Vice President's Secretariat

Text of the Vice-President’s address at the orientation programme for newly elected Rajya Sabha Members (excerpts).

Posted On: 27 JUL 2024 2:52PM by PIB Delhi

सभी को नमस्कार, आप सबका परम सौभाग्य है कि आप दुनिया की सबसे पुरानी, सबसे बड़ी और सबसे जीवन्त लोकतंत्र के सर्वश्रेष्ठ मंदिर का हिस्सा हैं। आप इतिहास रचित करने की स्थिति में हैं और आपका नाम इतिहास में दर्ज है।
You are indeed fortunate to have this great privilege to be members of the highest body in the largest and oldest democracy that is globally most functional. I congratulate all of you on this occasion.

सबसे महत्वपूर्ण काम Parliamentarian का है। मैं आपसे ये उम्मीद करता हूँ कि ऐसी परिस्थिति में मेरे द्वारा कही गई बातों को आप सदाचार और सद्भाव से लेंगे।

I have started with a caveat. I am not in a position to impart advice or suggestions or guidance to you.

आखिर भारतीय संसद की आवश्यकता क्या है? आप और हम इससे जुड़े हुए हैं। संसद कि मूल मुख्य और निर्णायक भूमिका दो हैं - संविधान का सृजन करना, संरक्षण करना और सामयिक दृष्टि से इसको देखना और दूसरा प्रजातन्त्र की रक्षा करना।

आपसे ज़्यादा गंभीर प्रजातन्त्र का प्रहरी कोई नहीं है। प्रजातन्त्र पर कोई संकट आएगा, प्रजातान्त्रिक मूल्यों पर कुठाराघात होगा तो आपकी भूमिका निर्णायक है।

आपातकाल के काले अध्याय, the darkest period of Indian democracy. जहां तानाशाही के तरीके से, बेतहाशा रूप के अंदर मौलिक अधिकारों को कुचला गया, लोगों को जेल मे डाला गया उसको यदि अगर छोड़ दें तो हमारा कार्यकाल कमोबेश उत्तम रहा है।

We can take complete pride that Members of our Parliament right from the beginning have conducted themselves and acted in support of the people. Everytime in every period, they have contributed to the growth of this Nation. There has been only one painful, heart wrenching dark period and that was when Emergency was declared.

At that point of time, our Constitution was reduced to just a paper. It was shredded and leaders were jailed. MISA became a draconian word. One of the senior politicians of the country, Shri Lalu Prasad Yadav, was so moved and touched by the atrocities of the Emergency that he named his child as Misa. She had the occasion to be a member of this house. Now in the other house.  That was the sentiment. If we ignore that dark period, our parliament has performed very well. It has done excellently.

आज के दिन हमारा मुख्य काम क्या है? हम इसको और प्रभावी बनाएँ, और सार्थक बनाएँ। दुनिया के बदलते हुए रूप को देखकर, भारत की बढ़ती ताकत को देखकर हमारी भूमिका हो।

देश का हर नागरिक आपसे अपेक्षा रखता है, आपसे उम्मीद रखता है और ये मान कर चलता है कि आपका आचरण इतना उत्तम होगा, इतना सर्वश्रेष्ठ होगा, जनता को इतना समर्पित रहेगा कि वो आपका अनुकरण करेंगे।

हम संसदीय प्रणाली को राजनीतिक दल की भूमिका से आकलन कर के नहीं देख सकते। राजनीति का स्थान है, राजनीति करनी होती है। राजनीति करना स्वस्थ प्रजातंत्र के लिए आवश्यक है। लेकिन राष्ट्र से जुड़े हुए मुद्दों को देखकर, राष्ट्रहित को देखकर, राष्ट्रवाद को समर्पित करते हुए।
There have to be occasions when we have to avoid the political prism.
 
