सहकारिता मंत्रालय
सहकारी समितियों का विस्तार
Posted On:
24 JUL 2024 5:26PM by PIB Delhi
भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों के सहयोग से एक व्यापक राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस (एनसीडी) विकसित किया गया है । इस उद्देश्य के लिये राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों की ओर से नियुक्त नोडल अधिकारियों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों की सभी सहकारी समितियों का डेटा डेटाबेस में दर्ज किया गया है। एनसीडी पोर्टल के तहत उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, गुजरात और आंध्र प्रदेश में पंजीकृत सहकारी समितियों की कुल संख्या क्रमशः 82,143 और 17,675 है । गुजरात और आंध्र प्रदेश सहित देश में पंजीकृत सहकारी समितियों का राज्यवार विवरण अनुलग्नक-I में संलग्न है ।
सहकारिता मंत्रालय ने छह जुलाई, 2021 को अपनी स्थापना के बाद से, “सहकार-से-समृद्धि” के दृष्टिकोण को साकार करने और देश में प्राथमिक से लेकर शीर्ष स्तर की सहकारी समितियों तक सहकारी आंदोलन को मजबूत करने के लिये कई पहल की हैं । सहकारी समितियों के पुनरोद्धार, पारदर्शिता लाने, आधुनिकीकरण, प्रतिस्पर्धात्मकता लाने और क्षमता निर्माण के लिये अब तक की गयी पहलों और प्रगति की सूची अनुलग्नक-II में संलग्न है। भारत सरकार समितियों के क्षमता विस्तार के लिये निम्नलिखित योजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान कर रही है:
i) कम्प्यूटरीकरण के माध्यम से पैक्स को मजबूत करना: पैक्स को मजबूत करने के लिये, भारत सरकार द्वारा 2,516 करोड़ रुपये के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ कार्यात्मक पैक्स के कम्प्यूटरीकरण के लिये एक परियोजना को मंजूरी दी गयी है, जिसमें देश के सभी कार्यात्मक पैक्स को एक सामान्य ईआरपी आधारित राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर पर लाना, उन्हें राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) के माध्यम से नाबार्ड से जोड़ना शामिल है । परियोजना के तहत 30 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों से कुल 67,009 पैक्स को मंजूरी दी गयी है । हार्डवेयर 28 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा खरीदा गया है। कुल 25,674 पैक्स को ईआरपी सॉफ्टवेयर पर शामिल किया गया है और 15,207 पैक्स क्रियाशील हो गये हैं । हार्डवेयर की खरीद, डिजिटलीकरण और सहायता प्रणाली की स्थापना के लिये वर्ष 2022-23, 2023-24 और 2024-25 में 29 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को 654.22 करोड़ रुपये की भारत सरकार की हिस्सेदारी जारी की गयी ।
ii) कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों (एआरडीबी) का कम्प्यूटरीकरण: दीर्घकालिक सहकारी ऋण ढांचे को मजबूत करने के लिये, 13 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में फैले कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों (एआरडीबी) की 1,851 इकाइयों के कम्प्यूटरीकरण की परियोजना को सरकार की ओर से मंजूरी दी गयी है । नाबार्ड इस परियोजना के लिये कार्यान्वयन एजेंसी है और एआरडीबी के लिये एक राष्ट्रीय स्तर का सॉफ्टवेयर विकसित करेगी । परियोजना के तहत हार्डवेयर, विरासत डेटा के डिजिटलीकरण के लिये समर्थन, कर्मचारियों को प्रशिक्षण आदि प्रदान किये जायेंगे । अब तक 10 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से प्रस्ताव प्राप्त हुये हैं, हार्डवेयर की खरीद, डिजिटलीकरण और सहायता प्रणाली की स्थापना के लिये वित्त वर्ष 2023-24 और वित्त वर्ष 2024-25 में आठ राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को 4.26 करोड़ रुपये जारी किये गये ।
“पीएसीएस के कम्प्यूटरीकरण” और “एआरडीबी के कम्प्यूटरीकरण” के लिये केंद्र प्रायोजित परियोजना के तहत सहकारी समितियों को जारी की गयी धनराशि का राज्य/ संघ राज्य क्षेत्र-वार और वर्ष-वार विवरण अनुलग्नक-III में संलग्न है ।
iii) राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) द्वारा कार्यान्वित योजनायें/ सहायता प्राप्त गतिविधियां: एनसीडीसी एक वैधानिक संगठन है जो भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में है । एनसीडीसी देश भर में सहकारी समितियों/ संघों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है । एनसीडीसी से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में ऋण के रूप में वितरित राशि 1,34,670.90 करोड़ रुपये है, जबकि अनुदान के रूप में वितरित राशि 1,200.04 करोड़ रुपये है । पिछले तीन वर्षों के दौरान एनसीडीसी द्वारा वितरित राज्यवार वित्तीय सहायता का विवरण अनुलग्नक-IV में संलग्न है ।
अनुलग्नक-I.
