भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार का कार्यालय
भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार ने चिकित्सा उत्पादों से जुड़े भारत के नियामकीय परिवेश में व्यापक बदलाव लाने की दिशा में हुई प्रगति की समीक्षा की
Posted On:
21 AUG 2024 7:56PM by PIB Bhopal
भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार (पीएसए) प्रोफेसर अजय कुमार सूद ने भारत की नियामकीय प्रणाली में व्यापक बदलाव लाने की दिशा में हुई प्रगति की समीक्षा के लिए एक बैठक की। इस विषय पर पीएसए की अध्यक्षता में 6 फरवरी 2024 को आयोजित पीएम-विज्ञान प्रौद्योगिकी नवाचार सलाहकार परिषद (पीएम-एसटीआईएसी) की 24वीं बैठक में चर्चा की गई थी जिसका विषय था ‘भारत में चिकित्सा उत्पादों के नियामकीय परिवेश में व्यापक बदलाव लाना।’ पीएम-एसटीआईएसी की बैठक में नियामकीय प्रक्रियाओं में व्यापक फेरबदल करने और एक ऐसी प्रणाली बनाने की सिफारिश की गई थी, जो पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करे और इसके साथ ही नवाचार एवं भारत व पूरे विश्व के लिए सुरक्षित और किफायती चिकित्सा उत्पादों की शुरुआत करने को बढ़ावा दे।
(चिकित्सा उत्पादों के नियामकीय परिवेश में व्यापक बदलाव लाने की दिशा में हुई प्रगति की समीक्षा के लिए बैठक चल रही है)
डॉ. राजीव रघुवंशी, भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई), केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने पीएम-एसटीआईएसी की बैठक के तहत चिन्हित किए गए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों की दिशा में अब तक हुई प्रगति को अद्यतन किया जिनमें विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) की समीक्षा प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करना और एक स्वतंत्र बाहरी एजेंसी की मदद से आंतरिक प्रक्रिया को बेहतर बनाना, इत्यादि शामिल हैं। उन्होंने भारत के नियामकीय परिवेश में व्यापक बदलाव लाने के लिए एक संपूर्ण डिजिटल व्यवस्था विकसित करने, जेनेटिक मैनिपुलेशन पर समीक्षा समिति (आरसीजीएम) की गतिविधियों को एकल खिड़की प्रणाली में समेकित करना जिससे अनुमोदन या मंजूरी देने की समयसीमा कम हो जाएगी, सीडीएससीओ की वैज्ञानिक क्षमता विकसित करने, डिजिटलीकरण में वृद्धि करने, और चिकित्सा उत्पादों तक पहुंच को आसान बनाने के लिए नियम 101 के तहत विभिन्न देशों द्वारा हाल ही में जारी की गई अधिसूचना, इत्यादि के बारे में भी काफी विस्तार से बताया।
पीएसए प्रो. सूद ने सीडीएससीओ के प्रयासों की सराहना की और इस बात पर विशेष जोर दिया कि एक मजबूत और सक्षम नियामकीय परिवेश घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में विश्वास बनाने, और विनिर्माण एवं निर्यात को बढ़ावा देने में काफी मददगार साबित होगा। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से चिकित्सा उत्पादों के विनिर्माण में भारत को हासिल प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त और भी ज्यादा बढ़ जाएगी तथा पूरे क्षेत्र में नवाचारों को काफी बढ़ावा मिलेगा।
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