जब मैं इस कसौटी पर आज के हालात को देखता हूँ, तो मुझे चिंता होती है। पीड़ा होती है, परेशानी होती है। और मैं ये मान कर चलता हूँ, आप इससे भली-भांति वाकिफ हैं। लंबे समय से हमारी संसद विचार-विमर्श और सार्वजनिक विचार-विमर्श का एक दुर्ग माना जाता रहा है।

It has been a citadel of constitutional values and liberties. समय-समय पर थोड़ी बहुत गड़बड़ होती रही है पर समझदारी से सदन के नेताओं ने एक मार्गदर्शन किया है।

आज के हालात चिंताजनक हैं। अमर्यादित आचरण राजनीतिक हथियार के रूप में उपयोग किया जा रहा है। यह प्रजातंत्र की मूल भावना पर कुठाराघात है। मर्यादा को नुकसान पहुंचाना लोकतंत्र की जड़ों को हिलाना है।

There can be no greater danger to democracy than imparting an impression that disturbance and disruption are political weapons to score political mileage at the cost of the prestige of Parliament and the nation.

मेरा आपसे गुजारिश रहेगी, आपका आचरण मर्यादित हो, शिष्टाचार पूर्ण हो। There must be convergence of thought process.  आये दिन मै ये सामना करता हूँ , किसी भी सदस्य ने कोई विचार व्यक्त किया, उस विचार को सुनना नहीं चाहते, उस विचार की ओर ध्यान नहीं देना चाहते, उस पर अविलम्ब तुरंत प्रतिघात करना चाहते हैं, ये ठीक नहीं है।  आप विचार को सुनिए, सुनने में ये नहीं है कि आप उसको स्वीकार करने के लिए विवश हैं, आपका अधिकार है कि आप सुनने के पश्चात, उसका अध्ययन करने के पश्चात, आप अपनी असहमति व्यक्त करें|
 
Friends! 

To ignore the others point of view is not part of Parliamentary practice. The other point of view minimally requires at least consideration. If you listen to other point of view, it is not that you are agreeing to that point of view.
आप सबने देखा होगा ऐसा आचरण हो रहा है कि मेरे पास हर सप्ताह ऐसी डाक आती है कि पढ़ते हुए दिल कांप जाता है। नौकरी-पेशा लोगों से, विद्यार्थियों से कि आप बैठकर वहाँ कर क्या रहे हो? कैसा अखाड़ा बन गया है?
ऐसी sloganeering तो कहीं नहीं होती है, ऐसा उत्पात तो कहीं देखा नहीं जाता है। क्या आपने जिम्मा ले रखा है कि It will be the most mismanaged organisation?

 इसका एक नतीजा क्या है? कि  जो चर्चा संसद मे होनी चाहिए वो लोगों बाहर करते हैं। Every second a member tries to find space in newspaper. He struggles to find that space.

मैं आपसे ज्यादा वहाँ देख पाता हूँ क्योंकि मैं वहाँ सामने ऊपर बैठता हूँ। एक सदस्य अपनी बात कहेगा, तुरंत बाहर जाकर मीडिया byte देगा।  वहाँ से ट्वीट करेगा।

सदस्य आएगा अपने भाषण के समय के एक मिनट पहले और भाषण देकर चला जाएगा। कितना दर्दनाक है। आपकी वहाँ उपस्थिति इस काम के लिए नहीं है कि you adopt this hit and run strategy.

You come, make a point, leave, don't listen to others, go and give a byte. There can be no greater divisive activity than this. मेरा आपसे आग्रह रहेगा, दिल टटोलकर इसको आगे बढ़ाना।

हमारी गरिमा बनेगी तो जनता का विश्वास होगा। शिष्टाचार के माध्यम से हमें राष्ट्र के सामने एक उदाहरण प्रस्तुत करना है, जिससे ये पता चले की आम आदमी को कि असहमति को शत्रुतापूर्ण टकराव के बजाए आपसी बातचीत से, संवाद  से हल किया जा सकता है। Why disturbance? why disruption? why not dialogue, debate, discussion and deliberation?

आपके लिए एक नॉर्थ स्टार है, आपके लिए लाइट हाउस है, the proceedings of the Constituent Assembly. 