एनसीडी पोर्टल के अंतर्गत गुजरात और आंध्र प्रदेश सहित देश में पंजीकृत सहकारी समितियों का राज्यवार विवरण (16.07.2024 तक)
क्रमांक।
|
राज्य/संघ राज्य क्षेत्र
|
सोसायटियों की कुल संख्या
|
1
|
अंडमान व नोकोबार द्वीप समूह
|
2,215
|
2
|
आंध्र प्रदेश
|
17,675
|
3
|
अरुणाचल प्रदेश
|
1,228
|
4
|
असम
|
11,204
|
5
|
बिहार
|
26,655
|
6
|
चंडीगढ़
|
476
|
7
|
छत्तीसगढ
|
10,510
|
8
|
दिल्ली
|
5,944
|
9
|
गोवा
|
5,467
|
10
|
गुजरात
|
82,143
|
11
|
हरयाणा
|
32,860
|
12
|
हिमाचल प्रदेश
|
5,170
|
१३
|
जम्मू और कश्मीर
|
9,488
|
14
|
झारखंड
|
11,472
|
15
|
कर्नाटक
|
45,461
|
16
|
केरल
|
6,101
|
17
|
लद्दाख
|
271
|
18
|
लक्षद्वीप
|
42
|
19
|
मध्य प्रदेश
|
53,134
|
20
|
महाराष्ट्र
|
2,22,324
|
21
|
मणिपुर
|
11,294
|
22
|
मेघालय
|
2,944
|
23
|
मिजोरम
|
1,253
|
24
|
नगालैंड
|
8,115
|
25
|
ओडिशा
|
7,581
|
26
|
पुदुचेरी
|
458
|
27
|
पंजाब
|
19,074
|
28
|
राजस्थान
|
37,429
|
29
|
सिक्किम
|
3,797
|
30
|
तमिलनाडु
|
22,057
|
३१
|
तेलंगाना
|
60,619
|
32
|
दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव
|
535
|
33
|
त्रिपुरा
|
3,142
|
34
|
उतार प्रदेश।
|
44,579
|
35
|
उत्तराखंड
|
5,360
|
36
|
पश्चिम बंगाल
|
31,226
|
|
कुल
|
8,09,303
|
अनुलग्नक-II
सहकारिता मंत्रालय ने छह जुलाई, 2021 को अपनी स्थापना के बाद से, ‘सहकार-से-समृद्धि’ के विजन को साकार करने और देश में प्राथमिक से लेकर शीर्ष स्तर की सहकारी समितियों तक सहकारी आंदोलन को मजबूत और गहरा करने के लिये कई पहल की हैं । अब तक की गयी पहलों और प्रगति की सूची इस प्रकार है:
A. प्राथमिक सहकारी समितियों को आर्थिक रूप से क्रियाशील और पारदर्शी बनाना
1. पैक्स को बहुउद्देशीय, बहुआयामी और पारदर्शी संस्थायें बनाने के लिये आदर्श उपनियम: सरकार ने राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों, राष्ट्रीय स्तर के संघों, राज्य सहकारी बैंकों (एसटीसीबीएस), जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीएस), आदि सहित सभी हितधारकों के परामर्श से पैक्स के लिये आदर्श उपनियम तैयार किये हैं और सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को प्रसारित किये हैं, जो पैक्स को 25 से अधिक व्यावसायिक गतिविधियाँ करने, उनके संचालन में शासन, पारदर्शिता और जवाबदेही में सुधार करने में सक्षम बनाते हैं । पैक्स की सदस्यता को अधिक समावेशी और व्यापक बनाने के लिये भी प्रावधान किये गये हैं, जिससे महिलाओं और अनुसूचित जातियों/ अनुसूचित जनजातियों को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिल सके। अब तक 32 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों ने मॉडल उपनियमों को अपनाया है या उनके मौजूदा उपनियम मॉडल उपनियमों के अनुरूप हैं ।
2. कंप्यूटरीकरण के माध्यम से पैक्स को मजबूत करना: पैक्स को मजबूत करने के लिये, भारत सरकार द्वारा 2,516 करोड़ रुपये के कुल वित्तीय परिव्यय के साथ कार्यात्मक पैक्स के कंप्यूटरीकरण की परियोजना को मंजूरी दी गयी है, जिसमें देश के सभी कार्यात्मक पैक्स को एक सामान्य ईआरपी आधारित राष्ट्रीय सॉफ्टवेयर पर लाना और उन्हें एसटीसीबी और डीसीसीबी के माध्यम से नाबार्ड से जोड़ना शामिल है । परियोजना के तहत 30 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के कुल 67,009 पैक्स को मंजूरी दी गयी है । 28 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा हार्डवेयर खरीदा गया है । कुल 25,674 पैक्स को ईआरपी सॉफ्टवेयर पर शामिल किया गया है और 15,207 पैक्स क्रियाशील हो गये हैं ।
3. कवर नहीं की गयी पंचायतों में नयी बहुउद्देशीय पैक्स/ डेयरी/ मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना: नाबार्ड, एनडीडीबी, एनएफडीबी, एनसीडीसी और अन्य राष्ट्रीय स्तर के संघों के समर्थन से अगले पांच वर्षों में सभी पंचायतों/ गांवों को कवर करते हुये नयी बहुउद्देशीय पैक्स या प्राथमिक डेयरी/ मत्स्य सहकारी समितियों की स्थापना की योजना को सरकार ने मंजूरी दे दी है । राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस के अनुसार, राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में कुल 6,844 नयी पैक्स, डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियां पंजीकृत की गयी हैं ।
4. सहकारी क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी विकेन्द्रीकृत अनाज भंडारण योजना: सरकार ने एआईएफ, एएमआई, एसएमएएम, पीएमएफएमई आदि सहित विभिन्न भारत सरकार की योजनाओं के अभिसरण के माध्यम से पैक्स स्तर पर अनाज भंडारण के लिये गोदामों, कस्टम हायरिंग केंद्रों, प्राथमिक प्रसंस्करण इकाइयों और अन्य कृषि बुनियादी अवसंरचना को बनाने की योजना को मंजूरी दी है । पायलट प्रोजेक्ट के तहत 11 राज्यों की 11 पैक्स में गोदामों का निर्माण किया गया है और पायलट प्रोजेक्ट को अब 500 अतिरिक्त पैक्स तक बढ़ाया जा रहा है ।
5. ई-सेवाओं तक बेहतर पहुंच के लिये कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के रूप में पैक्स: पैक्स के माध्यम से बैंकिंग, बीमा, आधार नामांकन/ अद्यतन, स्वास्थ्य सेवायें, पैन कार्ड और आईआरसीटीसी/ बस / हवाई टिकट आदि जैसी 300 से अधिक ई-सेवायें प्रदान करने के लिये सहकारिता मंत्रालय, एमईआईटीवाई, नाबार्ड और सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज इंडिया लिमिटेड के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गये हैं । अब तक 37,169 पैक्स ने ग्रामीण नागरिकों को सीएससी सेवायें प्रदान करना शुरू कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप इन पैक्स की आय में भी वृद्धि होगी ।
