाहन - एक समय यह एक सपना था, यह अब एक जमीनी हकीकत है। उन्हें अभूतपूर्व समर्थन मिल रहा है। सर्कुलर इकोनॉमी एक क्रांतिकारी क्षण में बदल गई है, जिसके बारे में प्रधानमंत्री ने 2014 में लाल किले से बात की थी। हमारे सभी कार्यों में इस पर अधिक से अधिक जोर दिया जा रहा है।
हालांकि, मित्रों, हमें प्राकृतिक संसाधनों के इष्टतम उपयोग और संरक्षण पर भी ध्यान देना चाहिए। वे सीमित हैं, वे प्रकृति द्वारा दिए गए हैं, वे किसी एक व्यक्ति के लाभ के लिए नहीं हैं। हम उन संसाधनों के ट्रस्टीशिप की स्थिति में हैं।
इसलिए प्राकृतिक संसाधनों का इष्टतम उपयोग और संरक्षण किया जाना चाहिए, और उपयोग हमारी वास्तविक न्यूनतम आवश्यकताओं के उपयोग के आधार पर होना चाहिए। यह हमारी आर्थिक ताकत से तय नहीं हो सकता। मैं उन लोगों को आगाह करना चाहता हूं जो प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग इसलिए करते हैं क्योंकि वे अपनी पैसे की ताकत के बल पर इसका खर्च उठा सकते हैं। उन्हें कभी नहीं भूलना चाहिए कि वे इस धरती का हिस्सा हैं। वे इस व्यवस्था का हिस्सा हैं। प्राकृतिक संसाधनों का सभी को समान रूप से उपभोग करना चाहिए, न कि असमान रूप से।
मित्रों, राष्ट्रीय योजना में स्थिरता को शामिल करना, हरित पहलों के लिए बजट आवंटन और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देने वाली प्रमुख योजनाएं विकास के प्रति भारत के समग्र दृष्टिकोण को दर्शाती हैं। बस पिछले बजट को देखें जिसने दो मामलों में इतिहास रच दिया। यह पूर्णकालिक महिला वित्त मंत्री द्वारा पेश किया गया पहला बजट था। दूसरा, इतिहास यह बना कि यह किसी भी वित्त मंत्री द्वारा पेश किया गया लगातार सातवां बजट था, जिसने स्वर्गीय श्री मोरारजी देसाई के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया। दोनों ने एक अंतरिम बजट पेश किया था।
इसमें सतत विकास, पर्यावरण संरक्षण और समग्र विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया। मित्रों, हम खुद को एक अनोखे मोड़ पर पाते हैं। मैं इसे अच्छी तरह जानता हूं। मैं 1989 में संसद का सदस्य था। युवा तब की स्थिति नहीं जानते होंगे। युवा मित्रों, उस समय भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार लंदन और पेरिस की अर्थव्यवस्थाओं से भी छोटा था। क्या आप इसकी कल्पना कर सकते हैं? इतना बड़ा देश होने के बावजूद, 1990 में अर्थव्यवस्था का आकार लंदन या पेरिस की अर्थव्यवस्था से भी छोटा था। सिर्फ एक दशक पहले, हम पांच कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में से एक थे, और आज, इस दिन, हम पांचवीं सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था हैं।
वैश्विक क्रय शक्ति के मामले में हम तीसरे सबसे बड़े देश हैं। हम अगले दो या तीन वर्षों में तीसरी सबसे बड़ी वैश्विक अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहे हैं। यह वृद्धि सतत विकास के प्रति हमारी गहरी चिंता से जुड़ी है। हमारी आर्थिक प्रगति सतत विकास के साथ सामंजस्य बिठा रही है। इससे भावी पीढ़ियों के लिए एक गौरवपूर्ण विरासत सुनिश्चित होती है। यह एक ऐसा सबक है जो दुनिया हमसे सीख रही है।