तीन साल के करीब संविधान सभा चली, 11 सत्र हुए और मैं आपको बता दूँ कि उनके सामने बहुत ही गहरे मुद्दे थे, विवादित मुद्दे थे। भाषा के मुद्दे थे, क्षेत्र के मुद्दे थे, संस्कृति के मुद्दे थे। उन्होंने कभी ऐसा आचरण नहीं किया कि किसी ने नारेबाजी की हो, कोई वेल में आया हो, या दूसरे की बात न सुनी हो हमें जो संविधान मिला है उसका निर्माण बातचीत के माध्यम से हुआ, सामंजस्य के माध्यम से हुआ।

The constituent Assembly during nearly three years of its functioning in 11  sessions exemplified best of traditions, highest decorum, highest standards of dialogue, discussion, debate. There was no disruption or disturbance even once.

No one came to the well, No one shouted slogans and that was in a scenario when the Constituent Assembly faced contentious, divisive, emotive issues. They found a solution not by confrontation but by collaboration.

इसलिए मेरा आपसे अनुरोध है की ऐसा वातावरण किया जाए की ना तो हम एक दूसरे के शत्रु हैं ना विरोधी है वह एक पक्ष रखते हैं आप दूसरा पक्ष रखते हैं मूल उद्देश्य एक ही है हमारे राष्ट्रवाद को विकसित करना जनता का कल्याण करना
एक नई परंपरा और है, व्यक्तिगत आरोप। और किसी भी हद तक जा सकते हैं। आचरण मे दिखावटीपन, मैं महसूस करता हूँ। किसी और को प्रभावित करने के लिए नारे लगाते हैं। Attention capture करने के लिए नारे लगाते हैं

 6 दशक के पश्चात कोई प्रधानमंत्री लगातार तीसरे टर्म में आया।  प्रधानमंत्री किसी राजनीतिक दल का नहीं है, प्रधानमंत्री को सदन का नेता कहा जाता है, प्रधानमंत्री देश का है।  उस प्रधानमंत्री को राज्यसभा में प्रतिपक्ष ने नहीं सुना।

विषय देखिए क्यों नहीं सुना उस समय क्या नारा लगा LOP LOP LOP, समय को नजरअंदाज करते हुए मैंने प्रतिपक्ष के नेता को और सदन के नेता को माननीय मल्लिकार्जुन खड़गे जी को माननीय जगत प्रकाश नड्डा जी को 1.30 घंटे से ज्यादा का समय दिया और किसी को उनको टोकने नहीं दिया।टोकने का अधिकार तभी हो सकता है जब वक्ता स्वीकार करें कि सामने कोई बोल सकता है यदि वह स्वीकार न करे तो आप चैलेंज नहीं कर सकते।  कितना गलत काम हुआ।

सोचिए किस बात को लेकर यह टिप्पणी होगी की सभापति महोदय का झुकाव इधर है या इधर है मेरा झुकाव हर परिस्थिति में सदस्य की मूल भावना की ओर है संविधान की ओर है कानून की ओर है और देश की तरफ है आप इसको जरा ध्यान से देखिए

अब अपने सामने चुनौती है, हमें अपने को पुनर्स्थापित करना होगा। हम बहुत दूर भटक गए हैं। इतने भटक गए हैं कि सार्वजनिक जीवन में जो आप लोग हो,  आपकी प्रतिष्ठा आपके सामने है, आपके पीछे से नहीं है। आपकी प्रतिष्ठा का आधार होगा इस संसद में आपने क्या किया। क्या योगदान किया, कितना महत्वपूर्ण योगदान किया। मेरे लिए तो सदस्यों को समझाना जटिल हो गया है। एक चुनौती हो गई है, हर बात के उपर चुनोती मुझे देना, हर बात पर टोका टोकी करना, गिरावट की सीमा को हम लाँघ गए हैं।

मेरा आपसे आग्रह है, help the nation by re-establishing your prestige by nation that you are warriors of democracy, you are the greatest stakeholder of democracy.