6. पैक्स द्वारा नये किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन: सरकार ने एनसीडीसी के समर्थन से उन ब्लॉकों में पैक्स द्वारा 1,100 अतिरिक्त एफपीओ बनाने की अनुमति दी है, जहां अभी तक एफपीओ का गठन नहीं हुआ है या ब्लॉक किसी अन्य कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा कवर नहीं किये गये हैं । इसके अलावा, एनसीडीसी द्वारा सहकारी क्षेत्र में 992 एफपीओ का गठन किया गया है । यह किसानों को आवश्यक बाजार संपर्क प्रदान करने और उनकी उपज का उचित और लाभकारी मूल्य दिलाने में सहायक होगा ।
7. खुदरा पेट्रोल/ डीजल दुकानों के लिये पैक्स को प्राथमिकता दी गयी: सरकार ने खुदरा पेट्रोल/ डीजल दुकानों के आवंटन के लिये पैक्स को संयुक्त श्रेणी 2 (सीसी2) में शामिल करने की अनुमति दी है । तेल विपणन कंपनियों (ओएमसी) से प्राप्त जानकारी के अनुसार, 25 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों के 270 से अधिक पैक्स ने खुदरा पेट्रोल/डीजल दुकानों के लिये ऑनलाइन आवेदन किया है ।
8. पैक्स को थोक उपभोक्ता पेट्रोल पंपों को खुदरा दुकानों में बदलने की अनुमति दी गयी: पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के साथ विचार-विमर्श के आधार पर, मौजूदा थोक उपभोक्ता लाइसेंसधारी पैक्स को खुदरा दुकानों में बदलने के लिये दिशानिर्देश जारी किये गये हैं, जिससे पैक्स का लाभ बढ़ाया जा सके और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा किये जा सकें ।
9. अपनी गतिविधियों में विविधता लाने के लिये एलपीजी वितरक के लिये पात्र पैक्स: सरकार ने अब पैक्स को एलपीजी वितरक के लिये आवेदन करने की अनुमति दे दी है । इससे पैक्स को अपनी आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नये अवसर पैदा करने का विकल्प मिलेगा । चार राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों से कुल 31 पैक्स ने ऑनलाइन आवेदन जमा किये हैं ।
10. ग्रामीण स्तर पर जेनेरिक दवाओं तक पहुंच में सुधार के लिये प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र के रूप में पैक्स: सरकार प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्र संचालित करने के लिये पैक्स को बढ़ावा दे रही है, जिससे उन्हें अतिरिक्त आय का स्रोत मिलेगा और ग्रामीण नागरिकों के लिये जेनेरिक दवाओं तक पहुंच आसान होगी । अब तक 4,341 पैक्स/सहकारी समितियों ने प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्रों के लिए ऑनलाइन आवेदन किया है, जिनमें से 2,594 पैक्स को पीएमबीआई द्वारा प्रारंभिक स्वीकृति दी गयी है और 674 को राज्य औषधि नियंत्रकों से औषधि लाइसेंस प्राप्त हुये हैं, जो प्रधानमंत्री भारतीय जन औषधि केंद्रों के रूप में कार्य करने के लिये तैयार हैं ।
11. प्रधानमंत्री किसान समृद्धि केंद्र (पीएमकेएसके) के रूप में पैक्स : सरकार देश में किसानों को उर्वरक और संबंधित सेवाओं की आसान पहुंच सुनिश्चित करने के लिये पीएमकेएसके संचालित करने के लिये पैक्स को बढ़ावा दे रही है। राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा साझा की गयी जानकारी के अनुसार, 38,141 पैक्स पीएमकेएसके के रूप में कार्य कर रहे हैं ।
12. पैक्स स्तर पर पीएस-केयूएसयूएम का अभिसरण: पैक्स से जुड़े किसान सौर कृषि जल पंप अपना सकते हैं और अपने खेतों में फोटोवोल्टिक मॉड्यूल स्थापित कर सकते हैं ।
13. ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजनाओं (पीडब्ल्यूएस) के संचालन एवं रखरखाव का कार्य पैक्स द्वारा किया जायेगा: ग्रामीण क्षेत्रों में पैक्स की गहरी पहुंच का उपयोग करने के लिये, सहकारिता मंत्रालय की पहल पर, जल शक्ति मंत्रालय ने ग्रामीण क्षेत्रों में पीडब्ल्यूएस के संचालन एवं रखरखाव (ओएंडएम) के लिये पैक्स को पात्र एजेंसियां बनाया है । राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पंचायत/ गांव स्तर पर संचालन एवं रखरखाव सेवायें प्रदान करने के लिये 16 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा 1,833 पैक्स की पहचान/ चयन किया गया है ।
14 .घर-द्वार वित्तीय सेवायें प्रदान करने के लिये बैंक मित्र सहकारी समितियों को माइक्रो-एटीएम: डेयरी और मत्स्य सहकारी समितियों को डीसीसीबी और एसटीसीबी का बैंक मित्र बनाया जा सकता है । व्यापार करने में उनकी आसानी, पारदर्शिता और वित्तीय समावेशन सुनिश्चित करने के लिये पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर गुजरात के पंचमहल और बनासकांठा जिलों में बैंक मित्र सहकारी समितियों को करीब 2,700 माइक्रो-एटीएम वितरित किये गये हैं । यह पहल अब गुजरात राज्य के सभी जिलों में लागू की जा रही है ।
15. दुग्ध सहकारी समितियों के सदस्यों को रुपे किसान क्रेडिट कार्ड: डीसीसीबी/ एसटीसीबी की पहुंच बढ़ाने और डेयरी सहकारी समितियों के सदस्यों को जरूरी नकदी उपलब्ध कराने के लिए सहकारी समितियों के सदस्यों को रुपे किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) वितरित किये जा रहे हैं, ताकि उन्हें तुलनात्मक रूप से कम ब्याज दरों पर ऋण उपलब्ध कराया जा सके और वे अन्य वित्तीय लेनदेन कर सकें। अब तक गुजरात के पंचमहल और बनासकांठा जिलों में 48,000 रुपे केसीसी वितरित किये जा चुके हैं । यह पहल अब गुजरात राज्य के सभी जिलों में लागू की जा रही है ।
