मत्स्यपालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय

पशुपालन और डेयरी विभाग ने आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक के राज्य और जिला नोडल अधिकारियों के लिए सॉफ्टवेयर और नस्लों पर 21वीं पशुधन गणना के क्षेत्रीय प्रशिक्षण का आयोजन किया


भारत का पशुधन सेक्टर एक महत्वपूर्ण आर्थिक स्तंभ है जो लाखों लोगों के लिए आजीविका प्रदान करता है और राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में 5.5 प्रतिशत का योगदान देता है : श्रीमती अलका उपाध्याय

Posted On: 31 JUL 2024 5:53PM by PIB Bhopal

भारत सरकार के मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के पशुपालन और डेयरी विभाग और मेजबान राज्य आंध्र प्रदेश ने ‘ आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक के राज्य और जिला नोडल अधिकारियों ( एसएनओ / डीएनओ ) के लिए सॉफ्टवेयर ( मोबाइल एवं वेब ऐप्लीकेशन / डैशबोर्ड ) और नस्लों पर 21वीं पशुधन गणना के क्षेत्रीय प्रशिक्षण ‘ का आयोजन किया। यह कार्यशाला आज आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में इन राज्यों के राज्य और जिला नोडल अधिकारियों को सितंबर- दिसंबर 2024 के दौरान आयोजित की जाने वाली 21वीं पशुधन गणना के संचालन के लिए हाल ही में लांच किए गए मोबाइल एवं वेब ऐप्लीकेशन के प्रशिक्षण के लिए आयोजित की गई।

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भारत सरकार में पशुपालन एवं डेयरी विभाग में सचिव श्रीमती अलका उपाध्याय ने 21वीं पशुधन गणना के लिए वर्चुअल तरीके से बधाई और शुभकामनाएं दीं। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था पर पशुधन क्षेत्र के प्रभाव और पशुधन क्षेत्र की उपज के वैश्विक व्यापार के मामले में भारत की स्थिति की जानकारी साझा की। उन्होंने दोहराया कि भारत का पशुधन क्षेत्र एक महत्वपूर्ण आर्थिक स्तंभ है, जो लाखों लोगों को आजीविका प्रदान करता है, राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद में 5.5 प्रतिशत का योगदान देता है और आवश्यक प्रोटीन की आपूर्ति करता है। विशाल पशुधन आबादी ( 53.6 करोड़ ) और दूध ( प्रथम ) और अंडा ( द्वितीय ) उत्पादन में वैश्विक नेतृत्व के साथ, यह क्षेत्र एक पावरहाउस है। हालाँकि, उन्होंने उल्लेख किया कि इसकी पूरी क्षमता को अनलॉक करने के लिए निर्यात के आशाजनक अवसरों का लाभ उठाने के लिए उत्पादकता, बुनियादी ढांचे और बाजार पहुंच में चुनौतियों का समाधान करने की आवश्यकता है।

आंध्र प्रदेश सरकार के पशुपालन और डेयरी विकास विभाग के सचिव श्री एम एम नायक ने भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग के सलाहकार (सांख्यिकी) श्री जगत हजारिका, भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी विकास विभाग के एएचएस के निदेशक श्री वी.पी. सिंह और आंध्र प्रदेश सरकार के पशुपालन और डेयरी विकास विभाग के निदेशक डॉ. अमरेंद्र कुमार की उपस्थिति में कार्यशाला का उद्घाटन किया।

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समारोह की शुरुआत राष्ट्रगान और दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। इन प्रतिष्ठित गणमान्य व्यक्तियों के संबोधन ने उद्घाटन समारोह को चिह्नित किया और पशुधन गणना के संचालन के लिए जिला और राज्य स्तर के नोडल कार्यालयों के सफल प्रशिक्षण की दिशा में एक सहयोगात्मक प्रयास के लिए मंच तैयार किया।