इस भारत को विकसित भारत बनाने में सबसे अहम भूमिका आपकी है। और अहम भूमिका में सबसे पहले एक चीज देखेंगे क्या आपका आचरण उत्तम है|

सदन में बैठकर तीन काम होते हैं तो मुझे पीड़ा होती है। एक, अवसर की तलाश में रहते हैं कि मैं कब व्यवधान पढ़ा करूँ। राजनीतिक दल सदन शुरू होने से पहले तय करते हैं कि आज व्यवधान करना है। मन को टटोलिए क्या यह सही है। दुनिया में नज़र फैलाइये, कई प्रजातांत्रिक देश हैं। सुदृढ़ लोकतंत्र पनप रहा है वहाँ। क्या वहाँ ऐसा होता है, अपने यहाँ क्यों?  उन देशों की तो पृष्ठभूमि 5000 साल की सांस्कृतिक विरासत की नहीं है, उन देशों के अंदर वह ज्ञान का भंडार नहीं है जो इस भारत में वेद हैं, उपनिषद हैं, पुराण हैं, अनेक माध्यम हैं। ऐसी परिस्थिति में हम ऐसा आचरण करें। इसका एक गलत संकेत और भी जाता है।

प्रजातन्त्र के जो मूल स्तम्भ हैं, (कार्यपालिका, न्याय पालिका और विधायिका, विधायिका अपने आचरण से कमजोर होती हैं। कमजोर होती हैं तो आम आदमी को फ़र्क पड़ता है। आपकी नजर से वो चाहते हैं कि आप सरकार को पारदर्शी बनाएं, सरकार को उत्तरदायी बनाएं, सरकार के सामने एक दूरदर्शिता की योजना रखें, ये सब आप नहीं रख पाते हो।

भारत के निर्माण के लिए आपके मन में कुछ सोच है उस सोच को सदन में व्यक्त करने के लिए बहुत साधन है।मैं आज भी कहता हूं चाहे कार्यपालिका में कोई मंत्री हो, चाहे किसी भी संस्था में हो, सबसे महत्वपूर्ण अंग उस संसद सदस्य का है जो संसदीय प्रणाली के माध्यम से देश की सेवा करना चाहता है। एक बात देखिए, प्रश्न काल बहुत महत्वपूर्ण है। Supplementary पूछते हैं, मैं किसी पर आक्षेप नहीं कर रहा हूँ। हाथ जोड़कर अनुरोध कर रहा हूँ, जवाब को नहीं पढ़ते पहले। सबसे पहले आपको देखना चाहिए, कि मंत्री ने जवाब क्या दिया है, किस विषय के ऊपर वो प्रश्न है। किस क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। प्रश्न मान लो एक राज्य का है, वो दूसरे राज्य का पूछते है। चेयर पर यह कहना, कि आप हमें Supplementary की इजाज़त दीजिए।

आपसे share कर रहा हूँ, आपको आश्चर्य होगा। कुछ सदस्य एक साथ कागज भेज देते हैं, कि वो हर प्रश्न पर सप्लीमेंट्री पूछना चाहते हैं।
 
मैं आपको बताता हूँ, I don't encourage it, मैं विषय को देखकर, सदन में चारों तरफ नजर फैला कर, कि हाँ, यह मछली से जुड़ा हुआ मामला है, तो मैं बंगाल की तरफ देखूँगा, ओडिशा की तरफ देखूँगा, आपके लिए देखूँगा। जब सप्लीमेंट्री का मैं निर्णय करता हूँ, मैं ध्यान देता हूँ, कि gender balancing भी हो, पार्टी बैलेंसिंग भी हो, इसके बाद वरिष्ठ नेता, उपस्थिति दर्ज कराने की दृष्टि से, हाथ खड़े कर देते हैं, जब पता है कि आप चिट भेजिए, मैंने व्यवस्था की है, और हमारे सचिवालय की व्यवस्था सुदृढ़ है, कि ज्यों ही आप हाथ खड़े करते हूँ, आपके पास तुरंत कोई आएगा, फिर भी well में जाकर देते हो, इसे नहीं होना चाहिए।