16. मत्स्य किसान उत्पादक संगठन (एफएफपीओ) का गठन: मछुआरों को बाजार संपर्क और प्रसंस्करण सुविधायें उपलब्ध कराने के लिये एनसीडीसी ने शुरुआती चरण में 69 एफएफपीओ पंजीकृत किये हैं । इसके अतिरिक्त, मत्स्य पालन विभाग, भारत सरकार ने 225.50 करोड़ रुपये के स्वीकृत परिव्यय के साथ 1000 मौजूदा मत्स्य सहकारी समितियों को एफएफपीओ में परिवर्तित करने का कार्य एनसीडीसी को आवंटित किया है ।
B. शहरी और ग्रामीण सहकारी बैंकों को मजबूत बनाना
17. शहरी सहकारी बैंकों को अपने व्यवसाय का विस्तार करने के लिये नयी शाखायें खोलने की अनुमति दी गयी है: शहरी सहकारी बैंक अब भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की पूर्व स्वीकृति के बिना पिछले वित्तीय वर्ष में मौजूदा शाखाओं की संख्या के 10 प्रतिशत (अधिकतम पांच शाखायें) तक नये शाखायें खोल सकते हैं ।
18. शहरी सहकारी बैंकों को आरबीआई द्वारा अपने ग्राहकों को घर के दरवाजे पर सेवायें प्रदान करने की अनुमति दी गयी है: शहरी सहकारी बैंकों द्वारा अब घर के दरवाजे पर बैंकिंग सुविधा प्रदान की जा सकती है । इन बैंकों के खाताधारक अब घर बैठे विभिन्न बैंकिंग सुविधाओं का लाभ उठा सकते हैं, जैसे नकद निकासी, नकद जमा, केवाईसी, पेंशनभोगियों के लियें डिमांड ड्राफ्ट और जीवन प्रमाण पत्र आदि ।
19. सहकारी बैंकों को वाणिज्यिक बैंकों की तरह बकाया ऋणों का एकमुश्त निपटान करने की अनुमति दी गयी है: सहकारी बैंक, बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीतियों के माध्यम से, अब तकनीकी राइट-ऑफ के साथ-साथ उधारकर्ताओं के साथ निपटान की प्रक्रिया प्रदान कर सकते हैं ।
20. यूसीबी को दिये गये प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (पीएसएल) लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये समय सीमा बढ़ाई गयी: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने यूसीबी के लिये प्राथमिकता क्षेत्र ऋण (पीएसएल) लक्ष्य को प्राप्त करने की समय सीमा दो साल यानी 31 मार्च, 2026 तक बढ़ा दी है।
21. शहरी सहकारी बैंकों के साथ नियमित संपर्क के लिये आरबीआई में एक नोडल अधिकारी नामित: सहकारी क्षेत्र की लंबे समय से लंबित मांग को पूरा करने के लिये, आरबीआई ने निकट समन्वय और केंद्रित संपर्क के लिये एक नोडल अधिकारी को अधिसूचित किया है ।
22. ग्रामीण और शहरी सहकारी बैंकों के लिये आरबीआई द्वारा व्यक्तिगत आवास ऋण सीमा दोगुनी से अधिक की गयी: शहरी सहकारी बैंकों की आवास ऋण सीमा अब 30 लाख रुपये से दोगुनी होकर 60 लाख रुपये हो गयी है । ग्रामीण सहकारी बैंकों की आवास ऋण सीमा को ढाई गुना बढ़ाकर 75 लाख रुपये कर दिया गया है ।
23. ग्रामीण सहकारी बैंक अब वाणिज्यिक अचल संपत्ति/ आवासीय आवास क्षेत्र को ऋण दे सकेंगे, जिससे उनके व्यवसाय में विविधता आयेगी: इससे न केवल ग्रामीण सहकारी बैंकों को अपने व्यवसाय में विविधता लाने में मदद मिलेगी, बल्कि आवास सहकारी समितियों को भी लाभ होगा।
24. सहकारी बैंकों के लिये लाइसेंस शुल्क कम किया गया: सहकारी बैंकों को ‘आधार सक्षम भुगतान प्रणाली’ (एईपीएस) में शामिल करने के लिये लाइसेंस शुल्क को लेनदेन की संख्या से जोड़कर कम कर दिया गया है । सहकारी वित्तीय संस्थान भी प्री-प्रोडक्शन चरण के पहले तीन महीनों के लिये यह सुविधा मुफ्त में प्राप्त कर सकेंगे । इससे किसान अब बायोमेट्रिक्स के जरिये अपने घर पर ही बैंकिंग की सुविधा प्राप्त कर सकेंगे ।
25. ऋण देने में सहकारी समितियों की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिये गैर-अनुसूचित यूसीबी, एसटीसीबी और डीसीसीबी को सीजीटीएमएसई योजना में सदस्य ऋण देने वाली संस्थाओं (एमएलआई) के रूप में अधिसूचित किया गया: सहकारी बैंक अब दिये गये ऋणों पर 85 प्रतिशत तक जोखिम कवरेज का लाभ ले सकेंगे । साथ ही, सहकारी क्षेत्र के उद्यम भी अब सहकारी बैंकों से कोलैटरल मुक्त ऋण प्राप्त कर सकेंगे ।
26. शहरी सहकारी बैंकों को शामिल करने के लिये अनुसूची मानदंडों की अधिसूचना: यूसीबी जो ‘वित्तीय रूप से मजबूत और अच्छी तरह से प्रबंधित’ (एफएसडब्ल्यूएम) मानदंडों को पूरा करते हैं और पिछले दो वर्षों से टियर 3 के रूप में वर्गीकरण के लिये आवश्यक न्यूनतम जमा बनाये रखते हैं, अब भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की अनुसूची II में शामिल होने और ‘अनुसूचित’ दर्जा प्राप्त करने के पात्र हैं ।
27. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने गोल्ड लोन के लिये मौद्रिक सीमा दोगुनी की: आरबीआई ने उन यूसीबी के लिये मौद्रिक सीमा दो लाख रुपये से बढ़ाकर चार लाख रुपये कर दी है, जो पीएसएल लक्ष्यों को पूरा करते हैं ।
28. शहरी सहकारी बैंकों के लिये अम्ब्रेला संगठन: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शहरी सहकारी बैंकों और क्रेडिट सोसाइटीज लिमिटेड (एनएएफसीयूबी) के राष्ट्रीय महासंघ को यूसीबी क्षेत्र के लिये एक अम्ब्रेला संगठन (यूओ) के गठन के लिये मंजूरी दे दी है, जो लगभग 1,500 यूसीबी को आवश्यक सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अवसंरचना और परिचालन सहायता प्रदान करेगा।
