रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय

प्रधानमंत्री भारतीय जनऔषधि परियोजना के तहत जन औषधि केंद्रों के माध्यम से केवल गुणवत्तापूर्ण दवाओं की आपूर्ति की जाती है


पिछले 10 वर्षों में, जन औषधि केंद्रों के माध्यम से दवाओं की बिक्री से उपभोक्ताओं को अनुमानित 30,000 करोड़ रुपये की बचत हुई

Posted On: 09 AUG 2024 5:47PM by PIB Delhi

पीएमबीजेपी के तहत आपूर्ति की जाने वाली दवाइयों को विश्व स्वास्थ्य संगठन- गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस (डब्ल्यूएचओ-जीएमपी) प्रमाणित आपूर्तिकर्ताओं से ही खरीदा जाता है, ताकि उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। गोदामों में पहुंचने के बाद दवाओं के प्रत्येक बैच का परीक्षण ‘राष्ट्रीय परीक्षण और अंशांकन प्रयोगशाला प्रत्यायन बोर्ड’ (एनएबीएल) द्वारा मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं में किया जाता है। गुणवत्ता परीक्षण पास करने के बाद ही दवाओं को जन औषधि केंद्रों (जेएके) में भेजा जाता है। गुणवत्ता मापदंडों को पूरा न करने वाले किसी भी बैच को आपूर्तिकर्ता को वापस कर दिया जाता है। जेएके के माध्यम से केवल गुणवत्तापूर्ण दवाओं की आपूर्ति की जाती है।

प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि परियोजना की कार्यान्वयन एजेंसी, फार्मास्यूटिकल्स एवं मेडिकल डिवाइसेस ब्यूरो ऑफ इंडिया (पीएमबीआई) विभिन्न प्रकार के विज्ञापनों जैसे प्रिंट मीडिया, रेडियो विज्ञापन, टीवी विज्ञापन, सिनेमा विज्ञापन और आउटडोर प्रचार जैसे होर्डिंग्स, बस क्यू शेल्टर ब्रांडिंग, बस ब्रांडिंग, ऑटो रैपिंग आदि के माध्यम से पीएमबीजेपी की विशेषताओं और जन औषधि जेनेरिक दवाओं के लाभों के बारे में जागरूकता फैला रही है। इसके अलावा, फार्मास्यूटिकल्स एवं मेडिकल डिवाइसेस ब्यूरो ऑफ इंडिया (पीएमबीआई) फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब आदि जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से नियमित रूप से जन औषधि जेनेरिक दवाओं के लाभों के बारे में जनता को शिक्षित कर रहा है।

इसके अलावा, पीएमबीआई हर साल 7 मार्च को जन औषधि दिवस का आयोजन करके देश के नागरिकों को जन औषधि जेनेरिक दवाओं के लाभों के बारे में शिक्षित कर रहा है। पीएमबीजेपी योजना के बारे में उपभोक्ताओं को शिक्षित करने के लिए आजादी का अमृत महोत्सव, राष्ट्रीय एकता दिवस सप्ताह आदि जैसे विभिन्न समारोहों के दौरान कार्यशालाओं और सेमिनारों का आयोजन किया जाता है।

जन औषधि केंद्रों के माध्यम से बेची जाने वाली दवाओं और अन्य वस्तुओं की बिक्री 2014 के 7.29 करोड़ रुपये से बढ़कर जुलाई 2024 तक 1470 करोड़ रुपये हो गई है। जन औषधि केंद्रों (जेएके) की संख्या 2014 के 80 से बढ़कर 31 जुलाई 2024 तक 13113 हो गई है, जो इस योजना की लोकप्रियता को दर्शाता है। पिछले 10 वर्षों में, जेएके के माध्यम से 5,600 करोड़ रुपये की दवाओं की बिक्री की गई है, जिससे उपभोक्ताओं को अनुमानित 30,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है।

31 जुलाई 2024 तक आकांक्षी जिलों में 912 जन औषधि केंद्र खोले जा चुके हैं, जिनमें पिछड़े और अनुसूचित जाति/जनजाति बहुल क्षेत्र भी शामिल हैं।

यह जानकारी केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री श्री जगत प्रकाश नड्डा ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में दी।

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