बड़े भारी मन से मैंने यह तय किया, जब कुछ अधिकांश लोग कहने लग गए, hard copy भी accept करो, अधिकांश लोगों ने कहा, क्या नुकसान हो जाएगा।

एक मुद्दा आता है कि हमारे अधिकार क्या है? और उसमें कहते हैं कि भारत के संविधान ने हमें एक अधिकार दिया है कि हम सदन में बात करेंगे तो 140 करोड़ का कोई भी व्यक्ति न्यायालय में मुकदमा नहीं कर पाएगा ना दीवानी मुकदमा कर पाएगा ना फौजदारी मुकदमा कर पाएगा।यह अधिकार सोच कर दिया गया है आपकी रक्षा इसलिए की गई है कि आप प्रजातंत्र की रक्षा करेंगे आप संविधान की रक्षा करेंगे आप जनता के कल्याण की बात करोगे सदन को यदि यह अखाड़ा बनने दिया जाए कि आप मनमानी से चाहे जो कहोगे और बाहर से कोई उस पर मुकदमा नहीं कर पाएगा। I have ruled my ruling और मैं कहूंगा उस प्वाइंट आफ ऑर्डर को आप पढ़िए मैं स्पष्ट कहा है

You have  right of free expression which is unique. 140 करोड़ जनता को वह अधिकार नहीं है सदन के बाहर आप बोलते हो कोई मुकदमा कर सकता है फौजदारी कर सकता है दीवानी कर सकता है। But, on the floor of the house the outside world  can take recourse to no remedy

 इसका मतलब यह तो नहीं है कि उनके पास remedy नहीं है। उनकी remedy के लिए उनके अधिकारों का संरक्षण करने के लिए नियम बने हुए हैं और जो मेरी कुर्सी पर पहले बैठे हुए हैं और आज मैं बैठ रहा हूं उनका कर्तव्य है किस प्रकार की प्रवृत्ति को कुंठित ही नहीं करें दंडित करें और दंडित करने की व्यवस्था है। मुझे संसद सदस्य के खिलाफ कोई कार्रवाई करते समय आनंद नहीं आता है, पीड़ा होती है।

समझाइश करता हूँ, बुला कर कहता हूँ। आप अपने इस अधिकार को, which is a nuclear weapon of expression in your hands, मेहरबानी करके, चिंतन के साथ, मंथन के साथ, मर्यादित तरीके से, सीमाओं में रहकर करें।

कितना अजीब लगता है, एक सदस्य की आदत हो गई है, कुर्सी पर बैठेंगे, Armchair dialogue करेंगे, और भद्दी भाषा का उपयोग करेंगे। क्या ये बर्दाश्त करनी चाहिए? Surely not! These are issues not to be determined by vote, these are issues to be determined by the chair. पर इसमें मुझे आपका सहयोग चाहिए, क्योंकि देश आपसे अपेक्षा करता है, कि आप सुधार लाएंगे।

Proceedings of the house, sanctimonious है, यह एक मंदिर है इस मंदिर में दुराचार नहीं हो सकता। इसमें मर्यादा भंग नहीं हो सकती, संसद की जो proceedings हैं वह इतिहास में दर्ज की जाती हैं। These are embedded in history.

एक संसद सदस्य ने अपने मोबाईल फोन से संसद की प्रोसीडिंग्स ले लीं। यह ठीक नहीं था। बेमन से मुझे दंडित करना पड़ा। दुखी मन से दंडित करना पड़ा। ऐसा नहीं होना चाहिए था। एक सदस्य को सस्पेंड किया गया, उन्होंने न्यायपालिका का द्वार खटखटा दिया। संसद के अंदर जो कुछ भी होता है उसपर किसी का हस्तक्षेप नहीं हो सकता सिवाय चेयर के। ना कार्यपालिका का हो सकता है ना किसी और संस्था का हो सकता है।

Parliament is supreme for its procedure, for its proceedings. Any proceeding in the house, in the Parliament is beyond review, either of the executive or any other authority. वो संसद सदस्य चले गए वहाँ। आभार व्यक्त कर दिया कि आपकी वजह से मेरा कल्याण हो गया। सब गलत आचरण है।