C. आयकर अधिनियम में सहकारी समितियों को राहत
29. एक से 10 करोड़ रुपये के बीच की आय वाली सहकारी समितियों के लिये अधिभार 12 प्रतिशत से घटाकर सात फीसदी किया गया: इससे सहकारी समितियों पर आयकर का बोझ कम होगा और उनके पास अपने सदस्यों के लाभ के लिए काम करने के लिये अधिक पूंजी उपलब्ध होगी ।
30. सहकारी समितियों के लिये एमएटी 18.5 प्रतिशत से घटाकर 15 फीसदी किया गया: इस प्रावधान के साथ, अब इस संबंध में सहकारी समितियों और कंपनियों के बीच समानता है ।
31. आयकर अधिनियम की धारा 269एसटी के तहत नकद लेनदेन में राहत: आयकर अधिनियम की धारा 269 एसटी के तहत सहकारी समितियों द्वारा नकद लेनदेन में कठिनाइयों को दूर करने के लिये, सरकार ने एक स्पष्टीकरण जारी किया है कि एक सहकारी समिति द्वारा अपने वितरक के साथ एक दिन में किये गये दो लाख रुपये से कम के नकद लेनदेन को अलग से माना जायेगा, और उस पर आयकर जुर्माना नहीं लगाया जायेगा ।
32. नयी विनिर्माण सहकारी समितियों के लिये कर कटौती: सरकार ने निर्णय लिया है कि 31 मार्च, 2024 तक विनिर्माण गतिविधियाँ शुरू करने वाली नयी सहकारी समितियों के लिये पहले की दर 30 प्रतिशत प्लस सरचार्ज की तुलना में 15 प्रतिशत की एक फ्लैट कम कर दर लगायी जायेगी । इससे विनिर्माण क्षेत्र में नयी सहकारी समितियों के गठन को बढ़ावा मिलेगा ।
33. पैक्स और पीसीएआरडीबीएस द्वारा नकद जमा और नकद ऋण की सीमा में वृद्धि: इस प्रावधान से उनकी गतिविधियों में सुविधा होगी, उनका कारोबार बढ़ेगा तथा उनकी सोसायटी के सदस्यों को लाभ होगा ।
34. नकद निकासी में स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) की सीमा में वृद्धि: सरकार ने स्रोत पर कर कटौती के बिना सहकारी समितियों की नकद निकासी की सीमा एक करोड़ रुपये से बढ़ाकर तीन करोड़ रुपये प्रति वर्ष कर दी है । इस प्रावधान से सहकारी समितियों के लिये स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) की बचत होगी, जिससे उनकी तरलता बढ़ेगी ।
D. सहकारी चीनी मिलों का पुनरुद्धार
35. चीनी सहकारी मिलों को आयकर से राहत: सरकार ने एक स्पष्टीकरण जारी किया है कि सहकारी चीनी मिलों को अप्रैल, 2016 से किसानों को उचित और लाभकारी या राज्य परामर्श मूल्य तक उच्च गन्ना मूल्य का भुगतान करने के लिये अतिरिक्त आयकर के अधीन नहीं किया जायेगा ।
36. चीनी सहकारी मिलों के आयकर से संबंधित दशकों पुराने लंबित मुद्दों का समाधान: सरकार ने अपने केंद्रीय बजट 2023-24 में एक प्रावधान किया है, जिसमें चीनी सहकारी समितियों को आकलन वर्ष 2016-17 से पहले की अवधि के लिये गन्ना किसानों को उनके भुगतान को व्यय के रूप में दावा करने की अनुमति दी गयी है, जिससे उन्हें 10,000 करोड़ रुपये से अधिक की राहत मिलेगी।
37. चीनी सहकारी मिलों को मजबूत करने के लिये 10,000 करोड़ रुपये की ऋण योजना शुरू की गयी: सरकार ने इथेनॉल संयंत्र या सह उत्पादन संयंत्र स्थापित करने या कार्यशील पूंजी या तीनों उद्देश्यों के लिये एनसीडीसी के माध्यम से एक योजना शुरू की है । एनसीडीसी द्वारा अब तक 36 सहकारी चीनी मिलों को 5746.76 करोड़ रुपये की ऋण राशि स्वीकृत की गयी है ।
38. इथेनॉल की खरीद में सहकारी चीनी मिलों को वरीयता: इथेनॉल मिश्रण कार्यक्रम (ईबीपी) के तहत भारत सरकार की ओर से इथेनॉल खरीद के लिये सहकारी चीनी मिलों को अब निजी कंपनियों के बराबर रखा गया है ।
39. शीरे पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को 28 प्रतिशत से घटाकर पांच फीसदी करना: सरकार ने शीरे पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को 28 प्रतिशत से घटाकर पांच फीसदी करने का निर्णय लिया है, जिससे सहकारी चीनी मिलें अपने सदस्यों के लिये अधिक मार्जिन वाली डिस्टिलरी को शीरा बेचकर अधिक लाभ कमा सकेंगी ।
E. तीन नयी राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्यीय समितियां
40. प्रमाणित बीजों के लिये नयी राष्ट्रीय बहु-राज्यीय सहकारी बीज समिति: सरकार ने एमएससीएस अधिनियम, 2002 के तहत एक नयी शीर्ष बहु-राज्यीय सहकारी बीज समिति की स्थापना की है, जिसका नाम भारतीय बीज सहकारी समिति लिमिटेड (बीबीएसएसएल) है, जो एक ही ब्रांड के तहत गुणवत्तापूर्ण बीज की खेती, उत्पादन और वितरण के लिये एक छत्र संगठन है । बीबीएसएसएल ने अब तक रबी सीजन के दौरान 366 हेक्टेयर भूमि पर गेहूं, सरसों और दलहन (चना, मटर) के प्रजनक बीज लगाये हैं । इसी तरह, खरीफ सीजन के दौरान 148.26 हेक्टेयर भूमि पर धान, मूंग, सोयाबीन, मूंगफली, ज्वार और ग्वार के प्रजनक बीज लगाये गये हैं । आज तक 11714 पैक्स/ सहकारी समितियाँ बीबीएसएसएल की सदस्य बन चुकी हैं ।
41. जैविक खेती के लिये नयी राष्ट्रीय बहु-राज्य सहकारी जैविक सोसायटी: सरकार ने एमएससीएस अधिनियम, 2002 के तहत एक नयी शीर्ष बहु-राज्य सहकारी जैविक सोसायटी की स्थापना की है, जिसका नाम राष्ट्रीय सहकारी जैविक लिमिटेड (एनसीओएल) है, जो प्रमाणित और प्रामाणिक जैविक उत्पादों का उत्पादन, वितरण और विपणन करने के लिये एक छत्र संगठन है । आज तक 3,775 पीएसीएस/ सहकारी समितियां एनसीओएल की सदस्य बन चुकी हैं। अब तक एनसीओएल द्वारा “भारत ऑर्गेनिक्स” ब्रांड के तहत 12 जैविक उत्पाद पेश किये गये हैं ।