श्री एम एम नायक ने कार्यशाला को संबोधित किया और जमीनी स्तर पर व्यापक प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने उल्लेख किया कि आंध्र प्रदेश भारत में पशुधन का पावरहाउस है। इसमें मवेशियों, भैंसों, भेड़ों और बकरियों की पर्याप्त आबादी है, जो प्रत्येक श्रेणी में शीर्ष राज्यों में से एक है। आंध्र प्रदेश एक अग्रणी दुग्ध उत्पादक है, जो राष्ट्रीय उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देता है। इसके अलावा, यह अंडा उत्पादन में शीर्ष स्थान रखता है और मांस क्षेत्र में एक प्रमुख राज्य है। पशुधन उत्पादों से बढ़ता सकल मूल्य इसके बढ़ते आर्थिक महत्व को उजागर करता है। उन्होंने पशुधन गणना की सावधानीपूर्वक योजना बनाने और क्रियान्वयन का आह्वान करते हुए इस बात पर जोर दिया कि एकत्र किया गया डेटा भविष्य की पहलों को आकार देने और क्षेत्र में चुनौतियों का समाधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

पशुपालन और डेयरी विभाग के सलाहकार ( सांख्यिकी ) श्री जगत हजारिका ने अपने संबोधन में इस कार्यशाला के महत्व पर प्रकाश डाला, सटीक और कुशल डेटा संग्रह के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के लिए विभाग की प्रतिबद्धता को रेखांकित किया। उन्होंने 21वीं पशुधन गणना की सफलता सुनिश्चित करने के लिए सभी हितधारकों की सामूहिक जिम्मेदारी पर जोर दिया, जो पशुपालन क्षेत्र की भविष्य की नीतियों और कार्यक्रमों को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और उनसे इस गणना की सफलता सुनिश्चित करने के लिए नवीनतम तकनीकों का लाभ उठाने का आग्रह किया।

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डॉ. अमरेंद्र कुमार ने पशुधन क्षेत्र के भीतर टिकाऊ प्रथाओं के एकीकरण पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि पशुधन गणना के बाद प्राप्त आंकड़ों के विश्लेषण और तार्किक उपयोग से भविष्य की विभागीय नीतियां बनाने और कार्यक्रमों को लागू करने का मार्ग प्रशस्त होगा, साथ ही पशुधन किसान के लाभ के लिए पशुपालन के क्षेत्र में नई योजनाएं बनाने और रोजगार पैदा करने का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने सभी राज्यों से आए प्रतिनिधियों का गर्मजोशी से स्वागत किया और उन्हें सफल प्रशिक्षण सत्र की शुभकामनाएं दीं।

कार्यशाला में पशुपालन सांख्यिकी प्रभाग द्वारा 21वीं पशुधन गणना के संक्षिप्त विवरण के साथ शुरू होने वाले सत्रों की एक श्रृंखला शामिल थी, इसके बाद प्रजातियों के नस्ल विवरण पर आईसीएआर - राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो ( एनबीएजीआर ) का प्रतिनिधित्व करने वाली एक टीम की ओर से एक विस्तृत प्रस्तुति दी गई, जिसे गणना में शामिल किया जाएगा। सटीक नस्ल पहचान के महत्व पर जोर दिया गया, जो विभिन्न पशुधन क्षेत्र कार्यक्रमों में उपयोग किए जाने वाले सटीक आंकड़े तैयार करने और सतत विकास लक्ष्यों ( एसडीजी ) के राष्ट्रीय संकेतक ढांचे ( एनआईएफ ) के लिए महत्वपूर्ण है।

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कार्यशाला में भारत सरकार के पशुपालन और डेयरी विभाग की सॉफ्टवेयर टीम द्वारा राज्य और जिला नोडल अधिकारियों के लिए मोबाइल ऐप्लीकेशन और डैशबोर्ड सॉफ्टवेयर पर प्रशिक्षित 21वीं पशुधन गणना की कार्यप्रणाली और सॉफ्टवेयर के लाइव ऐप्लीकेशन पर विस्तृत सत्र शामिल थे। ये नोडल अधिकारी अपने-अपने जिला मुख्यालय पर गणनाकारों के लिए प्रशिक्षण आयोजित करेंगे।

कार्यशाला का समापन पशुपालन एवं डेयरी विभाग में पशुपालन सांख्यिकी प्रभाग के निदेशक श्री वी.पी. सिंह के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। अपने संबोधन में, उन्होंने सभी गणमान्य व्यक्तियों और हितधारकों को उनकी उपस्थिति के लिए आभार व्यक्त किया और एक आशापूर्ण टिप्पणी के साथ समापन किया कि गणना अभियान सफल होगा।

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