I am referring to Mr Raghav Chadda. उनकी पार्टी के एक वरिष्ठ सदस्य यहाँ उपस्थित हैं। Mr. Chadda, Mr Gupta was covicted. He was sentenced for a misconduct which I could not countenance ? because that was outrageous to the rules and decorum. कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं।

यह मेरे सिद्धांत है यह मेरा दायित्व है that i have to handhold everyone और एक बार कार्य करने के बाद मेरे मन में कोई फर्क नहीं पड़ता है. I give opportunity I hand hold I counsel. पर मेरा मानना है की चेयर की हर रूलिंग को आप पहली बार आए हैं पढ़ना चाहिए पहले तो मेरे द्वारा पढ़िये क्योंकि वह सामूहिक है और मेरे से जो पहले है बहुत विद्वान है उनकी पढ़िये

एक मुद्दा उठा कि आप हाउस में क्या डिस्कस कर सकते हो? अब हर राजनीतिक दल का सदस्य अपने नेता के प्रति समर्पित है इसमें कोई गलत बात नहीं है और जब कुछ कहा जाता है तो उग्र हो जाते हैं। ऐसा एक मुद्दा मेरी समक्ष आया। देश के बाहर जाकर लोकसभा के एक सदस्य ने ऐसी टिप्पणी कर दी जिससे किसी को आपत्ति हुई। आपत्ति हुई तो वह राज्यसभा के समक्ष उस समय सदन के नेता ने मामला उठाए तो एक मुद्दा उठा की आप लोकसभा के सदस्य की चर्चा राज्यसभा में नहीं कर सकते। अब मैं आपको एक सीधी बात बताता हूं। आप अपनी पुस्तक को खोले और उसमें लिखा हुआ है राज्यसभा में लोकसभा के सदस्य की चर्चा किन परिस्थिति में हो सकती है। उसमें लिखा हुआ उसमें कोई विद्वानता दिखाने की जरूरत मुझको नहीं थी फिर भी मुद्दा बना दिया। अब यह कोई वाद विवाद का केंद्र तो नहीं है राज्यसभा लोकसभा। यह ऐसा स्थान नहीं है जिसको हम डिबेटिंग सोसायटी कह दे।

मैंने यह कहा है कि कोई ऐसा विषय नहीं है जिस पर हम चर्चा नहीं कर सकते हैं। उसकी प्रक्रिया है। देश में कोई व्यक्ति किसी भी पद पर हो उसकी चर्चा संसद में हो सकती है, मेरी चर्चा हो सकती है, किसी की भी हो सकती है। एक प्रक्रिया बुलाओ उस पर हो जाएगी पर यह कहना है कि आपने क्यों कर दिया क्योंकि यह एक्ट में अपराध है। this attitude is wrong. थिस एटीट्यूड इस arrogant. इसको हमें बर्दाश्त नहीं करना चाहिए और यह क्यों है अगर मेंबर उस नियम को पढ़ लेते तो तुरंत कैसे चर्चा तो हो सकती है पर आप बताइए क्या वह कंडीशन मीत हुई है, इस पर आप देखिए।

मेरा आपको यह कहना है कि disturbance और disruption तो है एक और नई प्रवृत्ति आ गई है जिसको मैं बताना चाहता हूं जो शुरुआती है पर घातक है और यह है destruction.

सदन में आ गए पांच लोग बैठकर बात कर रहे हैं वह आकर उससे पूरी चर्चा कर रहा हैं और हर तरीके से यह गलत इसलिए है कि सदन के अंदर नियम है कि आप अपनी सीट पर रहोगे यह नियम है। आपका हर आचरण जो आपकी सीट पर न होकर होता है वह दुराचरण है, चेयर को पीठ दिखाते हैं आवाज भी कई बार इसलिए करते हैं, मुझे हाथ करना पड़ता है काम बोलो और यह दोनों तरफ है यह। आब मुझे यह अच्छा नहीं लगता है कि मैं कुछ लोगों को चिन्हित करूं पर आप अपने विचार विमर्श में भी इस बात पर ध्यान दे सकते हैं।