42. निर्यात को बढ़ावा देने के लिये नयी राष्ट्रीय बहु-राज्य सहकारी निर्यात सोसायटी: सरकार ने सहकारी क्षेत्र से निर्यात को बढ़ावा देने के लिये एमएससीएस अधिनियम, 2002 के तहत एक नई शीर्ष बहु-राज्य सहकारी निर्यात सोसायटी की स्थापना की है, जिसका नाम राष्ट्रीय सहकारी निर्यात लिमिटेड (एनसीईएल) है । आज तक लगभग 7700 पीएसीएस/सहकारी समितियां एनसीईएल की सदस्य बन चुकी हैं । एनसीईएल द्वारा कुल 8,15,007 मीट्रिक टन वस्तुओं का निर्यात किया गया है, जिसमें से 8,01,790 मीट्रिक टन चावल, 7,685 मीट्रिक टन प्याज, 4507 मीट्रिक टन चीनी, 1025 मीट्रिक टन गेहूं का निर्यात किया गया है ।
F. सहकारिता में क्षमता निर्माण
43. राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद (एनसीसीटी) के माध्यम से प्रशिक्षण और जागरूकता को बढ़ावा देना: अपनी पहुंच बढ़ाकर, एनसीसीटी ने वित्त वर्ष 2023-24 में 3,619 प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये हैं और 2,21,478 प्रतिभागियों को प्रशिक्षण प्रदान किया है । अप्रैल से जून 2024 तक, एनसीसीटी ने 435 कार्यक्रमों के तिमाही लक्ष्य के मुकाबले 494 कार्यक्रम आयोजित किए हैं और 10875 प्रतिभागियों के लक्ष्य के मुकाबले 19,591 प्रतिभागियों को प्रशिक्षित किया है।
44. सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना: सहकारी शिक्षा, प्रशिक्षण, परामर्श, अनुसंधान और विकास और प्रशिक्षित जनशक्ति की एक सतत और गुणवत्तापूर्ण आपूर्ति के लिये राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना के लिये सहकारिता मंत्रालय द्वारा कैबिनेट नोट तैयार किया गया है ।
G.‘व्यापार करने में आसानी’ के लिए सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग
45. केंद्रीय रजिस्ट्रार कार्यालय का कम्प्यूटरीकरण: बहु-राज्य सहकारी समितियों के लिये एक डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिये केंद्रीय रजिस्ट्रार कार्यालय को कम्प्यूटरीकृत किया गया है, जो समयबद्ध तरीके से आवेदनों और सेवा अनुरोधों को संसाधित करने में सहायता करेगा ।
47. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में आरसीएस के कार्यालयों के कम्प्यूटरीकरण की योजना: सहकारी समितियों के लिये ‘व्यापार करने में आसानी’ बढ़ाने और सभी राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में पारदर्शी कागज रहित विनियमन के लिये एक डिजिटल पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिये, आरसीएस कार्यालयों के कम्प्यूटरीकरण के लिये एक केंद्र प्रायोजित परियोजना को सरकार द्वारा मंजूरी दी गयी है। राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को हार्डवेयर की खरीद, सॉफ्टवेयर के विकास आदि के लिये अनुदान प्रदान किया जायेगा ।
कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों (एआरडीबी) का कम्प्यूटरीकरण: दीर्घकालिक सहकारी ऋण संरचना को मजबूत करने के लिये, 13 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों में फैले कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों (एआरडीबी) की 1,851 इकाइयों के कम्प्यूटरीकरण की परियोजना को सरकार द्वारा मंजूरी दी गयी है । नाबार्ड परियोजना के लिये कार्यान्वयन एजेंसी है और एआरडीबी के लिये एक राष्ट्रीय स्तर का सॉफ्टवेयर विकसित करेगी । परियोजना के तहत हार्डवेयर, विरासत डेटा के डिजिटलीकरण के लिये सहायता, कर्मचारियों को प्रशिक्षण आदि प्रदान किये जायेंगे। अब तक, 10 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों से प्रस्ताव प्राप्त हुये हैं और उन्हें मंजूरी दी गयी है । इसके अलावा, हार्डवेयर की खरीद, डिजिटलीकरण और सहायता प्रणाली की स्थापना के लिये वित्त वर्ष 2023-24 और वित्त वर्ष 2024-25 में 8 राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों को 4.26 करोड़ रुपये की राशि जारी की गयी ।
H. अन्य पहल
48. प्रामाणिक और अद्यतन डेटा संग्रह के लिये नया राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस: देश भर में सहकारी समितियों से संबंधित कार्यक्रमों/योजनाओं के नीति निर्माण और कार्यान्वयन में हितधारकों की सुविधा के लिये राज्य सरकारों के सहयोग से देश में सहकारी समितियों का एक डेटाबेस तैयार किया गया है । अब तक लगभग 8.09 लाख सहकारी समितियों का डेटा डेटाबेस में दर्ज किया जा चुका है ।
49. नयी राष्ट्रीय सहकारी नीति का निर्माण: ‘सहकार-से-समृद्धि’ के विजन को साकार करने के लिए एक जीवंत पारिस्थितिकी तंत्र को सक्षम करने के लिये नयी राष्ट्रीय सहकारी नीति तैयार करने के लिये देश भर से 49 विशेषज्ञों और हितधारकों वाली एक राष्ट्रीय स्तर की समिति का गठन किया गया है ।
50. बहु-राज्य सहकारी समितियां (संशोधन) अधिनियम, 2023: शासन को मजबूत करने, पारदर्शिता बढ़ाने, जवाबदेही बढ़ाने, चुनावी प्रक्रिया में सुधार लाने और बहु-राज्य सहकारी समितियों में 97वें संविधान संशोधन के प्रावधानों को शामिल करने के लिये एमएससीएस अधिनियम, 2002 में संशोधन लाया गया है ।
51. सहकारी समितियों को जीईएम पोर्टल पर ‘खरीदार’ के रूप में शामिल करना: सरकार ने सहकारी समितियों को जीईएम पर ‘खरीदार’ के रूप में पंजीकरण करने की अनुमति दी है, जिससे वे किफायती खरीद और अधिक पारदर्शिता की सुविधा के लिये 67 लाख से अधिक विक्रेताओं से सामान और सेवाये खरीद सकेंगी । अब तक, 559 सहकारी समितियों को खरीदारों के रूप में जीईएम पर शामिल किया गया है ।
52. राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) का विस्तार इसकी सीमा और गहराई बढ़ाने के लिये: एनसीडीसी ने विभिन्न क्षेत्रों में नयी योजनायें शुरू की हैं, जैसे एसएचजी के लिये ‘स्वयंशक्ति सहकार’, दीर्घकालिक कृषि ऋण के लिये ‘दीर्घावधि कृषक सहकार’ और डेयरी के लिये ‘डेयरी सहकार’। वित्त वर्ष 2023-24 में एनसीडीसी द्वारा 60,618.47 करोड़ रुपये वितरित किये गये हैं। एनसीडीसी ने वित्त वर्ष 2024-25 में अब तक 19,287.17 करोड़ रुपये वितरित किये हैं । भारत सरकार ने एनसीडीसी को निर्दिष्ट नियमों और शर्तों के पालन के अधीन, सरकारी गारंटी के साथ 2000 करोड़ रुपये मूल्य के बॉन्ड जारी करने की अनुमति दी है । इसके अलावा, एनसीडीसी विभिन्न राष्ट्रीय योजनाओं को सहकारी समितियों तक उनके दरवाजे पर ले जाने के उद्देश्य से छह पूर्वोत्तर राज्यों - अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड और त्रिपुरा में उप-कार्यालय स्थापित कर रहा है ।
53. डीप सी ट्रॉलर के लिये एनसीडीसी द्वारा वित्तीय सहायता: एनसीडीसी भारत सरकार के मत्स्य विभाग के समन्वय से डीप सी ट्रॉलर से संबंधित परियोजनाओं के लिये वित्तीय सहायता प्रदान कर रहा है । महाराष्ट्र में 20.30 करोड़ रुपये की ब्लॉक लागत पर 14 गहरे समुद्र ट्रॉलरों की खरीद के लिये 11.55 करोड़ रुपये, राजमाता विकास मच्छीमार सहकारी संस्था लिमिटेड, मुंबई को 46.74 करोड़ रुपये की ब्लॉक लागत पर समुद्री खाद्य प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने के लिये 37.39 करोड़ रुपये, केरल सरकार की एकीकृत मत्स्य विकास परियोजना (आईएफडीपी) के लिए 32.69 करोड़ रुपये और एनसीडीसी ने 36.00 करोड़ रुपये की ब्लॉक लागत के साथ 30 गहरे समुद्र ट्रॉलरों की खरीद के लिये श्री महावीर मच्छीमार सहकारी मंडली लिमिटेड, गुजरात के प्रस्ताव को मंजूरी दी है ।
54. सहारा समूह की सहकारी समितियों के निवेशकों को धन वापसी: सहारा समूह की सहकारी समितियों के वास्तविक जमाकर्ताओं को पारदर्शी तरीके से भुगतान करने के लिये एक पोर्टल शुरू किया गया है । उचित पहचान और उनके जमा और दावों के प्रमाण प्रस्तुत करने के बाद वितरण पहले ही शुरू किया जा चुका है ।
अनुलग्नक-III
वर्ष 2022-23, 2023-24 और 2024-25 में “पैक्स के कम्प्यूटरीकरण” और “एआरडीबी के कम्प्यूटरीकरण” के लिये केंद्र प्रायोजित परियोजना के तहत सहकारी समितियों को जारी किये गये धन का राज्य/ संघ राज्य क्षेत्र-वार और वर्ष-वार विवरण
1. “पैक्स के कम्प्यूटरीकरण” के लिये केंद्र प्रायोजित परियोजना के तहत जारी भारत सरकार का शेयर फंड
(रुपये में)
क्रमांक।
|
राज्य/संघ राज्य क्षेत्र
|
वित्त वर्ष 2022-23
|
वित्त वर्ष 2023-24
|
वित्त वर्ष 2024-25
|
कुल
|
|
1
|
छत्तीसगढ
|
14,86,00,000
|
0
|
-
|
14,86,00,000
|
|
2
|
मध्य प्रदेश
|
33,23,00,000
|
25,42,25,000
|
-
|
58,65,25,000
|
|
3
|
आंध्र प्रदेश
|
14,93,00,000
|
3,74,47,271
|
-
|
18,67,47,271
|
|
4
|
पंजाब
|
25,52,00,000
|
0
|
-
|
25,52,00,000
|
|
5
|
पश्चिम बंगाल
|
30,54,00,000
|
0
|
-
|
30,54,00,000
|
|
6
|
झारखंड
|
10,99,00,000
|
0
|
-
|
10,99,00,000
|
|
7
|
मणिपुर
|
2,55,00,000
|
0
|
-
|
2,55,00,000
|
|
8
|
राजस्थान Rajasthan
|
23,78,00,000
|
43,29,86,131
|
-
|
67,07,86,131
|
|
9
|
उतार प्रदेश।
|
11,28,00,000
|
42,30,41,650
|
-
|
53,58,41,650
|
|
10
|
अरुणाचल प्रदेश
|
15,00,000
|
12,00,000
|
-
|
27,00,000
|
|
11
|
महाराष्ट्र
|
87,95,00,000
|
33,64,50,000
|
-
|
1,21,59,50,000
|
|
12
|
त्रिपुरा
|
2,95,00,000
|
1,12,50,000
|
1,51,65,354
|
5,59,15,354
|
|
१३
|
हिमाचल प्रदेश
|
9,56,00,000
|
7,32,00,000
|
-
|
16,88,00,000
|
|
14
|
सिक्किम
|
1,18,00,000
|
90,00,000
|
-
|
2,08,00,000
|
|
15
|
कर्नाटक
|
40,25,00,000
|
15,39,00,000
|
-
|
55,64,00,000
|
|
16
|
गोवा
|
32,00,000
|
12,50,000
|
-
|
44,50,000
|
|
17
|
मेघालय
|
1,23,00,000
|
0
|
-
|
1,23,00,000
|
|
18
|
मिजोरम
|
27,00,000
|
0
|
-
|
27,00,000
|
|
19
|
असम
|
6,41,00,000
|
2,45,25,000
|
-
|
8,86,25,000
|
|
20
|
बिहार
|
32,95,00,000
|
0
|
-
|
32,95,00,000
|
|
21
|
नगालैंड
|
36,00,000
|
2,45,68,555
|
-
|
2,81,68,555
|
|
22
|
हरयाणा
|
4,85,00,000
|
2,44,16,000
|
-
|
7,29,16,000
|
|
23
|
तमिलनाडु
|
33,20,00,000
|
12,48,20,000
|
-
|
45,68,20,000
|
|
24
|
गुजरात
|
0
|
58,30,00,000
|
-
|
58,30,00,000
|
|
25
|
उत्तराखंड
|
0
|
3,68,74,057
|
-
|
3,68,74,057
|
|
26
|
अंडमान व नोकोबार द्वीप समूह
|
0
|
68,81,462
|
-
|
68,81,462
|
|
27
|
लद्दाख
|
0
|
12,00,000
|
-
|
12,00,000
|
|
28
|
जम्मू और कश्मीर
|
5,25,00,000
|
1,51,78,040
|
-
|
6,76,78,040
|
|
29
|
पुदुचेरी
|
44,00,000
|
16,75,000
|
-
|
60,75,000
|
|
कुल
|
3,95,00,00,000
|
2,57,70,88,166
|
1,51,65,354
|
6,54,22,53,520
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
|
2. “एआरडीबी के कम्प्यूटरीकरण” के लिए केंद्र प्रायोजित परियोजना के तहत भारत सरकार की शेयर निधि जारी की गई
(रु. में)
क्रमांक।
|
राज्य/संघ राज्य क्षेत्र
|
वित्त वर्ष 2023-24
|
वित्त वर्ष 2024-25
|
कुल
|
1.
|
पुदुचेरी
|
3,89,630
|
-
|
3,89,630
|
2.
|
पंजाब
|
46,75,558
|
-
|
46,75,558
|
3.
|
जम्मू और कश्मीर
|
26,35,731
|
-
|
26,35,731
|
4.
|
त्रिपुरा
|
3,86,765
|
-
|
3,86,765
|
5.
