सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय
उद्यमिता और कौशल विकास कार्यक्रम
Posted On:
08 AUG 2024 5:06PM by PIB Delhi
उद्यमिता और कौशल विकास कार्यक्रम (ईएसडीपी) का कार्यान्वयन इस उद्देश्य से किया जा रहा है कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति/महिलाओं, दिव्यांगों, पूर्व सैनिकों और बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) के व्यक्तियों सहित समाज के विभिन्न वर्गों का प्रतिनिधित्व करने वाले युवाओं को स्वरोजगार या उद्यमिता को करियर विकल्प के रूप में अपनाने के लिए प्रेरित किया जा सके। इसका प्रमुख उद्देश्य नए उद्यमों को बढ़ावा देना, मौजूदा एमएसएमई की क्षमता का निर्माण करना और देश में उद्यमशीलता की संस्कृति विकसित करना है। उद्यमिता कौशल विकास कार्यक्रम (ईएसडीपी) योजना के तहत विभिन्न उद्यमिता और कौशल विकास कार्यक्रमों के संबंध में पांच वर्षों के लिए वर्षवार बजट आवंटन नीचे तालिका में दिया गया है:-
क्रम संख्या
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वित्तीय वर्ष
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बजट आवंटन (करोड़ रुपये में)
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1
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2020-21
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10.00
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2
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2021-22
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2.00
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3
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2022-23
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40.00
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4
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2023-24
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65.00
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5
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2024-25*
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99.00
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*अनंतिम
इसके अलावा कुशल कार्यबल के लिए उद्योग विशेष रूप से एमएसएमई की कौशल आवश्यकता को पूरा करने के लिए सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय निम्नलिखित संगठनों और योजनाओं के माध्यम से युवाओं व उद्योग कार्यबल के लिए विभिन्न कौशल और कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता है:
संगठन:
(i) पूरे देश में स्थापित प्रौद्योगिकी केंद्र और उनके विस्तार केंद्र
(ii) राष्ट्रीय लघु उद्योग निगम (एनएसआईसी)
(iii) खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी)
(iv) कयर बोर्ड
(v) राष्ट्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम संस्थान (एनआईएमएसएमई)
(vi) महात्मा गांधी ग्रामीण औद्योगिकीकरण संस्थान (एमजीआईआरआई)
योजनाएं:
(i) राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति केंद्र
(ii) प्रशिक्षण संस्थानों को सहायता (एटीआई)
(iii) नवाचार, ग्रामीण उद्योग और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए योजना (एस्पायर)
(iv) कयर विकास योजना
(v) उद्यमिता और कौशल विकास कार्यक्रम (ईएसडीपी)
मंत्रालय द्वारा प्रस्तुत पाठ्यक्रम आम तौर पर राष्ट्रीय कौशल योग्यता फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) के अनुरूप है। ये पाठ्यक्रम अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई)/राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीईटी)/राज्य तकनीकी शिक्षा व व्यावसायिक प्रशिक्षण परिषद (एससीटीईएंडवीटी) उद्योग की जरूरतों के अनुसार अनुकूलित और अनुमोदित हैं। इसके अलावा इन पाठ्यक्रमों की उद्योग की आवश्यकताओं के अनुरूप समीक्षा और उन्नयन किया जाता है।
कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्रालय के अधीन राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) ने विभिन्न क्षेत्र कौशल परिषदों (एसएससी) का गठन किया है, जो उद्योग के नेतृत्व वाले निकाय हैं। वे अन्य बातों के साथ-साथ अपने-अपने क्षेत्रों के लिए कुशल जनशक्ति की आवश्यकताओं का मूल्यांकन करते हैं, व्यावसायिक मानक का निर्माण करते हैं और उद्योग की आवश्यकताओं के अनुसार योग्यता ढांचा विकसित करते हैं, साथ ही प्रशिक्षुओं का मूल्यांकन व प्रमाणन भी करते हैं। एनएसडीसी द्वारा संबंधित क्षेत्र में 36 एसएससी स्थापित किए गए हैं, जिन्हें संबंधित क्षेत्रों की कौशल विकास जरूरतों की पहचान करने के साथ-साथ कौशल क्षमता मानकों को निर्धारित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
स्किल इंडिया मिशन (एसआईएम) के तहत कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) पूरे देश में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आईटीआई) के माध्यम से प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई), जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस), राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्द्धन योजना (एनएपीएस) और शिल्पकार प्रशिक्षण योजना (सीटीएस) जैसी विभिन्न योजनाओं के तहत कौशल विकास केंद्रों/संस्थानों आदि के व्यापक नेटवर्क के माध्यम से कौशल, फिर से कौशल और कौशल उन्नयन प्रशिक्षण प्रदान करता है।
यह जानकारी सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्य मंत्री सुश्री शोभा करंदलाजे ने आज लोकसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
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