आपको एक सुझाव दूंगा क्योंकि यहां पर Nominated Category के भी सदस्य हैं उनका Nomination होने का एक अर्थ है।

They have been picked by the president of India to be amongst that category which has to give enlightenment to the society at large through the rajya sabha. ऐसी व्यवस्था लोकसभा में नहीं है nomination to rajya sabha by the hon’ble president is extremely elevated position. पर मैंने देखा की एक Nominated सदस्य 6 साल मे maiden भाषण करने में भी उनको दिक्कत आई, समय निकल गया मेरा हर एक से अनुरोध है कि आप अपने हर  साल की एक पुस्तिका कर सकते हो।  वह पुस्तिका आम जनता को बताएगी कि आपका योगदान क्या रहा है।

स्पेशल मेंशन का उपयोग ऐसे काम के लिए मत कीजिए जिसकी शेल्फ लाइफ ज्यादा ना हो। स्पेशल मेंशन का मतलब पूरा दिल और दिमाग लगाकर सीमित शब्दों में आप एक ऐसा मुद्दा उठा सकते हैं जिसकी ओर ध्यान सरकार का जाएगा आपका Special Mention आपके देने के साथ खत्म नहीं होता है आपके देने के बाद सरकार का काम चालू होता है यह मैं आपको बताता हूं मैं ज्यादा से ज्यादा Special Mention एडमिट भी कर रहा हूं और समय भी दे रहा हूं आप यह कीजिए

आपका कोई प्रश्न आ जाए तो मेरा यह रहेगा की don't ask question for sake of a question, question ऐसा होना चाहिए की कार्यपालिका थर्रा जाए। इस सदस्य ने यह प्रश्न पूछा है सोच कर पूछा है दिमाग से पूछा है। यह नहीं है की लास्ट है, चार क्वेश्चन पूछ लो अपने एक आ जाएगा तो ठीक है बिल्कुल, दिमाग लगाइए पूछने में जवाब देने में उसे 100 गुना ज्यादा दिमाग लगेगा सरकार का। और सप्लीमेंट्री तैयार रखिए कि जब आप क्यों नहीं हुआ।


 अब तुरंत हाउस में कहते हैं मेरा जवाब नहीं दिया गया मैं बड़ा पीड़ित होता हूं,   वैसे ही जैसे लोकसभा के सदस्य को उठा सकते हैं नहीं उठा सकते आप नियमों की प्रक्रिया देखिए ना यदि अगर कोई मंत्री जवाब गलत देता है वह आपकी privilege के ऊपर कुठाराघात करता है बहुत serious मामला है follow the rules, उसी समय कहना है की I am not satisfied neither here nor there.
उसे एक चीज मेरे सामने जाती है कि माननीय सदस्य ने नियमों को नहीं पढ़ा है और he is doing all for  optics of playing to the gallery. यह नहीं होना चाहिए

डिबेट में यदि आप पार्टिसिपेट करते हो तो मैंने यह तय किया है और इसके लिए मैं पक्ष और विपक्ष दोनों का आभारी हूं, 3 मिनट में सदस्य क्या कहेगा और 3 मिनट का समय बोलने को देते हैं नए सदस्य को या उस सदस्य को जिसके दल की संख्या ज्यादा नहीं है, मैंने इसको बदल दिया है। और यही कारण है कि लंच रिसीस को भी कम उपयोग कर रहे हैं और हाउस को लेट भी बैठा रहे हैं पर आपको 7 मिनट बोले आप 7 मिनट में 70 मिनट की बात कह सकते हैं यदि आपने 70 मिनट बैठकर उस पर चिंतन किया हो तो.

Thank you for your time, मुझे बहुत अच्छा लगा एक point of order नहीं हुआ एक disruption नहीं हुआ disturbance नहीं हुआ कोई नारा  नहीं लगा कोई well  में नहीं आया।


 

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MS/JK/RC



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