विज्ञान और अनुसंधान प्रकृति को नुकसान पहुंचाए बिना भारत के विकास को गति देने वाले नए रास्ते खोलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। मुझे इसमें कोई संदेह नहीं है कि अनुसंधान और विकास हमारे देश के उत्थान को परिभाषित करते हैं। एक समय था जब हम अनुसंधान के केंद्र नहीं थे और इसके लिए, हम पश्चिम की ओर देखते थे; हमने इसके लिए कीमत चुकाई। उन्होंने अपने हिसाब से ऐसा किया और उन्होंने इस बात का आकलन किया कि वे इसे कितना साझा करेंगे। अब, परिवर्तन हो रहा है, और आपका देश उस परिवर्तन की प्रयोगशाला है। अपने टिकाऊ तौर-तरीकों की परंपरा के साथ, अब भारत पर्यावरण के अनुकूल और समावेशी विकास मॉडल अपनाकर दुनिया का मार्गदर्शन करने की स्थिति में है।
मित्रों, हमारी सदियों पुरानी भावना, हमारी सभ्यतागत सोच को दर्शाते हुए, हमारा भारत न केवल घरेलू शासन में स्थिरता को मुख्यधारा में लाया है, बल्कि उसने वैश्विक प्रतिबद्धताओं को भी आगे बढ़ाया है। इसकी वजह यह है कि हम खुद को दुनिया से अलग नहीं देखते हैं, इसलिए हम कहते हैं कि दुनिया एक परिवार यानी वसुधैव कुटुम्बकम है।
हमने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन का नेतृत्व किया; इसका मुख्यालय गुरुग्राम में है, 125 से अधिक देश इसके सदस्य हैं और सीओपी28 में ग्रीन क्रेडिट पहल शुरू की है। भारत में 85 रामसर स्थल हैं। आप प्रशिक्षित लोग हैं; आप इसका महत्व जानते हैं। यह एशिया का दूसरा सबसे बड़ा नेटवर्क है।
मित्रों, जी20 में भारत ने दुनिया को बताया कि भारत क्या है, लेकिन इसे हमेशा एक पहलू के लिए याद किया जाएगा और वह पहलू है आदर्श वाक्य, प्रेरक शक्ति, हमारी सदियों पुरानी मान्यता, एक ऐसी मान्यता जिसका हम पालन करते हैं, जिसके साथ हम जीते हैं, और वह है वसुधैव कुटुम्बकम। इसका आदर्श वाक्य था एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य और यह पर्यावरण चुनौतियों से निपटने में सामूहिक कार्यवाही के महत्व को मान्यता देता है और पूरे विश्व के सामने रखता है। इसने जीवन की क्रॉस-कटिंग थीम यानी मिलजुलकर आगे बढ़ने पर जोर दिया है।
इसका मतलब है पर्यावरण के लिए जीवनशैली, एक ऐसा विषय जिसके साथ हमारे पूर्वज रहते थे, एक ऐसा विषय जो सामाजिक विकास और वृद्धि के मामले में बेहद सफल रहा, एक ऐसा जन आंदोलन जिसकी कल्पना व्यक्तिगत स्तर पर व्यवहार परिवर्तन को प्रोत्साहित करने के लिए की गई थी, जिसका सकारात्मक प्रभाव पड़ा। अच्छी बात यह है कि हमारे युवा इसे तेजी से अपना रहे हैं। मैं आप सभी से इसे थोड़ा और गंभीरता से लेने का आग्रह करता हूं, यह आपकी ऊर्जा को सकारात्मक तरीके से उजागर करने में हमेशा मददगार होगा। मित्रों, हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि जलवायु परिवर्तन किस पर असमान रूप से प्रभाव डालता है? अमीरों पर नहीं, शक्तिशाली लोगों पर नहीं; बल्कि यह समाज के सबसे कमजोर वर्गों को प्रभावित करता है। इसलिए, जलवायु न्याय ही हमारा मार्गदर्शक सिद्धांत है। सभी स्तरों पर नेतृत्व सतत विकास और जलवायु न्याय को एकीकृत करने की कुंजी है।
