ग्रामीण विकास मंत्रालय

दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत प्राप्त उपलब्धियां

Posted On: 09 AUG 2024 5:50PM by PIB Delhi

ग्रामीण विकास मंत्रालय पूरे देश में (दिल्ली व चंडीगढ़ को छोड़कर) दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (डीएवाई – एनआरएलएम) को क्रियान्वित कर रहा है। इस पहल का उद्देश्य ग्रामीण गरीब महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) में संगठित करना और समय के साथ उनकी आय में उल्लेखनीय वृद्धि होने तक उनको निरंतर पोषण एवं सहयोग प्रदान करना है। इस कार्यक्रम के तहत किए जाने वाले विभिन्न प्रयासों का लक्ष्य महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार लाना और उन्हें अत्यधिक गरीबी से बाहर निकाल कर लाना है। दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने 30 जून 2024 तक, 28 राज्यों एवं 6 केंद्र शासित प्रदेशों के 742 जिलों के 7135 ब्लॉकों में कार्यान्वयन को पूरा कर लिया है। इसके अंतर्गत 10.05 करोड़ महिलाओं को 90.86 लाख से अधिक स्वयं सहायता समूहों में शामिल किया गया है।

दीनदयाल अंत्योदय योजना – राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन एक व्यापक पहल है, जिसे ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने तथा महत्वपूर्ण वित्तीय, तकनीकी एवं विपणन संसाधन उपलब्ध कराने वाली सामुदायिक संस्थाओं को विस्तार देकर उनकी आजीविका को बढ़ाने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। यह कार्यक्रम सामाजिक व्यवहार परिवर्तन संचार (एसबीसीसी) के माध्यम से सामूहिक समावेशन पर जोर देता है और स्वच्छ भारत मिशन तथा पोषण अभियान जैसी सरकारी योजनाओं तक पहुंच को सुगम बनाता है, जिससे बहु-क्षेत्रीय अभिसरण सुनिश्चित होता है। यह योजना विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में डिजिटल वित्तीय सहायता के माध्यम से किफायती बैंकिंग सेवाएं प्रदान करती है और स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को बैंकिंग संवाददाता सखियों के रूप में प्रशिक्षण देकर वित्तीय समावेशन को बढ़ाती है। डीएवाई-एनआरएलएम  योजना कृषि और गैर-कृषि दोनों प्रकार की आजीविकाओं को सहायता प्रदान करती है। यह कृषि-पारिस्थितिक कार्य प्रणालियों और बाजार पहुंच के साथ महिला किसानों को सशक्त बनाती है, जबकि स्टार्ट-अप विलेज उद्यमिता कार्यक्रम (एसवीईपी) तथा आजीविका ग्रामीण एक्सप्रेस योजना (एजीईवाई) जैसी गतिविधियों के माध्यम से हस्तशिल्प एवं खाद्य प्रसंस्करण जैसे सूक्ष्म उद्यमों को बढ़ावा भी देती है। इसके अलावा, प्रशिक्षित सामुदायिक संसाधन व्यक्तियों (सीआरपी) के रूप में स्वयं सहायता समूह सदस्यों की भागीदारी और “महिला उद्यम त्वरण निधि (डब्ल्यूईएएफ)” के जरिए अनुकूल ऋण शर्तों का प्रावधान भी महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को बढ़ावा देता है और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाता है।

यह जानकारी केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी ने आज राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी है।

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