सामाजिक न्‍याय एवं अधिकारिता मंत्रालय

एनआईईईपीआईडी ​​और हंस फाउंडेशन ने दिव्यांग बच्चों को सशक्त बनाने के लिए नई मोबाइल थेरेपी बसें लॉन्च कीं

Posted On: 29 JUL 2024 8:21PM by PIB Delhi

दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग (डीईपीडब्ल्यूडी) के तहत राष्ट्रीय बौद्धिक दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान (एनआईईईपीआईडी) और हंस फाउंडेशन ने आज मोबाइल थेरेपी बस पहल शुरू करने की घोषणा की। इस परियोजना का लक्ष्य नोएडा, गाजियाबाद, कोलकाता और मुंबई में पांच मोबाइल थेरेपी बसें तैनात करके वंचित समुदायों के दिव्यांग बच्चों की अनूठी जरूरतों को पूरा करना है। सचिव (डीईपीडब्ल्यूडी) श्री राजेश अग्रवाल मुख्य अतिथि के रूप में समारोह में शामिल हुए। अन्य उल्लेखनीय उपस्थित लोगों में श्री सुदीप सिन्हा, निदेशक, कार्यक्रम और रणनीतिक पहल, हंस फाउंडेशन और डॉ. बी.वी. रामकुमार, निदेशक, एनआईईईपीआईडी ​​शामिल थे।

गहन और जीवन बदलने वाली सेवाएं प्रदान करने के लिए डिज़ाइन की गई प्रत्येक मोबाइल थेरेपी बस से लगभग 14,000 दिव्यांग लोगों तक पहुंचने की उम्मीद है। इस पहल के लिए पूंजीगत व्यय और बुनियादी ढांचे के लिए प्रति बस 2 करोड़ रुपये के प्रारंभिक निवेश की आवश्यकता है, साथ ही निरंतर रखरखाव, स्टाफिंग और परिचालन दक्षता सुनिश्चित करने के लिए 1.2 करोड़ रुपये के वार्षिक परिचालन बजट की आवश्यकता है।

अपने पहले वर्ष में, मोबाइल थेरेपी बस पहल ने उल्लेखनीय प्रगति दिखाई है। आज तक, कुल 5,222 दिव्यांग बच्चों को पंजीकृत किया गया है और उनकी जांच की गई है तथा उन्हें व्यापक स्वास्थ्य सेवा और परामर्श सेवाएं प्रदान की गई हैं।

अपने संबोधन में, श्री राजेश अग्रवाल ने एनआईईईपीआईडी ​​और हंस फाउंडेशन की टीमों की पेशेवर क्षमता पर प्रकाश डालते हुए इस पहल की सराहना की। उन्होंने वंचित समुदायों तक सरकारी पहुंच के महत्व पर जोर दिया और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में शीघ्र पता लगाने और कार्रवाई के लिए निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित किया।

मुख्य अतिथि ने यह भी सुझाव दिया कि समुदायों में आसान वितरण के लिए प्रधानमंत्री दिव्यांग केंद्र (पीएमडीके) द्वारा प्रदान की जाने वाली शिक्षण सामग्री और अन्य सहायता को बसों में संग्रहीत किया जाना चाहिए। क्षेत्र में पेशेवरों की कमी को स्वीकार करते हुए, उन्होंने एनआईईईपीआईडी ​​छात्रों से अपनी पढ़ाई के लिए खुद को समर्पित करने और सफल पेशेवर बनने के लिए अपने अनुभवों का लाभ उठाने का आग्रह किया। श्री अग्रवाल ने दिव्यांग बच्चों (सीडब्ल्यूडी) के माता-पिता और देखभाल करने वालों के लिए अल्पकालिक पाठ्यक्रमों का भी प्रस्ताव रखा और दिव्यांग व्यक्तियों (पीडब्ल्यूडी) के साथ-साथ भाई-बहनों और पीडब्ल्यूडी माता-पिता के बच्चों के लिए 100 प्रतिशत शुल्क रियायत की वकालत की।

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