महिला एवं बाल विकास मंत्रालय
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मिशन वात्सल्य योजना देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चों और कानून से संघर्षरत बच्चों के लिए सेवाएं प्रदान करती है

मिशन वात्सल्य 18 वर्ष की आयु के बाद संस्थागत से स्वतंत्र जीवन में संक्रमण के दौरान उन्हें सहायता प्रदान करने के लिए “देखभाल के बाद” सेवाएं भी प्रदान करता है

Posted On: 02 AUG 2024 7:27PM by PIB Bhopal

किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 (जेजे अधिनियम) देश में बच्चों की देखभाल और संरक्षण के लिए प्राथमिक कानून है। जेजे अधिनियम की धारा 2 (14) (vi) के अनुसार, ऐसा बच्चा जिसके माता-पिता नहीं हैं और कोई भी उसकी देखभाल और सुरक्षा करने को तैयार नहीं है या जिसे छोड़ दिया गया या समर्पित कर दिया गया है, उसे "देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता वाले बच्चे" के रूप में शामिल किया गया है। यह अधिनियम संकट की स्थिति में बच्चों की व्यापक भलाई सुनिश्चित करने के लिए संस्थागत और गैर-संस्थागत देखभाल के उपायों सहित सेवा वितरण संरचनाओं का एक सुरक्षा नेटवर्क प्रदान करता है।

मिशन वात्सल्य योजना एक केंद्र प्रायोजित योजना (सीएसएस) है, जिसे राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) के माध्यम से बच्चों की देखभाल और संरक्षण की आवश्यकता (सीएनसीपी) और कानून से संघर्षरत बच्चों (सीसीएल) के लिए सेवाएं प्रदान करने के लिए लागू किया जाता है, जिसमें संस्थागत देखभाल और गैर-संस्थागत देखभाल शामिल है। पूर्वोत्तर राज्यों और पहाड़ी राज्यों - हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश को छोड़कर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए निधि साझाकरण पैटर्न 60:40 के अनुपात में है, जहां साझा करने की लागत 90:10 है। बिना विधानसभा वाले केंद्र शासित प्रदेशों में, लागत 100 प्रतिशत केंद्र सरकार पर है। इस योजना के अंतर्गत पुनर्वास उपाय के रूप में बाल देखभाल संस्थानों (सीसीआई) के माध्यम से संस्थागत देखभाल प्रदान की जाती है। होम्स में कार्यक्रमों और गतिविधियों में अन्य बातों के साथ-साथ आयु के अनुसार शिक्षा, व्यावसायिक प्रशिक्षण तक पहुंच, मनोरंजन, स्वास्थ्य देखभाल, परामर्श आदि शामिल हैं। गैर-संस्थागत देखभाल घटक के अंतर्गत, गोद लेने, पालन-पोषण, देखभाल के बाद और प्रायोजन के लिए सहायता प्रदान की जाती है। इसके अलावा मिशन वात्सल्य 18 वर्ष की आयु के बाद संस्थागत से स्वतंत्र जीवन में संक्रमण के दौरान उन्हें बनाए रखने में सहयता करने के लिए "देखभाल के बाद" सेवाएं भी प्रदान करता है। बेघर बच्चों का डेटा मंत्रालय द्वारा केंद्रीय रूप से नहीं रखा जाता है। अधिनियम के निष्पादन और योजना के कार्यान्वयन का प्राथमिक दायित्व राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों का है। दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव में 04 बाल देखभाल संस्थान, 03 बाल कल्याण समितियाँ और 03 किशोर न्याय बोर्ड कार्यरत हैं।

केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती अन्नपूर्णा देवी ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में यह जानकारी दी।

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