मित्रों, मैं थोड़ा अब विषय को बदलूंगा। यह चिंताजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है कि हमारे लोकतंत्र और राष्ट्रवाद की भावना को चुनौती ऐसे लोगों से मिल रही है जो कभी शासन या सत्ता के पदों पर रहे हैं। संकीर्ण दल संबंधी हितों की पूर्ति के लिए वे राष्ट्रविरोधी बयानबाजी करने और हमारे महान, स्थिर लोकतंत्र की तुलना पड़ोस की व्यवस्था से करने की हद तक चले जाते हैं। क्या हम कभी ऐसी तुलना कर सकते हैं? इस संबंध में समाज के जागरूक वर्गों, विशेषकर युवाओं को आगे आकर उन्हें बेअसर करना चाहिए, उनका विरोध करना चाहिए और उन्हें पूरी तरह से बेनकाब करना चाहिए।
इस देश में, जो कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है, सबसे जीवंत लोकतंत्र है, एक ऐसे व्यक्ति के नेतृत्व में एक स्थिर लोकतंत्र है जो छह दशकों के बाद तीसरी बार प्रधानमंत्री बना है, हम इस पृष्ठभूमि में यह कैसे सहन कर सकते हैं कि पड़ोसी देश में जो कुछ होता है, वह यहां भी हो सकता है? यह विचार किसी ऐसे व्यक्ति के मन में कैसे आ सकता है जो यहां राष्ट्र, राष्ट्रवाद और लोकतंत्र में विश्वास करता है? इस तरह की घिनौनी कहानियां शब्दों से परे निंदनीय हैं। हमारे युवाओं के लिए, विशेष रूप से, विवेकशील होने और मुंहतोड़ जवाब देने का समय आ गया है।
मित्रों, युवा प्रतिभाओं के लिए हमारा मार्गदर्शन: आप सही जगह पर हैं, आपको जो मैं आपको बता रहा हूं, उसके महत्व को आप समझेंगे, यहां मैं सरकारी नौकरियों पर अनावश्यक ध्यान देने के बारे में बात कर रहा हूं। आपने पूरे देश में देखा होगा। यह हमारे युवाओं पर बड़े स्तर पर असर डाल रहा है। यह बहुत ही आकर्षक रूप से व्यसन जैसा है। हमारे युवा शानदार अवसरों के बारे में जाने बिना ही, अकेलेपन में घुट रहे हैं।
याद रखिए आईएमएफ ने क्या कहा था, आईएमएफ की यह प्रशंसा की थी कि भारत निवेश और अवसरों के लिए एक पसंदीदा वैश्विक गंतव्य है, सरकारी नौकरियों पर आधारित नहीं है; यह उन अवसरों पर आधारित है जो दूसरे क्षेत्रों में उपलब्ध हैं, हमारे युवाओं को यह समझना होगा; विभिन्न क्षेत्रों में प्रचुर अवसर उपलब्ध हैं, जहां हमारे युवा अपना करियर बना सकते हैं और राष्ट्रीय और वैश्विक कल्याण में योगदान दे सकते हैं। उस दृष्टिकोण से, दोस्तों, सरकारी अवसरों को कम करने की तत्काल आवश्यकता है। हमारे युवाओं का समय, आपका समय बचना चाहिए। यह समुद्र, जमीन, आसमान और अंतरिक्ष में आने वाले नए क्षेत्रों का लाभ उठाने और उनका अनुभव करने का समय है। यह अन्वेषण, प्रतिभा का दोहन, क्षमता का एहसास और महत्वाकांक्षाओं को साकार करने का समय है।
मित्रों, मैं देश के युवाओं को विशेष रूप से सावधान करना चाहता हूं कि आपको गुमराह करने वाले लोग हैं, वे अपने वास्तविक इरादों को छिपाएंगे और हमारे अभूतपूर्व वृद्धि, आर्थिक उत्थान, अभूतपूर्व उदय और विश्व स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा में वृद्धि को नजरअंदाज़ करेंगे। वे यह सब अनदेखा करते हैं, और वे एक अलग तरह की छवि बनाने की कोशिश करेंगे, वे ज़मीनी हकीकत से बहुत दूर हैं; वे भारत में गांवों से लेकर जो कुछ हो रहा है उससे बहुत दूर हैं। मैं, माननीय निदेशक महोदय, आपके संस्थान में जो कुछ हो रहा है, उससे प्रेरित होकर, सरकार और कॉर्पोरेट्स से आग्रह करता हूं कि वे अत्यंत उदार बनें, अनुसंधान पर अत्यधिक ध्यान दें और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए अपनी तरफ से खर्च करें, उनके द्वारा खर्च किया गया प्रत्येक रुपया देश के विकास और वैश्विक कल्याण में योगदान देगा।
