रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय
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राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) औषधि मूल्य नियंत्रण आदेश (डीपीसीओ), 2013 के अंतर्गत शेड्यूल और नन-शेड्यूल दवाओं के मूल्यों की निगरानी करता है


अनुमत मूल्य से अधिक कीमत पर फॉर्मूलेशन बेचने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है

Posted On: 30 JUL 2024 2:21PM by PIB Delhi

औषधि (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 2013 (डीपीसीओ, 2013) के प्रावधानों के अनुसार, डीपीसीओ की अनुसूची-I में सूचीबद्ध फॉर्मूलेशन को डीपीसीओ, 2013 की धारा 2(1)(जेडबी) के अंतर्गत शेड्यूल्ड फॉर्मूलेशन के रूप में परिभाषित किया गया है। अनुसूची-I में शामिल नहीं किए गए फॉर्मूलेशन को डीपीसीओ, 2013 के पैरा 2(1)(v) के तहत नन-शेड्यूल्ड फॉर्मूलेशन के रूप में परिभाषित किया गया है। इस प्रकार, शेड्यूल्ड और नन-शेड्यूल्ड दोनों दवाएं डीपीसीओ, 2013 के अंतर्गत आती हैं।

डीपीसीओ, 2013 के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार शेड्यूल्ड दवाओं की अधिकतम कीमतों को राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) द्वारा पिछले कैलेंडर वर्ष के थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) (सभी वस्तुओं) के आधार पर प्रत्येक वर्ष 1 अप्रैल को या उससे पहले संशोधित किया जाता है और सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ष 1 अप्रैल को अधिसूचित किया जाता है। एनपीपीए द्वारा निर्धारित मूल्य का विवरण एनपीपीए की वेबसाइट यानी nppaindia.nic.in पर उपलब्ध है। नन-शेड्यूल्ड फॉर्मूलेशन (ब्रांडशुदा या जेनेरिक) के मामले में डीपीसीओ, 2013 के पैरा 20 के अनुसार कोई भी निर्माता पिछले 12 महीनों के दौरान अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) में एमआरपी के 10 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि नहीं कर सकता है। शेड्यूल्ड और नन-शेड्यूल्ड दवाओं के लिए डीपीसीओ, 2013 के प्रावधानों के अनुसार कीमतों में अधिकतम स्वीकार्य वृद्धि वाणिज्यिक कारणों और बाजार की गतिशीलता के आधार पर उनके संबंधित निर्माताओं द्वारा ली जा सकती है या नहीं भी ली जा सकती है।

औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1945 और उसके नियमों के अंतर्गत दवा निर्माताओं के लिये मैन्युफैक्चरिंग लाइसेंस की शर्तों और अच्छे मैन्युफैक्चरिंग प्रथाओं (जीएमपी) की आवश्यकताओं का पालन करना आवश्यक है। औषधि नियम, 1945 के अनुसार मैन्युफैक्चरिंग, परीक्षण, लेबलिंग, पैकेजिंग, भंडारण और वितरण को औषधि नियम, 1945 की अनुसूची एम के तहत निर्धारित अच्छे मैन्युफैक्चरिंग प्रथाओं (जीएमपी) सहित लाइसेंस की शर्तों के अनुपालन में किया जाना आवश्यक है। उल्लंघन के मामले में लाइसेंसिंग प्राधिकरण को उक्त अधिनियम और नियमों के अनुसार कार्रवाई करने का अधिकार है।

एनपीपीए औषधि (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 2013 के अंतर्गत शेड्यूल्ड और नन-शेड्यूल्ड दवाओं की कीमतों की निगरानी करता है। स्वीकृत मूल्य से अधिक कीमत पर दवा बेचने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है और डीपीसीओ, 2013 के प्रासंगिक प्रावधानों के अनुसार कंपनी से अधिक कीमत वसूली जाती है। वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान चूक करने वाली कंपनियों से 72.73 करोड़ रुपये वसूले गए।

यह जानकारी आज राज्यसभा में केंद्रीय रसायन और उर्वरक राज्य मंत्री श्रीमती अनुप्रिया पटेल ने एक प्रश्न के उत्तर में दी।

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