पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय
सरकार ने ‘राष्ट्रीय जलमार्ग-2’ के अंतर्गत ब्रह्मपुत्र नदी पर पांच पुलों के निर्माण कार्य में हो रही प्रगति की पुष्टि की
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण कठोर क्लीयरेंस नियमों के जरिए सुरक्षित नेविगेशन सुनिश्चित करता है
मुख्य अवसंरचना परियोजना ने धुबरी से सादिया तक कनेक्टिविटी बेहतर कर दी है, जिससे क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा मिल रहा है
Posted On:
06 AUG 2024 5:52PM by PIB Delhi
केंद्रीय मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल के नेतृत्व में पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय ने आज राज्यसभा में ब्रह्मपुत्र नदी पर पुलों के निर्माण कार्य में हो रही प्रगति के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की है, जो कि ‘राष्ट्रीय जलमार्ग-2’ का हिस्सा है। वर्तमान में ब्रह्मपुत्र नदी पर पांच पुल निर्माणाधीन हैं, जो कि धुबरी से सादिया तक 891 किलोमीटर क्षेत्र में फैली हुई है और इसे सितंबर 1988 में आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय जलमार्ग-2 घोषित किया गया था।
किसी भी राष्ट्रीय जलमार्ग पर किसी भी पुल के निर्माण के लिए भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्ल्यूएआई) से ‘अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी)’ प्राप्त करना आवश्यक होता है। इस आवश्यकता से यह सुनिश्चित होता है कि संबंधित पुल क्षैतिज और ऊर्ध्वाधर क्लीयरेंस से संबंधित आवश्यक मापदंडों को पूरा करते हैं, जो कि सुरक्षित नेविगेशन को बनाए रखने के लिए अत्यंत जरूरी हैं। भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (भारत में जलमार्गों का वर्गीकरण) नियमन, 2006, जिसे वर्ष 2016 और वर्ष 2022 में संशोधित किया गया है, के अनुसार धुबरी से डिब्रूगढ़ तक ब्रह्मपुत्र नदी को श्रेणी-VII जलमार्ग के रूप में वर्गीकृत किया गया है जिसमें दो खंभों के बीच न्यूनतम 100 मीटर की क्षैतिज क्लीयरेंस और न्यूनतम 10 मीटर की ऊर्ध्वाधर क्लीयरेंस आवश्यक होती है। डिब्रूगढ़ से सादिया तक के खंड या जल क्षेत्र को श्रेणी-V जलमार्ग के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें दो खंभों के बीच न्यूनतम 80 मीटर की क्षैतिज क्लीयरेंस और न्यूनतम 8 मीटर की ऊर्ध्वाधर क्लीयरेंस आवश्यक होती है।
मंत्रालय ने यह भी पुष्टि की कि ब्रह्मपुत्र नदी पर भारलुमुख (दक्षिण गुवाहाटी) को उत्तरी गुवाहाटी से जोड़ने वाले पुल के निर्माण के लिए आईडब्ल्यूएआई द्वारा 28 फरवरी 2018 को गुवाहाटी महानगर विकास प्राधिकरण (जीएमडीए) को अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किया गया था। इस क्लीयरेंस से यह सुनिश्चित होता है कि संबंधित पुल आवश्यक नियमों का पालन करता है, जिससे जलमार्ग पर जहाजों की सुरक्षित और सुव्यवस्थित आवाजाही संभव होती है।
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