मित्रों, अब समय आ गया है कि हम पश्चिम की ओर न देखें; अब समय आ गया है कि पश्चिम हमारी ओर देखे, उन्हें प्रौद्योगिकी और अनुसंधान के विकास के लिए भारत की ओर देखना चाहिए। हमारे पास शानदार प्रतिभाएं हैं। हमारा डीएनए बहुत अलग है। अग्रणी कॉर्पोरेट दिग्गजों के रूप में हमारे मानव संसाधनों को वैश्विक मान्यता हासिल हुई है।
उदाहरण के लिए, मैं आपको बता दूं, हमने कभी नहीं सोचा था कि भारत एकल अंकों वाला एक ऐसा राष्ट्र होगा जो क्वांटम कंप्यूटिंग मिशन, ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के माध्यम से क्वांटम कंप्यूटिंग पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। यह सिर्फ कागजों पर नहीं है। क्वांटम कंप्यूटिंग पर 6,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए, ग्रीन हाइड्रोजन मिशन पर 19,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, 6जी तकनीक का व्यावसायिक दोहन 2025 से 2030 तक होगा। ये कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां हम उन देशों की सूची में शामिल हैं जो इस समय अग्रिम पंक्ति में हैं।
मुझे इस बात में कोई संदेह नहीं है, मित्रों, विशेष रूप से मेरे युवाओं, भारत का उत्थान, निरंतर उत्थान, वृद्धिशील उत्थान इसकी जनसांख्यिकीय युवा शक्ति के कारण होना सुनिश्चित है। इस समय हमें बस इतना करना है कि हम हर संभव प्रयास करें कि हम हमेशा अपने राष्ट्रीय हित को सर्वोपरि रखें। हमें इसे स्व-हित से ऊपर रखना है; हमें इसे दलीय हित से ऊपर रखना है। मैं देश में हर किसी से, विशेष रूप से राजनीतिक दलों से यह उम्मीद करता हूं, भले ही उनके अलग विचार होंगे, और ऐसा होना ही चाहिए। उनके विचार एक-दूसरे से भिन्न होंगे लेकिन जब राष्ट्रीय कल्याण, राष्ट्रवाद और विकास की बात आती है, तो उन्हें इसे राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए। उन्हें इस पर गैर-पक्षपाती रुख अपनाना चाहिए और द्विदलीय दृष्टिकोण अपनाना चाहिए ताकि हमारा विकास तेज हो सके। मैं इस संस्थान को विशेष रूप से बधाई देता हूं, कि यह जिस क्षेत्र में कार्यरत है, उसमें उत्कृष्टता, अकादमिक प्रतिभा और अनुसंधान का उदाहरण प्रस्तुत करता है।
मित्रों, यह मेरे लिए एक अविस्मरणीय अवसर है। मैं देशभर में आपके जैसे कई संस्थानों में गया हूं, जहां भी गया हूं, मेरा यह विश्वास हमेशा मजबूत हुआ है कि एक राष्ट्र के रूप में हम प्रौद्योगिकी और अनुसंधान में आगे बढ़ रहे हैं, और यह निकट भविष्य में होगा। हम भारत को विभिन्न क्षेत्रों में अग्रणी होते देखेंगे, जिनमें पहले हम दूसरों की दया पर निर्भर थे।
यहां उपस्थित सभी विद्यार्थियों को मेरी शुभकामनाएं। बहुत-बहुत धन्यवाद।
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एमजी/एआर/एमपी
(Release ID: 2050549)
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