|
उतार प्रदेश।
|
1,27,20,267
|
-
|
1,27,20,267
|
6.
|
कर्नाटक
|
80,27,519
|
-
|
80,27,519
|
7.
|
तमिलनाडु
|
0
|
81,92,106
|
81,92,106
|
8.
|
हिमाचल प्रदेश
|
0
|
56,10,032
|
56,10,032
|
कुल
|
2,88,35,470
|
1,38,02,138
|
4,26,37,608
|
अनुलग्नक - IV
एनसीडीसी द्वारा वितरित वित्तीय सहायता का राज्यवार विवरण
2021-22 से 2023-24 तक
(करोड़ रुपए में)
क्रमांक।
|
राज्य का नाम
|
2021-22
|
2022-23
|
2023-24
|
ऋृण
|
अनुदान
|
कुल
|
ऋृण
|
अनुदान
|
कुल
|
ऋृण
|
अनुदान
|
कुल
|
1
|
अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह
|
-
|
-
|
-
|
|
|
-
|
1.69
|
-
|
1.69
|
2
|
आंध्र प्रदेश
|
2,828.57
|
3.02
|
2,831.59
|
9,686.20
|
48.50
|
9,734.70
|
13,269.90
|
10.23
|
13,280.13
|
3
|
अरुणाचल प्रदेश
|
0.25
|
-
|
0.25
|
0.34
|
0.04
|
0.38
|
|
|
-
|
4
|
असम
|
2.39
|
1.18
|
3.57
|
5.71
|
11.77
|
17.48
|
-
|
0.89
|
0.89
|
5
|
बिहार
|
2,800.00
|
57.90
|
2,857.90
|
4,000.00
|
53.75
|
4,053.75
|
800.19
|
15.63
|
815.83
|
6
|
चंडीगढ़
|
-
|
0.03
|
0.03
|
-
|
0.03
|
0.03
|
|
|
-
|
7
|
छत्तीसगढ
|
12,400.00
|
0.87
|
12,400.87
|
8,500.00
|
2.23
|
8,502.23
|
18,990.00
|
1.35
|
18,991.35
|
8
|
दमन और दीव
|
|
|
-
|
|
|
-
|
-
|
0.11
|
0.11
|
9
|
गोवा
|
|
|
-
|
|
|
-
|
|
|
-
|
10
|
गुजरात
|
33.29
|
4.11
|
37.40
|
364.83
|
5.97
|
370.80
|
578.90
|
8.09
|
586.99
|
11
|
हरयाणा
|
12,824.83
|
2.92
|
12,827.75
|
6,650.92
|
4.32
|
6,655.24
|
9,884.73
|
2.63
|
9,887.36
|
12
|
हिमाचल प्रदेश
|
12.18
|
2.56
|
14.74
|
10.47
|
2.44
|
12.91
|
-
|
1.85
|
1.85
|
१३
|
जम्मू और कश्मीर
|
-
|
0.13
|
0.13
|
-
|
0.57
|
0.57
|
-
|
0.71
|
0.71
|
14
|
झारखंड
|
0.30
|
1.49
|
1.79
|
-
|
4.63
|
4.63
|
-
|
2.54
|
2.54
|
15
|
कर्नाटक
|
163.57
|
0.92
|
164.49
|
111.48
|
1.06
|
112.54
|
259.96
|
1.40
|
261.35
|
16
|
केरल
|
362.45
|
9.39
|
371.85
|
677.05
|
27.69
|
704.74
|
272.33
|
3.56
|
275.89
|
17
|
मध्य प्रदेश
|
471.25
|
5.85
|
477.10
|
275.48
|
8.92
|
284.40
|
318.93
|
3.93
|
322.86
|
18
|
महाराष्ट्र
|
682.97
|
5.11
|
688.07
|
740.55
|
10.61
|
751.16
|
2,080.89
|
20.53
|
2,101.42
|
19
|
मणिपुर
|
-
|
0.04
|
0.04
|
22.13
|
8.25
|
30.38
|
4.66
|
1.95
|
6.60
|
20
|
मेघालय
|
-
|
0.04
|
0.04
|
-
|
0.14
|
0.14
|
-
|
0.22
|
0.22
|
21
|
मिजोरम
|
0.83
|
0.23
|
1.06
|
3.19
|
1.04
|
4.23
|
2.72
|
0.51
|
3.24
|
22
|
नगालैंड
|
-
|
0.17
|
0.17
|
-
|
1.20
|
1.20
|
-
|
0.67
|
0.67
|
23
|
ओडिशा
|
3.52
|
0.54
|
4.06
|
-
|
1.61
|
1.61
|
0.28
|
2.96
|
3.24
|
24
|
पंजाब
|
-
|
0.13
|
0.13
|
-
|
0.42
|
0.42
|
1,650.00
|
0.44
|
1,650.44
|
25
|
पुदुचेरी
|
|
|
-
|
-
|
0.06
|
0.06
|
|
|
-
|
26
|
राजस्थान Rajasthan
|
0.04
|
7.75
|
7.79
|
0.09
|
4.82
|
4.91
|
60.40
|
5.68
|
66.09
|
27
|
सिक्किम
|
-
|
-
|
-
|
-
|
0.14
|
0.14
|
-
|
0.22
|
0.22
|
28
|
तमिलनाडु
|
46.56
|
4.19
|
50.75
|
24.59
|
5.90
|
30.49
|
-
|
4.28
|
4.28
|
29
|
तेलंगाना
|
990.66
|
101.55
|
1,092.20
|
9,091.26
|
213.71
|
9,304.97
|
11,931.00
|
243.11
|
12,174.11
|
30
|
त्रिपुरा
|
2.10
|
0.90
|
3.00
|
8.57
|
3.78
|
12.35
|
-
|
1.55
|
1.55
|
३१
|
उतार प्रदेश।
|
240.00
|
12.33
|
252.33
|
339.70
|
10.54
|
350.24
|
3.22
|
9.81
|
13.04
|
32
|
उत्तराखंड
|
73.00
|
7.36
|
80.36
|
-
|
10.50
|
10.50
|
107.52
|
41.61
|
149.13
|
33
|
पश्चिम बंगाल
|
0.34
|
43.82
|
44.16
|
0.72
|
62.64
|
63.36
|
0.70
|
4.26
|
4.96
|
34
|
दिल्ली + अन्य
|
-
|
7.46
|
7.46
|
-
|
10.82
|
10.82
|
0.50
|
9.21
|
9.71
|
|
कुल
|
33,939.08
|
282.00
|
34,221.08
|
40,513.29
|
518.10
|
41,031.40
|
60,218.53
|
399.94
|
60,618.47
|
सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।
***
एमजी/एआर/एसवी
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