विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय
नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से मुलाकात की
केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, भारतीय नौसेना ने मानव अंतरिक्ष मिशन "गगनयान" के क्रू मॉड्यूल रिकवरी के लिए इसरो के साथ साझेदारी की है
भारतीय महासागर के रक्षकों के सहयोग से चलाए जा रहे डीप सी मिशन से नौसेना की पनडुब्बी क्षमता में वृद्धि होगी: डॉ. सिंह
डॉ. जितेंद्र सिंह ने पिछले पांच वर्षों में पर्याप्त प्रगति हासिल करने वाले गगनयान और डीप सी मिशन दोनों को प्राथमिकता देने के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व की सराहना की
Posted On:
20 AUG 2024 6:55PM by PIB Delhi
हाल ही में कार्यभार संभालने वाले नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने आज नॉर्थ ब्लॉक में केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से मुलाकात की और भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन 'गगनयान' के साथ-साथ महासागर मिशन 'समुद्रयान' के लिए नौसेना के समर्थन को दोहराया।
बैठक में प्रमुख राष्ट्रीय मिशनों में भारतीय नौसेना और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के बीच गहरी होती साझेदारी को रेखांकित किया गया।
चर्चा के दौरान, डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारतीय नौसेना भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन "गगनयान" के लिए क्रू मॉड्यूल की रिकवरी (वापस लाने) के लिए अग्रणी एजेंसी है। इसने 23 अक्टूबर को परियोजना के पहले विकासात्मक मिशन (टीवी-डी1) के दौरान भी सफलतापूर्वक रिकवरी की है।
उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा परिकल्पित 'संपूर्ण सरकारी दृष्टिकोण' की सफलता पर जोर दिया, जिसने प्रभावी रूप से साइलो (सहयोग की कमी) को खत्म किया है और विकसित भारत @2047 के विजन को प्राप्त करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में संयुक्त रूप से सहयोग को बढ़ावा दिया है।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, परमाणु ऊर्जा विभाग, अंतरिक्ष विभाग तथा कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि "वर्ष 2025 तक दुनिया एक भारतीय को अंतरिक्ष में तथा दूसरे को गहरे समुद्र में देखेगी।" उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय के अंतर्गत एक महत्वपूर्ण पहल डीप सी मिशन (गहरे समुद्र में मिशन) को भारतीय नौसेना की पनडुब्बी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए "हिंद महासागर के संरक्षकों" के सहयोग से क्रियान्वित किया जा रहा है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और भारतीय नौसेना के बीच लंबे समय से चले आ रहे सहयोग पर विचार करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने हस्ताक्षरित समझौता ज्ञापनों और विभिन्न परियोजनाओं पर चल रहे संयुक्त प्रयासों के बारे में भी बताया जो न केवल राष्ट्रीय हितों को आगे बढ़ाते हैं बल्कि मानवता को भी लाभान्वित करते हैं। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि निजी क्षेत्र की भागीदारी से संचालित अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़े परिवर्तन सरकार के दृष्टिकोण का प्रमाण है। उन्होंने स्टार्टअप पर एंजल टैक्स हटाने की भी प्रशंसा की और इसे नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने एडमिरल त्रिपाठी को प्रौद्योगिकी आधारित स्टार्टअप्स के साथ सहयोग की संभावनाएं तलाशने के लिए प्रोत्साहित किया और कहा कि रक्षा उद्योग से जुड़े कई क्षेत्र पहले ही ऐसी साझेदारियों से लाभान्वित हो चुके हैं।
उन्होंने गगनयान और डीप सी मिशन को प्राथमिकता देने में प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व की सराहना की, जो जल्द ही इन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भारत की बढ़ती क्षमताओं को प्रदर्शित करने के लिए तैयार हैं। इनकी घोषणा लाल किले की प्राचीर से की गई थी और पिछले पांच वर्षों में इन्हें महत्वपूर्ण गति मिली है।
इसके अलावा, डॉ. जितेंद्र सिंह ने राष्ट्रीय विकास में राष्ट्रीय भू-स्थानिक डेटा फ्रेमवर्क के महत्व पर जोर दिया।
फोर स्टार फ्लैग ऑफिसर और वर्तमान 26वें नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने भारतीय नौसेना और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के बीच चल रहे सहयोग पर प्रकाश डाला। उन्होंने समुद्र विज्ञान और मौसम विज्ञान पर डेटा उत्पादों और विशेषज्ञता को साझा करने के लिए समझौता ज्ञापनों के बारे में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया। इसके साथ ही, उन्होने आईएनसीओआईएस द्वारा पाठ्यक्रमों के लिए प्रशिक्षण और राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केंद्र (एनसीपीओआर) के साथ समुद्र विज्ञान से जुड़े डेटा उत्पादों को साझा करने पर समझौता ज्ञापन के बारे में बताया। उन्होंने इसरो द्वारा विकसित नाविक (एनएवीआईसी) को भी याद किया। उन्होंने इन संयुक्त प्रयासों के लिए नौसेना की प्रतिबद्धता दोहराई, जो राष्ट्रीय सुरक्षा और वैज्ञानिक उन्नति के लिए महत्वपूर्ण हैं।
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