वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय

व्यापार एवं निवेश विधि केन्द्र, आईआईएफटी ने सातवीं वर्षगांठ मनाई


“भारत की जी20 अध्यक्षता के दौरान अफ्रीकी संघ को शामिल करने से वैश्विक विकास को और अधिक समावेशी बनाने में मदद मिलेगी”: भारत के जी20 शेरपा

वैश्विक दक्षिण शिखर सम्मेलन और अफ्रीकी शिखर सम्मेलन विकासशील और अल्प-विकसित देशों की चिंताओं को वैश्विक स्तर पर लाने में मदद कर सकते हैं: वाणिज्य सचिव

Posted On: 06 AUG 2024 3:23PM by PIB Delhi

भारतीय विदेश व्यापार संस्थान, नई दिल्ली में व्यापार एवं निवेश विधि केन्द्र (सीटीआईएल) ने भारत मंडपम, नई दिल्ली में अपनी सातवीं वर्षगांठ कार्यक्रम का उत्सव मनाया। वर्षगांठ समारोह में, सरकार के व्यापार नीति से जुड़े थिंक टैंक ने वैश्विक व्यापार एवं सीमा शुल्क जर्नल (जीटीसीजे) का विशेष अंक और भारत की जी20 अध्यक्षतापर अपनी सातवीं वर्षगांठ पत्रिका का विमोचन किया।

 

 

इस कार्यक्रम में भारत सरकार के जी-20 शेरपा श्री अमिताभ कांत, वाणिज्य सचिव श्री सुनील बर्थवाल, वाणिज्य विभाग के अपर सचिव श्री एल. सत्य श्रीनिवास और भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आईआईएफटी) के कुलपति श्री राकेश मोहन जोशी उपस्थित थे।

इस कार्यक्रम में सीटीआईएल के सातवें स्थापना दिवस को सरकारी थिंक टैंक और सलाहकार संगठन के रूप में चिह्नित किया गया। सीटीआईएल की स्थापना वर्ष 2016 में भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा देश में अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेश कानून संबंधी क्षमता विकसित करने और सरकार को अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेश संबंधी कानून के मुद्दों का ठोस और सशक्त कानूनी विश्लेषण प्रदान करने के लिए की गई थी। अपनी स्थापना के बाद से, सीटीआईएल नियमित रूप से वाणिज्य विभाग और अन्य सरकारी विभागों तथा एजेंसियों को डब्ल्यूटीओ कानून और द्विपक्षीय व्यापार समझौतों पर ध्यान केंद्रित करते हुए अंतरराष्ट्रीय आर्थिक कानून में उभरते मुद्दों पर सलाह दे रहा है। अपने समय में, केंद्र ने द्विपक्षीय जुड़ावों पर इनपुट सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय व्यापार मुद्दों पर भारत सरकार को 2,500 से अधिक सलाहकार राय प्रदान की हैं।

अपने मुख्य भाषण में भारत के जी-20 शेरपा श्री अमिताभ कांत ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय स्थिरता, जलवायु परिवर्तन शमन और सतत विकास जैसे प्रमुख मुद्दों का समाधान करने के लिए प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक प्रमुख मंच के रूप में जी-20 के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि ग्लोबल साउथ और उभरते बाजारों की महत्वपूर्ण भूमिका के बावजूद, विभिन्न वैश्विक आर्थिक मंच और संस्थागत बैंक इन देशों की चिंताओं और जलवायु परिवर्तन और स्थिरता पर उनके विचारों के अनुसार समाधान करने में विफल रहे। भारत के जी-20 शेरपा के रूप में, उन्होंने इस बारे में अपनी अंतर्दृष्टि प्रदान करते हुए कहा कि अफ्रीकी संघ को शामिल करने के साथ भारत की जी-20 अध्यक्षता कैसे समावेशी तरीके से अंतरराष्ट्रीय अर्थशास्त्र, सतत विकास और वित्तीय विकास की दिशा को आकार देगी।

श्री कांत ने कहा कि जी-20 एक स्थायी सचिवालय के बिना काम करता है, और इसकी अध्यक्षता कार्यात्मक समर्थन प्रदान करती है और आम सहमति-आधारित प्रणाली पर काम करती है। उन्होंने कहा कि यह महत्वपूर्ण है, क्योंकि नई दिल्ली के नेताओं के घोषणापत्र में सभी 83 पैराग्राफों पर शत-प्रतिशत आम सहमति थी।

 

 

शेरपा ने अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेश कानून के क्षेत्र में वाणिज्य विभाग के लिए किए जा रहे काम के लिए सीटीआईएल और इसके युवा और बहु-विषयक पैरोकारों की भी सराहना की।

व्यापार और निवेश कानून समुदाय और नीति निर्माताओं को संबोधित करते हुए, केंद्रीय वाणिज्य सचिव श्री सुनील बर्थवाल ने वैश्विक दक्षिण की प्रासंगिकता और विकासशील और कम विकसित देशों की जरूरतों को वैश्विक व्यापार प्रणाली में एकीकृत करने की आवश्यकता पर ध्यान दिलाया। विशेष रूप से, उन्होंने आगामी वैश्विक दक्षिण शिखर सम्मेलन और अफ्रीकी शिखर सम्मेलन का उल्लेख ऐसे मंचों के रूप में किया, जो इन देशों की चिंताओं को वैश्विक स्तर पर लाने के तरीके खोज सकते हैं।

केंद्रीय वाणिज्य सचिव ने कहा कि व्यापार वार्ता में गैर-व्यापार मुद्दे तेजी से उभर रहे हैं, जिससे भारत और अन्य विकासशील देशों के लिए एफटीए वार्ता में अंतर-विषयक क्षमता निर्माण की आवश्यकता बढ़ गई है।

 

 

 

व्यापार एवं निवेश कानून केंद्र (सीटीआईएल) की स्थापना वर्ष 2016 में भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (आईआईएफटी) में की गई थी। केंद्र का प्राथमिक उद्देश्य भारत सरकार और अन्य सरकारी एजेंसियों को अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेश कानून से संबंधित कानूनी मुद्दों का ठोस और कठोर विश्लेषण प्रदान करना है।

केंद्र का लक्ष्य कानूनी विशेषज्ञों का एक समर्पित समूह बनाना है जो अंतरराष्ट्रीय व्यापार और निवेश वार्ता और विवाद निपटान में भारत की भागीदारी बढ़ाने के लिए तकनीकी इनपुट प्रदान कर सकें। केंद्र का लक्ष्य अंतरराष्ट्रीय आर्थिक कानून के विभिन्न क्षेत्रों जैसे विश्व व्यापार संगठन के कानून, अंतरराष्ट्रीय निवेश कानून और आर्थिक एकीकरण से संबंधित कानूनी मुद्दों में एक वैचारिक स्तर पर शीर्ष स्थान भी बनाना है।

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